विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को ब्रिटेन में जेल से रिहा कर दिया गया है. अमेरिका के साथ एक समझौते के तहत यह रिहाई संभव हुई है.
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विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को ब्रिटेन में जेल से रिहा कर दिया गया है, जिसके फौरन बाद वह वहां से रवाना हो गए. यह रिहाई इस शर्त पर हुई है कि असांज अपना अपराध कबूल करेंगे और ऑस्ट्रेलिया लौट जाएंगे.
अमेरिका के न्याय विभाग के साथ हुए एक समझौते में यह शर्त रखी गई थी. सोमवार को इस समझौते से जुड़े दस्तावेज ब्रिटिश अदालत में जमा करा दिए गए जिसके बाद असांज को रिहा कर दिया गया. इस समझौते के तहत जूलियन असांज अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गोपनीय दस्तावेज हासिल करने की साजिश रचने और उन्हें सार्वजनिक करने का अपराध कबूल करेंगे. सोमवार शाम को यह समझौता हुआ. हालांकि अभी इसे अमेरिकी अदालत की मंजूरी नहीं मिली है.
असांज को ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले साइपान द्वीप पर रुक कर अदालत की कार्रवाई में शामिल होना होगा. यह सुनवाई बुधवार को होगी.
सालों तक जेल में
असांज पर इराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के अभियानों से जुड़े गोपनीय दस्तावेज चुराने और उन्हें सार्वजनिक करने का आरोप था. इस मामले में अमेरिकी व्हिसलब्लोअर चेल्सी मैनिंग भी आरोपी थे और उन्हें 2013 में 35 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.
असांज के समर्थकों का कहना है कि वह एक पत्रकार हैं और दस्तावेजों को सार्वजनिक कर उन्होंने अपना काम किया है.
ऑस्ट्रेलियाई नागरिक जूलियन असांज सोमवार को जमानत मिलने के बाद लंदन की बेलमार्श जेल से रिहा हुए. इसके बाद विकीलीक्स ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "जूलियन असांज आजाद हैं. बेलमार्श की अत्यधिक सुरक्षा वाली जेल में 1901 दिन गुजारने के बाद वह 24 जून की सुबह बाहर निकले. उन्हें लंदन में हाई कोर्ट ने जमानत दी और उन्हें दोपहर बाद स्टैन्स्टेड एयरपोर्ट पर रिहा किया गया. जहां से उन्होंने विमान में सवार होकर ब्रिटेन छोड़ दिया.”
इस संदेश के बाद एक वीडियो भी पोस्ट किया गया जिसमें असांज को एयरपोर्ट ले जाते और एक विमान में सवार होते देखा जा सकता है. विकीलीक्स ने अपने बयान में कहा, "यह (रिहाई) उस वैश्विक अभियान का नतीजा है जिसमें जमीनी कार्यकर्ताओं, मीडिया की आजादी के लिए काम करने वालों, वकीलों और संयुक्त राष्ट्र तक में मौजूद लोगों से लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता तक शामिल थे.”
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परिवार ने जताया संतोष
अपने बेटे की रिहाई पर असांज के माता-पिता ने भी राहत की सांस ली है. उनकी मां क्रिस्टीन असांज ने ऑस्ट्रेलियाई समाचार संस्थान एबीसी से बातचीत में कहा कि उन्हें संतोष है कि जूलियन असांज की मुश्किलें खत्म हुईं.
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्सः भारत की रैंकिंग सुधरी, हालात बिगड़े
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे पर ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने विभिन्न देशों में मीडिया की आजादी का इंडेक्स जारी किया है. भारत की रैंकिंग इस साल थोड़ी सी सुधर गई है.
तस्वीर: Newslaundry
सबसे ऊपर नॉर्वे
मीडिया की आजादी के मामले में यूरोपीय देश नॉर्वे इस साल भी सबसे ऊपर बना हुआ है. हालांकि उसके यहां भी राजनीतिक दबाव बढ़ा है. पिछले साल उसके अंक 95.18 थे जबकि इस साल 91.89 रहे हैं.
