मानवाधिकारों पर अमेरिका की नसीहतें और भारत के जवाब
२९ जुलाई २०२१
अपने पहले दौरे पर भारत पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने मानवाधिकारों के हनन का मुद्दा उठाया और इशारों में भारत को नसीहतें दीं. हालांकि भारतीय विदेश मंत्री ने जवाब देने में देर नहीं लगाई.
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एंटनी ब्लिंकेन ने भारत दौरे की शुरुआत मानवाधिकारों का मुद्दा उठाकर की. उन्होंने भारत में मानवाधिकारों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उनकी चिंताएं सुनीं. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका कानून के राज और और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे साझे मूल्यों से जुड़े हैं.
ब्लिंकेन ने कहा, "ये दोनों ही लोकतंत्र अभी सीख रहे हैं. जैसा कि मैंने पहले कहा, कई बार यह प्रक्रिया दर्दनाक होती है. कई बार यह भद्दी होती है. लेकिन लोकतंत्र की ताकत इसे समाहित करने में ही है.”
इशारों में ही ब्लिंकेन ने भारत सरकार को नसीहत भी दी. उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की ताकत उसके आजाद नागरिक हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं को संबोधन में उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता किसी भी सफल लोकतंत्र का हिस्सा होते हैं.
ब्लिंकेन की नसीहतें
ब्लिंकेन ने कहा,"इसी तरह नागरिक अपने समुदायों की जिंदगियों में हिस्सेदार बनते हैं. इसी तरह आपदाएं आने पर हम एकजुट होते हैं और संसाधन उपलब्ध कराते हैं. जीवंत सामाजिक कार्यकर्ता ही लोकतंत्रों को ज्यादा खुला, ज्यादा समावेशी, ज्यादा निष्पक्ष और लचीला बनाते हैं.”
तस्वीरों मेंः खराब होते मानवाधिकार
खराब होते मानवाधिकारों पर कार्रवाई की मांग
संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों की सबसे खराब वैश्विक गिरावट के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने चीन, रूस और इथियोपिया समेत अन्य देशों की स्थिति पर प्रकाश डाला.
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अधिकारों का हनन
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा, "हमारे जीवनकाल में मानवाधिकारों के सबसे व्यापक और गंभीर झटकों से उबरने के लिए हमें एक जीवन बदलने वाली दृष्टि और ठोस कार्रवाई की जरूरत है." मानवाधिकार परिषद के 47वें सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने टिग्रे में साढ़े तीन लाख लोगों के सामने भुखमरी के संकट पर चिंता जताई.
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'एनकाउंटर और यौन हिंसा'
मिशेल बैचलेट ने अपने संबोधन में, "न्यायेतर फांसी की सजा, मनमाने तरीके से गिरफ्तारी और हिरासत, बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के खिलाफ यौन हिंसा" की ओर इशारा किया और कहा कि उनके पास "विश्वसनीय रिपोर्ट" है कि इरिट्रिया के सैनिक अभी भी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं.
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इथियोपिया में जातीय और सांप्रदायिक हिंसा
इथियोपिया जहां हाल में ही चुनाव हुए हैं, वहां "घातक जातीय और अंतर-सांप्रदायिक हिंसा और विस्थापन की खतरनाक घटनाएं" देखने को मिल रही हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकारों की उच्चायुक्त का कहना है कि "सैन्य बलों की मौजूदा तैनाती एक स्थायी समाधान नहीं है."
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मोजाम्बिक में जिहादी हिंसा
उत्तरी मोजाम्बिक में जिहादी हिंसा में तेजी से उछाल आया है. यहां हिंसा के कारण खाद्य असुरक्षा बढ़ी है. और करीब आठ लाख लोग, जिनमें 3,64,000 बच्चे शामिल हैं, उन्हें अपने घरों से भागना पड़ा है.
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हांग कांग की चिंता
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख ने हांग कांग में पेश किए गए व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के "डरावने प्रभाव" की ओर भी इशारा किया. यह कानून 1 जुलाई 2020 से प्रभावी है. इस कानून के तहत बीजिंग के आलोचकों पर कार्रवाई की जा रही है. इस कानून के तहत 107 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 57 को औपचारिक रूप से आरोपित किया गया है.
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शिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन
बैचलेट ने चीन के शिनजियांग प्रांत में "गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन की रिपोर्ट" का उल्लेख किया. उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन उन्हें इस प्रांत का दौरा करने की अनुमति देगा और गंभीर उत्पीड़न की रिपोर्टों की जांच करने में मदद करेगा.
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रूस पर प्रतिक्रिया
बैचलेट ने क्रेमलिन द्वारा राजनीतिक विचारों का विरोध करने और सितंबर के चुनावों में भागीदारी तक पहुंच को कम करने के हालिया उपायों की भी आलोचना की. क्रेमलिन आलोचक अलेक्सी नावाल्नी के आंदोलन को खत्म करने की कोशिश पर भी यूएन ने चिंता जाहिर की.
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लोकतांत्रिक गिरावट का जिक्र करते हे उन्होंने कहा, "जब दुनियाभर में लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्रता के खिलाफ खतरे बढ़ रहे हैं, ऐसे में यह जरूरी है कि भारत और अमेरिका, बतौर अगुआ इन आदर्शों के समर्थन में साथ खड़े रहें.”
ब्लिंकेन ने कहा कि लोकतंत्र होने का हा अर्थ "एक ज्यादा संपूर्ण लोकतंत्र” बनाना है. उन्होंने कहा, "दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र होन के नाते हम सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और अवसर उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर हैं. और हम जानते हैं कि इन मोर्चों पर हमें लगातार और ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करने की जरूरत है. और यह भी कि हम दोनों ने ही अब तक अपने लक्षित मूल्यों को हासिल नहीं किया है. लोकतंत्र होने का एक वादा यह है कि हमेशा एक बेहतर, और जैसा कि अमेरिका का संस्थापकों ने कहा था, ज्यादा संपूर्ण संघ के लिए प्रयासरत रहना.”
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जयशंकर के जवाब
ब्लिंकेन की नसीहतों पर भारतीय विदेश मंत्री ने जवाब देने में देर नहीं लगाई. अमेरिकी विदेश मंत्री के बयानों के कुछ ही देर बाद डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि मानवाधिकारों की बात सभी पर एकसमान रूप से लागू होती है.
डॉ. जयशंकर ने जवाब में कहा, "मैंने तीन मुख्य बातें कही हैं. पहली तो ये कि ज्यादा संपूर्ण संघ बनाने का जिम्मा भारत पर भी उतना ही लागू होता है जितना अमेरिका पर. बल्कि यह सभी लोकतंत्रों पर लागू होता है.”
देखेंः कोरोना काल में मौत की सजा
कोरोना काल में क्या कम हुई मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में मौत की सजा साल 2020 में कम हुई. हालांकि कुछ देशों में यह सजा कम होने की जगह और बढ़ गई. जानिए कोरोना काल में कहां ज्यादा और कम हुई मौत की सजा तामील.
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साल 2020 में मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि 2020 में मौत की सजा देने में गिरावट दर्ज की गई. 2020 कोरोना महामारी का साल था लेकिन रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ देशों ने मौत की सजा को जारी रखा. कोरोना काल में लाखों लोगों की मौत हुई लेकिन कुछ देश मौत की सजा देने से पीछे नहीं हटे.
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महामारी और मौत की सजा
एमनेस्टी महासचिव एग्नेस कैलमार्ड कहती हैं, "कुछ सरकारों की तरफ से मृत्युदंड की निरंतर कोशिश के बावजूद 2020 में तस्वीर सकारात्मक थी." वे कहती हैं, "ज्ञात मौत की सजा लगातार गिरी."
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2020 में 483 लोगों को दी गई मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में कुल 483 लोगों को मौत की सजा दी गई. एमनेस्टी की तरफ से दर्ज यह पिछले 10 सालों में सबसे कम आंकड़ा है.
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मध्य पूर्व के देशों में सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2020 में मौत की सजा दिए जाने वाले शीर्ष 5 देशों में चार मध्य पूर्व के हैं. ईरान में 246, मिस्र में 107 से अधिक, इराक में 45 और सऊदी अरब में 27 लोगों को मृत्यु दंड दिया गया. यह पूरी दुनिया में दी गई मौत की सजा का 88 फीसदी हिस्सा है.
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चीन में हजारों को मौत की सजा
चीन, उत्तर कोरिया, सीरिया और वियतनाम जैसे देश मौत की सजा को गोपनीय सूचना के अंतर्गत रखते हैं और आंकड़े जारी नहीं करते हैं. इसलिए इन देशों में मौत की सजा के बारे में सही संख्या जाहिर नहीं है. चीन ने इस साल हजारों लोगों को मौत की सजा दी और आंकड़े जारी नहीं किए.
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भारत में चार लोगों को मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट कहती है कि भारत में साल 2020 में चार लोगों को फांसी दी गई. इतने ही लोग ओमान में फांसी पर चढ़ाए गए और यमन में पांच से अधिक. भारत समेत दुनिया के 33 देशों में मौत की सजा देने के लिए एकमात्र तरीका फांसी है.
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अमेरिका में मौत की सजा बहाल
अमेरिका में पिछले साल ट्रंप प्रशासन ने 17 साल के अंतराल के बाद मौत की सजा शुरू की. साल 2020 में देश में 17 लोगों को मौत की सजा दी गई. छह महीने में 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया.
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बिना कश्मीर या नए नागरिक कानूनों का जिक्र किए डॉ. जयशंकर ने अपनी सरकार के विवाद में रहे हालिया कदमों का भी बचाव किया. उन्होंन कहा, "सभी राजनीतिक तंत्रों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि इतिहास में जो गलत हुआ है उसे सही करे. कई फैसले और नीतियां जो आपने पिछले कुछ सालों में देखे हैं वे उसी श्रेणी में आते हैं.”
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, "स्वतंत्रताएं जरूरी हैं, हम उनका सम्मान करते हैं लेकिन लेकिन आजादी की तुलना खराब प्रशासन से कम प्रशासन से नहीं की जानी चाहिए. ये दोनों पूरी तरह अलग अलग बातें हैं.”
प्रधानमंत्री से मुलाकात
भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों ने विस्तृत मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जिनमें अफगानिस्तान, प्रशांत क्षेत्र में भागीदारी और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई जैसे मुद्दे शामिल थे. डॉ. जयशंकर से मिलने से पहले ब्लिंकेन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मिले थे. दोनों ने अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर बातचीत की.
चेहरा चमकाने वाले माइका का बदसूरत सच
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ट्विटर पर लिखा, "मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर बहुत खुशी हुई. उनसे अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक सहयोग बढ़ाने के लिए अमेरिका और भारत के प्रयासों को बारे में और कोविड-19 के खिलाफ कोशिशों, क्षेत्रीय सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर सहयोग के बारे में बातचीत हुई.”
अपनी एक दिन की यात्रा के दौरान ब्लिंकेन ने भारत के कोविड-19 संबंधी कार्यक्रम के लिए संस्था यूएसएड के जरिए ढाई करोड़ डॉलर की अतिरिक्त वित्तीय सहायता का भी ऐलान किया.