यूरोप में जैसे जैसे जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है, महिलाओं के खिलाफ घातक हिंसा बढ़ रही है. महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वाले "नियंत्रण के नुकसान" का अनुभव कर रहे हैं.
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यूरोप से इन दिनों महिलाओं के खिलाफ हिंसा की कई रिपोर्ट आ रही हैं. पिछले दिनों फ्रांस में एक महिला को उसके पति ने जिंदा जला दिया, स्वीडन में वसंत ऋतु के तीन हफ्तों में पांच महिलाओं की हत्या कर दी गई. स्वीडन में समाचार चैनलों पर इन हत्याओं की ही चर्चाएं हो रही हैं.
कुछ यूरोपीय देशों में जहां 2021 के आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध हैं, आंकड़े निर्विवाद हैं. उदाहरण के लिए स्पेन में जहां कोरोना आपातकाल मई में हटा, वहां एक सप्ताह पहले के औसत की तुलना में हर तीन दिन में एक महिला की हत्या हुई है.
एनजीओ के आंकड़ों से पता चलता है कि बेल्जियम में अप्रैल के अंत तक 13 महिलाओं की हत्या हुई. वहीं पिछले पूरे साल में 24 महिलाओं की हत्या हुई थी. जबकि फ्रांस में पिछले साल 46 महिलाओं की हत्या हुई थी. इस साल अब तक 56 महिलाओं की हत्या हो चुकी है.
लैंगिक हिंसा के खिलाफ स्पेनिश सरकार की टास्क फोर्स की प्रमुख विक्टोरिया रोसेल कहती हैं, "महिलाओं को अधिक आजादी मिलने के साथ ही हमलावर को लगता है कि वो नियंत्रण खो रहा है और वो अधिक चरम हिंसा के साथ प्रतिक्रिया करता है."
रोसेल के मुताबिक, "हाल के महीनों में हमने हिंसा की बढ़ती संख्या देखी है, हमने देखा है कि कैसे प्रतिबंधों में ढील ने एक और अंतर्निहित महामारी को उजागर किया है, वह है पुरुष द्वारा हिंसा."
देखें:महिलाओं के प्रति अपराध में 7 प्रतिशत की वृद्धि
महिलाओं के प्रति अपराध में 7 प्रतिशत की वृद्धि
एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2019 में भारत में महिलाओं के प्रति अपराध 7.3 प्रतिशत बढ़ गए. करीब 31 प्रतिशत मामलों के लिए महिला के किसी ना किसी जानने वाले को ही जिम्मेदार पाया गया. और क्या कहते हैं आंकड़े?
तस्वीर: picture-alliance/AP/O. Anand
बिगड़ते हालात
2018 के मुकाबले 2019 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में बढ़ोतरी दर्ज की गई. 2018 में महिलाओं के खिलाफ हुए 3,78,236 अपराधों के मुकाबले 2019 में 4,05,861 अपराध दर्ज किए गए. प्रति एक लाख महिलाओं पर अपराध की दर 62.14 दर्ज की गई, जो 2018 में 58.8 प्रतिशत थी. सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए (59,853) और असम में प्रति एक लाख महिलाओं पर सबसे ज्यादा अपराध की दर दर्ज की गई (177.8).
तस्वीर: imago images/Pacific Press Agency
प्रतिदिन 87 बलात्कार
2019 में भारत में बलात्कार के कुल 31,755 मामले दर्ज किए गए, यानी औसतन प्रतिदिन 87 मामले. सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में दर्ज किए गए (5,997). उत्तर प्रदेश में 3,065 मामले और मध्य प्रदेश में 2,485 मामले दर्ज किए गए. प्रति एक लाख आबादी के हिसाब से बलात्कार के मामलों की दर में भी राजस्थान सबसे आगे है (15.9 प्रतिशत), लेकिन उसके बाद स्थान है केरल (11.1) और हरियाणा का (10.9).
तस्वीर: picture-alliance/Zuma/Masrat Zahra
परिचित था हमलावर
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 30.9 प्रतिशत मामलों के आरोपी पति या उसके रिश्तेदार जिम्मेदार पाए गए. कुल मामलों में 21.8 प्रतिशत मामले महिला की मर्यादा को भंग करने के इरादे से किए गए हमले के, 17.9 प्रतिशत अपहरण के और 7.9 प्रतिशत बलात्कार के थे.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP Photo/picture alliance
दहेज संबंधी अपराध भी जारी
आंकड़ों में स्पष्ट नजर आ रहा है कि देश में दहेज से संबंधित अपराध अभी भी हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश में दहेज की वजह से उत्पीड़न के कुल 2,410 मामले दर्ज किए गए और बिहार में 1,210.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Solanki
तेजाब से हमले
2019 में पूरे देश में कुल 150 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए, जिनमें से 42 उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए और 36 पश्चिम बंगाल में.
तस्वीर: IANS
दलित महिलाओं का बलात्कार
राजस्थान में सबसे ज्यादा दलित महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले दर्ज किए गए (554), लेकिन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी स्थिति ज्यादा अलग नहीं है. उत्तर प्रदेश में 537 मामले सामने आए और मध्य प्रदेश में 510. प्रति एक लाख आबादी पर दलित महिलाओं के साथ बलात्कार के मामलों की दर में 4.6 प्रतिशत के साथ केरल सबसे आगे है. उसके बाद 4.5 प्रतिशत के साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान का स्थान है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/O. Anand
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यूरोप में महिलाओं के खिलाफ हिंसा
2004 में स्पेन ने यूरोप के पहले कानून को मंजूरी दी जो विशेष रूप से घरेलू हिंसा पर नकेल कसता है, यह कानून लिंग-आधारित हिंसा की रोकथाम के लिए बनाया गया था. हालिया हिंसा ने देश के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज को भी चिंता में डाल दिया है. उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराध को हमेशा के लिए समाप्त करने की इच्छा दोहराई है.
