चंद्रमा पर 3.8 अरब साल पहले टकराया था उल्कापिंड या धूमकेतु
५ फ़रवरी २०२५
चांद पर कभी परमाणु बम की ताकत से 130 गुना ज्यादा जोर से एक धमाका हुआ था. उस धमाके ने दस मिनट में ऐसी तबाही मचाई थी कि अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता.
10 मिनट में बन गए थे चंद्रमा के गड्ढेतस्वीर: StockTrek Images/IMAGO
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अमेरिका के एरिजोना की ग्रैंड केन्यन धरती पर सबसे शानदार प्राकृतिक रचनाओं में से एक मानी जाती है. यह लाखों सालों में कॉलराडो नदी के बहाव से बनी है. लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दो घाटियां हैं, जो एकदम अलग तरीके से बनीं.
वैज्ञानिकों के नए शोध के अनुसार, ये घाटियां श्रोडिंगर इम्पैक्ट बेसिन क्षेत्र में स्थित हैं, जो हमेशा पृथ्वी से छिपा रहता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 3.8 अरब साल पहले जब एक बड़ा उल्कापिंड या धूमकेतु चंद्रमा से टकराया, तब जोरदार धमाके से उठे चट्टानों के टुकड़ों ने महज 10 मिनट से भी कम समय में इन घाटियों को काट दिया.
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कितनी ताकतवर थी यह टक्कर?
यह टक्कर इतनी भयंकर थी कि इसकी ऊर्जा आज के सभी परमाणु हथियारों की ताकत से 130 गुना ज्यादा थी. यह जानकारी ह्यूस्टन के लूनर एंड प्लैनेटरी इंस्टीट्यूट के भूविज्ञानी डेविड क्रिंग ने दी. यह शोध "नेचर कम्युनिकेशंस" जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
वैज्ञानिकों ने नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर से मिले डेटा का इस्तेमाल कर इन घाटियों का नक्शा तैयार किया. फिर कंप्यूटर मॉडलिंग से अनुमान लगाया कि चट्टानों के टुकड़े कितनी तेजी से और किस दिशा में गिरे होंगे.
2024 की इन तस्वीरों में महसूस करें अंतरिक्ष का रोमांच
इस साल चंद्रमा के सुदूर भाग से पत्थर और मिट्टी के नमूने लाने में चीन कामयाब रहा. सूर्य की सतह पर एक साथ हुए चार विस्फोट कैमरे में कैद हुए. देखिए 2024 में अंतरिक्ष से आई ऐसी कुछ यादगार तस्वीरें.
तस्वीर: HanxQiyang/Xinhua/IMAGO
चांद के सुदूर हिस्से से नमूने लाया चीन
चांद की यह तस्वीर भले ही बहुत शानदार नहीं है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है. इस तस्वीर में चांद के सुदूर भाग को देखा जा सकता है. जून 2024 में चीन के चांग ई-6 अंतरिक्षयान ने यहां से उड़ान भरी थी और चांद के अनछुए हिस्से से पत्थर और मिट्टी के नमूने लेकर धरती पर आया था. यह चांद के उस हिस्से से आए पहले नमूने थे.
तस्वीर: Jin Liwang/IMAGO
नींद से जागा जापान का अंतरिक्ष यान
इस तस्वीर में जापान का एसएलआईएम अंतरिक्षयान दिख रहा है. जनवरी, 2024 में चांद की सतह पर इसकी लैंडिंग ठीक तरह से नहीं हो पाई थी. इसके सोलर पैनलों का मुंह गलत दिशा में रह गया था, जिसके चलते इसकी ऊर्जा खत्म हो गई थी. लेकिन नौ दिनों बाद, इसमें ऊर्जा वापस आ गई और इसने चांद पर वैज्ञानिक अवलोकन करना शुरू कर दिया.
तस्वीर: Uncredited/JAXA/Takara Tomy/Sony Group Corporation/Doshisha University/AP/dpa/picture alliance
नीले सितारे के साये में ब्लैक होल
यूरोप में शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस साल ब्लैक होल, बाइनरी स्टार सिस्टम वीएफटीएस 243 की खोज की. इस कलात्मक तस्वीर में नीले सितारे के साथ ब्लैक होल को देखा जा सकता है. टीम का कहना है कि इस खोज से स्टैलर मास ब्लैक होल्स के निर्माण के बारे में नई जानकारी मिली है. वीएफटीएस 243 लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड में स्थित है जो धरती से करीब दो लाख प्रकाश-वर्ष दूर है.
तस्वीर: Cover-Images/IMAGO
चार जगहों पर एक साथ हुए सौर विस्फोट
अप्रैल 2024 में सूरज की सतह पर एक दुर्लभ घटना हुई. वहां चार अलग-अलग जगहों पर लगभग एक साथ सौर विस्फोट हुए. नासा ने इस अनोखी तस्वीर को खींचा और कहा कि इस घटना के चलते धरती की तरफ एक सौर तूफान आ सकता है. यह इस बात का संकेत था कि सूरज 11 साल लंबे गतिविधि चक्र में अपने चरम पर पहुंच रहा था.
