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बेयरबॉक बन पाएंगी जर्मनी की अगली अंगेला मैर्केल?

१७ सितम्बर २०२१

कहा जाता है अनालेना बेयरबॉक सख्त, प्रतिभाशाली और महत्वाकांक्षी हैं. लेकिन जब से उन्हें ग्रीन पार्टी ने चांसलर पद का उम्मीदवार बनाया है, उन्हें खुद पर उठ रहे सवालों के जवाब देने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

तस्वीर: Bündnis 90/Die Grünen

ग्रीन पार्टी ने अप्रैल में अनालेना बेयरबॉक को अपना सबसे पहला चांसलर पद का उम्मीदवार बनाया. जिस सहमति के साथ उन्होंने अपने सहयोगी नेता रॉबर्ट हाबेक के साथ मिलकर यह फैसला किया, उसका एक ही साझा उद्देश्य था, ग्रीन पार्टी को जर्मनी की अगली सबको स्वीकार होने लायक पार्टी बनाना.

उन्होंने अप्रैल में कहा था, "बेशक तब हम नहीं जानते थे कि कभी हम यहां खड़े होंगे. लेकिन हम जानते थे कि हम अपनी पार्टी को लोगों के लिए खुला रखना चाहते हैं. और हम उन्हें शामिल करके स्पष्ट उद्देश्यों के साथ व्यापक समाज के लिए नीतियां बनाना चाहते हैं. और इसलिए आज हमारी पार्टी का एक नया अध्याय शुरू होता है."

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उन्होंने गर्मजोशी से अपना विचार सबके सामने रखा था, "आज मैं पूरे समाज के सामने हमारे विविधतापूर्ण, मजबूत और समृद्ध देश को एक अच्छे भविष्य की ओर ले जाने का नेतृत्व करने का निमंत्रण देती हूं."

अनुभव की कमी

हालांकि बेयरबॉक ने कभी कोई सरकारी पद नहीं संभाला है फिर भी शुरुआत में उन्हें पार्टी की उल्लेखनीय कामयाबी का श्रेय दिया जाने लगा, खासकर अप्रैल, 2021 के ओपिनियन पोल्स के नतीजे देखकर.

लेकिन अब वे कई व्यक्तिगत हमलों से घिरी हुई हैं और खुद का बचाव करती नजर आ रही हैं. हालिया आलोचनाओं में उनकी व्यक्तिगत साख को निशाना बनाया गया है. उनके आधिकारिक रेज्यूमे में छोटी-छोटी गलतियों का होना, उनका पार्टी से मिले एक बड़े क्रिसमस बोनस पर टैक्स चुकाने में देरी करना, उनकी किताब के कुछ हिस्से पर चोरी का आरोप, और एक इंटरव्यू के दौरान नस्लभेदी शब्द का इस्तेमाल करने जैसे मुद्दे आलोचना का विषय बने हैं. ऐसी हर आलोचना के समय बेयरबॉक ने जल्द से जल्द माफी मांगी है, फिर भी उनका अप्रूवल रेट गिर रहा है.

यह 40 वर्षीया नेता पार्टी की एक कॉन्फ्रेंस के दौरान साल 2018 में मीडिया की सुर्खियों में आ गई थीं. उत्तरी राज्य ब्रांडेनबुर्ग से आने वाली अनालेना तब तक एक कम चर्चित क्षेत्रीय राजनेता थीं. उन्होंने इस कॉन्फ्रेंस में प्रतिनिधियों को ऐसा मंत्रमुग्ध किया कि न सिर्फ वे मुख्यधारा की राजनेताओं में शामिल हो गईं बल्कि हाल ही में इन प्रतिनिधियों ने उन्हें पार्टी के दो सह-प्रमुखों में से एक बना दिया.

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ग्रीन पार्टी के लिए यह अनूठी बात थी. दरअसल पर्यावरणवादी पार्टी के पास पहले से ही एक चमकते सितारे के तौर पर अपेक्षाकृत युवा और बेहद करिश्माई रॉबर्ट हाबेक थे, जिनके 'चांसलर बनने लायक' होने की फुसफुसाहट सुनाई देने लगी थी. लेकिन पार्टी की सह-प्रमुख के पद तक पहुंचने के दौरान ही बेयरबॉक ने अपने आप को जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीकों की जानकार के तौर पर पेश किया. उन्होंने कांटों भरे विदेश नीति के मुद्दे पर भी बोला और धुर दक्षिणपंथी पॉपुलिज्म और रिफ्यूजियों के मुद्दे पर भी.

