नए प्रसारण विधेयक से चिंता में भारत के डिजिटल क्रिएटर्स
१५ अगस्त २०२४
विरोध के बाद भारत सरकार ने पिछले प्रसारण विधेयक में बदलाव की बात तो मान ली है लेकिन नए विधेयक के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है. इसलिए भारत के डिजिटल कॉन्टेंट क्रिएटर्स चिंतित हैं.
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अभिव्यक्ति की आजादीपर हमले के आरोपों के बाद भारत सरकार द्वारा एक विवादास्पद प्रसारण विधेयक को फिर से लिखने के फैसले का डिजिटल अधिकार कार्यकर्ताओं और ऑनलाइन कॉन्टेंट क्रिएटर्स ने स्वागत किया है. उन्हें डर था कि इससे इंटरनेट पर बोलने की स्वतंत्रता पर लगाम लग सकती है.
लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि सरकार नए विधेयक में भी कुछ कठोर प्रावधान रख सकती है जो भारत की तेजी से विकसित होती डिजिटल दुनिया को प्रभावित कर सकते हैं.
डॉ. मेडुसा एक राजनीतिक व्यंग्यकार हैं, जिनके यूट्यूब, इंस्टाग्राम और एक्स पर 265,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं. उन्होंने कहा, "यह (नए विधेयक का फैसला) एक बहुत ही खुशी की बात है. लेकिन हमें अभी भी बहुत सतर्क रहना होगा. हमें हमेशा तैयार रहना होगा और देखना होगा कि आगे क्या होता है." डॉ. मेडुसा ने सुरक्षा कारणों से सोशल मीडिया नाम से पहचान बताने का अनुरोध किया था.
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्सः भारत की रैंकिंग सुधरी, हालात बिगड़े
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे पर ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने विभिन्न देशों में मीडिया की आजादी का इंडेक्स जारी किया है. भारत की रैंकिंग इस साल थोड़ी सी सुधर गई है.
तस्वीर: Newslaundry
सबसे ऊपर नॉर्वे
मीडिया की आजादी के मामले में यूरोपीय देश नॉर्वे इस साल भी सबसे ऊपर बना हुआ है. हालांकि उसके यहां भी राजनीतिक दबाव बढ़ा है. पिछले साल उसके अंक 95.18 थे जबकि इस साल 91.89 रहे हैं.
तस्वीर: Ole Berg-Rusten/NTB/REUTERS
पहले दस स्थान यूरोप में
इंडेक्स में पहले दस स्थानों पर यूरोपीय देश मौजूद हैं. नॉर्वे के बाद डेनमार्क, स्वीडन, नीदरलैंड्स, फिनलैंड, एस्टोनिया, पुर्तगाल, आयरलैंड, स्विट्जरलैंड और जर्मनी का नंबर है.
तस्वीर: Arno Burgi/dpa/picture-alliance
भारत में हालात और गंभीर
भारत की रैंकिंग दो स्थान बढ़कर 180 देशों की सूची में 159 पर आ गई है. पिछले साल भारत 161वें नंबर पर था. लेकिन उसके अंकों में हर क्षेत्र में गिरावट हुई है. उसका कुल स्कोर 31.28 रहा जो पिछले साल 36.62 था. पाकिस्तान भारत से ऊपर (152) है लेकिन उसकी रैंकिंग दो स्थान गिरी है.
तस्वीर: Newslaundry
खतरे बढ़े
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का विश्लेषण कहता है कि पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरे बढ़े हैं. पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में मीडिया पर पाबंदियां सबसे ज्यादा बढ़ी हैं. जॉर्जिया 10 स्थान नीचे खिसक कर 167 पर आ गया है जबकि अजरबैजान की रैंकिंग 13 अंक गिरकर 164 पर आ गई है.
तस्वीर: Europa Press/abaca/picture alliance
अमेरिका की रैंकिंग गिरी
चुनावी वर्ष में अमेरिका की रैंकिंग में 10 स्थानों की गिरावट दर्ज हुई है और अब वह 55वें नंबर पर है. ब्रिटेन (23) तीन स्थान ऊपर गया है जबकि जर्मनी (10) की रैंकिंग में 11 स्थानों का सुधार हुआ.
तस्वीर: Jim Watson/AFP
रूस और यूक्रेन
यूक्रेन से युद्ध में उलझे रूस की भी हालात बेहद गंभीर हैं. रूस पिछले साल के मुकाबले दो स्थान ऊपर 162 पर है जबकि यूक्रेन 79 से 61 पर आ गया है. उसके कुल अंकों में भी सुधार हुआ है.
तस्वीर: ALEXEY DRUZHININ/AFP/Getty Images
सबसे ज्यादा बदलाव
भूटान की रैंकिंग में सबसे ज्यादा गिरावट हुई है. इस साल वह 57 स्थान नीचे गिरकर 147 पर पहुंच गया है. सबसे बड़ा उछाल मॉरितियाना की रैंकिंग में हुआ है. वह 53 स्थान ऊपर उछलकर 33वें नंबर पर आ गया है.
तस्वीर: Prabakar Mani Tewari/DW
सबसे खराब स्थिति
रैंकिंग में इरिट्रिया (180) सबसे नीचे है. उसके ऊपर सीरिया, अफगानिस्तान, उत्तर कोरिया, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, वियतनाम, बहरीन, चीन और म्यांमार का नंबर है.
तस्वीर: Iranian Presidency/ZUMA/picture alliance
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भारत सरकार ने कहा है कि नया प्रसारण कानून अधिक पारदर्शिता लाएगा. हालांकि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने टिप्पणी के लिए भेजे गए अनुरोधों का जवाब नहीं दिया.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की निगरानी करने वाली संस्था फ्रीडम हाउस के अनुसार, इंटरनेट बंद करने, सोशल मीडिया से सामग्री हटाने और पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया पर अपनी बात कहने वाले लोगों की गिरफ्तारियां इंटरनेट स्वतंत्रता को सीमित करती हैं. इस मामले में भारत को "आंशिक रूप से स्वतंत्र" देश के रूप में रैंक किया गया है.
नए विधेयक का प्रस्ताव ऐसे समय पर आया है जब भारत में स्ट्रीमिंग कंपनियों और डिजिटल निर्माताओं पर निगरानी बहुत बढ़ गई है. सिनेमा में सभी फिल्मों की समीक्षा और सर्टिफिकेशन सेंसर बोर्ड द्वारा किया जाता है लेकिन स्ट्रीम की गई और डिजिटल सामग्री की समीक्षा की फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है.
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चिंताजनक था पिछला ड्राफ्ट
भारत ने पिछले नवंबर में प्रसारण क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए एक ड्राफ्ट विधेयक पेश किया था, जिसमें नेटफ्लिक्स और अमेजन जैसी स्ट्रीमिंग वेबसाइटों को शामिल किया गया था.
बाद में, विधेयक के एक संशोधित मसौदे में सभी डिजिटल कॉन्टेंट क्रिएटर्स को शामिल कर लिया गया. इनमें सोशल मीडिया अकाउंट्स, ऑनलाइन वीडियो निर्माता और पॉडकास्टर्स तक हर तरह के कॉन्टेंट क्रिएटर्स शामिल हैं. तकनीकी नीति विश्लेषकों के अनुसार इस मसौदे को सार्वजनिक नहीं किया गया था.
इन सभी "प्रसारकों" को सरकार के साथ पंजीकरण कराने, सामग्री के मूल्यांकन के लिए एक समिति स्थापित करने और शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता होती, जो उनके द्वारा तैयार सामग्री से संबंधित शिकायतें सुनता. नियमों का उल्लंघन करने पर आपराधिक मुकदमे, जेल की सजा, उपकरणों की जब्ती व बिना वॉरंट के छापे जैसी कार्रवाइयों का सामना करना पड़ सकता था.
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन इस ड्राफ्ट के विवरण की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सका. सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ड्राफ्ट विधेयक के विवरण या आगामी योजना पर कोई जानकारी नहीं दी.
स्पष्टता की कमी
इन नियमों की लंबी सूची ने डिजिटल सामग्री निर्माताओं को चिंतित कर दिया है. वे इन्हें जटिल, महंगा और समय लेने वाला मानते हैं. स्वतंत्र पत्रकार और यूट्यूबर मेघनाद एस. के लगभग 66 हजार सब्सक्राइबर हैं. वह कहते हैं कि इससे छोटे निर्माताओं को "अस्तित्व के संकट" का सामना करना पड़ सकता है.
इन सात देशों में भारतीय इस्तेमाल कर सकते हैं यूपीआई
ऐसे समय में जब भारत हर महीने यूपीआई से अरबों रुपयों का लेनदेन कर रहा है, डिजिटल क्रांति की लोकप्रियता विदेश में भी दिन-ब-दिन बढ़ रही है. जानते हैं, किन-किन देशों में यूपीआई से लेनदेन संभव है.
तस्वीर: Ewald Fr/Zoonar/picture alliance
विदेश में यूपीआई
12 फरवरी को भारत ने श्रीलंका और मॉरीशस में अपनी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सर्विस की शुरूआत की. श्रीलंका जाने वाले भारतीय डिजिटल भुगतान कर पाएंगे, इसके लिए उन्हें यूपीआई ऐप का इस्तेमाल करते हुए क्यूआर कोड को स्कैन कर पेमेंट करना होगा.
तस्वीर: Imago-Images/AFLO
मॉरीशस में भी डिजिटल भुगतान
मॉरीशस यूपीआई भुगतान सक्षम करने वाला एक और देश बन गया है. इस देश में लोग स्थानीय भुगतान के लिए यूपीआई का इस्तेमाल कर सकते हैं. यही नहीं मॉरीशस के बैंक रुपे कार्ड भी जारी कर पाएंगे.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Kachroo
नेपाल में यूपीआई
यूपीआई का इस्तेमाल नेपाल में भी संभव है और नेपाल जाने वाले भारतीय यूपीआई ऐप के जरिए भुगतान कर सकते हैं. इसके अलावा वे यूपीआई आईडी के साथ भारत में पैसे भी भेज सकते हैं.
तस्वीर: Prakash Mathema/AFP/Getty Images
यूपीआई से पेमेंट कर देखिए आइफिल टावर
फ्रांस के मशहूर आइफिल टावर को देखने के लिए आप जा रहे हैं तो वहां भी भुगतान आप यूपीआई के जरिए कर सकते हैं. आइफिल टावर फ्रांस में यूपीआई भुगतान की पेशकश करने वाला पहला मर्चेंट है. और यह सर्विस जल्द ही फ्रांस और यूरोप में पर्यटन और रिटेल मर्चेंट क्षेत्र के अन्य व्यापारियों तक विस्तारित की जाएगी.
तस्वीर: Dimitar Dilkoff/AFP/Getty Images
संयुक्त अरब अमीरात
एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल) ने अगस्त 2021 में यूएई में यूपीआई की मंजूरी की पेशकश करने के लिए यूएई के प्रमुख वित्तीय संस्थानों में से एक, मशरेक के साथ साझेदारी की थी. यहां भी आप यूपीआई से डिजिटल भुगतान कर सकते हैं.
तस्वीर: Thomas Mukoya/REUTERS
भूटान
भूटान 2021 में यूपीआई अपनाने वाला पहला देश था. एशिया में सिंगापुर में भी यूपीआई से पेमेंट संभव है.
तस्वीर: Valerio Rosati/Zoonar/picture alliance
दक्षिणपूर्व एशिया के देश
एनआईपीएल ने मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान और हांग कांग समेत 10 देशों में क्यूआर-आधारित यूपीआई भुगतान को सक्षम करने के लिए लिक्विड ग्रुप के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
तस्वीर: Vincent Thian/AP Photo
क्या है यूपीआई
यूपीआई भारत की मोबाइल-आधारित तेज भुगतान प्रणाली है, जो ग्राहकों को वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (वीपीए) का इस्तेमाल करके चौबीसों घंटे तुरंत भुगतान करने की अनुमति देती है. भारत में रिटेल डिजिटल पेमेंट्स के लिए इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है.
तस्वीर: Payel Samanta/DW
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मेघनाद कहते हैं, "मुझे सबसे ज्यादा डर इस बात से है कि वे मेरे सभी उपकरण ले सकते हैं. मेरे पास नए उपकरण खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं. इस समय मेरे यूट्यूब चैनल से किराया देना एक बड़ी बात है."
सोमवार को, प्रसारण मंत्रालय ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट किया कि "एक नया ड्राफ्ट विस्तृत परामर्श के बाद प्रकाशित किया जाएगा," और सुझाव और फीडबैक प्राप्त करने की अवधि 15 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है.