तस्वीर: NASA/SDO/AIA/EVE/HMI science teams
संयोग से मिली बिना तारों वाली आकाशगंगा
वैज्ञानिकों ने 2024 में आकाशगंगा जैसी एक संरचना ढूंढ़ निकाली जिसमें तारे ना के समान थे. अमेरिका के वेस्ट वर्जीनिया की ग्रीन बैंक ऑब्जर्बेटरी में काम कर रही टीम को संयोग से धूल और गैस का पिंड मिला. उनका कहना है कि यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और डार्क मैटर से बना है. इसे नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता. रेडियो संकेतों के जरिए इसका पता चल सका.
तस्वीर: STScI/NSF/GBO/P. Vosteen
अपने अंतिम दिन जी रहा एक तारा
हमारी आकाशगंगा के बाहर मौजूद तारे (डब्ल्यूओएच जी64) की यह नजदीक से ली गई पहली तस्वीर है. यह तारा लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड में स्थित है. यूरोपियन साउथर्न ऑब्जर्वेटरी ने नवंबर 2024 में इस तस्वीर को खींचा और बताया कि इस तारे को अपने अंतिम चरणों में गैस और धूल छोड़ते हुए देखा जा सकता है, जिसके बाद यह सुपरनोवा बन जाएगा.
तस्वीर: K. Ohnaka et al./ESO/REUTERS
आसमान में दिखा दुर्लभ सूर्यग्रहण
इस साल अक्टूबर में आसमान में दुर्लभ सूर्यग्रहण देखने को मिला. इसमें ग्रहण के दौरान, चंद्रमा ने सूरज को पूरी तरह से नहीं ढका और आसमान में सूरज की रोशनी का एक छल्ला नजर आया. कई देशों में यह ग्रहण नजर आया. इस ग्रहण का दिखना धरती से चंद्रमा की दूरी पर निर्भर करता है.
तस्वीर: Ivan Alvarado/REUTERS
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इस तरह दो घाटियां बनीं. वैलिस प्लैंक नाम की घाटी 280 किमी लंबी और 3.5 किमी गहरी है, जबकि वैलिस श्रोडिंगर नाम की घाटी 270 किमी लंबी और 2.7 किमी गहरी है.
क्यों हुई इतनी भारी तबाही?
वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर हुई टक्कर इतनी भयानक रही होगी कि चट्टानों के टुकड़े 3,600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ रहे होंगे.
यह घटना उस दौर में हुई जब सौरमंडल के ग्रहों की कक्षा बदल रही थी और अंतरिक्ष में बड़ी संख्या में चट्टानें और उल्काएं टकरा रही थीं. माना जाता है कि जो वस्तु चंद्रमा से टकराई, वह 25 किमी चौड़ी थी. यह उससे भी बड़ी थी जिसने 66 करोड़ साल पहले धरती पर डायनासोरों का खात्मा किया था.
एरिजोना का ग्रेड केन्यन, जिससे चंद्रमा के गड्ढों की तुलना की गईतस्वीर: Alex Brandon/AP/picture alliance
जब यह उल्कापिंड चंद्रमा से टकराया, तब बड़ी मात्रा में चट्टानें उछलीं और फिर तेज रफ्तार से वापस गिरीं. इन गिरती चट्टानों ने घाटियों को तराश दिया.
धरती पर ऐसे प्राचीन टकराव के निशान नहीं मिलते क्योंकि यहां टेक्टॉनिक प्लेट्स की हलचल सतह को नया बना देती है. लेकिन चंद्रमा पर ऐसी कोई हलचल नहीं होती, इसलिए वहां पुराने टकराव के निशान आज भी देखे जा सकते हैं.
क्यों अहम है यह खोज?
नासा का आर्टेमिस मिशन चंद्रमा के इसी दक्षिणी ध्रुव के पास जाएगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में बहुत से पुरानी चट्टानों के नमूने सतह पर या उसके पास ही मौजूद हो सकते हैं.
मंगल के चांद पर क्या पता लगाएगा जापान?
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अगर अंतरिक्ष यात्री वहां से चट्टानों के टुकड़े ला सके, तो इससे यह पता लगाया जा सकता है कि चंद्रमा का जन्म कैसे हुआ. एक सिद्धांत के अनुसार, चंद्रमा तब बना जब कोई विशाल वस्तु पृथ्वी से टकराई और पिघली हुई चट्टानें अंतरिक्ष में बिखर गईं. इस खोज से यह भी पता चलेगा कि शुरुआती दौर में चंद्रमा की सतह पूरी तरह पिघली हुई थी या नहीं.
चंद्रमा के छिपे हिस्से पर शोध पिछले कुछ सालों में तेजी से आगे बढ़ा है. चीन का एक अंतरिक्ष यान उस हिस्से सेनमूने लेकर लौटा था, जिसने कई रहस्यों को उजागर किया. नासा भी उस हिस्से पर यान उतारने की कोशिश में हैं.