प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में होने वाले जी20 सम्मेलन से ठीक पहले आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में शामिल होने जकार्ता में हैं.
विज्ञापन
20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद मोदी भारत लौट आएंगे, जहां वह शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे.
जकार्ता में मोदी इन दोनों शिखर वार्ताओं में शामिल होने के अलावा कोई और द्विपक्षीय वार्ता नहीं करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को जकार्ता में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान और भारत के बीच शिखर सम्मेलन में भाग लिया. मोदी गुरुवार को ही पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में भी शामिल होंगे और आज ही वह देश लौट आएंगे.
भारत 9 और 10 सितंबर को जी20 की मेजबानी कर रहा है और विदेशी नेताओं और प्रतिनिधि मंडलों का दिल्ली पहुंचना जारी है.
जकार्ता में मोदी ने आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आसियान भारत की एक्ट-ईस्ट पॉलिसी का केंद्रीय स्तंभ है और इसका भारत की हिंद-प्रशांत नीति में महत्वपूर्ण स्थान है.
मोदी ने कहा, "हमारा इतिहास और भूगोल भारत-आसियान को एकजुट करता है. इसके साथ ही, हमारे साझा मूल्य, क्षेत्रीय एकीकरण और शांति, समृद्धि और बहुध्रुवीय दुनिया में हमारा साझा विश्वास भी हमें एकजुट करता है."
मोदी ने एक बार फिर ग्लोबल साउथ की आवाज को बढ़ाने का आह्वान किया और साथ ही कोविड-19 महामारी के बाद नियम-आधारित विश्व व्यवस्था बनाने की आवाज को मजबूत करने का आग्रह किया. मोदी ने कहा कि पिछले साल भारत-आसियान साझेदारी दिवस मनाया गया था और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण साझेदारी को एक नयी शुरुआत दी गई.
भारत और आसियान साझेदारी के चार दशक
मोदी ने कहा कि भारत और आसियान साझेदारी अपने चार दशक पूरे कर चुकी है. उन्होंने कहा कि सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करना उनके लिए सम्मान की बात है.
आसियान की स्थापना 1960 के दशक में हुई थी, जब शीत युद्ध चरम पर था. यह समूह राजनीतिक रूप से विविध है. साथ ही यह एकता और सदस्यों के आंतरिक मामलों में अ-हस्तक्षेप को प्राथमिकता देता है.
आलोचकों का कहना है कि जहां म्यांमार जैसे साथी सदस्यों के मुद्दों की बात आती है, वहां कार्रवाई का दायरा सीमित है. म्यांमार में 2021 में तख्तापलट के बाद सेना ने सत्ता पर कब्जा किया जिसके दो साल बाद वहां हिंसा भड़कती रहती है.
वहीं पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आसियान केंद्रित तंत्र का एक मुख्य सम्मेलन है. 2005 में इसकी शुरुआत होने के बाद से इस सम्मेलन ने क्षेत्र के लिए रणनीतिक महत्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए मंच उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
किन देशों ने बदले अपने नाम
भारत में देश के दो आधिकारिक नामों में से एक 'इंडिया' को हटाने पर चर्चा चल रही है. अगर ऐसा होता है तो भारत अपना नाम बदलने वाले चंद देशों की सूची में शामिल हो जाएगा. कौन से हैं वो देश जिन्होंने अपने नाम बदल लिए?
तस्वीर: Michael M. Santiago/Getty Images
तुर्किये
2021 में तुर्की ने अपना नाम बदल कर तुर्किये रखने का फैसला कर लिया. फरवरी 2022 में संयुक्त राष्ट्र ने इसकी घोषणा की. नाम बदलने का फैसला लेने वाले देश के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान के मुताबिक तुर्किये नाम ही देश के लोगों की "संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों की सबसे अच्छी अभिव्यक्ति" करता है.
तस्वीर: Mustafa Kamaci/AA/picture alliance
द नेदरलैंड्स
द नेदरलैंड्स को हॉलैंड के नाम से भी जाना जाता रहा है. डच सरकार ने 2020 में घोषणा की कि अब से सिर्फ नेदरलैंड्स का ही इस्तेमाल किया जाएगा. माना जाता है कि यह कदम देश की छवि को बदलने के लिए उठाया गया, क्योंकि सरकार को लगता था कि दुनियाभर के लोग देश को सिर्फ एम्स्टर्डम में होने वाले रिक्रिएशनल ड्रग्स और सेक्स वर्क के लिए ही जानते हैं. एम्स्टर्डम जिस प्रांत में स्थित है उसे नार्थ हॉलैंड कहते हैं.
तस्वीर: Andreas Kirchhoff/DW
नार्थ मैसिडोनिया
2019 में रिपब्लिक ऑफ मैसिडोनिया की सरकार ने देश का नाम बदल कर रिपब्लिक ऑफ नार्थ मैसिडोनिया कर दिया. नाटो और यूरोपीय संघ में शामिल होने की इक्षा रखने वाला मैसिडोनिया ग्रीस से अपने रिश्ते सुधारना चाहता था. ग्रीस में मैसिडोनिया नाम का प्रांत भी है और मैसिडोनिया एक प्राचीन ग्रीक साम्राज्य का भी नाम था.
