1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मीठा खून नहीं, आपकी गंध देती है मच्छरों को न्योता

१९ अक्टूबर २०२२

कई बार आपने महसूस किया होगा कि आस पास बैठे कुछ लोगों में एक-दो को मच्छर ज्यादा काटते हैं. इसे लेकर उनका मजाक बनाया जाता है लेकिन विज्ञान ने इसकी गुत्थी सुलझा ली है.

मच्छर कैसे आकर्षित होते हैं
खून पीने वाले मच्छरों को इंसानों के त्वचा की गंध बुलाती हैतस्वीर: Tom Ervin/Getty Images

एक नई रिसर्च से पता चला है कि कुछ लोग सचमुच मच्छरों को चुंबक की तरह खींचते हैं. वैज्ञानिकों ने उनकी गंध को इसके लिए जिम्मेदार बताया है. रिसर्च के दौरान देखा गया कि जिन लोगों की तरफ मच्छर ज्यादा आकर्षित होते हैं, उनकी त्वचा पर कई तरह के रसायन पैदा होते हैं और उनसे गंध आती है. इन लोगों के लिए बुरी खबर यह है कि खून चूसने वाले मच्छर लंबे समय तक इस गंध के आकर्षण में रहते हैं.

रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और न्यू यॉर्क की रॉकफेलर यूनिवर्सिटी में न्यूरोबायोलॉजिस्ट लेस्ली वोशाल का कहना है, "अगर आपकी त्वचा में इस तरह की चीजें ज्यादा हैं, तो आप इनके लिए किसी पिकनिक मनाने की जगह जैसे हैं." हर जगह स्थानीय भाषा और संस्कृति में ऐसी खूब कहानियां सुनी सुनाई जाती हैं कि किसे मच्छर ज्यादा काटेंगे, लेकिन वोशाल का कहना है कि उन दावों के बारे में वैज्ञानिक रूप से कोई सबूत नहीं है.

यह भी पढ़ेंः मुनाफे के मच्छरों से घिरी मलेरिया की वैक्सीन

गंध से आकर्षित होते मच्छर

मच्छरों को आकर्षित करने के गुण को परखने के लिए वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग किया, जिसमें लोगों की गंध एक-दूसरे में डाली गई. इन प्रयोगों के नतीजे 18 अक्टूबर को जर्नल शेल में छपे हैं.

त्वचा पर मौजूद प्राकृतिक रसायन और उन्हें खाने वाले बैक्टीरिया बनाते हैं गंध (फाइल तस्वीर)तस्वीर: Satyajit Shaw/DW

रिसर्चरों ने 64 वॉलंटियरों को इसके लिए तैयार किया गया. इन लोगों ने नायलॉन के स्टॉकिंग्स अपनी बांहों पर चढ़ाए, ताकि उसमें उनकी गंध आ सके और फिर इन स्टॉकिंग्स को एक लंबी ट्यूब के एक सिरे पर अलग-अलग मच्छरदानियों में रख दिया गया. इसके बाद दर्जनों मच्छर छोड़े गए. रिसर्च में शामिल डे ओबाल्डिया ने बताया, "जाहिर है कि वो सबसे आकर्षक चीज की ओर ही पहले जाएंगे और यह तुरंत ही साबित भी हो गया."

यह भी पढ़ेंः कीटनाशक से लैस मच्छरदानी बचा रही है मलेरिया से

प्रयोग में एडिस एजिप्टो मच्छर का इस्तेमाल किया गया, जो पीला बुखार, जीका और डेंगू जैसी बीमारियां फैलाता है. वोशाल का कहना है कि वह मच्छरों की दूसरी प्रजातियों से भी इसी तरह के नतीजों की उम्मीद कर रही हैं. हालांकि इसकी पुष्टि के लिए उन्हें और रिसर्च करने की जरूरत होगी.

काफी बड़ा है फर्क

रिसर्चरों ने यही काम वॉलंटियरों के बीच बार-बार दोहराया और फिर आखिर में जो नतीजे मिले, उनसे पता चलता है कि फर्क काफी ज्यादा है. सबसे ज्यादा मच्छर जिसकी ओर आकर्षित हुए, वह आखिरी नंबर पर रहे शख्स की तुलना में 100 गुना ज्यादा आकर्षक साबित हुआ.

फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के न्यूरोजेनेटिसिस्ट मैट डेजेनारो इस प्रयोग में शामिल नहीं थे, लेकिन उनका कहना है कि कई सालों तक समान लोगों पर प्रयोग करने के बाद देखा गया कि यह फर्क बना रहा.

कुछ लोगों के त्वचा की गंध मच्छरों को लुभाती हैतस्वीर: Satyajit Shaw/DW

आसान नहीं है छुटकारा

जो लोग मच्छरों को ज्यादा आकर्षित कर रहे थे, उनमें एक चीज सब के अंदर थी. उनकी त्वचा पर कुछ खास अम्ल की मात्रा बहुत ज्यादा थी. ये "चिपचिपे कण" त्वचा की प्राकृतिक नमी का हिस्सा हैं और हर इंसान में इनकी मात्रा अलग-अलग होती है. वोशाल का कहना है कि त्वचा पर मौजूद अच्छे बैक्टीरिया इन अम्लों को खा जाते हैं और त्वचा से आने वाली महक में इनकी कुछ हिस्सेदारी होती है.

इन अम्लों से छुटकारा पाना आसान नहीं है. इसके लिए त्वचा की सेहत को नुकसान पहुंचाना पड़ेगा. हालांकि रिसर्च मच्छरों से छुटकारा पाने के नए तरीके विकसित करने में मदद कर सकती है. त्वचा के बैक्टीरिया से निजात पाने के कुछ तरीके हो सकते हैं और इसके जरिये इंसान से आने वाली गंध को बदला जा सकता है. हालांकि फिर भी मच्छरों से लड़ने का तरीका निकालना इतना आसान नहीं है. 

रिसर्चरों ने जिन मच्छरों की जीन में बदलाव कर उनके सूंघने की शक्ति को नष्ट करने की भी कोशिश की, वो फिर भी उन लोगों की तरफ गए जिन्हें आकर्षक माना जाता है. वोशाल का कहना है, "मच्छर बहुत लचीले होते हैं, उनके पास हम तक पहुंचने और काटने के कई दूसरे उपाय होते हैं."

एनआर/एसएम (एपी)

मलेरिया का वैक्सीन और मच्छरदानी से ज्यादा कारगर इलाज

03:55

This browser does not support the video element.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें