घायल साथियों की जान बचाने के लिए टांग काट देती हैं चींटियां
३ जुलाई २०२४
वैज्ञानिकों ने चींटियों में ऐसा मेडिकल सिस्टम पाया है जो सिर्फ इंसानों में देखा जाता है. चींटियां अपने घायल साथियों का इलाज करती हैं और जरूरत पड़ने पर टांग काट देती हैं.
कमाल की डॉक्टर होती हैं चींटियांतस्वीर: Richard Becker/FLPA/IMAGO
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युद्ध, बीमारी या किसी हादसे में घायल किसी व्यक्ति का अंग अगर इतना खराब हो जाए कि उसके कारण जान का खतरा बन जाए तो डॉक्टर उस अंग को काट देते हैं. यह एक बेहद जटिल सर्जरी होती है जिसे विशेषज्ञ करते हैं. लेकिन सिर्फ इंसान ऐसी सर्जरी नहीं करते हैं. हाल ही में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि चींटियां भी ऐसी ही सर्जरी करती हैं.
ताजा अध्ययन दिखाता है कि कुछ चींटियां अपने घायल साथियों के अंग काट देती हैं ताकि उनकी जान बचाई जा सके. ‘फ्लोरिडा कारपेंटर' प्रजाति की चींटियों को ऐसा करते देखा गया. भूरे-लाल रंग की ये चींटियां डेढ़ सेंटीमीटर तक लंबी होती हैं और दक्षिण-पूर्वी अमेरिका में पाई जाती हैं.
बड़ी गजब की इंजीनियर होती हैं चींटियां
आम बोलचाल में किसी को कमजोर और मामूली दिखाने के लिए लोग चींटी की उपमा देते हैं. जबकि चींटियां मामूली तो कतई नहीं होतीं. ये नन्ही-सी चैंपियन ईकोसिस्टम की इंजीनियर हैं. चींटियां इतना काम करती हैं कि गिनते-गिनते थक जाएंगे.
तस्वीर: Andrew Deans/Penn State
जहां तहां, मत पूछो कहां कहां
चींटी को आप ग्लोबल सिटीजन कह सकते हैं. बर्फीला आर्कटिक हो या वर्षावन, चींटियां हर परिवेश में पाई जाती हैं. हालांकि कुछ अपवाद भी हैं जहां ये नहीं पाई जातीं, जैसे अंटार्कटिक और आइसलैंड. हमें चींटियों की 12 हजार से ज्यादा प्रजातियों की जानकारी है, लेकिन अभी कई प्रजातियों को खोजा जाना बाकी है.
तस्वीर: Juan Carlos Ulate/REUTERS
इतनी डायवर्सिटी!
चींटियों की सबसे ज्यादा विविधता अमेजन जंगलों और ब्राजीलियन सवाना में पाई जाती है. भांति-भांति की चींटियों की जैसे अपनी अलग ही दुनिया है, जो बेहद समृद्ध और विविध है. कुछ काली, कुछ लाल, कुछ पीली, कई चींटियां भूरी, तो कुछ मिले-जुले रंग की भी होती हैं. कुछ चींटियां मिट्टी में रहती हैं, कुछ पत्तों पर, तो कई हमारे घरों में घूमती मिलती हैं.
तस्वीर: Maurício de Paiva/DW
चींटी का रेशम
चींटियों के स्वभाव में भी बड़ी वैरायटी है. जैसे कार्पेंटर ऐंट, जो लकड़ी तराशकर घर बनाती हैं. एक होती है स्लेव-मेकिंग ऐंट, जो चींटियों की दूसरी प्रजातियों के बच्चे पकड़कर उन्हें अपना गुलाम बनाती हैं और काम करवाती हैं. हार्वेस्टर प्रजाति की चींटी तो किसानों जैसी होती है. वो बीज जमा करती है. वीवर चींटी घोंसला बुनती है और अपने मुंह से रेशम निकालकर उससे घोंसला सीती है.
तस्वीर: Richard Becker/FLPA/IMAGO
चींटी एक सामाजिक प्राणी है...
"सामाजिक जीव," ये शब्द जैसे चींटियों के लिए बना है. कई बार तो चींटियों के एक मुहल्ले में लाख-दो लाख नहीं, बल्कि दसियों लाख चींटियां साथ रहती हैं. चींटियों का संसार हम इंसानों की तरह पुरुषसत्तात्मक नहीं होता. यहां मादाओं का दबदबा है. चाहे खाना लाना हो, दुश्मन से लड़ना हो, चींटियां सारे काम मिलकर करती हैं. वो अपने घायल साथियों का इलाज भी करती हैं.