तस्वीर: Furkan Abdula/AA/picture alliance
इस्वातिनी
2018 में स्वाजीलैंड के राजा ने देश का नाम बदल कर इस्वातिनी रख दिया. औपनिवेशिक काल से पहले देश का यही नाम हुआ करता था. कहा जाता है कि राजा इस बात से भी नाखुश थे कि कुछ लोग स्वाजीलैंड और स्विट्जरलैंड के बीच में कंफ्यूज हो जाते हैं.
तस्वीर: Dmitry Feoktistov/TASS/picture alliance
चेकिया
2016 में चेक रिपब्लिक की सरकार ने देश का नाम बदल कर चेकिया कर दिया था. कारण बताया गया कि जैसे फ्रांस का आधिकारिक नाम द फ्रेंच रिपब्लिक है, वैसे ही चेक रिपब्लिक का भी छोटा नाम ज्यादा लोकप्रिय होगा. हालांकि यह नाम ज्यादा चलन में आ नहीं पाया है. 2020 में देश के प्रधानमंत्री आंद्रे बाबिस ने कहा था कि उन्हें चेकिया नाम बिल्कुल पसंद नहीं है.
2013 में अटलांटिक महासागर में स्थित द्वीप राष्ट्र केप वेर्दे की सरकार ने देश का नाम बदल कर काबो वेर्दे कर दिया था. यह पुर्तगाली शब्द है जिसे आंशिक रूप से अंग्रेजी में रूपांतरित कर केप वेर्दे कर दिया गया था.
तस्वीर: Henning Goll
श्रीलंका
श्रीलंका को ब्रिटिश राज के समय सीलोन के नाम से जाना जाता था. 1972 में अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद ही आधिकारिक रूप से देश का नाम बदल कर श्रीलंका कर दिया था. लेकिन 2011 में पुराने नाम को सरकारी इस्तेमाल से पूरी तरह हटाया गया.
1989 में बर्मा की सैन्य सरकार ने देश का नाम बदल कर म्यांमार कर दिया था, लेकिन आज भी पूरी दुनिया में इस नए नाम को स्वीकार नहीं किया गया है. संयुक्त राष्ट्र म्यांमार को स्वीकार कर चुका है, लेकिन अमेरिका आज भी बर्मा नाम का ही इस्तेमाल कर सकता है.
तस्वीर: Peter Schickert/picture alliance
तिमोर लेस्ते
तिमोर लेस्ते दक्षिणपूर्वी एशिया में स्थित है जो कभी इंडोनेशिया के अधीन था. पहले इसे ईस्ट तिमोर के नाम से जाना जाता था लेकिन 2002 में इंडोनेशिया से आजादी पाने के बाद देश का नाम तिमोर लेस्ते कर दिया गया.
तस्वीर: UNTV/AP/picture alliance
कांगो डीआरसी
अफ्रीकी देश कांगो डीआरसी को 1971 से 1997 तक जाएर के नाम से जाना जाता था. इस दौरान सैन्य तानाशाह मोबुतु ने सत्ता हासिल कर देश का नाम बदल कर जाएर कर दिया था. लेकिन 1997 में मोबुतु के देश छोड़ कर भाग जाने के बाद फिर से कांगो डीआरसी नाम अपना लिया गया.
तस्वीर: Arlette Bashizi /REUTERS
ईरान
ईरान मूल और काफी पुराना नाम माना जाता है लेकिन पश्चिम के देश ईरान को पर्शिया के नाम से जानते थे. 1935 में पहली बार ईरान के राजा रजा शाह ने दुनिया के दूसरे देशों से कहा कि वो ईरान नाम का ही इस्तेमाल करें. तब से आधिकारिक रूप से देश का नाम ईरान ही है.
तस्वीर: Iranian Supreme Leader's Office via ZUMA Press Wire/picture-alliance
थाईलैंड
थाईलैंड को ऐतिहासिक रूप से सियाम के नाम से जाना जाता था, लेकिन 1939 में आधिकारिक रूप से देश का नाम बदल कर थाईलैंड कर दिया गया.
तस्वीर: Lillian Suwanrumpha/AFP
जॉर्डन
जॉर्डन देश को जॉर्डन नदी के ही नाम से जाना जाता है. ऐतिहासिक रूप से इसे ट्रांसजोर्डन कहा जाता था, यानी जॉर्डन नदी के पार का इलाका.
तस्वीर: Nataliya Nazarova/Zoonar/picture alliance
घाना
आज का अफ्रीकी देश घाना कभी एक पूरा प्रांत हुआ करता था जिसे गोल्ड कोस्ट के नाम से जाना जाता था. 1957 में कई इलाकों को मिला कर घाना नाम दे दिया गया.
तस्वीर: Ben Pipe/robertharding/picture alliance
बोत्सवाना
अफ्रीकी देश बोत्सवाना को पहले बेचुआनालैंड के नाम से जाना जाता था. 1885 में ब्रिटेन ने दक्षिणी अफ्रीका में बेशुआनालैंड प्रोटेक्टरेट की स्थापना की थी. 1966 में आजादी मिलने के बाद देश का नाम बोत्सवाना रख दिया गया.