पचास साल बाद असम-मेघालय सीमा विवाद सुलझने की उम्मीद
प्रभाकर मणि तिवारी
२४ दिसम्बर २०२१
असम और पड़ोसी मेघालय के बीच बीते पांच दशकों से जारी सीमा विवाद के अब सुलझने की उम्मीद है. दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने तो यही दावा किया है.
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असम की राजधानी गुवाहाटी में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मेघालय के अपने समकक्ष कोनराड संगमा से बातचीत के बाद दावा किया कि जिन 12 इलाकों को लेकर विवाद है उनमें से छह को 15 जनवरी तक सुलझा लिया जाएगा. मेघालय के मुख्यमंत्री ने भी यही दावा किया है. दो महीने में इस मुद्दे पर दोनों राज्यों के बीच मुख्यमंत्री स्तर की यह दूसरी बैठक थी.
अगले साल ही मेघालय के गठन को 50 साल पूरे हो रहे हैं. दोनों राज्य सरकारों ने इस साल अगस्त में अंतरराज्यीय सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कुछ क्षेत्रीय समितियों का गठन किया था. उनमें से दो ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. संगमा ने बताया कि बाकी समितियां भी दिसंबर के आखिर तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. उसके बाद 15 जनवरी तक कम से कम छह विवादित इलाकों पर समझौता हो जाएगा.
मुख्यमंत्रियों की बैठक
गुवाहाटी में आयोजित बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच 15 जनवरी तक 12 विवादित इलाकों में से कम से कम छह पर समझौता करने पर सहमति बनी है. मेघालय के उप-मुख्यमंत्री प्रेस्टोन टेनसांग बताते हैं, "दोनों राज्यों की ओर से गठित तमाम क्षेत्रीय समितियां 31 दिसंबर तक संबंधित मुख्यमंत्रियों को अपनी रिपोर्ट सौंप देंगी. उसके बाद दोनों मुख्यमंत्रियों की फिर से बैठक होगी. हमें उम्मीद है कि 15 जनवरी तक कम से कम छह विवादित इलाकों पर समझौता हो जाएगा.”
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है, "हम अपने पड़ोसियों के साथ पुराने सीमा विवाद सुलझाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. इसी के तहत मेघालय के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अहम बैठक आयोजित की गई.” उनके मुताबिक, पहले उन छह स्थानों को चुना गया है जहां जटिलताएं सबसे कम हैं. पहले चरण में जिन छह स्थानों पर समझौते को अंतिम रूप दिया जाएगा उनमें ताराबाड़ी, गिजांग, फाहला, बाकलापाड़ा, खानापाड़ा और रात छेरा शामिल हैं. हिमंत ने भरोसा जताया कि मेघालय के अलावा दूसरे राज्यों के साथ असम के लंबे सीमा विवाद को भी शीघ्र सुलझा लिया जाएगा.
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा बताते हैं, "हमारी बातचीत काफी सकारात्मक रही है और सीमा विवाद का शीघ्र समाधान होने की उम्मीद है.” सीमा विवाद के निपटारे के लिए अगस्त में असम और मेघालय ने दोनों राज्यों के मंत्रियों और अधिकारियों के नेतृत्व में विभिन्न क्षेत्रीय समितियों का गठन किया था. इन समितियों को पांच बिंदुओं के तहत पड़ताल करनी थी. वह हैं, ऐतिहासिक तथ्य, जातीयता, प्रशासनिक सुविधा, भूमि की निकटता, इच्छा और लोगों की भावनाएं.
असम का मेघालय के अलावा नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के साथ भी लंबे अरसे से सीमा विवाद है. नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के साथ सीमा विवाद के मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो से सीमा विवाद पर बातचीत के लिए शीघ्र दिल्ली जाने वाले हैं.
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गठन के समय से ही विवाद
असम के साथ मेघालय का सीमा विवाद वर्ष 1972 में इस राज्य के गठन जितना ही पुराना है. मेघालय कम से कम 12 इलाकों पर अपना दावा ठोकता रहा है. वह इलाके फिलहाल असम के कब्जे में हैं. दोनों राज्यों ने एक नीति अपना रखी है, जिसके तहत कोई भी राज्य दूसरे राज्य को बताए बिना विवादित इलाकों में विकास योजनाएं शुरू नहीं कर सकता. यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब मेघालय ने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी. उक्त अधिनियम के तहत असम को जो इलाके दिए गए थे उसे मेघालय ने खासी और जयंतिया पहाड़ियों का हिस्सा होने का दावा किया था. सीमा पर दोनों पक्षों के बीच अक्सर झड़पें होती रही हैं. नतीजतन दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों के विस्थापन के साथ ही जान-माल का भी नुकसान हुआ है.
एक साथ कई कूटनीतिक विवादों में फंसा है चीन
भारत के साथ सीमा-विवाद हो, हॉन्ग कॉन्ग को लेकर आलोचना हो या महामारी के फैलने के पीछे उसकी भूमिका को लेकर जांच की मांग, चीन इन दिनों कई मोर्चों पर कूटनीतिक विवादों में फंसा हुआ है. आइए एक नजर डालते हैं इन विवादों पर.
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कोरोनावायरस
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने मांग की है कि चीन जिस तरह से कोरोनावायरस को रोकने में असफल रहा उसके लिए उसकी जवाबदेही सिद्ध की जानी चाहिए. कोरोनावायरस चीन के शहर वुहान से ही निकला था. चीन पर कुछ देशों ने तानाशाह जैसी "वायरस डिप्लोमैसी" का भी आरोप लगाया है.