पूरे यूरोप में लॉकडाउन ने घरेलू हिंसा के मामलों को उठाना कठिन बना दिया. महिलाओं को हिंसा के साथ घरों में रहने को मजबूर होना पड़ा और हिंसा करने वाला और पीड़ित एक छत के नीचे रहे.
समानता मंत्रालय के आंकड़े दिखाते हैं कि महामारी की शुरुआत में स्पेन के तीन महीने के लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन मदद या "साइलेंट" अपील के लिए 2019 की तुलना में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
रोसेल कहती हैं, "इससे पता चलता है कि कैसे महिलाएं घर से फोन भी नहीं कर पा रही थीं." इटली और जर्मनी में भी यही हाल है.
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घर में कैद और हिंसा की शिकार
महिलाओं को राहत पहुंचाने के लिए सरकारें भी अलग-अलग उपाय अपना रही हैं. जोखिम वाली महिलाओं को इटली ने मदद देने के लिए पुलिस की हॉटलाइन सेवा शुरू की है. महिला इस पर फोन पर कोड वर्ड "मैं एक मार्गरीटा पिज्जा ऑर्डर करना चाहती हूं" कहती है, जिसके बाद पुलिस उसके घर पर पहुंच जाती है और उसे मदद देती है.
स्पेन में महिला दवा की दुकान पर जाकर केमिस्ट से "पर्पल मास्क" मांग कर अपने साथ हो रही घरेलू हिंसा को लेकर अलर्ट कर सकती है. केमिस्ट इसके बाद अधिकारियों को सूचित कर देता है और पीड़ित को मदद मिल जाती है.
समाजशास्त्री कार्मेन रुईज रेपुलो के मुताबिक, "एक बार जब आपातकाल की स्थिति और लॉकडाउन समाप्त हो गया, तो कई पीड़ितों ने चीजों को अपने हाथों में ले लिया और साथ छोड़ने का फैसला किया. और उसी पल जोखिम बढ़ जाता है. तब आप हत्याओं की संख्या में उछाल देखते हैं."
एए/सीके (एएफपी)
रिश्ता बचाने को पहनी हथकड़ी
यूक्रेन के एलेग्जांद्र कुडले और उनकी पार्टनर विक्टोरिया पुस्तोवितोवा ने अपना रिश्ता बचाने के लिए अनूठी कोशिश की. उन्होंने अपना एक-एक हाथ हथकड़ी में बांध लिया.
तस्वीर: GLEB GARANICH/REUTERS
123 दिन
एलेग्जांद्र कुडले और विक्टोरिया पुस्तोवितोवा ने 123 दिन एक-दूसरे के साथ हथकड़ी में बिताए. पिछले हफ्ते कीव में यूक्रेनियन रिकॉर्ड बुक के एक अधिकारी ने उनकी हथकड़ी खोली.
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वैलन्टाइन डे से
दोनों ने यह हथकड़ी वैलन्टाइन डे पर पहनी थी. उनका कहना था कि बार-बार होने वाले ब्रेकअप से बचने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया था.
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दस्तावेज
ये दोनों यूक्रेन के पूर्वी शहर खारकिव के रहने वाले हैं. अपने इस प्रयोग को उन्होंने तस्वीरों के जरिए सोशल मीडिया पर लगातार शेयर किया. इस दौरान हर वक्त वे एक साथ रहे. इस जोड़ी ने अपनी तस्वीरें इंस्टाग्राम पर शेयर कीं, जहां अब उनके 7,800 से ज्यादा फॉलोअर्स हो गए हैं.
तस्वीर: GLEB GARANICH/REUTERS
कुछ तो याद आया
विक्टोरिया पुस्तोवितोवा एक ब्यूटिशियन हैं और इस प्रयोग ने उनके काम को काफी प्रभावित किया. विक्टोरिया पुस्तोवितोवा कहती हैं कि इस दौरान उन्होंने अपने निजी वक्त को बहुत याद किया. हालांकि उन्हें लगता है कि उनके बॉयफ्रेंड ने इस दौरान उन पर पूरा ध्यान नहीं दिया.
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पछतावा नहीं
कुडले कहते हैं कि उन्हें इस प्रयोग पर कोई पछतावा नहीं है. इससे उन्हें समझ आया कि वे दोनों एक जैसी सोच-समझ नहीं रखते. वह कहते हैं, “हम दोनों एकदम अलग-अलग इंसान हैं.”
तस्वीर: GLEB GARANICH/REUTERS
बिकेगी हथकड़ी
यह जोड़ी अपनी हथकड़ी को ऑनलाइन नीलाम करने के बारे में सोच रही है. जो पैसा आएगा, उसे दान कर दिया जाएगा.
तस्वीर: GLEB GARANICH/REUTERS
बन गया रिकॉर्ड
यूक्रेन की एक रिकॉर्ड बुक के मुताबिक इस तरह किसी जोड़े ने इतना वक्त कभी साथ नहीं बिताया है. 17 जून को यह हथकड़ी खोले जाने के वक्त यूक्रेन के कई न्यूज चैनल मौजूद थे.