देश में मंदी हो तो सिनेमा का कारोबार क्यों बढ़ जाता है
१८ दिसम्बर २०१९
भारत में आर्थिक सुस्ती की वजह से लोग खर्च में कटौती कर रहे हैं, लोग अंडरवियर से लेकर गाड़ी तक की खरीदारी में हिचक रहे हैं. इसी दौर में सिनेमा का कारोबार खूब फलफूल रहा है.
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आर्थिक सुस्ती के बावजूद भारत में बॉलीवुड का कारोबार पहले से बेहतर हो रहा है. बॉलीवुड की फिल्मों के जरिए लोग रोज-रोज की कठिन स्थितियों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. अंकिता माणिक ने इस हफ्ते रिलीज हो रही सलमान खान की फिल्म 'दबंग 3' का टिकट एडवांस में खरीदा है.
बीते 12 महीनों में अंकिता को बहुत कुछ झेलना पड़ा है. कई महीने तक बेरोजगार रहने के बाद आखिर उन्हें अपने घर लौट जाना पड़ा. वहां इसी दौरान उनके पिता को सर्जरी की जरूरत पड़ गई. तब जैसे तैसे करके अंकिता ने उसके लिए पैसे का इंतजाम किया. इस पूरे दौर में उनके पास खुद को खुश रखने या फिर तकलीफों को भुलाए रखने का एकमात्र जरिया फिल्में ही थीं.
29 साल की अंकिता ने बताया कि वह पहले तो हर शुक्रवार की रात को फिल्म देखने जाया करती थीं. अंकिता फिलहाल वडोदरा में मार्केटिंग एक्जिक्यूटिव के तौर पर काम कर रही हैं, वह कहती हैं, "मौजूदा आर्थिक स्थिति बहुत ही निराशाजनक है. सिनेमा देखकर वास्तविकता से ध्यान हटाना अच्छा तरीका है." गुंडों की पिटाई करते और आइटम नंबरों पर ठुमकते सलमान खान या ऐसा ही कुछ करते दूसरे कलाकारों को देख अंकिता कुछ देर के लिए सब कुछ भूल जाती हैं.
यह कहानी सिर्फ अंकिता की नहीं है. भारत के मध्यम और निचले वर्ग के लोगों के लिए सिनेमा अपने आस पास की सच्चाइयों से कुछ पल के लिए दूर जाने का सबसे अच्छा माध्यम है.
भारत की आर्थिक विकास दर 6 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर 4.5 फीसदी रही जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में आर्थिक विकास दर 7 फीसदी थी. केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाने की कोशिशों में जुटी है लेकिन फिलहाल कुछ खास नतीजे सामने नहीं आए हैं.
बॉलीवुड की बल्ले बल्ले
हालांकि ऐसे हालात में भी सिनेमा का कारोबार तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. भारत में साल 2018 में 1800 फिल्में रिलीज हुई थीं. दुनिया की सबसे ज्यादा फिल्में बॉलीवुड में ही बनती हैं. नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा की बाजार में एंट्री के बावजूद बॉलीवुड का दर्शकों पर दबदबा कायम है.
मुंबई में फिल्म कारोबार के विश्लेषक गिरीश जोहर के मुताबिक, "साल 2019 में बॉलीवुड ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, इस साल की तीनों तिमाही में कारोबार अच्छा रहा, पिछले साल की तुलना में कारोबार में विकास 15 प्रतिशत रहा." इस दौरान भारतीय सिनेमा जगत ने करीब 43.5 करोड़ डॉलर की कमाई की.
बॉलीवुड की कमाई को आधार बना कर भारत के एक केंद्रीय मंत्री ने पिछले दिनों कहा था कि देश में मंदी कहां है, फिल्में करोड़ों कमा रही हैं. तमाम बहस के बीच यह बात स्पष्ट है कि भले ही जनता जरूरी चीजों की खरीदारी में कटौती कर रही हो लेकिन फिल्म टिकटों की बिक्री में वृद्धि हुई है. पीवीआर सिनेमा के सीईओ कमल ज्ञानचंदानी कहते हैं, "आर्थिक सुस्ती में फिल्म ही एक ऐसी चीज है जिसके जरिए लोग बिना अधिक खर्च किए मनोरंजन हासिल कर सकते हैं."
इसी तरह के हालात 2008 की आर्थिक मंदी के दौरान देखने को मिले थे, जब फिल्मों की कमाई बढ़ गई थी और देश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई थी. हालांकि फिल्मों की कमाई को मापने के लिए कोई एक सिंगल विंडो सिस्टम नहीं है क्योंकि बहुत सारे सिनेमाघर ऐसे हैं जो सीधे डिस्ट्रीब्यूटर से ही फिल्म खरीद लेते हैं.
दूसरे बाजारों के मुकाबले में भारत में सिनेमा के टिकट भी सस्ते हैं, हालांकि कुछ बेहद उन्नत मल्टीप्लेक्स भी हैं जहां टिकटों की कीमत बहुत अधिक हैं. कई बार मुनाफा घटा कर भी सिनेमाघर बॉलीवुड के दीवानों को फिल्म देखने का मौका दे देते हैं.
