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तकनीकसंयुक्त राज्य अमेरिका

तैयार हो रही है एआई से कंटेंट की चोरी की काट

२६ दिसम्बर २०२३

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने कलाकारों को मुश्किल में डाल रखा है. बहुत से लोग उनकी बनाई कलाकृतियों, खासकर पेंटिंग्स को एआई के जरिए कॉपी कर लेते हैं. इससे बचने के लिए कलाकारों ने अब तकनीक का ही सहारा लेना शुरू कर दिया है.

एआई और कला
कला की चोरी रोकने की कोशिशतस्वीर: PHILIP FONG/AFP/Getty Images

अमेरिकी कलाकार पालोमा मैक्लेन को जब पता चला कि कई एआई मॉडल्स को उनकी नकल करना सिखा दिया गया है और उन्हें उसका ना श्रेय मिल रहा है ना पैसा, तो वह रक्षात्मक हो गईं.

वह कहती हैं, "मुझे इससे बहुत परेशानी हुई. मेरा मानना है कि तकनीकी विकास नैतिक तरीके से ही किया जाना चाहिए. इसे दूसरों को नुकसान पहुंचाकर नहीं बल्कि सभी के फायदे के लिए इस्तेमाल होना चाहिए.”

मैक्लेन ने अब मुफ्त में उपलब्ध एक सॉफ्टवेयर का सहारा लेना शुरू किया है. शिकागो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार इस सॉफ्टवेयर का नाम है ग्लेज. यह सॉफ्टवेयर एआई मॉडल से बेहतर सोच सकता है और पिक्सल्स को इस तरह से बदलता है कि वे एआई से तैयार किसी पेंटिंग से अलग नजर आती हैं.

जरूरत बहुत बड़ी है

ग्लेज तैयार करने वाली टीम में शामिल बेन जाओ कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर हैं. वह कहते हैं, "हम दरअसल कलाकारों को आक्रामक और शोषक एआई मॉडल्स के खिलाफ सुरक्षा उपलब्ध कराने वाला एक टूल मुहैया करा रहे हैं.”

ग्लेज को सिर्फ चार महीने में बनाया गया है और यह उसी तकनीक का इस्तेमाल करता है जो चेहरे पहचानने वाले तकनीक में बाधाएं पैदा करने का काम करती है. प्रोफेसर जाओ कहते हैं, "हम बहुत तेज गति से काम कर रहे थे क्योंकि हम जानते थे कि समस्या कितनी गंभीर है. बहुत से लोग परेशानी में थे.”

जेनरेटिव एआई तैयार करने वाली बड़ी बड़ी कंपनियां कुछ मामलों में तो अपने एआई मॉडलों को सिखाने के लिए डाटा का इस्तेमाल करती हैं लेकिन अधिकतर मामलों में वे डिजिटल तस्वीरों, ऑडियो और टेक्स्ट का प्रयोग कर अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर को कुछ भी करना सिखा देती हैं. ये डिजिटल तस्वीरें, ऑडियो या टेक्स्ट दरअसल इंटरनेट से ही लिया जाता है और अक्सर इसके इस्तेमाल के लिए सहमति भी नहीं ली जाती.

बड़े पैमाने पर इस्तेमाल

जाओ बताते हैं कि मार्च 2023 में जारी किए जाने के बाद से ग्लेज 16 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है. अब जाओ की टीम इस सॉफ्टवेयर के एक बेहतर वर्जन ‘नाइटशेड' पर काम कर रही है. नाइटशेड में एआई मॉडल को भ्रमित करने की क्षमता है. मिसाल के तौर पर इसका असर कुछ ऐसा होता है कि कुत्ते की तस्वीर को एआई मॉडल बिल्ली समझ सकते हैं.

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चूंकि यह मुफ्त में उपलब्ध तो मैक्लेन जैसे कलाकारों को लगता है कि इसका बहुत बड़ा असर होगा. वह कहती हैं, "अगर बड़ी संख्या में कलाकार इसका इस्तेमाल करेंगे तो इसका बहुत असर होगा क्योंकि तब अच्छी खासी संख्या में जहरीली तस्वीरों को हटाया जा सकेगा.”

प्रोफेसर जाओ बताते हैं कि बहुत सी कंपनियों ने उनसे संपर्क किया है और वे नाइटशेड का इस्तेमाल करना चाहती हैं. वह कहते हैं, "हमारा मकसद लोगों को अपनी सामग्री की सुरक्षा की क्षमता देना है, फिर चाहे वे अकेले काम करने वाले कलाकार हों या ऐसी कंपनियां हों जिनके पास बहुत बड़ी तादाद में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी है.”

इसी तरह एक अन्य स्टार्टअप कंपनी स्पॉनिंग ने कुडूरू नाम का सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो किसी इंटरनेट वेबसाइट से बड़े पैमाने पर तस्वीरें खोजने की कोशिश को पहचान सकता है. स्पॉनिंग के निदेशक जॉर्डन मायर कहते हैं कि इसका इस्तेमाल कर कलाकार अपनी बनाई तस्वीरों को खोजने की कोशिश को रोक सकते हैं. 

स्पॉनिंग ने haveibeentrained.com नाम से एक वेबसाइट भी बनाई है जिसमें सर्च की सुविधा दी गई है. इसके जरिए यह खोजा जा सकता है कि कोई डिजिटल आर्ट किसी एआई मॉडल को उपलब्ध कराई गई है. इस तरह कलाकार अपने काम का इस्तेमाल होने से रोक सकते हैं.

जिस तरह पेंटिंग या तस्वीरों का इस्तेमाल रोकने की कोशिश हो रही है, उसी तरह मिजूरी की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं ने एंटिफेक नाम से एक सॉफ्टवेयर विकसित किया है जो आवाजों की चोरी रोकता है.

क्या होगी आदर्श स्थिति?

इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे पीएचडी छात्र जियुआन यू कहते हैं कि एंटिफेक आवाजों में ऐसा शोर जोड़ देता है, जिसे लोग सुन तो नहीं सकते लेकिन इसके कारण आवाज की नकल करना असंभव हो जाता है.

एंटिफेक का मकसद ना सिर्फ एआई मॉडलों को अनधिकृत सामग्री से ट्रेनिंग रोकना है बल्कि वह डीपफेक को रोकने की दिशा में भी एक कोशिस है. जाओ बताते हैं कि इसके जरिए हस्तियों, उनके रिश्तेदारों या नेताओं आदि के ऐसे फर्जी वीडियो बनाने से रोका जा सकता है, जिसमें वे कुछ ऐसा करते या कहते नजर आते हैं, जो असल में उन्होंने नहीं किया या कहा.

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यू बताते हैं कि हाल ही में एक लोकप्रिय पॉडकास्ट तैयार करने वाली कंपनी ने एंटिफेक का इस्तेमाल कर अपनी सामग्री की चोरी रोकने में मदद मांगी है. मुफ्त उपलब्ध इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अब तक लोगों की आवाजों की नकल रोकने में हुआ है लेकिन यू के मुताबिक इसे गानों की चोरी रोकने में भी प्रयोग किया जा सकता है.

मायर कहते हैं कि सबसे आदर्श स्थिति तो वह होगी जिसमें एआई के लिए हर तरह की सामग्री का इस्तेमाल सहमति और भुगतान पर आधारित हो. वह कहते हैं, "हम डेवेलपर्स को उस दिशा में काम करने की उम्मीद कर रहे हैं.”

वीके/एए (एएफपी)

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