अरबों किलोमीटर दूर स्थित सूर्य के हिसाब से चींटियां धरती पर अपना रास्ता खोजती हैं. वे उल्टे कदम चलकर भी आराम से घर पहुंच सकती हैं.
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विज्ञान को छोटी सी चींटी ने हैरान कर दिया है. चींटी के दिशा ज्ञान को लेकर जब वैज्ञानिकों ने रिसर्च की तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. मसलन, चींटी हमेशा कंपास रूट का सहारा लेती है. आप चीटी को किसी भी दिशा में रख दीजिए वह रास्ता खोज लेगी. सरल भाषा में कहा जाए तो सोचिये कि आप उल्टा चलते हुए या फिर गोल गोल घूमते हुए भी अपने घर पहुंच जाएं. चींटियां ऐसा कर सकती हैं.
एडिनबरा यूनिवर्सिटी और CNRS पेरिस की शोधकर्ता डॉक्टर एंटॉनी विस्ट्रेच कहती हैं, "पूरी कीट प्रजाति में चींटियां दिशा ज्ञान के मामले में अनोखी हैं. बड़ी कॉलोनी बनाकर रहने वाली चीटियों को भोजन को खींचकर उल्टा भी चलना पड़ता है. नेवीगेशन का खास गुण इसमें उनकी मदद करता है."
वैज्ञानिकों के मुताबिक चींटी का सुई की नोक से भी छोटा मस्तिष्क बेहद प्रभावी होता है. वह प्रकाश, माहौल और स्मृति की मदद से हमेशा सही रास्ता खोज लेता है.
चींटियां कितनी मजेदार जीव हैं, इन तस्वीरों में जानिए
चींटियों के बारे में मजेदार तथ्य
चींटियां कड़ी मेहनत और सामाजिक जिम्मेदारी को कैसे निभाती हैं यह हम बचपन से कहानियों में सुनते आए हैं. लेकिन इनके बारे में कुछ और भी बड़ी दिलचस्प बातें हैं.
ताकतवर जीव
दुनिया भर में चींटियों की 10,000 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं. आकार में ये 2 से 7 मिलीमीटर के बीच होती हैं. सबसे बड़ी चींटी कार्पेंटर चींटी कहलाती है. उसका शरीर करीब 2 सेंटीमीटर बड़ा होता है. एक चींटी अपने वजन से 20 गुना ज्यादा भार ढो सकती है.
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तेज दिमाग
कीटों में चींटी का दिमाग सबसे तेज माना जाता है. इसमें करीब 250,000 मस्तिष्क कोशिकाएं होती हैं.
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काम का बंटवारा
रानी चींटी सबसे बड़ी होती है. इसका अहम काम अंडे देना है, यह हजारों अंडे देती है. नर चींटे का शरीर छोटा होता है. यह रानी चींटी को गर्भवती करने के कुछ दिन बाद मर जाता है. अन्य चींटियों का काम खाना लाना, बच्चों की देखरेख करना, और कालोनीनुमा घर बनाना है. साथ ही रक्षक चींटियों का काम घर की हिफाजत करना होता है.
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पैरों से सुनना
असल में चींटियां सुन नहीं सकतीं क्योंकि उनके कान नहीं होते. हालांकि ये जीव ध्वनि को कंपन से महसूस कर सकते हैं. आसपास की आवाज को सुनने के लिए ये घुटने और पांव में लगे खास सेंसर पर निर्भर करते हैं.
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दयावान
चींटियों के दो पेट होते हैं. एक में खुद के शरीर के लिए खाना होता है और दूसरे में कालोनी में रहने वाली दूसरी चींटियों के लिए खाना होता है.
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उम्र
रानी चींटी की उम्र लंबी होती है, वह 20 साल भी जीवित रह सकती है. उसकी मदद करने वाली अन्य चींटियां करीब 45-60 दिन ही जीवित रहती हैं. और अगर रानी मर जाती है तो कुछ ही दिनों में चींटियों की कालोनी नष्ट हो जाती है.
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लड़ाकू चींटियां
चींटियों की हर कालोनी की एक तय सीमा होती है. वे लगातार अपनी सीमा का विस्तार करने की कोशिश करती रहती हैं. अगर ऐसा होता है तो युद्ध छिड़ जाता है जो अक्सर कई घंटों तक या कई बार कई हफ्तों तक भी चलता है.
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यूके और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने रेगिस्तान में रहने वाली चींटियों पर शोध के बाद यह दावा किया है. एक्सपेरिमेंट के दौरान दर्पण के जरिये चींटियों को गुमराह करने की कोशिश भी की गई. वैज्ञानिकों ने सूर्य के प्रतिबिम्ब से चींटियों को ठगने की कोशिश की. लेकिन चींटियों ने अपना भोजन जमीन पर रखा, कुछ देर तक हालात का जायजा लिया और सही रास्ते को पहचान लिया.
वैज्ञानिक चींटियों के इस गुण का सहारा लेकर रोबोटों के लिए एल्गोरिदम तैयार करना चाहते हैं. अगर इसमें कामयाबी मिली तो रोबोट भी हर जगह से घर लौट सकेंगे. रिसर्च पेपर करंट बायोलॉजी पत्रिका में छपा है.