भारत में नोटबंदी के बाद जहां बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं, वहीं कई लोगों के लिए यह पैसे बनाने का जरिया बन गया है. अगर आप चाहते हैं कि बैंक या एटीएम की लाइन में कोई आपके लिए लग जाए, तो यह मुमकिन है.
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नोटबंदी के बाद लोगों को बैंक से पुराने नोट बदलने या फिर एटीएम से कैश हासिल करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. इसके लिए लंबी लंबी लाइनें लगी हैं. दिल्ली में एक ऐप ऐसे लोगों को सर्विस दे रहा है. इसका नाम है बुकमाईछोटू, जिसके जरिए कुछ पैसे देखकर आप एक व्यक्ति की मदद ले सकते हैं. यह व्यक्ति आपकी जगह लाइन में इंतजार करेगा और जब आपकी बारी आएगी, तो आपको बुला लेगा.
फेसबुक पर कंपनी का विज्ञापन कहता है, "क्या आपका भी कैश खत्म हो गया है? क्या आपको किसी हेल्पर की जरूरत है जो आपके लिए लाइन में लग जाए और बारी आने पर आपको बुला ले??" इसके मुताबिक, "हमारे लड़के बैंक के अंदर नहीं जाएंगे. वो सिर्फ हमारे ग्राहक के लिए लाइन में लगेंगे. हम समझते हैं कि कोई इमरजेंसी हो सकती है. ऐसे में, हमारे हेल्पर आपका कीमती समय बचा सकते हैं."
ये हैं दुनिया के सबसे बड़े नोट
ये हैं दुनिया के 10 सबसे महंगे नोट
भारत समेत दुनिया भर की मुद्राओं के उतार-चढ़ाव को डॉलर के मुकाबले मापा जाता है. इससे साफ है कि डॉलर दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा है. लेकिन जहां तक बात सबसे अधिक मूल्य वाली मुद्रा की है, उसमें डॉलर काफी पीछे है.
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स्विस फ्रैंक (71,86 रुपये)
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अमेरिकी डॉलर (70,89 रुपये)
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यूरोपीय संघ यूरो (79.13 रुपये)
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ब्रिटिश पाउंड (91,86 रुपये)
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जिब्राल्टर पाउंड (87.21 रुपये)
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जॉर्डन दीनार (100.05 रुपये)
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लात्विया लात (112.07 रुपये)
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ओमान रियाल (184.42 रुपये)
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बहरीन दीनार (188.08 रुपये)
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कुवैत दीनार (233.77 रुपये)
(सभी मुद्राओं की कीमत 1 नवंबर 2019 पर आधारित)
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दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में एक "छोटू" के लिए आपको एक घंटे के 90 रुपये देने होंगे. आठ घंटे के लिए आप ये सेवा 550 रुपये देकर हासिल कर सकते हैं. 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले की घोषणा के साथ सरकार ने लोगों को 30 दिसंबर तक अपने पुराने नोट बदलने या उन्हें बैंक में जमा करने का समय दिया है. सरकार ने भ्रष्टाचार और काला धन पर रोक लगाने के इरादे से नोटबंदी का फैसला किया है. हालांकि लोगों को हो रही परेशानियों को देखते हुए विपक्ष ने इसे "आर्थिक इमरजेंसी" का नाम दिया है.
वैसे बुकमाईछोटू की शुरुआत उन लोगों की मदद के लिए की गई थी, जिन्हें अस्थायी हेल्परों की जरूरत होती है. लेकिन इसके सीईओ सतजीत सिंह बेदी का कहना है कि जब उन्होंने बैंकों में लाइन लगाने के लिए अपनी सेवा देनी शुरू की, तो उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली. हिंदुस्तान टाइम्स अखबार के साथ बातचीत में बेदी ने कहा, "इसकी शुरुआत तब हुई, जब मुझे कैश की बहुत जरूरत थी और मेरी मां बीमारी थी. मैंने अपनी जगह अपने साथियों से लाइन में खड़े होने कहा और जब मेरी बारी आई तो मैं वहां चला गया."
देखिए ऐसे बनते हैं करारे करारे नोट
ऐसे बनते हैं करारे नोट
करारे नोट सबको अच्छे लगते हैं. भारत का रुपया हो या यूरोप का यूरो या फिर अमेरिका का डॉलर, ये सब कपास से बनते हैं. जी हां, कागज से नहीं कपास से. चलिए देखते हैं कैसे.
