यूरोप बन रहा एलजीबीटीक्यू समुदाय का सुरक्षित ठिकाना
२० मई २०२४
अलग-अलग देशों में सख्त कानूनों के कारण यूरोप में समलैंगिकों के शरण के आवेदन लगातार बढ़ रहे हैं.
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जबरदस्ती की गई शादी और कड़वे घरेलू जीवन से बचने के लिए एला एंटनी को अपना देश नाइजीरिया छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. उनके रिश्तेदारों ने उन्हें धमकी दी कि अगर उन्होंने शादी से इनकार किया तो उन्हें पुलिस को सौंप दिया जाएगा क्योंकि वह एक समलैंगिक है. नाइजीरिया में समलैंगिकता गैरकानूनी है.
चूंकि नाइजीरिया ने समलैंगिक संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, एंटनी अपने पार्टनर के साथ 2014 में लीबिया चली गईं और फिर इटली, जहां उन दोनों को शरण मिली.
यूरोप बनता ठिकाना
अफ्रीका और मध्य पूर्व से हजारों लोग युद्ध और अन्य संघर्षों से भागकर इटली आ रहे हैं, लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक कई देशों में उन्हें उनकी पसंद के कारण हिंसा का सामना करना पड़ रहा है.
अपने देश में हिंसा और भेदभाव का सामना करने वाले समलैंगिक समुदाय के सदस्य यूरोप आ रहे हैं ताकि वह यहां सुरक्षित ठिकाना पा सकें.
हालांकि समलैंगिकता पर आधारित सफल शरण आवेदनों में कई बाधाएं हैं लेकिन एंटनी और उनकी साथी डोरिस एजुरुइके चिनोसो ने साबित कर दिया है कि वे सभी बाधाओं के बावजूद दृढ़ रह सकती हैं और यूरोप में शरण ले सकती हैं.
34 साल की चिनोसो कहती हैं, "निश्चित रूप से जीवन यहां 100 प्रतिशत वैसा नहीं है जैसा हम चाहते थे, लेकिन यह मान लीजिए कि हमारे देश की तुलना में 80 प्रतिशत बेहतर है."
चिनोसो अब इटली की राजधानी रोम के उत्तर में एक रेतीले इलाके में एंटनी के साथ रहती हैं. वह कहती हैं, "नाइजीरिया में अगर आप भाग्यशाली हैं तो आप जेल में होंगे और यदि आप दुर्भाग्यशाली हैं, तो आपको मार दिया जाएगा."
उनका कहना है कि यूरोप में आप अपनी मर्जी से जीवन जी सकते हैं.
यूरोप के ज्यादातर देश समलैंगिकता पर आधारित शरण आवेदनों पर आंकड़े जारी नहीं करते हैं, लेकिन कई गैर-सरकारी संगठनों के मुताबिक जिन देशों में समलैंगिकता पर कानून कड़े किए जा रहे हैं, वहां से भागकर यूरोप में शरण चाहने वालों की संख्या बढ़ रही है.
मौजूदा समय में दुनिया के अधिकांश देशों, जिनमें ज्यादातर अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के देश हैं, में समलैंगिकता के खिलाफ सख्त कानून हैं.
एलजीबीटीक्यू+ लोगों को वित्तीय, कानूनी और अन्य सहायता देने वाले संगठन रेनबो रेलरोड के किमाहली पावेल कहते हैं, "अंतिम नतीजा यह होता है कि लोग इन देशों से भागकर कहीं और सुरक्षित ठिकाना ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं."
पावेल ने कहा कि उनके संगठन को पिछले साल मदद के लिए लगभग 15,000 अनुरोध मिले थे. जो उससे पहले के साल में 9,500 थे. उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकतर आवेदन युगांडा के लोगों के थे, जिनकी संख्या करीब 1,500 थी.
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देश बना रहे सख्त कानून
युगांडा ने हाल ही में समलैंगिकता पर सबसे सख्त कानून बनाया है. युगांडा में समलैंगिकता अब एक दंडनीय अपराध है और इसमें शामिल व्यक्ति को 14 साल तक की जेल की सजा हो सकती है.
