अनुमान से दस साल पहले खत्म हो जाएगी आर्कटिक की बर्फ
७ जून २०२३
वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि आर्कटिक में बर्फ अनुमान से दस साल पहले ही खत्म हो जाएगी. और ऐसा कार्बन उत्सर्जन रोकने की तमाम कोशिशों के बावजूद होगा.
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आर्कटिक महासागर पर बनी बर्फ की परत तेजी से घट रही है और 2030 के दशक में यह पूरी तरह खत्म हो जाएगी. पहले अनुमान था कि आर्कटिक में बर्फ 2040 के दशक में खत्म होगी लेकिन नया अध्ययन कहता है कि बर्फ अनुमान से दस साल पहले ही खत्म हो जाएगी और कार्बन उत्सर्जन कम करने की कोशिशें भी ऐसा होने से रोक नहीं पाएंगी.
उपग्रहों से 40 साल तक मिले डेटा के विश्लेषण के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पहुंचे हैं. इस डेटा के जरिये वैज्ञानिकों ने उत्तरी ध्रुव के आसपास के इलाके में समुद्र पर जमी बर्फ की परत में आ रही गिरावट का अध्ययन किया. अध्ययन में पता चला कि अब हालात वहां पहुंच चुके हैं कि कार्बन उत्सर्जन में कितनी भी कमी आ जाए, 2030 से 2050 के बीच ऐसा सितंबर महीना आ जाएगा, जबकि आर्कटिक में कोई बर्फ नहीं होगी.
कैसे हुआ शोध?
यह शोध दक्षिण कोरिया की पोहांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के मिन सेऊंग की के नेतृत्व में हुआ. मंगलवार को इसकी रिपोर्ट नेचर कम्यूनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुई है. अपने शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 1979 से 2019 के बीच आर्कटिक में बर्फ की मोटाई के हर महीने के आंकड़ों का अध्ययन किया. फिर इन आंकड़ों की तुलना कंप्यूटर सिम्युलेशन के मॉडल से करके भविष्य का अनुमान लगाया गया.
सितंबर के मध्य तक आर्कटिक में बर्फ की परत की मोटाई सबसे कम होती है. शोधकर्ता कहते हैं कि संभवतया अगले दशक में ही वह सितंबर आ जाएगा, जब आर्कटिक में बर्फ बिल्कुल नहीं होगी.
पहले के शोध से अलग
संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण पर काम करने वाली समिति आईपीसीसी ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट जारी की थी जिसमें 2021-23 के लिए नतीजे बताये गये थे. उस रिपोर्ट में कहा गया था कि इस सदी के मध्य से पहले आर्कटिक में सितंबर में बर्फ खत्म नहीं होगी. हालांकि उस रिपोर्ट में यह शर्त रखी गयी थी कि बर्फ का खत्म होना ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की मात्रा पर निर्भर करेगा.
किलर व्हेल के साथ डांस करने वाला शख्स
आर्थर ग्वेरिन-बोएरी बर्फीले आर्क्टिक महासागर में किलर व्हेलों के साथ तैरते हैं. वो मुक्त गोताखोरी में विश्व चैंपियन हैं और इन व्हेलों को उनके प्राकृतिक परिवेश में देखना उन्हें बेहद पसंद है.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
व्हेलों की तलाश
नॉर्वे में आर्क्टिक सर्किल के द्वीप स्पिल्ड्रा के इर्द गिर्द समुद्र की गहराइयों में से मछली के इस पंख के निकल आने का मतलब है कि एक ओर्का, या किलर व्हेल, सांस लेने सतह पर आई है. ये व्हेलें इस इलाके के बर्फीले पानी में हेरिंग मछलियों का शिकार करने आती हैं.
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शानदार तजुर्बा
फ्रांस के रहने वाले आर्थर ग्वेरिन-बोएरी इसी लम्हे का इंतजार कर रहे थे. वो एक लंबी सांस लेते हैं और महासागर के तीन डिग्री सेल्सियस तापमान के पानी में छलांग लगा देते हैं. कभी कभी आर्क्टिक की हवाएं समुद्र के पानी के तापमान को हिमांक बिंदु से भी नीचे पहुंचा देती हैं. 38 साल के ग्वेरिन-बोएरी कहते हैं, "मैं पानी में ऐसे दो सुपर परभक्षियों के बगल में हूं जिन्होंने मुझे स्वीकार कर लिया है. यह शानदार है."
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आर्क्टिक की बर्फ में विश्व चैंपियन
ग्वेरिन-बोएरी बिना ऑक्सीजन टैंक के बर्फ के नीचे मुक्त गोताखोरी में पांच बार विश्व चैंपियन रह चुके हैं. वो 120 मीटर से भी ज्यादा नीचे गोता लगा सकते हैं और कई मिनटों तक सांस रोके रख सकते हैं. हालांकि नॉर्वे में वो बस 30 सेकंड तक गोता लगाते हैं. वो करीब 15 मीटर नीचे जाते हैं और इन व्हेलों के करीब पहुंच जाते हैं. ये व्हेलें अमूमन इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होती हैं.
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पानी के नीचे बैले
सुदूर उत्तर में स्थित इस द्वीप पर सिर्फ मुट्ठी भर लोग रहते हैं. ग्वेरिन-बोएरी ने यहां एक सप्ताह तक गोता लगाया. व्हेलों के बारे में वो कहते हैं, "वो समकालिक तरीके में तैरती हैं, जैसे बैले कर रही हों. मैं उनका पीछा करना चाहूंगा लेकिन यह नामुमकिन है. वो बहुत तेज तैरती हैं और मैं पीछे रह जाता हूं."
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सुंदर नजारा
ग्वेरिन-बोएरी कहते हैं, "इस माहौल मैं आप थकान, ठंड, आशंका, सब भूल जाते हैं." आर्क्टिक सर्किल में अपनी यात्रा में उन्होंने सबसे ज्यादा प्रकृति का आनंद लिया. "मैं जब सांस लेने के लिए फिर से सतह पर पहुंचता हूं, तो मेरे इर्द-गिर्द बर्फ से ढकी चोटियां होती हैं...आप सुंदरता से घिरे होते हैं."
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शरण लेने की जगह
गोते लगाने के बीच ग्वेरिन-बोएरी इस कठोर मौसम से बचने के लिए इस पारंपरिक नार्वेजियन झोपड़ी में शरण लेते हैं. यह देखने में एक छोटे से पहाड़ जैसी लगती है लेकिन यह लकड़ी से बनी है और इसे मिट्टी और घास से ढक दिया गया है. झोपड़ी के अंदर आग उन्हें खुद को गर्म रखने में मदद करती है.
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ध्रुवीय रात में रोशनी
ध्रुवीय रातों के दौरान रोशनी ना के बराबर होती है. यहां ग्वेरिन-बोएरी की मदद करने के लिए उनके साथी एक स्पॉटलाइट से रेशनी दे रहे हैं. तूफान भी आया था जिसकी वजह से व्हेलों को ढूंढने में देर हो गई. लेकिन ग्वेरिन-बोएरी कहते हैं कि इसके बावजूद इतनी मेहनत सफल रही. वो कहते हैं, "मैं मुक्त गोताखोरी के सार तक लौटना चाहता हूं: यानी समुद्र के नीचे की दुनिया की खोज."
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उस रिपोर्ट से आगे जाते हुए ताजा अध्ययन कहता है कि अब ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कितना भी कम हो जाए, आर्कटिक में सितंबर में बर्फ के खत्म होने की घटना पिछले अनुमान से दस साल पहले ही हो जाएगी. मिन के नेतृत्व में प्रकाशित शोध पत्र में वैज्ञानिक कहते हैं कि इसका असर मानव समाज के पारिस्थितिकी तंत्र पर बहुतायत में देखने को मिलेगा और मनुष्य को खुद को गर्मी खत्म होते होते आर्कटिक में बर्फ के पूरी तरह खत्म हो जाने की परिस्थितियों के लिए तैयार कर लेना चाहिए.