कनाडा में लाखों की संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और ऐसे में कनाडा की यूनिवर्सिटियां भारतीय छात्रों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन दे रही हैं.
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भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संकट के कारण पैदा हुई अनिश्चितता से निपटने के लिए संसाधनों की पेशकश की जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि कनाडा की यूनिवर्सिटियां तेजी से बढ़ते व्यापार पर पड़ने वाले प्रभाव को सीमित करना चाहती हैं.
दोनों देशों के बीच जारी राजनयिक तनाव के कारण वे छात्र दुविधा में हैं जो कनाडा जाकर पढ़ाई करने की योजना बना रहे हैं. एक ओर कनाडा के कॉलेज नए सेमेस्टर शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं वहीं कुछ छात्र अपने कोर्स में देरी करने पर विचार कर रहे हैं.
भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध उस वक्त खराब हो गए जब सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में कहा था कि उनकी सुरक्षा एजेंसियों के पास ऐसे पुख्ता सबूत हैं कि खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की भूमिका हो सकती है. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को खारिज करते हुए उसे बकवास और प्रेरित बताया था.
निज्जर की हत्या पर भारत और कनाडा में तकरार तेज
04:29
बड़ी संख्या में कनाडा जाते हैं भारतीय छात्र
कनाडा के तेजी से बढ़ते अंतरराष्ट्रीय शिक्षा कारोबार में भारत कनाडा के वैश्विक छात्रों का अब तक का सबसे बड़ा स्रोत है, जो स्टडी परमिट धारकों का लगभग 40 फीसदी है. भारत से कनाडा पढ़ाई के लिए गए छात्रों की संख्या तीन लाख के करीब है. अंतरराष्ट्रीय छात्र हर साल कनाडा की अर्थव्यवस्था में 14.6 अरब डॉलर से अधिक का योगदान देते हैं.
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भारतीय कंसल्टेंट्स के अनुमान के मुताबिक भारत के एक लाख से अधिक छात्र अंग्रेजी भाषा में दक्षता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और अगले साल कनाडा में पढ़ाई करने के लिए फाइनेंस का इंतजाम कर रहे हैं.
दोनों देशों के बीच जारी विवाद के बीच कनाडा के टॉप विश्वविद्यालय प्रति वर्ष कनाडाई डॉलर 40,000 तक की लागत वाले कोर्स की पेशकश कर रहे हैं, जबकि कॉलेज छात्रों से जुड़ने के लिए शॉर्ट ड्यूरेशन कोर्स और सस्ते कोर्स की पेशकश कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनयिक विवाद कनाडा के बेहतर ज्ञात निर्यातों में से एक को नुकसान न पहुंचाए.
रॉयटर्स ने कनाडा और भारत के एक दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों और सलाहकारों से बात की जिन्होंने कहा कि वे छात्रों को आश्वस्त करने के लिए उपाय अपना रहे हैं.
टोरंटो यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष जोसेफ वोंग ने कहा, "हमने भारत में विभिन्न साझेदारों से भी संपर्क किया है, जिनमें कई शैक्षणिक संस्थान और फाउंडेशन हैं. हमने उन्हें आश्वस्त किया कि हम सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
इस यूनिवर्सिटी में 2022-2023 सेशन के लिए 86,297 अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने दाखिला लिया था, जिनमें 2400 के करीब भारतीय छात्र हैं.
भारत की फर्जी यूनिवर्सिटियों से सावधान
आपने उन भारतीय छात्रों के बारे में सुना होगा जो आगे की पढ़ाई करने विदेश पहुंचे तो उनकी भारतीय डिग्रियों को फर्जी बता दिया गया. अब यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन ने देश में कई फेक यानी फर्जी यूनिवर्सिटियों की सूची जारी की है.
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एक नहीं, दो नहीं, पूरी बीस
यूजीसी की इस सूची में 20 ऐसे संस्थान हैं जिन्हें फेक या फर्जी विश्वविद्यालय बताया गया है. इन संस्थानों को आयोग से मान्यता प्राप्त नहीं है, यानी ये आयोग के नियमों के मुताबिक डिग्री देने के लिए अधिकृत नहीं हैं.
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इनकी डिग्री बेकार
ऐसे संस्थानों की डिग्रियां कहीं पर भी ना उच्च शिक्षा के लिए और ना नौकरी के लिए मान्य होती हैं. डिग्री वही संस्थान दे सकते हैं जिनकी स्थापना या तो किसी राज्य के कानून, केंद्रीय कानून या प्रोविंशियल कानून के तहत हुई हो या जिन्हें 1956 के यूजीसी कानून के तहत डिग्री देने की शक्ति दी गई हो.
