कई अरब देशों ने आतंकवाद का समर्थन करने के आरोप में कतर से संबंध तोड़ लिए हैं. कतर में रह रहे लाखों भारतीय कामगारों के भविष्य को लेकर भारत में चिंता है.
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केरल की 65 साल की मरियामा सेबेस्टियन पिछले तीन दिनों से लगातार फोन पर लगी हैं और कतर में काम करने वाले अपने दो बेटों थॉमस और आइजैक से उनका हालचाल लेती रहती हैं. दो साल से दोहा में कंसट्रक्शन क्षेत्र में काम करने वाले दोनों भारतीय श्रमिक 2022 में कतर में होने वाले फीफा विश्व कप के लिए बनने वाली इमारतों के निर्माण प्रोजेक्ट में लगे हैं. सेबेस्टियन ने डॉयचे वेले को बताया कि "फिलहाल तो वे सुरक्षित हैं. लेकिन मुझे चिंता हो रही है और उम्मीद कर रही हूं कि स्थिति जल्दी ही सामान्य हो जाएगी. वे लगातार पैसे भेजते हैं और मैं आशा कर रही हूं कि उन्हें कुछ हो ना."
केरल की औद्योगिक राजधानी कोच्चि के एक खुदरा व्यापारी पी मैथ्यू अपने भांजे सैमुअल के लिए चिंतित हैं. वह कतर में टेक्नीशियन का काम करता है. मैथ्यू ने कहा, "ऐसी कोई समस्या आएगी, हमने कभी सोचा भी नहीं था. उम्मीद करता हूं कि सब ठीक हो जाएगा." मरियामा और मैथ्यू की ही तरह केरल और अन्य राज्यों के हजारों भारतीय परिवार मध्यपूर्व में तेजी से बदले हालात को लेकर बेचैन हैं.
स्थिति पर है करीबी नजर
सऊदी अरब, मिस्र, यूएई और कुछ अन्य अरब देशों ने साथ आकर सोमवार को कतर से राजनयिक संबंध तोड़ने की घोषणा की. दोहा पर उन्होंने आतंकी गुटों और ईरान का समर्थन करने का आरोप लगाया है. कतर ने ऐसे सभी आरोपों से इनकार किया है. छोटे, गैस-समृद्ध देश कतर के साथ इन देशों ने हवाई, समुद्री और जमीनी संबंध भी तोड़ लिए. कोई भी चीज कतर से बाहर और भीतर नहीं आ जा पा रही है.
आखिर क्यों इतना खास है कतर
आबादी और क्षेत्रफल से हिसाब से कतर बहुत छोटा सा देश है. लेकिन उसकी वजह से पूरी अरब दनिया में हलचल मची है. सऊदी अरब समेत कई अरब देशों ने उससे संबंध तोड़ लिए. जानते हैं क्यों अहम है कतर.
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तेल और गैस
कतर कभी अरब दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक था. लेकिन वह इस क्षेत्र के सबसे अमीर देशों में शामिल है. इसकी वजह उसके यहां मिले तेल और गैस के बड़े भंडार.
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हिस्सेदारी
दुनिया की कई बड़ी कंपनियों में कतर की हिस्सेदारी है. इनमें लंदन का नामी डिपार्टमेंटल स्टोर हैरड्स, लग्जरी उत्पाद बनाने वाली फ्रांस की कंपनी एलवीएमएच मोएत एनसी लुई वितौं और पैरी सां जर्मेन फुटबॉल क्लब भी शामिल है.
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राजनीतिक महत्वाकांक्षा
कतर ने जहां सूडान के दारफूर में शांति प्रयासों में मध्यस्थ की भूमिका अदा की, वहीं फलस्तीनी गुटों में भी वह बीच बचाव करता रहा है. अफगान तालिबान से शांतिवार्ता में भी कतर ही मध्यस्थ है.
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अल जजीरा
कतर की सरकार ने 1996 में अल जजीरा के नाम से एक टेलीविजन नेटवर्क बनाया जिसने अरब दुनिया में खबरों की कवरेज और प्रसारण के तौर तरीकों को ही बदल दिया. दुनिया के दूसरे हिस्सों में अल जजीरा ने अपनी जगह बनायी है.