तस्वीर: Ole Berg-Rusten/NTB/REUTERS
पहले दस स्थान यूरोप में
इंडेक्स में पहले दस स्थानों पर यूरोपीय देश मौजूद हैं. नॉर्वे के बाद डेनमार्क, स्वीडन, नीदरलैंड्स, फिनलैंड, एस्टोनिया, पुर्तगाल, आयरलैंड, स्विट्जरलैंड और जर्मनी का नंबर है.
तस्वीर: Arno Burgi/dpa/picture-alliance
भारत में हालात और गंभीर
भारत की रैंकिंग दो स्थान बढ़कर 180 देशों की सूची में 159 पर आ गई है. पिछले साल भारत 161वें नंबर पर था. लेकिन उसके अंकों में हर क्षेत्र में गिरावट हुई है. उसका कुल स्कोर 31.28 रहा जो पिछले साल 36.62 था. पाकिस्तान भारत से ऊपर (152) है लेकिन उसकी रैंकिंग दो स्थान गिरी है.
तस्वीर: Newslaundry
खतरे बढ़े
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का विश्लेषण कहता है कि पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरे बढ़े हैं. पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में मीडिया पर पाबंदियां सबसे ज्यादा बढ़ी हैं. जॉर्जिया 10 स्थान नीचे खिसक कर 167 पर आ गया है जबकि अजरबैजान की रैंकिंग 13 अंक गिरकर 164 पर आ गई है.
तस्वीर: Europa Press/abaca/picture alliance
अमेरिका की रैंकिंग गिरी
चुनावी वर्ष में अमेरिका की रैंकिंग में 10 स्थानों की गिरावट दर्ज हुई है और अब वह 55वें नंबर पर है. ब्रिटेन (23) तीन स्थान ऊपर गया है जबकि जर्मनी (10) की रैंकिंग में 11 स्थानों का सुधार हुआ.
तस्वीर: Jim Watson/AFP
रूस और यूक्रेन
यूक्रेन से युद्ध में उलझे रूस की भी हालात बेहद गंभीर हैं. रूस पिछले साल के मुकाबले दो स्थान ऊपर 162 पर है जबकि यूक्रेन 79 से 61 पर आ गया है. उसके कुल अंकों में भी सुधार हुआ है.
तस्वीर: ALEXEY DRUZHININ/AFP/Getty Images
सबसे ज्यादा बदलाव
भूटान की रैंकिंग में सबसे ज्यादा गिरावट हुई है. इस साल वह 57 स्थान नीचे गिरकर 147 पर पहुंच गया है. सबसे बड़ा उछाल मॉरितियाना की रैंकिंग में हुआ है. वह 53 स्थान ऊपर उछलकर 33वें नंबर पर आ गया है.
तस्वीर: Prabakar Mani Tewari/DW
सबसे खराब स्थिति
रैंकिंग में इरिट्रिया (180) सबसे नीचे है. उसके ऊपर सीरिया, अफगानिस्तान, उत्तर कोरिया, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, वियतनाम, बहरीन, चीन और म्यांमार का नंबर है.
तस्वीर: Iranian Presidency/ZUMA/picture alliance
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क्रिस्टीन असांज ने कहा, "शुक्र है कि मेरे बेटे की मुश्किलें आखिरकार खत्म हुईं. यह गुपचुप होने वाली कूटनीति की ताकत और अहमियत को दिखाता है. बहुत से लोगों ने मेरे बेटे के हालात को अपने निजी एजेंडा के लिए इस्तेमाल किया है. इसलिए मैं उन अनदेखे, मेहनती लोगों की शुक्रगुजार हूं जिन्होंने जूलियन की भलाई को प्राथमिकता दी.”
क्रिस्टीन असांज ने कहा कि एक मां के तौर पर बीते 14 साल उनके लिए बेहद कठिन रहे हैं और वह चाहती हैं कि लोग अब उनकी निजता का सम्मान करें.
जूलियन असांज के पिता जॉन शिपटन ने कहा कि उनके बेटे ने "अपने जीवन के 15 सबसे उत्पादक साल किसी ना किसी तरह की यातना झेलते हुए बिताए हैं.”
एबीसी टीवी से बातचीत में उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि जूलियन अब अपनी पत्नी स्टेला और परिवार के साथ एक सामान्य जीवन बिता पाएगा. ऐसा लगता है कि जूलियन अब ऑस्ट्रेलिया आने के लिए स्वतंत्र होगा. ऑस्ट्रेलिया में उनके समर्थकों को मेरी बधाई और धन्यवाद, जिनकी वजह से यह संभव हो पाया. और बेशक, (ऑस्ट्रेलिया के) प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी को भी.”