शुरुआत से ही बेयरबॉक महत्वाकांक्षी थीं. 1980 में लोअर सैक्सनी के एक छोटे से शहर पैटेनसन में पैदा हुईं बेयरबॉक एक कुशल एथलीट थीं, जिन्हें जर्मनी की राष्ट्रीय ट्रैम्पोलिन चैंपियनशिप में तीसरा स्थान मिला था. वे केवल 16 साल की थीं, जब वे संयुक्त राज्य अमेरिका में एक साल बिताने गई थीं. बाद में, उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में जाने से पहले हनोवर में कानून की पढ़ाई की. यहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून पढ़ा. नतीजा यह हुआ कि अब बेयरबॉक धाराप्रवाह अंग्रेजी में इंटरव्यू देती हैं. यह एक ऐसी चीज है, जो अब भी जर्मन राजनेताओं के लिए कोई आम बात नहीं है.

जब से वे पार्टी की सह-प्रमुख बनी हैं, ग्रीन पार्टी आराम से 20 फीसदी से ज्यादा वोट पा रही है. इसके अलावा पार्टी ने यूरोपीय चुनावों के साथ ही जर्मनी के क्षेत्रीय चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. लेकिन पार्टी अब भी पूर्वी जर्मनी में जमीन हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है. बेयरबॉक और उनका चार लोगों का परिवार लंबे समय से पोट्सडम शहर में रह रहे हैं, जहां वे अब अपने सोशल डेमोक्रेट प्रतिद्वंदी ओलाफ शॉल्त्स के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं.

जीवाश्म ईंधन का खात्मा और हाइवे पर गति सीमा

बेयरबॉक और हाबेक दोनों को ही कंजरवेटिव पार्टी सहित दूसरी पार्टियों के सदस्यों से बातचीत करने और समस्याओं के हल के लिए साझा जमीन खोजने में गुरेज नहीं है. इसलिए अक्सर चुनावों के बाद चांसलर अंगेला मैर्केल की कंजरवेटिव पार्टी के साथ ग्रीन पार्टी के गठबंधन की अटकलें भी लगती रहती हैं. लेकिन बेयरबॉक ने एक अच्छी तरह संगठित पार्टी बनाने में कड़ी मेहनत की है. जो रूढ़िवादी ब्लॉक की नीतियों से स्पष्ट रूप से अलग है.

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उदाहरण के लिए वह जर्मनी की कोयले से बनने वाली ऊर्जा को 2038 की मौजूदा डेडलाइन से बहुत पहले ही खत्म करना चाहती हैं. वे 'ऑटोबान' (जर्मन राजमार्गों को इस नाम से जाना जाता है) पर 130 किमी प्रति घंटे की गति सीमा का भी समर्थन करती हैं. वे जर्मन रक्षा खर्चों में बढ़ोतरी का भी विरोध करती हैं. यह बातें इस संदेह को मजबूत कर देती हैं कि बेयरबॉक के नेतृत्व वाली ग्रीन पार्टी और कंजरवेटिव्स के बीच कोई भी संभावित गठबंधन काफी अस्थिर साबित होगा.

'ट्रांसअटलांटिक ग्रीन डील'

साल 2021 की शुरुआत में डीडब्ल्यू के साथ एक इंटरव्यू में अनालेना बेयरबॉक ने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते में वापस लाने के राष्ट्रपति जो बाइडेन के फैसले का स्वागत किया था. लेकिन ग्रीन पार्टी की सह-प्रमुख ने अपने लिए कुछ स्पष्ट और ठोस जलवायु लक्ष्य भी तय किए. उनके मुताबिक, "जर्मन सरकार सहित हम यूरोपीय लोगों को जलवायु-तटस्थ सहयोग के संबंध में अमेरिकी प्रशासन के प्रस्तावों को सफल बनाने के लिए मौजूदा हालात का लाभ उठाने की जरूरत है. हमें आगे बढ़ने और एक यूरोपीय और ट्रांसअटलांटिक ग्रीन डील की राह दिखाने की जरूरत है."

अपने चुनावी घोषणापत्र में ग्रीन पार्टी ने सोशल डेमोक्रेट्स (SPD) के साथ मिलकर सरकार बनाने की प्राथमिकता नहीं दिखाई है. जबकि अतीत में अक्सर ही ऐसा होता रहा है. बहरहाल ऐसा लग रहा है, किसी भी गठबंधन को बहुमत तक पहुंचने के लिए एक तीसरे दल की भी जरूरत होगी. जिसमें उदारवादी फ्री-मार्केट समर्थक 'फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी' सबसे संभावित उम्मीदवार है.

रिपोर्टः येन्स थॉमस थुराऊ

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