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कतर एयरवेज
कतर की सरकारी एयरलाइंस कतर एयरवेज दुनिया की चुनिंदा एयरलाइंस में शुमार होती है. इसके बेड़े में 192 विमान हैं और यह दुनिया के 151 शहरों को जोड़ती है.
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वर्ल्ड कप
कतर में 2022 के फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन होगा. अरब दुनिया का वह पहला देश है जो इस टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा है. हालांकि इस आयोजन के निर्माण कार्यों में विदेशी कामगारों के शोषण की खबरें भी लगातार मीडिया में रहती हैं.
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जनसंख्या
कतर अरब दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक है, जिसका क्षेत्रफल 11,437 वर्ग किलोमीटर है. कतर की आबादी लगभग 25 लाख है, जिनमें से 90 प्रतिशत विदेशी हैं.
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1971 में अलग देश
कतर 55 साल ब्रिटेन के संरक्षण में रहा है. 1971 में जब उसने संयुक्त अरब अमीरात का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया तो एक अलग देश के तौर पर वह अस्तित्व में आया.
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शाही परिवार
कतर में 19वीं सदी के मध्य से ही अल-थानी परिवार का शासन है. कतर के मौजूदा अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने 2013 में अपने पिता शेख हमद बिन खलीफा अल-थानी के गद्दी छोड़ने के बाद सत्ता संभाली.
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मतभेदों की खाई
सऊदी अरब समेत सात देशों ने कतर से रिश्ते तोड़ लिए हैं, जिससे पहले ही कई संकटों से जूझ रहे मध्य पू्र्व में एक नया विवाद शुरू हो गया है. कतर पर आतंकवादी गुटों का समर्थन करने के आरोप लग रहे हैं जिनसे वह इनकार करता है.
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अमेरिका और कुवैत जैसे देश इन सभी पक्षों से एकजुट रहने और तनाव को दूर करने की अपील कर चुके हैं. हालांकि इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है और सऊदी अरब के नेतृत्व में यह अरब गुट कतर पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने पर भी विचार कर रहा है. कतर अपनी जरूरत की ज्यादातर चीजों के आयात पर निर्भर है. कतर के लोग घबराहट में बाजारों से खूब सारा सामान खरीद रहे हैं, जिससे जमाखोरी का खतरा बन गया है.
प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से कतर दुनिया के सबसे अमीर देशों में आता है. करीब 27 लाख की आबादी वाले कतर में भारतीय प्रवासी सबसे बड़ा विदेशी समुदाय है. कुल आबादी के एक चौथाई यानि लगभग 650,000 लोग भारतीय हैं. ज्यादातर भारतीय कतर में टेक्नीशियन, इलेक्ट्रिशियन, कंसट्रक्शन वर्कर, ड्राइवर और घरेलू नौकर के रूप में काम करते हैं. वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा वापस भारत में अपने परिवारों को भेजते हैं - जो कि सालाना अरबों डॉलर में हैं.
भारत सरकार पर कतर में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव है. केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिख कर इस बारे में कदम उठाने की अपील की है.
कौन हैं कतर के अमीर?
कतर के वर्तमान और देश के आठवें अमीर हैं शेख तमीम बिन हमद अल थानी. 2013 में अपने पिता के बाद सत्ता संभालने वाले शेख थानी ने केवल 33 साल की उम्र में गद्दी संभाली. आइए जानें कतर के अमीर के बारे में कुछ और बातें.
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सबसे युवा अमीर
कतर के इतिहास में सबसे कम उम्र में अमीर बनने वालों में शेख तमीम का नाम शामिल है. उनके पिता शेख हमद बिन खलीफा अल थानी ने दो दशकों तक शासन किया था.
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बड़े भाई हटे
सातवें अमीर शेख खलीफा अल थानी ने 2003 में ही अपने चौथे बेटे को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जब उनके बड़े बेटे खुद किनारे हट गये.
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ब्रिटिश शिक्षा
शेख तमीम ने ब्रिटेन में पढ़ाई की. यूके के शेरबॉर्न स्कूल, हैरो स्कूल और फिर रॉयल मिलिट्री एकेडमी से वे सन 1998 में ग्रेजुएट होकर निकले.
कतर नेशनल ओलंपिक कमेटी के अध्यक्ष, कतर की सेना के उप प्रमुख और 2022 के कतर फीफा विश्व कप की आयोजन समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं शेख तमीम. तस्वीर में फीफा अध्यक्ष सेप ब्लैटर के साथ शेख हमद.
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स्वागत हुआ
सऊदी अरब, यूएई जैसे देशों के शेखों ने 2013 में शेख तमीम को कतर की गद्दी संभालने के मौके पर बधाइयां भेजीं और अपने देशों के साथ भाईचारा बनाये रखने की उम्मीद जतायी.
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गद्दी का खेल
शेख तमीम के पिता और कतर के सातवें अमीर शेख हमद बड़े अनोखे तरीके से गद्दी पर बैठे. 1995 में जब उनके पिता और छठे अमीर विदेश गये थे, पीछे से उन्होंने खुद को नया अमीर घोषित कर दिया.
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अर्थव्यवस्था और अमीर
कतर में प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं जो अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं. सन 1995 के 8 अरब डॉलर से बढ़कर कतर की अर्थव्यवस्था 2010 में 174 अरब डॉलर की हो गयी.
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अरब नीति और अमीर
शेख हमद के काल में कतर ने व्यावहारिक नीति अपनाते हुए कई देशों से संबंध बनाये. फलस्तीन के आंतरिक विभाजन जैसे कई क्षेत्रीय मुद्दों पर मध्यस्थ की भूमिका में रहा. सीरियाई विपक्ष का भी समर्थन किया.
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विदेश नीति और अमीर
कई दशकों से कतर के मिलिट्री बेस से युद्धक विमान उड़ाने वाले अमेरिका से शेख हमद ने करीबी संबंध विकसित किये. दूसरी तरफ कतर ने बाकी अरब देशों से अलग रुख रखते हुए ईरान से भी सौहार्दपूर्ण संबंध बनाये.
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अरब परिवार में झगड़ा
2014 में खाड़ी सहयोग परिषद में विवाद छिड़ा. सऊदी अरब, यूएई और बहरीन ने "आतंकी संगठन" मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थन करने के लिए शेख तमीम की आलोचना की. नाराज देशों ने कतर ने राजनयिक वापस लौटा दिये. कई महीनों बाद जाकर सुलह हुई.
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संबंधों पर भारी 2017
2017 की शुरुआत से ही नये विवाद भी शुरू हुए. कतर न्यूज एजेंसी पर हैकर्स का हमला हुआ और शेख तमीम के हवाले से अमेरिकी विदेश नीति की निंदा करते हुए कुछ बयान लीक कर दिये गये. इससे नाराज कई अरब देशों ने कतर से संबंध तोड़ लिए.
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कतर में भारतीय
कतर की 25 लाख की कुल आबादी में करीब 88 फीसदी लोग भारत, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों से पहुंचे प्रवासी कामगार ही हैं. यहां भारत के करीब 650,000 मजदूर काम करते हैं और कतर का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय हैं.
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कैसे मिले कतर में भारतीय को सुरक्षा
अब तक तो मोदी सरकार कतर के हालात को चिंताजनक नहीं मान रही है. इसे "खाड़ी सहयोग परिषद का आंतरिक मामला" बताते हुए स्वराज ने कहा है कि "हमारी चिंता केवल वहां रह रहे भारतीयों के बारे में है. हम पता लगा रहे हैं कि वहां कोई भारतीय फंसा हुआ तो नहीं है."
कतर और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ सकता है. द्विपक्षीय व्यापार 8 अरब डॉलर से अधिक का है और कई भारतीय कंपनियां और बैंक कतर में कार्यरत हैं. कतर में 14 भारतीय स्कूल भी चलते हैं, जहां 30,000 से अधिक भारतीय छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. भारतीय एयरलाइंस अभी से कतर विवाद का बुरा असर देख रही हैं क्योंकि उन्हें कतर जाने वाली अपनी उड़ानें पाकिस्तान और ईरान के ऊपर से घुमा कर ले जानी पड़ी रही हैं, जिससे खर्च बढ़ा है.