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बांग्लादेश: भीषण गर्मी कैसे कर रही खेतों को तबाह

३१ मई २०२१

अप्रैल के महीने में गर्म हवाओं ने धान के खेतों को बुरी तरह से प्रभावित किया. किसानों ने कर्ज लेकर धान की खेती की थी, उपज की उम्मीद लगाए किसान अब नुकसान उठा रहे हैं. कर्ज में डूबे किसान इस बार बहुत चिंतित हैं.

तस्वीर: FARJANA K. GODHULY/AFP/Getty Images

बांग्लादेश के उत्तर-पूर्वी जिले में अपने धान के खेत में खड़े शफीक-उल-इस्लाम तालुकदार के पास मुट्ठी भर खाली डंठल हैं. वह भूसी भर है. अप्रैल के महीने में दो दिनों तक चली तेज गर्म हवाओं के कारण धान के खेत नष्ट हो गए. किशोरगंज के 45 साल के किसान तालुकदार कहते हैं कि उनका पूरा परिवार इसी फसल पर साल भर निर्भर रहता है. आंखों में आंसू के साथ वे कहते हैं, "मेरे बगल के खेत के साथ भी ऐसा ही हुआ. मेरे सपनों की फसल खत्म हो गई." रोते हुए तालुकदार कहते हैं, "मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि पूरे परिवार का साल भर कैसे पेट भरूं. मैंने अपनी बचत को खेत में निवेश किया और 12 एकड़ से अधिक पर धान की खेती की. अब यह सब खत्म हो गया है."

हीट स्ट्रेस (गर्मी से होने वाला तनाव) उच्च तापमान, कम बारिश और कम नमी के कारण होता है, इस वजह से बांग्लादेश में इस बार हजारों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई. जलवायु विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि इस तरह की घटनाओं से खाद्य आपूर्ति को खतरा हो सकता है. बांग्लादेश चावल अनुसंधान संस्थान (बीआरआरआई) के मुताबिक अप्रैल के शुरू में लगातार दो दिनों तक तापमान 36 डिग्री पर पहुंचने से कम से कम 36 जिले प्रभावित हुए. देश के मौसम विभाग के अनुसार बांग्लादेश में अप्रैल के लिए औसत अधिकतम तापमान लगभग 33 डिग्री सेल्सियस है. जबकि अन्य फसलें जो प्रभावित हुईं- उनमें मक्का, मूंगफली और केला शामिल हैं.

आंकड़ों के मुतााबिक 68,000 हेक्टेयर से अधिक चावल दो दिनों के भीतर में या तो आंशिक या पूरी तरह से नष्ट हो गए, जिससे तीन लाख किसान प्रभावित हुए और 3.3 अरब टका का नुकसान हुआ. बांग्लादेश पहले से ही तेजी से कठोर मौसम का सामना कर रहा है. देश सूखा, बाढ़ और तूफान समेत अन्य मौसमी झटके महसूस कर रहा है, लेकिन बीआरआरआई के 2012 में शुरू होने के बाद से रिकॉर्ड पर नजर डाली जाए तो अप्रैल का महीना सबसे विनाशकारी साबित हुआ.

कर्ज लेकर किसान खेती करते हैंतस्वीर: Imago Images/Xinhua/S. Sharma

राइस इंस्टीट्यूट के कीटविज्ञान विशेषज्ञ मोहम्मद नजमुल बारी कहते हैं, "बांग्लादेशी किसानों के लिए हीट स्ट्रेस एक बिल्कुल नई समस्या है." वे कहते हैं, "पहले (2012) में कोई उल्लेखनीय गर्मी का झटका नहीं था," उन्होंने बताया कि पहली दर्ज की गई घटना में केवल चार जिलों की फसल प्रभावित हुई थीं. उनके मुताबिक इस साल अप्रैल में अनुभव की गई गर्मी अब तक का सबसे खराब "गर्मी का हमला" था. बारी कहते हैं, "तापमान दिन-ब-दिन बढ़ रहा था, वहां बहुत बारिश नहीं थी, हवा में नमी बहुत कम थी. यह भीषण गर्मी के झटके का मुख्य कारण है."

खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा

बांग्लादेश के कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रुमीजुद्दीन कहते हैं फसलों पर गर्मी का दबाव सीधा जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है और खास तौर पर चावल के लिए उच्च तापमान खतरनाक है. बुजुर्ग किसान हिलाल मियां कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन के 60 सालों में इतनी गर्म हवा कभी महसूस नहीं की. बल्लभपुर गांव के रहने वाले हिलाल मियां की चार हेक्टेयर की फसल गर्म हवा के कारण जल गई.

वे कहते हैं, "मैंने धान की खेती के लिए पैसे उधार लिए हैं. मैं कैसे कर्ज को चुकाऊंगा? मैं अपनी पत्नी और बच्चों का कैसे पेट भरूंगा. मुझे अपनी आंखों के सामने अंधेरे के सिवा कुछ दिखाई नहीं देता." जलवायु विशेषज्ञों चेतावनी देते हैं कि अगर बांग्लादेश में इसी तरह से भीषण गर्मी आती रही तो देश को भोजन का संकट हो सकता है.  

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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