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दिल्ली में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा
दिल्ली में ऐसे सबसे ज्यादा (आठ) फर्जी विश्वविद्यालय हैं. इनके नाम - ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एंड फिजिकल हेल्थ साइंसेज, स्टेट गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी, कमर्शल यूनिवर्सिटी लिमिटेड, यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, वोकेशनल यूनिवर्सिटी, दिल्ली एडीआर सेंट्रिक ज्यूरिडिकल यूनिवर्सिटी, इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग, विश्वकर्मा ओपन यूनिवर्सिटी फॉर सेल्फ एम्पलायमेंट, आध्यात्मिक विश्वविद्यालय.
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यूपी में भी कई फर्जी संस्थान
यूजीसी की सूची में उत्तर प्रदेश के भी कई फर्जी विश्वविद्यालयों का नाम है. इनमें शामिल हैं गांधी हिंदी विद्यापीठ, नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रो कॉम्प्लैक्स होम्योपैथी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस यूनिवर्सिटी और भारतीय शिक्षा परिषद.
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और भी राज्यों में मौजूद
आंध्र प्रदेश में क्राइस्ट न्यू टेस्टामेंट डीम्ड यूनिवर्सिटी और बाइबिल ओपन यूनिवर्सिटी ऑफ इंडिया, पश्चिम बंगाल में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन और इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च, बदगानवी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसाइटी (कर्नाटक), सेंट जॉन्स यूनिवर्सिटी (केरल), राजा अरबी यूनिवर्सिटी (महाराष्ट्र) और श्री बोधि एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (पुडुचेरी)
भी फर्जी हैं.
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छात्र, अभिभावक सजग रहें
यूजीसी ने छात्रों और अभिभावकों से अपील की है कि वो किसी भी संस्थान में दाखिला लेने से पहले यूजीसी की वेबसाइट पर चेक कर लें की संस्थान मान्यता प्राप्त है या नहीं. साथ ही यूजीसी ने यह भी अपील की है कि अगर कोई संस्थान यूजीसी अधिनियम का उल्लंघन कर शैक्षणिक कार्यक्रम चला रहा है तो इसके बारे में यूजीसी को ईमेल पर अवगत कराया जा सकता है.
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सुरक्षा का सवाल
कनाडाई विश्वविद्यालयों का कहना है कि गतिरोध कम समय के लिए हो सकता है, लेकिन नए सेमेस्टर और छात्रों के भविष्य के बारे में सवाल बने हुए हैं. छात्र कनाडा में अपनी सुरक्षा के बारे में पूछ रहे हैं.
एसोसिएशन ऑफ कंसल्टेंट्स फॉर ओवरसीज स्टडीज के अध्यक्ष अशोक कुमार भाटिया ने कहा कि कई भारतीय छात्र बढ़े हुए राजनयिक तनाव की पृष्ठभूमि में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.
अब इन चिंताओं के जवाब में आईडीपी एजुकेशन जैसी कंसल्टेंसी छात्रों को वीडियो मैसेज भेजकर उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर रही हैं. कनाडा ने हाल के सालों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की आमद में मजबूत बढ़ोतरी देखी है. कनाडा का शिक्षा उद्योग अब ऑटो पार्ट्स, विमान के पुर्जे आदि जैसे निर्यात क्षेत्रों को पीछे छोड़ चुका है. पिछले हफ्ते कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को "बहुत आकर्षक संपत्ति" बताया था.
कनाडा में बसने का सपना
लेकिन भारत में परिवार और कनाडा जाकर पढ़ने की उम्मीद लगाए बैठे छात्र परेशान हैं, खासकर पंजाब में जहां के हर चौथे परिवार का एक सदस्य या तो कनाडा में पढ़ाई कर रहा है या फिर वहां जाकर पढ़ने की तैयारी में जुटा है.
पिछले साल अमृतसर से 5,000 छात्र कनाडा पढ़ने के लिए गए थे. टैक्सी ड्राइवर जीवन शर्मा इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या उनके बेटे के लिए हाल ही में बुक की गई कनाडा की फ्लाइट में सवार होना सही फैसला होगा.
उन्होंने कहा, "मैंने अपनी पूरी जिंदगी की जमापूंजी लगा दी है. मैंने 25 लाख रुपये अपने बेटे को भेजने के लिए बचाए हैं ताकि वह कनाडा पढ़ने के लिए जाए और वहीं बस जाए और हमारे बुढ़ापे का सहारा बन सके."
भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव में कमी के संकेत नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कनाडा भारत के साथ "निजी बातचीत" चाहता है. इससे पहले भारत ने कनाडा से कहा था कि वह भारत में अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला ले. भारत ने 10 अक्टूबर तक कनाडा को राजनयिकों की वापसी का समय दिया है.
अमृतसर में कॉमर्स के छात्र गुरबख्शीश सिंह ने कहा वह इस बात से निराश हैं कि छात्रों का स्वागत करने वाले कनाडा जैसे देश के साथ संबंध खराब खराब हो रहे हैं. उन्होंने कहा, "सरकार ने हमारा भविष्य खतरे में डाल दिया है."
एए/सीके (रॉयटर्स)
भारत-कनाडा विवाद: क्या क्या है दांव पर
कनाडा में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच गंभीर कूटनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. अगर विवाद और गहराया तो इसका असर दोनों देशों के रिश्तों के कई पहलुओं पर पड़ सकता है. आखिर क्या क्या है दांव पर?
तस्वीर: AFP
व्यापारिक रिश्तों पर असर
जून, 2023 में दोनों देशों ने कहा था कि एक महत्वपूर्ण व्यापार संधि पर इसी साल हस्ताक्षर हो जाएंगे. लेकिन सितंबर में कनाडा ने बताया कि उसने भारत के साथ इस प्रस्तावित संधि पर बातचीत को रोक दिया है. अनुमान लगाया जा रहा था कि इस संधि से दोनों देशों के बीच व्यापार में करीब 541 अरब रुपयों की बढ़ोतरी हो सकती थी.
तस्वीर: Paul Chiasson/ZUMA Press/IMAGO
किन चीजों का होता है व्यापार
दोनों देशों के बीच व्यापार में लगातार बढ़ोतरी की वजह से 2022 में दोनों देशों के बीच 666 अरब रुपयों का व्यापार हुआ. भारत ने करीब 333 अरब रुपयों का सामान कनाडा से आयात किया और उतने ही मूल्य का सामान कनाडा निर्यात किया.
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भारत में है कनाडा की दालों की मांग
भारत में कनाडा से आयातित दालों की मांग बढ़ती जा रही है. इसके अलावा भारत कनाडा से कोयला, खाद, न्यूजप्रिंट, कैमरे, हीरे आदि जैसे सामान भी आयात करता है. कनाडा भारत से दवाएं, कपड़े, गाड़ियों के पुर्जे, हवाई जहाज के उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसी चीजें आयात करता है.
तस्वीर: Olena Yeromenko/Zoonar/picture alliance
अरबों रुपयों का निवेश
कनाडा भारत का 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है. उसने पिछले 22 सालों में करीब 299 अरब रुपयों का भारत में निवेश किया है. इसके अलावा कनाडा के पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय स्टॉक और डेट बाजारों में अरबों रुपयों का निवेश किया है. कनाडा का पेंशन फंड भारत के रियल एस्टेट, रिन्यूएबल ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्रों में मार्च 2023 तक 1,248 अरब रुपयों का निवेश कर चुका है.
तस्वीर: Andrew Vaughan/The Canadian Press/picture alliance
कंपनियों को क्या फायदा हुआ है
बॉम्बार्डियर और एसएनसी लावलीन जैसी 600 से भी ज्यादा कनाडा की कंपनियों की भारत में मजबूत उपस्थिति है. भारत की तरफ से टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस जैसी कम से कम 30 कंपनियों ने कनाडा में अरबों रुपये लगाए हैं और हजारों नौकरियों को पैदा दिया है.
तस्वीर: Arnulf Hettrich/imago images
भारतीय छात्रों की पसंद
2018 में भारत कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा रहा. 2022 में तो उनकी संख्या में करीब 47 प्रतिशत का उछाल आया और यह संख्या 3,20,000 पर पहुंच गई. कनाडा में पढ़ रहे कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 40 प्रतिशत भारतीय छात्र हैं.
तस्वीर: NurPhoto/picture alliance
सिखों के लिए इस विवाद के क्या मायने हैं
कई समीक्षकों का कहना है कि दोनों देशों के रिश्ते खराब होने से पंजाब में रह रहे हजारों सिख परिवारों के आर्थिक हितों पर असर पड़ेगा, क्योंकि उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य कनाडा में रहता है और उन्हें हर साल वहां कमाए हुए डॉलरों का एक हिस्सा भेजता है. कनाडा में पिछले 20 सालों में सिखों की आबादी में दोगुने से भी ज्यादा बढ़ोतरी आई है और अब वह बढ़ कर देश की कुल आबादी का 2.1 प्रतिशत हो गई है. (रॉयटर्स)