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कपास से नोट तक
भारत समेत कई देशों में नोट बनाने के लिए कपास को कच्चे माल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. कागज की तुलना में कपास ज्यादा मुश्किल हालात झेल सकता है. लेकिन नोट बनाने के लिए कपास को पहले एक खास प्रक्रिया से गुजरना होता है.
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आगे दुनिया रहस्यमयी
कपास की ब्लीचिंग और धुलाई करने के बाद उसकी लुग्दी बनाई जाती है. इसका असली फॉर्मूला सीक्रेट है. इसके बाद सिलेंडर मोल्ड पेपर मशीन उस लुग्दी को कागज की लंबी शीट में बदलती है. इसी दौरान नोट में वॉटरमार्क जैसे कई सिक्योरिटी फीचर डाल दिये जाते हैं.
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ठगों से बचने के लिए
यूरोजोन की मुद्रा यूरो में 10 से ज्यादा सिक्योरिटी फीचर होते हैं. इनकी मदद से जालसाजी या नकली मुद्रा के चलन को रोकने की कोशिश होती है. जालसाजी को रोकने के लिए निजी प्रिंटरों पर नकेल कसी जाती है.
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ठग तो ठग हैं
तमाम कोशिशों के बावजूद जालसाज नकली नोट बाजार में पहुंचा ही देते हैं. 2015 में रिकॉर्ड संख्या में नकली यूरो सामने आए. यूरोपीय सेंट्रल बैंक के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में 9,00,000 यूरो के नोट नकली हैं.
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गुमनाम कलाकार
यूरो के नोट डियाजन करने का जिम्मा राइनहोल्ड गेर्स्टेटर का है. उन्हें हर यूरो के नोट पर यूरोप के इतिहास का जिक्र करने में मजा आता है. 5 से 500 यूरो तक के हर नोट पर यूरोपीय इतिहास से जुड़ी छवि जरूर मिलेगी.
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हर नोट अलग
दुनिया के करीब सभी देशों में हर नोट बिल्कुल अनोखा होता है. उसका अपना नंबर होता है. यूरो के नोटों में भी ऐसा नंबर होता है. नोट छापने वाली 12 प्रिटिंग प्रेसें अलग अलग अंदाज में नंबर छापती है. नंबरों के आधार पर ही तय होता है कि कौन से नोट यूरोजोन के किस देश को भेजे जाएंगे.
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500 यूरो की असली कीमत
यूरोजोन में एक नोट छापने की कीमत करीब 16 सेंट आती है. बड़े नोट थोड़े ज्यादा महंगे पड़ते हैं. लागत के हिसाब से सिक्के ज्यादा महंगे पड़ते हैं. उन्हें बनाने में ज्यादा खर्च आता है.
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कंजूसों की नोट छपाई
जर्मनी का संघीय बैंक अब नोट छपाई को आउटसोर्स करना चाह रहा है. खर्च कम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. बीते साल जर्मन प्रिंटर गीजेके डेवरियेंट को अपनी म्यूनिख प्रेस से 700 कर्मचारियों की छुट्टी करनी पड़ी. कंपनी को मलेशिया और लाइपजिग में नोट छापना सस्ता पड़ रहा है.
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समय समय पर नयापन
एक नोट को जस का तस बाजार में बहुत समय तक नहीं रखा जा सकता. ऐसा करने से नकली नोट बनाने वालों को मौका मिलता है. लिहाजा समय समय पर नोटों का डिजायन बदला जाता है. आम तौर पर 5,10,20,50,100 और 500 के नोटों को अलग अलग सालों में बदला जाता है.
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लेकिन कई लोग सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना भी कर रहे हैं. खास कर "छोटू" शब्द के इस्तेमाल को लेकर. उनका कहना है कि छोटू शब्द से बाल मजदूर का अहसास होता है. महेंद्र ने ट्वीट किया, "क्या बुकमाईछोटू को कोई और नाम नहीं मिल सकता था? ऐसा लगता है कि जैसे बाल श्रम को बढ़ावा दिया जा रहा है." वहीं मुस्कान ने ट्वीट किया, "हेल्पर की सेवा लेने के लिए बुकमाईछोटू सर्विस सुनने में बहुत खराब लगती है."
हालांकि कंपनी को अपनी इस आलोचना का ख्याल है. उसने अपनी वेबसाइट पर डिसक्लेमर में लिखा है, "छोटू सिर्फ एक नाम है और सिर्फ ब्रैंडिंग के मकसद से इसका इस्तेमाल किया गया है. हम किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते." कंपनी ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है, "सभी हेल्पर पूरी तरह ट्रेंड हैं और उनकी उम्र 18 साल से ज्यादा है."