तुर्की में हुई एक खुदाई के दौरान मिले कंकालों के कान और होंठ के आस-पास पत्थरों के कुछ टुकड़े पाए गए हैं. पुरातत्वविदों का मानना है कि प्राचीन मानव भी हम इंसानों की तरह गहने पहनने के लिए अपने कान और होंठ छिदवाया करते थे.
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दक्षिणी-पूर्वी तुर्की में प्राचीन मानवों के कंकाल से पत्थर से बने गहनों के अवशेष मिले हैं. करीब 11,000 साल पुराने एक कब्रिस्तान से मिले कंकालों के होंठ और गर्दन के आस-पास ये गहने पाए गए हैं. ये अवशेष इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्राचीन काल से ही इंसान गहने पहनने के लिए अपने शरीर में छेद करवाने के शौकीन रहे हैं. इस खोज से जुड़े पुरात्वविज्ञानियों का भी मानना है कि प्राचीन मानव भी इस बारे में सोचा करते थे कि वे कैसे दिख रहे हैं.
फर्टाइल क्रीसेंट जो कि मौजूदा तुर्की और इराक का हिस्सा है वहां हुई इस खुदाई के दौरान छोटे, पतले और नुकीले कई तरह के पत्थर मिले हैं. यह वह इलाका है जहां प्राचीन मानव खेती के लिए बसे थे, लेकिन वे इन पत्थरों का इस्तेमाल किस लिए किया करते थे अब तक इसका पता नहीं चल पाया था.
इस खुदाई से जुड़ी अंकारा यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एमा लूइज़ बायसल के मुताबिक अब तक इनमें से कोई भी पत्थर कभी भी किसी कंकाल के शरीर पर नहीं पाए गए थे. लेकिन बॉनचुकलू तरला में हुई खुदाई के दौरान ये पत्थर कंकालों के कान और होंठ के बेहद करीब पाए गए. इस खोज के बाद विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे कि प्राचीन मानव भी शरीर के अलग-अलग अंगों को छिदवाकर गहने पहना करते थे.
कुछ कंकालों के निचले दांतों के पास ये पत्थर पाए गए जो इस ओर इशारा करत हैं कि प्राचीन मानव होंठ के निचले हिस्से छिदवाया करते थे. प्रोफेसर बायसल कहती हैं कि यह खोज बताती है कि प्राचीन मानव भी हमारी तरह ही इस बात की फिक्र करते थे कि वे कैसे दिखते हैं और दुनिया के सामने खुद को कैसे पेश करते हैं.
यह जगह 11,000 साल पहले शिकारियों ने स्थापित की थी जो आगे चलकर यहीं बस गए. यहां खुदाई की शुरुआत तब हुई जब स्थानीय किसानों को इस जगह पर हजारों बीड्स मिले. अब तक 100,000 से अधिक प्राचीन कलाकृतियां इस जगह से मिल चुकी हैं.
प्रोफेसर बायसल बताती हैं कि ये खुदाई न सिर्फ यह बताती हैं, "प्राचीन दौर में समाज का निर्माण कैसे हुआ बल्कि आधुनिक इंसानों और पाषाण युग के आखिरी चरण के इंसानों के बीच मौजूद समानता को भी दर्शाती हैं. ये उन पहलुओं को उजागर करती हैं जिनसे हम जुड़ा हुआ महसूस कर सकते हैं. यह दिखाती हैं कि कई मायनों में हम बिल्कुल एक जैसे थे.”
आरआर/आरपी (रॉयटर्स)
कहां कहां टैटू कराते हैं लोग
प्रियंका चोपड़ा से विराट कोहली तक, कई बड़े सितारों ने टैटू कराए हैं. लेकिन कुछ लोग टैटू इस तरह से बनवाते हैं कि उन्हें पहचानना ही नामुमकिन हो जाता है.
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टैटू का मेला
जर्मनी का राजधानी बर्लिन में 1990 से टैटू कनवेंशन नाम से मेला लग रहा है. हर साल सैकड़ों टैटू के दीवाने इसमें हिस्सा लेते हैं. ऐसा ही मेला फ्रैंकफर्ट में भी लगता है.
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महिलाओं में
आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं में टैटू की दीवानगी पुरुषों की तुलना में ज्यादा है. जर्मनी में पिछले दस सालों में हर आयुवर्ग की महिलाओं में टैटू का चलन बढ़ा है.
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फैशन या पागलपन?
कोई अपनी बांह पर टैटू बनाना पसंद करता है तो कोई पीठ पर. लेकिन कुछ लोगों के लिए एक दो टैटू काफी नहीं होते. मेक्सिको की यह टैटू आर्टिस्ट खुद को टैटू के जरिए वैम्पायर यानी चुड़ैल की शक्ल देना चाहती थीं. कह सकते हैं कि उनकी तमन्ना पूरी हुई.
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बॉडी आर्ट
यदि एक बार टैटू बनवा लिया जाए तो उस से पीछा छुड़ाना कोई आसान काम नहीं. फिर भी कैनेडा के रिक गेनेस्ट जैसे लोगों की दीवानगी कम नहीं होती. रिक ने अपने पूरे शरीर पर टैटू बनवाए. उन्हें जौम्बी बॉय के नाम से जाना जाता था. 2018 में अपने फ्लैट से गिर कर उनकी मौत हो गई.
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जापानी टैटू
जापान के होरियोशो जैसे टैटू बनाने वाले मशीनों की मदद नहीं लेते, बल्कि पारंपरिक तरीके से टैटू बनाते हैं. किसी जमाने में टैटू का इस्तेमाल कैदियों की पहचान करने के लिए किया जाता था. बाद में ये माफिया की निशानी बन गए.
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दर्दनाक
टैटू बनवाना कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है. जब टैटू बनाने वाली सुई शरीर में घुसती है तो बेहद दर्द होता है, लेकिन टैटू के दीवानों को कुछ पलों के इस दर्द से कोई परहेज नहीं.
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आउट ऑफ फैशन
इस तरह के टैटू को ट्रैम्प स्टैम्प कहा जाता है. फैशन जानकारों का कहना है कि ये टैटू अब फैशन में नहीं हैं. लेकिन यूक्रेन की इस एथलीट की तरह जो लोग इन्हें बनवा चुके हैं, वे बदलते फैशन के साथ इन्हें बदल नहीं सकते.
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चिल्लाता हुआ टैटू
केवल टैटू बनवाने वाले ही नहीं चीखते, बल्कि कई बार तो टैटू खुद भी चीखते हुए दिखते हैं. इस टैटू में बोरुसिया डॉर्टमुंड के कोच युएर्गन क्लौप को अपनी टीम पर चिल्लाते हुए देखा जा सकता है.
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पीठ पर नक्षा
यदि आप जर्मनी के हनोवर शहर में गुम हो जाएं तो इस महिला की पीठ पर बने टैटू में अपना रास्ता खोज सकते हैं. हालांकि थोड़ा ध्यान दीजिएगा, क्योंकि इसमें 1896 की सड़कों का हाल दिखाया गया है.
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एमी वाइनहाउस
पॉप और रॉक स्टार्स अक्सर टैटू बनवाते हैं. संगीत के लिए अपने पागलपन को बयान करने का ये गायकों का अनूठा तरीका है. एमी वाइनहाउज को उनकी अलग सी आवाज और तरह तरह के टैटू के लिए जाना जाता था.
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डेविड बेकहम
लड़के हों या लडकियां सभी डेविड बेकहम के टैटू वाले पोस्टर अपने कमरों में लगाते हैं. मशहूर लोगों के टैटू पर उनके फैन्स की नजरें हमेशा टिकी होती हैं. शायद सैफ अली खान ने इन्हीं से प्रेरणा ले कर करीना का नाम अपनी बांह पर हिन्दी में लिखवा लिया था.
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रंगीन सुइयां
टैटू बनाने के लिए इन सुइयों का इस्तेमाल किया जाता है. इन्फेक्शन ना हो इसलिए हर बार इन्हें बदलना जरूरी है.