कोरोना वायरस के चलते मुसलमान पाक महीने रमजान में इबादत के लिए मस्जिद नहीं जा पा रहे हैं. वे घरों में ही रमजान की इबादतें कर रहे हैं. मुसलमानों के लिए शायद ही ऐसा रमजान कभी आया हो.
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एशिया के मुसलमानों के लिए इससे पहले ऐसा रमजान नहीं आया होगा. पहले जहां मस्जिदें भरी होती थीं वही अब खाली पड़ी हुई हैं. कुछ जगहों पर मस्जिदों में ताला लगा दिया गया है ताकि सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों का सख्ती से पालन हो सके. इंडोनेशिया की मुख्य और दक्षिणपू्र्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद इश्तिकलाल में मगरिब की अजान के साथ ही लोगों से घरों में ही नमाज पढ़ने की अपील खाली मस्जिद से सुनाई पड़ती है. पिछले साल इसी मस्जिद का नजारा कुछ और था, हजारों की संख्या में नमाजी नमाज के लिए इकट्ठा होते थे. सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में अब तक 8,882 कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 743 लोगों की इस वायरस से मौत हो चुकी है.
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में 'मेयर मोहम्मद हनीफ जामा मस्जिद' के दरवाजे बंद हैं और ताला लगा दिया गया है. पाकिस्तान के शहर कराची में पुलिस 'फैजान-ए-मदीना' के बाहर गश्त लगा रही है. यह शहर की सबसे बड़ी मस्जिद है. तरावीह के दौरान लोगों को मस्जिद में दाखिल होने से रोकने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. रमजान के महीने में पांच वक्त की नमाजों के अलावा तरावीह की नमाज भी होती है, ऐसे में पुलिस लोगों को रोक रही है. पाकिस्तान में कोविड-19 के 11,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं जबकि 237 लोगों की मौत हो चुकी है.
दिल्ली की जामा मस्जिद में रमजान के पहले दिन सिर्फ पांच ही लोग नमाज के लिए जुटे. पिछले साल यहां रमजान के समय में रात से लेकर सेहरी तक सड़कें गुलजार रहती थीं और दुकानें खुली रहती थी. जामा मस्जिद में इफ्तार के लिए लोग आस-पास के इलाकों से आते थे और मस्जिद परिसर में सूरज ढलने के बाद अपना रोजा खोलते थे. जामा मस्जिद के शाही इमाम भी लोगों से सरकार के दिशा-निर्देशों को पालन करने को कह चुके हैं. साथ ही उन्होंने लोगों से घर पर रहकर नमाज और इफ्तार करने की अपील की है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तेजी से फैलता कोरोना वायरस दक्षिण एशिया के गरीब, घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ा सकता है.
अमेरिका में कोरोना वायरस का पहला मामला जनवरी के आखिरी दिनों में सामने आया. लेकिन अब वहां इस वायरस से संक्रमण के केसों की तादाद छह लाख की तरफ बढ़ रही है. आखिर ऐसा हुआ कैसे?
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गंभीर स्थिति
अमेरिका में कोरोना विस्फोट की कई वजहें हैं, हालांकि कई जानकार आशंका जता रहे हैं कि सबसे बदतर स्थिति अभी आनी बाकी है. इस वक्त अमेरिका में इस वायरस के सबसे ज्यादा मामले हैं.
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ट्रंप की चूक
जब अमेरिका में वायरस फैलना शुरू हुआ तो राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर इसे गंभीरता से ना लेने के आरोप लगे. उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि ये वायरस ज्यादा लोगों में फैले.
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सुस्त टेस्टिंग
अमेरिका में सबसे पहले कोविड19 बीमारी पश्चिमी तट पर स्थित वॉशिंगटन और कैलीफोर्निया जैसे राज्यों में शुरू हुई. टेस्टिंग की रफ्तार धीमी होने की वजह से सभी संक्रमित लोगों का पता लगाने में देरी हुई.
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सुस्त टेस्टिंग
अमेरिका में सबसे पहले कोविड19 बीमारी पश्चिमी तट पर स्थित वॉशिंगटन और कैलीफोर्निया जैसे राज्यों में शुरू हुई. टेस्टिंग की रफ्तार धीमी होने की वजह से सभी संक्रमित लोगों का पता लगाने में देरी हुई.
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कानूनी अड़चनें
सरकार ने शुरू में नियामक अड़चनों में ढील देने से इनकार कर दिया. इसके चलते अमेरिकी राज्य और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों के मुताबिक अपनी खुद की टेस्टिंग किट तैयार नहीं कर पाए.
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खराब किटें
सभी शुरुआत सैंपलों को टेस्ट के लिए अटलांटा के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) में भेजा गया. बाद में सीडीसी की तरफ से राज्यों को जो टेस्ट किट भेजी गईं, वे भी खराब थी. इससे टेस्टिंग में और विलंब हुआ.
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ढीला रवैया
अमेरिका में पहला मामले सामने आने के एक महीने बाद 29 फरवरी को वहां इस वायरस से पहली मौत हुई. तब कहीं जाकर अमेरिकी सरकार ने प्रतिबंध हटाया और प्राइवेट सेक्टर इस मामले में सक्रिय हो सका.
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देरी ने की गड़बड़
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में इमरजेंसी मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ गेबोर केलेन कहते हैं, "अगर हम जल्दी ज्यादा से ज्यादा मामलों का पता लगा लेते तो वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित जगहों को बंद कर सकते थे."
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बचाव
अमेरिकी अधिकारी अपने रुख का बचाव करते हैं. वह बार बार कह रहे हैं कि दक्षिण कोरिया में टेस्ट के जिस तरीके को शुरू में सबसे प्रभावी बताया गया, उससे कभी कभी गलत नतीजे भी सामने आए. रिपोर्ट: एके/एनआर (एएएफपी)