ग्राफिक डिजाइनर श्रुति कुलकर्णी के लिए फिल्म छोटे घर और तनाव से आजादी का जरिया है. उनका कहना है मोबाइल या लैपटॉप पर फिल्म डाउनलोड करने का मजा सिनेमाघर जैसा नहीं है. श्रुति कहती हैं, "थिएटर में फिल्म देखने का मजा ही अलग है, आप होते तो अकेले ही हैं लेकिन कई अनजान लोग आपके आस पास होते हैं, लेकिन सब एक जैसा ही अनुभव साझा करते हैं." महज 75 रुपये खर्च कर तीन घंटे के लिए सब कुछ भूल एक दूसरी दुनिया में खो जाना बहुतों के लिए महंगा सौदा नहीं है.
एए/एनआर (एएफपी)
बॉलीवुड का सबसे महान गाना कौन सा है?
हिंदी सिनेमा में गीतों की समृद्ध परंपरा को देखते हुए किसी एक गाने को सबसे महान कहना जरा मुश्किल है. लेकिन जब हमने अपने पाठकों से इस बारे में पूछा तो देखिए हमें क्या क्या जवाब मिले.
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जब प्यार किया तो डरना क्या.. (मुगले आजम, 1960)
मुगले आजम भारतीय सिनेमा में मील के पत्थर की हैसियत रखती है. आज भी न सिर्फ यह गीत बड़े चाव से सुना जाता है, बल्कि इश्क-मोहब्बत के जिक्र पर जुमले के तौर पर इसका इस्तेमाल होता है.
तीसरी कसम फिल्म का यह गीत जीवन के दर्शन को बेहद सादे और प्रभावी तरीके से सामने रखता है. पर्दे पर राज कपूर और वहीदा रहमान के अभिनय और मुकेश की आवाज ने गजब का जादू बिखेरा.
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जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया.. (सिकंदर ए आजम, 1965)
1965 में बनी फिल्म सिकंदर ए आजम का यह गीत सबसे लोकप्रिय देशभक्ति गीतों में शुमार किया जाता है. स्कूल-कॉलेज के कार्यक्रमों से लेकर शादियों में आज तक यह गीत सुनाई देता है.
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ये देश है वीर जवानों का.. नया दौर (1957)
पर्दे पर दिलीप कुमार और अजीत ने देशभक्ति के इस गीत को अमर बना दिया. मोहम्मद रफी के अलावा इस गीत में दूसरी आवाज बलबीर की है. साहिर लुधयानवी के इस गीत को ओपी नैय्यर ने अपने खनकते संगीत से सजाया.
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ऐसे मेरे वतन के लोगों...
देशभक्ति का यह गीत किसी फिल्म का हिस्सा नहीं है. बताते हैं कि 1962 की भारत-चीन लड़ाई में मारे गये भारतीय सैनिकों को समर्पित इस गीत को सुनने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आंखें नम हो गयी थीं.
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कर चले हम फिदा जानो तन साथियो.. (हकीकत, 1964)
भारत-चीन की जंग पर बनी फिल्म हकीकत का यह गीत युद्धभूमि के विकट हालात और सैनिकों के जीवट को पेश करता है. कैफी आजमी का लिखा और मदन मोहन के संगीत से सजा यह गीत आज भी बहुत लोकप्रिय है.
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मेरे देश धरती, सोना उगले उगले.. (उपकार, 1967)
देशभक्ति गीतों का जिक्र इस गीत के बिना पूरा नहीं हो सकता. उपकार न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट रही, बल्कि इसने मनोज कुमार को नया नाम दिया- मिस्टर भारत. इसके बाद उन्होंने कई देशभक्ति फिल्में बनायीं.
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मेरे ख्वाबों में जो आए.. (दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे, 1995)
आदित्य चोपड़ा की इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा में सफलता के नये कीर्तिमान बनाये. फिल्म में शाहरुख काजोल की जोड़ी दर्शकों को बेहद पसंद आयी. इसके गानों ने भी खूब धूम मचायी.
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संदेसे आते हैं.. (बॉर्डर, 1997)
जेपी दत्ता के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लोंगेवाला में हुई लड़ाई को पर्दे पर उतारा गया. फिल्म के साथ साथ इसका गीत 'संदेसे आते हैं ' बहुत लोकप्रिय हुआ, जिसमें मोर्चे पर तैनात सैनिक घर से आयी चिट्ठियों को बयान करते हैं.
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बाबुल की दुआएं लेती जा.. (नीलकमल, 1968)
शादी के बाद अपनी बेटी को विदा करते पिता के भावों से लबरेज इस गीत को हिंदी सिनेमा के सबसे भावुक गीतों में एक माना जा सकता है. मोहम्मद रफी की आवाज के भावों को पर पर्दे पर बलराज साहनी ने क्या खूबी से पेश किया है.
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कहीं दूर जब दिन ढल जाए.. (आनंद 1971)
आनंद फिल्म का यह गीत आज भी जब बजता है, तो ठहर कर सुनने को मन करता है. कैंसर से पीड़ित जो नायक सबके साथ हंसता गाता है, उसकी तन्हाई और जज्बात को बड़ी खूबसूरती से यह गीत बयान करता है. यह तस्वीर 2012 में राजेश खन्ना की अंतिम यात्रा की है.
