जर्मन नेता पर आरोप, स्कूली दिनों में यहूदी विरोधी पर्चा लिखा
२८ अगस्त २०२३बवेरिया प्रांत के प्रधानमंत्री मार्कुस जोएडर ने 28 अगस्त को गठबंधन समिति का विशेष सत्र बुलाया है. इसका एजेंडा, प्रांत के उप प्रधानमंत्री हूबर्ट आइवांगर पर लगे हालिया आरोप हैं. जोएडर की पार्टी कंजर्वेटिव क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) गठबंधन का नेतृत्व कर रही है. आइवांगर की फ्री वोटर्स पार्टी, गठबंधन में सहायक है.
क्या हैं आरोप?
26 अगस्त को जर्मन अखबार "ज्यूड डॉयचे साइटुंग" ने अपनी एक खबर में लिखा कि 1980 के दशक में हाई स्कूल के दौरान आइवांगर ने एक पर्चा लिखा था, जिसमें होलोकॉस्ट का मजाक उड़ाया गया था. खबर के मुताबिक, पर्चे में एक राष्ट्रीय इतिहास प्रतियोगिता की पैरोडी की गई और नाजी यातना शिविरों और होलोकॉस्ट का मजाक उड़ाया गया.
ज्यूड डॉयचे जाइटुंग के मुताबिक, यह पर्चा 1987/88 के स्कूली साल में बांटा गया था. खबर में सहपाठियों और शिक्षकों के हवाले से यह भी कहा गया है कि आइवांगर पर कार्रवाई भी हुई थी.
आइवांगर ने इन आरोपों से इनकार किया है. खबर छपने के कुछ ही घंटों बाद जारी बयान में पहले उन्होंने कहा कि ना तो उन्होंने पर्चा लिखा, ना ही उसे समर्थन दिया. आइवांगर ने यह भी दावा किया कि वह पर्चा लिखने वाले की पहचान जानते हैं. आइवांगर ने यह भी कहा कि वह कानूनी पक्षों पर भी विचार कर रहे हैं.
आइवांगर के लिखित बयान के मुताबिक, "मैंने संबंधित पर्चा नहीं लिखा और उसमें लिखी बातों को मैं घृणित और अमानवीय मानता हूं. पर्चे के लेखक को मैं जानता हूं, वह अपना जवाब खुद ही देगा." हालांकि आइवांगर ने यह माना है कि उस पर्चे की "एक या एक से ज्यादा प्रतियां" उनके स्कूल बैग में मिली थीं.
आइवांगर के बड़े भाई ने जिम्मेदारी ली
आइवांगर के इस बयान के बाद उसी दिन उनके बड़े भाई हेलमुट ने उस पर्चे को लिखने का दावा किया. एक बयान में उन्होंने कहा, "प्रेस में जो पर्चा छपा है, उसका लेखक मैं हूं." हेलमुट ने अपनी गतिविधि के नतीजों पर खेद भी जताया.
हेलमुट का दावा है कि उन्हें स्कूल में एक साल दोहराना पड़ा था, जिससे चिढ़कर उन्होंने संबंधित पर्चा लिखा और बांटा. हेलमुट के मुताबिक, "उस वक्त मैं बहुत गुस्से में था क्योंकि मैं स्कूल में फेल हो गया था और मुझे अपनी कक्षा के सहपाठियों से अलग होना पड़ रहा था. मैं तब नाबालिग ही था. इस बारे में मैं बस इतना ही कह सकता हूं."
हूबर्ट आइवांगर और उनके भाई हेलमुट आइवांगर, दोनों की उम्र में बस एक साल का अंतर है. दोनों के नाम के शुरुआती इनिशिअल्स (HA) भी एक हैं. दोनों भाई एक ही सेकेंडरी स्कूल में पढ़ते थे.
कई सवालों के अब भी जवाब नहीं
बवेरिया के स्टेट चांसलरी प्रमुख फ्लोरियान हेरमान ने कहा, "हमने आइवांगर का बयान पढ़ा. लेकिन अब भी कई सवाल हैं. केवल हूबर्ट आइवांगर ही इनके जवाब दे सकते हैं." जल्द स्पष्टीकरण दिए जाने पर जोर देते हुए हेरमान ने कहा, "हम जल्द जवाब दिए जाने की उम्मीद कर रहे हैं. उप प्रधानमंत्री के लिए ये आरोप बहुत गंभीर हैं. इन्हें बस लिखित बयान देकर और अहम सवालों का जवाब दिए बिना नहीं छोड़ा जा सकता है."
हेरमान ने यह भी कहा कि आइवांगर को निजी तौर पर और विस्तार से जवाब देने की जरूरत है. हेरमान ने यह भी कहा कि यह बवेरिया की प्रतिष्ठा का मामला है.
बवेरिया में 8 अक्टूबर को प्रांतीय चुनाव होने हैं. पब्लिक ब्रॉडकास्टर डॉयचलांडफुंक के मुताबिक, प्रांतीय संसद के वाइस प्रेजिडेंट कार्ल फ्रालर ने आइवांगर से चुनाव के पहले इस मामले पर समूचा स्पष्टीकरण देने को कहा है.
2018 के चुनाव में बहुमत ना मिलने पर सीएसयू ने फ्री वोटर्स से समर्थन लिया था. यह पहली बार था, जब सीएसयू ने फ्री वोटर्स को पार्टनर चुना था. इसकी वजह से आइवांगर की पार्टी को भी फायदा हुआ. बवेरिया के वोटों में उसकी हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी थी. साथ ही, बवेरिया से बाहर उनकी कोई खास पहचान भी नहीं थी. इसके बावजूद फ्री वोटर्स पार्टी के नेता आइवांगर, प्रधानमंत्री मार्कुस जोएडर के डिप्टी और वित्तमंत्री बने.
फिनलैंड में मंत्री को देना पड़ा था इस्तीफा
यह पहली बार नहीं है जब किसी नेता पर अतीत की किसी घटना के मद्देनजर सवाल उठे हों. हाल ही में फिनलैंड के आर्थिक मामलों के मंत्री विल्हेम योन्निला को पद संभालने के 10 दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा. इसका कारण चार साल पहले एक दक्षिणपंथी आयोजन में की गई उनकी टिप्पणियां थीं. इनमें उन्होंने नाजी संदर्भों का इस्तेमाल किया था.
विल्हेम के मंत्री बनने पर अतीत में की गई उनकी टिप्पणियां फिर फोकस में आईं. उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि वह होलोकॉस्ट और यहूदी विरोध की निंदा करते हैं. इसके बाद भी मामला शांत नहीं हुआ. संसद में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी आया. विल्हेम इसमें बच गए, लेकिन फिर बाद में उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि अब उनके लिए संतोषजनक तरीके से मंत्री के तौर पर काम जारी रखना नामुमकिन हो गया है.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी ऐसी स्थिति में आ चुके हैं. 2019 में उनकी कुछ पुरानी तस्वीरें सामने आईं, जिनमें उन्होंने चेहरा को "ब्लैकफेस" और "ब्राउनफेस" किया हुआ है. कुछ तस्वीरें 2001 की थीं, जब ट्रूडो वैंकूवर के एक स्कूल में पढ़ाते थे. कुछ तस्वीरें उनके हाई स्कूल के दौर की भी थीं. ये प्रकरण ट्रूडो के लिए बड़ी शर्मिंदगी का कारण बना था.
एसएम/एडी (डीपीए, रॉयटर्स)