पिछले ड्राफ्ट को वापस लिया जाना डिजिटल अधिकार कार्यकर्ताओं और ऑनलाइन कॉन्टेंट क्रिएटर्स के लिए एक छोटी जीत थी, लेकिन उन्होंने कहा कि जश्न मनाने का समय अभी नहीं आया है.
पारदर्शिता की उम्मीद
डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता और मीडिया नामा के संपादक निखिल पाहवा ने कहा, "हमें मंत्रालय से अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता है. मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों में उद्योग के साथ निजी बैठकें की हैं, और ऑनलाइन क्रिएटर, डिजिटल अधिकार समूहों और डिजिटल समाचार प्रकाशकों को बाहर रखा है."
ऑनलाइन शॉपिंग में महिलाओं से आगे हैं पुरुष
आईआईएम-अहमदाबाद के एक शोध के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग के मामले में पुरुष महिलाओं से आगे हैं.
तस्वीर: Bildagentur-online/Tetra/picture alliance
36 फीसदी ज्यादा खर्च
आईआईएम-अहमदाबाद के शोध के मुताबिक पुरुषों ने ऑनलाइन शॉपिंग पर औसतन 2,484 रुपये खर्च किए, जो महिलाओं द्वारा खर्च किए गए 1,830 रुपयों की तुलना में 36 फीसदी अधिक है.
तस्वीर: Bildagentur-online/Tetra/picture alliance
क्या खरीदते हैं पुरुष
सर्वे से पता चला कि 47 प्रतिशत पुरुषों ने फैशन के लिए खरीदारी की, इसके बाद 37 प्रतिशत ने यूटीलिटीज के लिए और 23 प्रतिशत ने इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए खरीदारी की.
तस्वीर: Daniel Kubirski/picture alliance
क्या खरीदती हैं महिलाएं
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 58 प्रतिशत महिलाओं ने फैशन के लिए खरीदारी की, उसके बाद 28 प्रतिशत ने इस्तेमाल में आने वाले सामान की शॉपिंग और 16 प्रतिशत महिलाओं ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की शॉपिंग की.
तस्वीर: Imago Images/Panthermedia/L. Chopan
समय कम खर्च करते हैं मर्द
पुरुषों द्वारा ऑनलाइन शॉपिंग में बिताया जाने वाला समय महिलाओं के मुकाबले कम है. जहां पुरुषों ने ऑनलाइन शॉपिंग पर 34.4 मिनट खर्च किए, वहीं महिलाओं ने 35 मिनट खर्च किए.
तस्वीर: Hannes P. Albert/dpa/picture alliance
कोविड के बाद बढ़ी ऑनलाइन शॉपिंग
शोध रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी ने 2020 से ऑनलाइन शॉपिंग की लोकप्रियता को काफी बढ़ा दिया है. शोधकर्ताओं ने कहा कि ऑनलाइन खरीदारी के लिए 'पैसा वसूल' की भावना सबसे बड़े कारकों में से एक है. इसके बाद खरीदारी की प्रक्रिया में आसानी है.
तस्वीर: Jens Büttner/dpa ZB/picture alliance
35 हजार लोग सर्वे में शामिल
आईआईएम-अहमदाबाद ने अपने शोध के लिए 25 राज्यों के 35 हजार लोगों को सर्वे में शामिल किया. यह नतीजे आईआईएम अहमदाबाद की 'डिजिटल रिटेल चैनल्स एंड कंज्यूमर्स: द इंडियन पर्सपेक्टिव' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में प्रकाशित किए गए थे.
तस्वीर: Giorgio Fochesato/Westend61/IMAGO
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अधिकार समूहों ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार हालिया ड्राफ्ट विधेयक को पूरी तरह से हटा रही है और क्या नए संस्करण के लिए सभी पक्षों के साथ बातचीत करेगी. ज्यादातर तकनीकी विशेषज्ञों और सामग्री निर्माताओं ने उम्मीद जताई कि सरकार अगले संसद सत्र में विधेयक पेश करेगी, जो शायद नवंबर के मध्य में शुरू होगा.
मेघनाद कहते हैं, "अब हमें शीतकालीन सत्र का इंतजार है. देखना है कि वे क्या नया संस्करण लाते हैं और उसे जल्दी से पारित करने की कोशिश करते हैं. अभी वे पीछे हट रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं पता कि क्या यह (पिछला ड्राफ्ट) हमेशा के लिए रद्द हो गया है."