1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

लुप्तप्राय जीवों को बचाने की मुहिम

२१ फ़रवरी २०२०

गांधीनगर में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पीशीज (सीएमएस) का सम्मेलन चल रहा है और यह 22 फरवरी तक चलेगा. प्रवासी प्रजाति के जीवों के संरक्षण का यह 13वां सम्मेलन है.

Artenschutzabkommen Elefanten im Zoo
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Schwarz

संयुक्त राष्ट्र के 'प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण' पर हो रहे 13वें सम्मेलन में संकल्प लिया गया है कि एशियाई हाथी, जैगुआर, व्हाइट टिप शार्क और कई तरह के पक्षियों को लुप्तप्राय प्रवासी प्रजाति को कन्वेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पीशीज (सीएमएस) की श्रेणी में शामिल किया जाएगा. लुप्त होने की कगार पर खड़े जीवों की ये प्रवासी प्रजातियां संधि के परिशिष्ट एक में शामिल हैं और इन्हें बचाने के लिए संधि सख्त सुरक्षा प्रदान करता है.

अधिवेशन में शनिवार को इस मुद्दे पर मतदान होना है और उम्मीद है कि यह प्रस्ताव पारित हो जाएगा. प्रस्ताव पास हो जाने के बाद सीएमएस पर हस्ताक्षर करने वाले देशों को इन जानवरों की हत्या से बचाना होगा. कई और प्रजातियों के जीवों के भी परिशिष्ट दो में शामिल किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है जिसके बाद देशों को प्रजातियों की सुरक्षा के लिए और अधिक सहयोग करना होगा.

संरक्षणवादियों का कहना है कि सीएमएस की सूची वाले जीवों की घटती आबादी के लिए इंसान के हाथों शिकार या फिर प्राकृतिक आवास को नष्ट किया जाना जिम्मेदार है. यूएन के एक शोध का अनुमान है कि आने वाले दशकों में जानवरों और पौधों की लाखों प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी. एशियाई हाथी अपने दांतों की वजह से शिकारियों के निशाने पर हैं. पशु कल्याण विशेषज्ञ राल्फ सोनटाग का कहना है कि जैगुआर पिछले एक सदी में अपने आवास का 40 फीसदी हिस्सा खो चुके हैं वहीं समुद्री व्हाइट टिप शार्क भी शिकार की वजह से लुप्तप्राय शार्क बन गए हैं. इनके पंख का सूप एशिया में खूब पसंद किया जाता है. 

एए/एनआर (डीपीए)

_________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें