दीवारें बनीं कैनवास, कलाकार उकेर रहे झारखंडी संस्कृति
१ अप्रैल २०२१
झारखंड की राजधानी रांची समेत अन्य शहरों की दीवारें अब स्थानीय कलाकारों के लिए कैनवास बन गई हैं जहां ये कलाकार अपनी कूचियों से रंग भरने में जुटे हैं. कलाकार इन दीवारों पर झारखंडी संस्कृति की आकृतियां उकेर रहे हैं.
तस्वीर: IANS
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दीवारों पर उकेरी गईं आकृतियां जहां संस्कृति से लेागों को अवगत करा रही हैं वहीं रंग-बिरंगी पेंटिंग लोगों को पसंद भी आ रही हैं. कलाकारों की यह पेंटिंग स्वच्छता के प्रति जागरूकता का संचार करने और झारखंड के शहरों को एक अलग पहचान भी दे रही हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद झारखंड राज्य शहरी विकास प्राधिकरण के तहत रांची नगर निगम ने "रमणीक रांची" अभियान की पहल की है. शहर की जो दीवारें कल तक दाग-धब्बों और गंदगी से भरी थीं, वे अब आकर्षण का केंद्र बन गई हैं.
दीवारों को साफ कर सेल्फी प्वाइंट बनाए गए. तस्वीर: IANS
प्राधिकरण के एक अधिकारी बताते हैं कि युवा इन दीवारों को सेल्फी प्वाइंट के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं. राजधानी आने वाले पर्यटक भी राज्य सरकार की इस अनूठी पहल की सराहना करते सोशल मीडिया के मंच पर भी साझा कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को शहर की साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण पर बड़े पैमाने पर काम करने का निर्देश दिया था.
इस निर्देश के बाद शहर की सभी दीवारों पर पेंटिंग का काम शुरू किया गया है. रांची को खूबसूरत बनाने के लिए शहर के 10 स्थानों पर 'ग्रीन वॉल' का निर्माण किया जा रहा है. अधिकारी ने बताया कि शहर के 450 स्थानों पर जमे कचरे को हटाने का कार्य किया जा रहा है. उन स्थानों से कचरे को हटा कर उस स्थान को स्वच्छ बनाया गया है.
पहले दीवारों के पास लगा होता था गंदगी का अंबारतस्वीर: IANS
शहरों को खूबसूरत बनाने की पहल कोयला खदानों, स्टोन क्रशर, फैक्ट्री और ईंट की चिमनियों से भरे रामगढ़ में भी दिख रही है. रामगढ़ जिला प्रशासन ने स्वयंसेवी संस्थाओं और स्थानीय कलाकारों की मदद से 'पेंट माई सिटी' अभियान की शुरूआत की है.
आईएएनएस
चीन की अंडरग्राउंड संस्कृति
चमड़े के कपड़े, चमक-दमक वाला मेकअप और ऊंची एड़ी के जूते - इस अंदाज में एलजीबीटी समुदाय के लोगों ने बीजिंग के अंडरग्राउंड डांस इवेंट में दिखाए "वोगिंग" के जलवे.
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क्या है वोगिंग
चीन के एलजीबीटी समुदाय के लोगों के लिए डांस के साथ अपनी पहचान का जश्न मनाने का मौका होता है - वोगिंग.
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करते कैसे हैं
ऊंची एड़ी के जूते, सिर पर फैंसी विग और गले में फर डाले हुए लोग फैशन शो के जैसे तैयार होकर अपने डांस का जलवा दिखाते हैं.
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पहला बड़ा आयोजन
राजधानी बीजिंग के वोगिंग इवेंट में हिस्सा लेने सैकड़ों की तादाद में लोग पहुंचे. पहली बार इतने बड़े स्तर पर 'वोगिंग बॉल' आयोजित हुआ.
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खिताबी मुकाबला
ऐसे आयोजन में ऊंचे संगीत पर डांस पेश करने वाले लोगों की परफॉर्मेंस जज की जाती है और जीतने वालों को खिताबों से नवाजा जाता है.
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हाशिये वालों का जश्न
ऐसे इवेंट्स के आयोजक इसे "हाशिये पर पड़े समूहों के लिए खेल के मैदान जैसा" बताते हैं. मडोना ने इसे 1990 के अपने "वोग" नामके हिट गाने में दिखाया था.
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कहां से हुई शुरुआत
इस खास तरह के डांस की शुरुआत 1980 के दशक में हुई लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत में न्यूयॉर्क की अंडरग्राउंड बॉलरूम संस्कृति विकसित हुई.
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कोई भी सीख सकता है
चीन में बीते कुछ सालों में बाकायदा वोगिंग बॉल की परफॉर्मेंस की तकनीक सीखने का चलन तेज हुआ है, जो मॉडलिंग, फैशन शो और डांस का मिश्रण है.
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रुढ़िवादी चीनी समाज
2001 में चीन ने समलैंगिकता को एक "मानसिक बीमारी" की श्रेणी से बाहर निकाला था. लेकिन ज्यादातर एलजीबीटी लोग अब भी ढंका छुपा सा जीवन जीते हैं.
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अमेरिका से चीन का सफर
अमेरिका के बाद जापान, कोरिया, ताइवान और हांगकांग से होती हुई यह संस्कृति हाल ही में चीन पहुंची है, जो बीते दो सालों में खासी फैली है.
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खुद को जाहिर करने की खुशी
वोगिंग में हिस्सा लेकर लोग अपनी यौनिकता और लैंगिकता को खुल कर जाहिर करते हैं और प्रतिष्ठित मान्यताओं कौ चुनौती पेश करते हैं.