तस्वीर: A. Hartl/blickwinkel/picture alliance
मजदूर चींटियां
चींटी सेना की मुखिया होती है, रानी चींटी. कुछ चींटियां सैनिक की भूमिका निभाती हैं, बाकी चींटियां मजदूर होती हैं. ये कामगार चींटियां बड़ी मेहनती होती हैं. वो बड़ी रानी चींटियों और उनके अंडों की देखभाल करती हैं. खाना भी खोजकर लाती हैं. नर चींटों का काम बस इतना है कि रानी के साथ मेटिंग करें और दुनिया से विदा हो जाएं.
तस्वीर: Richard Becker/FLPA/IMAGO
स्मार्ट वर्क
चींटियां, साथी चींटियों को देखकर सीखती और फैसला लेती हैं. मसलन, सारी कामगार चींटियां एकसाथ खाना खोजने नहीं जाती हैं. अगर उनसे पहले निकलीं साथी चींटियां बहुत सारा खाना लेकर लौटें, तो मुहल्ले में मौजूद बाकी कामगार चींटियों को समझ आता है कि कहीं कुछ अच्छा हाथ लगा है. फिर वो भी उसी दिशा में खाना लेने भागती हैं. यानी हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क, दोनों.
तस्वीर: Chip Somodevilla/Getty Images/AFP
धरती के कितने काम की आती हैं चींटियां
चींटियां अनाज, सब्जी, पत्ते जैसी ऑर्गेनिक चीजों को डीकंपोज करने, यानी उन्हें सड़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं. जब वो मिट्टी खोदकर भीतर-भीतर अपनी कॉलोनी बनाती हैं, तब वो मिट्टी में ऑक्सीजन का संचार बढ़ाती हैं. इससे मिट्टी की सेहत दुरुस्त होती है और वो उपजाऊ बनती है.
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ईकोसिस्टम की इंजीनियर
पौधे और जानवर, मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को इस्तेमाल करते हैं. फिर उनके मरने, खत्म होने और फिर सड़ने से ये पोषक तत्व वापस पर्यावरण में मिल जाते हैं. इसे न्यूट्रिएंट साइक्लिंग कहते हैं. इसमें अहम भूमिका निभाने के कारण चींटियों को ईकोसिस्टम का इंजीनियर कहा जाता है.
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पेस्ट कंट्रोल
वो बड़ी मात्रा में न्यूट्रिएंट्स खाती हैं और उनका पुनर्वितरण भी करती हैं. वो मरे हुए जानवरों को खाकर डिकंपोजिशन को बढ़ाती हैं. साथ ही, कीड़े-मकोड़ों को खाकर वो पेस्ट कंट्रोल भी करती हैं. चीन में तो सदियों से पेस्ट कंट्रोल के लिए चींटियां पाली जाती हैं.
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संतरे को बचाने वाली चींटियां
बायोसाइंस जर्नल की एक रिपोर्ट में 1915 का एक वाकया दर्ज है, जब अमेरिकी कृषि विभाग ने कुछ विशेषज्ञों को चीन भेजा. उन्हें संतरे की ऐसी किस्में खोजनी थीं, जिन पर सिट्रस कैंकर नाम के कीड़ों का असर ना हो. उन्हें चीन में एक गांव मिला, जिनका मुख्य पेशा चींटी पालना था. वो रेशम के कीड़े पालते थे और उन्हें चींटियों को खिलाते थे. फिर वो मोटी रकम लेकर संतरा उगाने वाले किसानों को बेच देते थे.
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पौधों और चींटियों का करीबी रिश्ता
पौधों की कई प्रजातियां बीजों के वितरण के लिए चींटियों पर निर्भर हैं. सीड डिस्पर्सल की यह प्रक्रिया पौधों की प्रजातियों के अस्तित्व के लिए बहुत जरूरी है. एक ही प्रजाति के पौधे बहुत करीब उगेंगे, तो मिट्टी से एक जैसे पोषक तत्व खींचेंगे. पानी के लिए होड़ मचेगी. बीज फैलने से पौधे बड़े इलाके में फैलते हैं. उनके फलने-फूलने की संभावना बढ़ती है.
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धरती पर कितनी चींटियां होंगी?
अंदाजा लगाइए, कितनी चींटियां रहती होंगी इस ग्रह पर. कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने एक अनुमान दिया. उन्होंने कहा, दुनिया में लगभग 20 मिलियन बिलियन (टाइपो नहीं है) चींटियां होंगी. इतनी बड़ी गिनती आसानी से समझने के लिए बस इतनी कल्पना कीजिए कि पृथ्वी पर जितने इंसान हैं, उनमें से हर एक के मुकाबले तकरीबन 25 लाख चींटियां. तो अब कभी चींटी को मामूली समझने की गलती मत कीजिएगा.
तस्वीर: Richard Becker/FLPA/IMAGO
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वैज्ञानिकों ने पाया कि ये चींटियां अपने घोंसलों में रहने वाली अन्य चींटियों का इलाज कर रही थीं. वे अपने मुंह से उनके घाव साफ करती हैं और दांतों से खराब हुए अंग को काट देती हैं. अंग काटने का फैसला भी बहुत सावधानी से किया जाता है. तभी किसी टांग को काटा गया जब चोट ऊपरी हिस्से में लगी हो. अगर चोट निचले हिस्से में थी तो अंग को काटा नहीं गया.
कैसे होती है सर्जरी?
जर्मनी की वुर्त्सबुर्ग यूनिवर्सिटी में प्राणी विशेषज्ञ एरिक फ्रांक इस शोध के मुख्य लेखक हैं, जो ‘करंट बायोलॉजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. वह बताते हैं, "इस अध्ययन में हमने पहली बार यह बताया है कि इंसान ही नहीं, दूसरे प्राणी भी अपने साथियों की जान बचाने के लिए टांगें काटने जैसी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करते हैं.”
फ्रांक कहते हैं कि चींटियों का यह व्यवहार अद्वितीय है. वह बताते हैं, "मुझे यकीन है कि घायलों की देखरेख का चींटियों का यह मेडिकल सिस्टम प्राणी जगत में बेहद सॉफिस्टिकेटेड है और इसकी तुलना सिर्फ इंसानों में मिलती है.”
इस पृथ्वी पर कुल कितनी चींटियां हैं
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ये चींटियां सड़ी हुई लकड़ी में अपने घोंसले बनाती हैं और दुश्मन चींटियों से उसकी रक्षा बहुत जोर-शोर से करती हैं. फ्रांक कहते हैं, "अगर लड़ाई हो जाए तो घायल होने का खतरा रहता है.” चीटियों का अध्ययन प्रयोगशाला में किया गया. पहले भी ऐसे अध्ययन हुए हैं कि चींटियां अपने घायल साथियों की देखरेख करती हैं.
वैज्ञानिकों ने टांग के ऊपरी और निचले हिस्से की चोटों का अध्ययन किया. ऐसी चोटें जंगली चींटियों की तमाम प्रजातियों में पाई जाती हैं जो शिकार करते हुए या अन्य प्राणियों से लड़ते हुए लगती हैं.
शोधकर्ता कहते हैं, "इस बात पर फैसला सोच समझ कर किया जाता है कि टांग काट दी जाए या घाव को भरने के लिए और वक्त दिया जाए. यह फैसला वे कैसे करती हैं, हमें नहीं पता. लेकिन हमें यह पता है कि अलग-अलग इलाज कब किया जाता है.”
किसका इलाज कैसे होगा?
इलाज का यह फैसला जानवरों में खून के रूप में पाए जाने वाले नीले-हरे रंग के द्रव्य के बहाव के आधार पर होता है. फ्रांक कहते हैं, "अगर चोट टांग के निचले हिस्से में हो तो द्रव्य का बहाव बढ़ जाता है. इसका अर्थ है कि चोट लगने के पांच मिनट के भीतर ही पैथोजन शरीर में प्रवेश कर चुके हैं और तब टांग काटने का कोई मतलब नहीं रह जाता. अगर चोट ऊपर के हिस्से में हो तो द्रव्य का बहाव कम होता है और तब सही समय पर और प्रभावशाली रूप से टांग को काटने का वक्त मिल जाता है.”
चींटियों के बारे में मजेदार तथ्य
चींटियां कड़ी मेहनत और सामाजिक जिम्मेदारी को कैसे निभाती हैं यह हम बचपन से कहानियों में सुनते आए हैं. लेकिन इनके बारे में कुछ और भी बड़ी दिलचस्प बातें हैं.
ताकतवर जीव
दुनिया भर में चींटियों की 10,000 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं. आकार में ये 2 से 7 मिलीमीटर के बीच होती हैं. सबसे बड़ी चींटी कार्पेंटर चींटी कहलाती है. उसका शरीर करीब 2 सेंटीमीटर बड़ा होता है. एक चींटी अपने वजन से 20 गुना ज्यादा भार ढो सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
तेज दिमाग
कीटों में चींटी का दिमाग सबसे तेज माना जाता है. इसमें करीब 250,000 मस्तिष्क कोशिकाएं होती हैं.
तस्वीर: imago/blickwinkel
काम का बंटवारा
रानी चींटी सबसे बड़ी होती है. इसका अहम काम अंडे देना है, यह हजारों अंडे देती है. नर चींटे का शरीर छोटा होता है. यह रानी चींटी को गर्भवती करने के कुछ दिन बाद मर जाता है. अन्य चींटियों का काम खाना लाना, बच्चों की देखरेख करना, और कालोनीनुमा घर बनाना है. साथ ही रक्षक चींटियों का काम घर की हिफाजत करना होता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Rumpenhorst
पैरों से सुनना
असल में चींटियां सुन नहीं सकतीं क्योंकि उनके कान नहीं होते. हालांकि ये जीव ध्वनि को कंपन से महसूस कर सकते हैं. आसपास की आवाज को सुनने के लिए ये घुटने और पांव में लगे खास सेंसर पर निर्भर करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
दयावान
चींटियों के दो पेट होते हैं. एक में खुद के शरीर के लिए खाना होता है और दूसरे में कालोनी में रहने वाली दूसरी चींटियों के लिए खाना होता है.
तस्वीर: Fotolia/Antrey
उम्र
रानी चींटी की उम्र लंबी होती है, वह 20 साल भी जीवित रह सकती है. उसकी मदद करने वाली अन्य चींटियां करीब 45-60 दिन ही जीवित रहती हैं. और अगर रानी मर जाती है तो कुछ ही दिनों में चींटियों की कालोनी नष्ट हो जाती है.
तस्वीर: Colourbox/P. Chaisanit
लड़ाकू चींटियां
चींटियों की हर कालोनी की एक तय सीमा होती है. वे लगातार अपनी सीमा का विस्तार करने की कोशिश करती रहती हैं. अगर ऐसा होता है तो युद्ध छिड़ जाता है जो अक्सर कई घंटों तक या कई बार कई हफ्तों तक भी चलता है.
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दोनों ही स्थितियों में चींटियां पहले घाव को साफ करती हैं. इसके लिए वे मुंह से निकलने वाले एक चिपचिपे द्रव का इस्तेमाल करती हैं. साथ ही वे घाव को चूसकर भी साफ करती हैं. अंग को काटने की पूरी प्रक्रिया में कम से कम 40 मिनट से लेकर तीन घंटे तक का समय लगता है. चींटियों की छह टांगें होती हैं और उनमें से एक के कट जाने के बाद भी वे कामकाज कर सकती हैं.
वैज्ञानिकों ने पाया कि ऊपरी हिस्से में चोट लगने पर टांग को काटने के बाद चींटी के जीवित रहने की संभावना 90 से 95 फीसदी तक बढ़ जाती है जबकि अगर घाव का इलाज नहीं किया गया तो उनके बचने की संभावना 40 फीसदी तक थी. अगर चोट टांग के निचले हिस्से में थी तो घाव की बस सफाई की गई और तब बचने की संभावना 75 फीसदी थी. अगर उस घाव का इलाज नहीं किया गया तो बचने की संभावना सिर्फ 15 फीसदी थी.
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क्यों इलाज करती हैं चींटियां?
मादा चींटियों को ही यह काम करते पाया गया. फ्रांक बताते हैं, "काम करने वाली चींटियां मादा ही थीं. चींटियों की कॉलोनी में नर चींटियों की भूमिका सीमित होती है. वे बस रानी चींटी के साथ सहवास करते हैं और मर जाते हैं.”
विज्ञान जगत के लिए यह अनसुलझा सवाल है कि अंग काटने जैसे इस व्यवहार की वजह क्या है? फ्रांक कहते हैं, "यह बहुत दिलचस्प सवाल है और समानुभूति की हमारी मौजूदा परिभाषाओं पर कुछ हद तक सवाल खड़े करता है. मुझे नहीं लगता कि चींटियों में सहानुभूति होती है.”
वह कहते हैं कि घायलों के इलाज की एक साधारण वजह हो सकती है. उनके शब्दों में, "इससे संसाधनों की बचत होती है. अगर मैं किसी कर्मचारी को थोड़ी कोशिश करके दोबारा कामकाज करने लायक बना सकता हूं तो ऐसा करने का लाभ बहुत ज्यादा है. अगर कोई चींटी बहुत ज्यादा घायल हो जाए तो चींटियां उसका इलाज नहीं करेंगी और उसे मरने के लिए छोड़ देंगी.”