इसी तरह से नाइजीरिया ने 2014 में एक बिल पास किया, जिसमें समलैंगिक सेक्स के लिए 14 साल की सजा का प्रावधान किया गया.
37 साल की एंटनी का कहना है कि उन्हें वास्तव में अपने देश में जेल का खतरा था जिस कारण उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने कहा कि उनके परिवार ने उन्हें शादी के लिए बेच दिया था, लेकिन वह शादी से बाहर आ गईं क्योंकि उनका पति बार-बार उनके साथ दुर्व्यवहार करता था. जब वह अपने घर लौटीं, तो उनके भाई और चाचाओं ने उसे समलैंगिक होने के कारण पुलिस के हवाले करने की धमकी दी.
डर और अलगाव ने उन्हें पहले आत्महत्या का प्रयास करने के लिए मजबूर किया और फिर उन्होंने यूरोप जाने के लिए भुगतान करने के लिए एक तस्कर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
लीबिया पहुंचने के बाद एंटनी और चिनोसो ने भूमध्य सागर से इटली तक की जोखिम भरी नाव यात्रा के लिए तस्करों को भुगतान किया, जहां उन दोनों ने एलजीबीटीक्यू+ लोगों के एक समूह के सदस्य के रूप में शरण की अपील की.
शरणार्थी नियमों के मुताबिक शरण के लिए आवेदकों को "एक विशेष सामाजिक समूह का सदस्य" होने के आधार पर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रदान की जा सकती है.
एए/वीके (एपी)
एलजीबीटीक्यू+ जहां खुल कर घूम सकते हैं
लेस्बियन, गे, ट्रांसजेंडर, बायसेक्शुअल या क्वीयर- चाहे कोई किसी भी तरह की लैंगिक पहचान या यौन वरीयता वाला इंसान हो, दुनिया में कहीं भी उनके जाने पर रोक तो नहीं होनी चाहिए. देखिए कौन से हैं सबसे क्वीयर-फ्रेंडली ठिकाने.
तस्वीर: Christoph Hardt/Geisler-Fotopres/picture alliance
कनाडा
कनाडा को विश्व का सबसे क्वीयर-फ्रेंडली देश कहना गलत नहीं होगा. वर्ल्ड ट्रैवल एवार्ड्स में इसे टॉप LGBTQ+ फ्रेंडली ठिकाना पाया गया. समलैंगिक शादियों को यहां 2005 से ही कानूनी मान्यता मिली हुई है. इसके अलावा यहां साल भर समुदाय की रंगबिरंगी पहचान का उत्सव मनाने के लिए कार्यक्रम होते रहते हैं. जैसे जून में होने वाला टोरंटो प्राइड (फोटो में) या अगस्त में मॉन्ट्रियाल प्राइड फेस्टिवल.
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माल्टा
भूमध्य सागर में बसा यह छोटा सा द्वीपीय देश यूरोप के कुछ सबसे प्रगतिशील देशों में से एक है. LGBTQ+ समुदाय के लिए यहां इतना काम हुआ है कि 2004 में यहां किसी भी यौन वरीयता या लैंगिक पहचान वाले इंसान के साथ भेदभाव पर रोक लग गई. 2016 में गे कनवर्जन थेरेपी को गैरकानूनी घोषित करने वाला भी यह पहला देश है.
तस्वीर: Mark Zammit Cordina/Photohot/picture alliance
पुर्तगाल
लिस्बन और पोर्तो (फोटो में) को पुर्तगाल का सबसे विविधता से भरा और खुले विचारों वाला शहर कहा जा सकता है. यहां समलैंगिक शादियों को 2010 से ही वैधता मिली हुई है. इसके कुछ साल बाद समान सेक्स वाले जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार भी मिल गया. लेकिन ट्रांसजेंडर लोगों की सुरक्षा और तथाकथित कनवर्जन थेरेपी पर बैन लगाने जैसे कदम अभी बाकी हैं.