किस देश में मीडिया पर सबसे ज्यादा भरोसा
हर साल रॉयटर्स इंस्टिट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिजम डिजिटल न्यूज के उपभोग पर रिपोर्ट जारी करता है. इस साल 43 देशों के 96 हजार लोगों के बीच किए गए सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि मीडिया पर कहां भरोसा बढ़ा है और कहां घटा है.
तस्वीर: Anjum Naveed/AP/picture alliance
समाचार माध्यमों पर भरोसा घटा
रॉयटर्स की रिपोर्ट बताती है कि पूरी दुनिया में लोगों का समाचार माध्यमों पर भरोसा कम हुआ है. 2022 के मुकाबले 2023 में यह भरोसा लगभग 2 फीसदी कम हुआ है. दस में से सिर्फ चार लोगों ने ही कहा कि वे समाचारों पर आमतौर पर भरोसा करते हैं.
तस्वीर: Aamir Qureshi/AFP/Getty Images
सबसे ज्यादा और सबसे कम भरोसा
समाचार माध्यमों पर भरोसे के मामले में फिनलैंड इस बार भी सबसे ऊपर है जहां 69 फीसदी लोग मीडिया पर भरोसा करते हैं. सबसे कम भरोसा ग्रीस में पाया गया जहां मीडिया पर विश्वास करने वालों की संख्या मात्र 19 फीसदी है.
तस्वीर: Helsingin Sanomat/Reuters
समाचारों में दिलचस्पी
2022 में 51 फीसदी लोगों ने कहा था कि वे समाचारों को लेकर उत्सुक रहते हैं और उन्हें देखते-पढ़ते हैं. 2023 में यह संख्या घटकर 48 फीसदी रह गई. बहुत से लोगों ने कहा कि वे या तो समाचार देखना-पढ़ना बिल्कुल बंद कर चुके हैं या कम कर दिया है.
तस्वीर: Emrah Gurel/AP/picture alliance
रैंकिंग
जिन दस देशों में लोग मीडिया पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं, उनमें फिनलैंड के बाद नाईजीरिया, जर्मनी, ब्राजील, जापान, कनाडा, भारत, मेक्सिको, चिली और कोलंबिया का नंबर आता है. हालांकि जर्मनी उन देशों में से है, जहां भरोसा सबसे ज्यादा घटा है. जर्मनी में पिछले साल के मुकाबले 7 फीसदी की कमी आई है.
तस्वीर: picture alliance / ROPI
भारत में भरोसा घटा
भारत में 38 फीसदी लोग मीडिया पर भरोसा करते हैं. लेकिन 2022 के मुकाबले यह तीन फीसदी कम है. रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में समाचारों को लेकर उपभोक्ताओं की उलझन लगातार बढ़ रही है और ज्यादातर लोग स्थायी या अस्थायी तौर पर उससे दूर हो रहे हैं.
रिपोर्ट के लेखक लिखते हैं कि यह एकदम स्पष्ट है कि अधिकतर लोग समाचार नहीं खोज रहे हैं बल्कि ऐसी चीजें खोज रहे हैं जो उनके काम की हैं या जिनसे उनकी राय किसी मुद्दे पर ज्यादा स्पष्ट हो सके.
तस्वीर: Anjum Naveed/AP/picture alliance
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19 जून को रिकॉर्ड किए गए और मंगलवार को प्रसारित एक वीडियो संदेश में जूलियन असांज की पत्नी स्टेला असांज ने कहा कि उन्हें यकीन है कि उनके जीवन का यह अध्याय अब खत्म हो गया है.
उन्होंने कहा, "मुझे भरोसा है कि अगले हफ्ते इस वक्त तक वह रिहा हो जाएंगे. चीजें बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं और हमारे लिए अगले कुछ घंटों या दिनों की योजना बनाना मुश्किल है. अगर सब ठीक रहा तो जूलियन विमान पर आजादी की ओर सवार हो जाएंगे. हमें अब भी आपकी मदद की जरूरत है क्योंकि जूलियन की आजादी अब एक नया अध्याय होगी.”