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आने वाला पल जाने वाला है.. (गोलमाल, 1979)
गोलमाल फिल्म अपनी कॉमेडी के लिए जितनी जानी जाती है, उतना ही मशहूर इसका यह गीत भी है. किशोर कुमार की हर दिल अजीज अवाज ने इस रोमांटिक गाने को अमर कर दिया. फिल्म में अमोल पालेकर ने बहुत सहज अभिनय किया.
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रमैया वस्ता वइया.. (श्री 420, 1955)
राज कपूर की इस फिल्म का गाना मेरा जूता है जापानी.. बहुत मशहूर है, लेकिन रमैया वस्ता वइया फिर भी बहुत सारे लोगों को पंसद है.
हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक.. (बहु बेगम, 1966)
मुस्लिम सामाजिक पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में प्रदीप कुमार, मीना कुमारी और अशोक कुमार ने काम किया. इस फिल्म के 'हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक' गीत को हिंदी सिनेमा के क्लासिक गीतों में से एक माना जाता है.
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कस्मे वादा प्यार वफा सब.. (उपकार, 1967)
मन्ना डे के गाये इस गीत को सहाबहार अभिनेता प्राण पर फिल्माया गया. रिश्तों और नातों की कई तल्ख हकीकतों को बयान करने वाले इस गीत को इंदीवर ने लिखा था. 2010 की इस तस्वीर में प्राण देवानंद और मनोज कुमार के साथ दिख रहे हैं.
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औलाद वालों फूलो फलो.. (एक फूल दो माली, 1969)
बॉक्स ऑफिस पर बेहद हिट रही एक फूल दो माली हॉलीवुड की क्लासिक फिल्म 'फैनी' (1961) का रिमेक थी. रवि के संगीत से सजे फिल्म सभी गीत भी बहुत लोकप्रिय हुए.
हां जी, सब गोलमाल है. गोलमाल न सिर्फ अपने जमाने में बेहद कामयाब रही, बल्कि अब तो बॉलीवुड में इस नाम से कई और फिल्में बन गयी हैं और अजय देवगन ने इनमें मुख्य भूमिका निभाई है.
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चिठ्ठी न कोई सन्देश.. (दुश्मन 1998)
जगजीत सिंह की आवाज में यह गीत अपनों से बिछुड़ने के दर्द को बयान करता है. 1998 में आयी फिल्म दुश्मन में न सिर्फ नायिका काजोल ने बल्कि खलनायक के रूप में आशुतोष राणा ने भी कमाल का अभिनय किया.
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गली में आज चांद निकला.. (जख्म, 1998)
अल्का याज्ञनिक की आवाज में यह गीत आज भी बेहद पसंद किया जाता है. मुंबई दंगों की पृष्ठभूमि में इस फिल्म की कहानी में बच्चे को लेकर पति और पत्नी के द्वंद्व दिखाया गया है.
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आ ले के चलूं तुझे.. (दूर गगन की छांव में, 1964)
किशोर कुमार के गाये इस गीत को उन्हीं पर फिल्माया भी गया है. इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक भी किशोर कुमार ही थे. यही नहीं, इस फिल्म में बाल कलाकार के रूप किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार ने भी काम किया.
तस्वीर: Pierre Adenis, Deutschland, Edition Lammerhuber (Ausschnitt)
तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं.. (आंधी, 1975)
संजीव कुमार और सुचित्रा सेन स्टारर आंधी फिल्म को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जिंदगी से प्रेरित बताया गया. हालांकि इसके पटकथा लेखक गुलजार इससे इनकार करते हैं. बहरहाल, इसका यह गीत आज भी बहुत सुना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/KPA
तुम आ गये हो तो तू नूर आ गया है (आंधी, 1975)
आंधी का यह गीत भी बहुत लोकप्रिय है. संजीव कुमार और सुचित्रा सेन पर फिल्माए गये इस गीत को हिंदी सिनेमा के सबसे रोमांटिक नगमों में से एक माना जाता है.
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जिंदा रहने के लिए तेरी कसम.. (सिर्फ तुम, 1999)
अमीन साबरी, फरीद साबरी और जसपिंदर नरुला की आवाज में यह गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था. 1999 में आयी संजय कपूर स्टारर सिर्फ तुम बॉक्स ऑफिस पर खासी सफल रही.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STRDEL
भीगे होंठ तेरे प्यार दिल मेरा.. (मर्डर, 2004)
कुणाल गांजावाला की आवाज में इस मादक गीत को खूब पसंद किया. इस गीत को 'सीरियल किसर' कहे जाने वाले इमरान हाश्मी और मल्लिका सहरावत पर फिल्माया गया.
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पब्लिक है सब जानती है.. (रोटी, 1974)
राजेश खन्ना ने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं जिससे उन्हें हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का दर्जा मिला. उनकी फिल्म रोटी भी बहुत कामयाब रही. इसका यह गाना पब्लिक है सब जानती है.. एक जुमला बन गया है.