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अमेरिका
विश्व की इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आपसी रिश्ते पिछले कई दशकों में इतना नीचे नहीं गिरे जितने आज गिर गए हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार और तकनीक को लेकर विवाद तो चल ही रहे हैं, साथ ही अमेरिका के बार बार कोरोनावायरस के फैलने के लिए चीन को ही जिम्मेदार ठहराने से भी दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं. चीन भी अमेरिका पर हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनों को समर्थन देने का आरोप लगाता आया है.
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हॉन्ग कॉन्ग
हॉन्ग कॉन्ग अपने आप में चीन के लिए एक बड़ी कूटनीतिक समस्या है. चीन ने वहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करना चाहा लेकिन अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने इसका विरोध किया. हॉन्ग कॉन्ग कभी ब्रिटेन की कॉलोनी था और चीन के नए कदमों के बाद ब्रिटेन ने कहा है कि हॉन्ग कॉन्ग के ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट धारकों को विस्तृत वीजा अधिकार देगा.
चीन ने लोकतांत्रिक-शासन वाले देश ताइवान पर हमेशा से अपने आधिपत्य का दावा किया है. अब चीन ने ताइवान पर उसका स्वामित्व स्वीकार कर लेने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. लेकिन भारी मतों से दोबारा चुनी गई ताइवान की राष्ट्रपति ने चीन के दावों को ठुकराते हुए कह दिया है कि सिर्फ ताइवान के लोग उसके भविष्य का फैसला कर सकते हैं.
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भारत
भारत और चीन के बीच उनकी विवादित सीमा पर गंभीर गतिरोध चल रहा है. सुदूर लद्दाख में दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं. दोनों में हाथापाई भी हुई थी.
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शिंकियांग
चीन की उसके अपने पश्चिमी प्रांत में उइगुर मुसलमानों के प्रति बर्ताव पर अमेरिका और कई देशों ने आलोचना की है. मई में ही अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने उइगुरों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लागू करने वाले एक विधेयक को बहुमत से पारित किया.
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हुआवेई
अमेरिका ने चीन की बड़ी टेलीकॉम कंपनी हुआवेई को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की थीं. उसने अपने मित्र देशों को चेतावनी दी थी कि अगर वो अपने मोबाइल नेटवर्क में उसका इस्तेमाल करेंगे तो उनके इंटेलिजेंस प्राप्त की जाने वाली संपर्क प्रणालियों से कट जाने का जोखिम रहेगा. हुआवेई ने इन आरोपों से इंकार किया है.
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कनाडा
चीन और कनाडा के रिश्ते तब से खराब हो गए हैं जब 2018 में कनाडा ने हुआवेई के संस्थापक की बेटी मेंग वानझाऊ को हिरासत में ले लिया था. उसके तुरंत बाद चीन ने कनाडा के दो नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया था और केनोला बीज के आयात को ब्लॉक कर दिया था. मई 2020 में मेंग अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ दायर किया गया एक केस हार गईं.
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यूरोपीय संघ
पिछले साल यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने आपस में तय किया कि वो चीन के प्रति अपनी रण-नीति और मजबूत करेंगे. संघ हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर चीन की दबाव वाली कूटनीति को ले कर चिंतित है. संघ उसकी कंपनियों के चीन के बाजार तक पहुंचने में पेश आने वाली मुश्किलों को लेकर भी परेशान रहा है. बताया जा रहा है कि संघ की एक रिपोर्ट में चीन पर आरोप थे कि वो कोरोनावायरस के बारे में गलत जानकारी फैला रहा था.
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ऑस्ट्रेलिया
मई 2020 में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से जौ (बार्ली) के आयत पर शुल्क लगा दिया था. दोनों देशों के बीच लंबे समय से झगड़ा चल रहा है. दोनों देशों के रिश्तों में खटास 2018 में आई थी जब ऑस्ट्रेलिया ने अपने 5जी ब्रॉडबैंड नेटवर्क से हुआवेई को बैन कर दिया था. चीन ऑस्ट्रेलिया की कोरोनावायरस की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर भी नाराज है.
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दक्षिण चीन सागर
दक्षिण चीन सागर ऊर्जा के स्त्रोतों से समृद्ध इलाका है और चीन के इस इलाके में कई विवादित दावे हैं जो फिलीपींस, ब्रूनेई, विएतनाम, मलेशिया और ताइवान के दावों से टकराते हैं. ये इलाका एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग भी है. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि चीन इस इलाके में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कोरोनावायरस के डिस्ट्रैक्शन का फाय उठा रहा है.
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इस मुद्दे पर अतीत में कई समितियों का गठन किया गया और दोनों राज्यों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई. लेकिन अब तक नतीजा सिफर ही रहा है. सीमा विवाद की जांच और उसे सुलझाने के लिए वर्ष 1985 में वाई.वी.चंद्रचूड़ समिति का गठन किया गया था. लेकिन उसकी रिपोर्ट भी ठंढे बस्ते में है. मेघालय के तमाम राजनीतिक दलों ने केंद्र से कहा था कि वह 2022 से पहले इस विवाद को सुलझाने की पहल करे. वर्ष 2022 में मेघालय के गठन को 50 वर्ष पूरे हो जाएंगे.
राजनीतिक पर्यवेक्षक एस. के. मराक कहते हैं, "अगर दोनों सरकारों के दावों के मुताबिक 15 जनवरी तक 12 में से छह स्थानों पर भी समझौता हो जाता है तो यह पूर्वोत्तर राज्यों के दशकों पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक मॉडल के तौर पर काम करेगा.”