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स्वीडन
इसकी गिनती विश्व के सबसे प्रगतिशील देशों में होती है. यहां एलजीबीटीक्यू समुदाय की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं. इस स्कैंडिनेवियन देश में समान सेक्स के लोगों के बीच सेक्स को 75 साल पहले ही अपराध के दायरे से बाहर निकाल लिया गया था. अब तो यहां किसी को संबोधित करने के लिए एक ही न्यूट्रल सर्वनाम चलता है - "hen". पहले महिलाओं के लिए hon ("she") और पुरुषों के लिए han ("he") सर्वनाम चलन में थे.
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उरुग्वे
लैटिन अमेरिका के सबसे सहनशील देश के रूप में उरुग्वे का नाम आता है क्योंकि यह समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने वाला पहला देश था. इस छोटे से देश में 1934 से ही समान सेक्स के लोगों के बीच सहमति से होने वाले सेक्स को अपराध के दायरे से बाहर निकाल लिया गया था. 2004 में यहां LGBTQ+ समुदाय को सुरक्षा देने वाले कई कानून बनाए गए.
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ऑस्ट्रेलिया
घूमने फिरने वालों के दिमाग में ऑस्ट्रेलिया की छवि खूबसूरत समुद्री तटों और रंगबिरंगी संस्कृति वाले शहरों से जुड़ी होगी. लेकिन अब भी शायद यह नहीं पता होगा कि यह बेहद सहनशील देश भी है. यहां भेदभाव विरोधी कानून 1984 में ही पास हो गए थे. इनका मकसद किसी भी इंसान को उसकी लैंगिक पहचान या यौन वरीयता के आधार पर दुर्व्यवहार से बचाना था. 2017 से यहां समलैंगिक विवाह भी वैध हैं.
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जर्मनी
इंटरसेक्स लोगों के अधिकारों के लिए हाल के सालों में जर्मनी में काफी तरक्की हुई है. बड़े शहरों जैसे कोलोन (फोटो में) और राजधानी बर्लिन में समाज काफी हद तक क्वीयर-फ्रेंडली माना जा सकता है लेकिन देश के बाकी हिस्से इतने खुले विचारों वाले नहीं कहे जा सकते. एक ही लिंग के लोगों की आपस में शादी को यहां 2017 में ही कानूनी मान्यता मिल गई थी. इंटरसेक्स लोग भी अपनी अलग कानूनी पहचान रखते हैं.
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आइसलैंड
आर्कटिक के इस कम आबादी वाले देश आइसलैंड में ना केवल प्रकृति के अद्भुत नजारे और जाड़ों का स्वर्ग है बल्कि यहां क्वीयर लोगों की भी जन्नत है. ऐसे में LGBTQ+ लोगों के लिए इससे दोस्ताना, सुरक्षित और स्वागत करने वाला घूमने का ठिकाना खोजना मुश्किल होगा. राजधानी रिक्याविक (फोटो में) में 1999 से ही सालाना प्राइड फेस्टिवल होता आता है. समान-सेक्स शादियां 2010 से वैध हैं.
तस्वीर: IBL Schweden/picture alliance
ताइवान
LGBTQ+ लोगों के अधिकारों के मामले में एशिया के सबसे प्रगतिशील देश के रूप में ताइवान का नाम आता है. इस द्वीपीय देश में लैंगिक भेदभाव के खिलाफ कई कानून बनाए गए हैं. समान सेक्स के लोगों की आपस में शादी को 2019 में कानूनी मान्यता देने वाला यह एशिया का पहला देश बना. और इस तरह उनके घूमने फिरने का सुरक्षित ठिकाना भी.
तस्वीर: Ceng Shou Yi/NurPhoto/picture alliance
कोलंबिया
कोलंबिया की संस्कृति वैसे तो कैथोलिक आस्था वाली और समाज में पुरुषवादी रवैया कूट कूट के भरा दिखता है लेकिन फिर भी इसकी गिनती लैटिन अमेरिका के सबसे प्रगतिवादी देशों में होती है. उरुग्वे के बाद यहां एलजीबीटीक्यू+ स्पेक्ट्रम के लोगों को सबसे ज्यादा अधिकार मिले हुए हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 में समलैंगिक शादियों को भी कानूनी मान्यता दे दी.(जोफी डिसेमोंड/आरपी)
तस्वीर: Sofia Toscano/colprensa/dpa/picture alliance