यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री कर रहे चांद पर जाने की ट्रेनिंग
सेबास्टियान किस्टर्स
३० दिसम्बर २०२२
कैनेरी द्वीप लांसारोते में अंतरिक्ष यात्री चांद पर जाने की ट्रेनिंग कर रहे हैं. अटलांटिक सागर में ज्वालामुखी के फटने से बने इस स्पेनी द्वीप का लैंडस्केप चांद की सतह से बहुत मिलता जुलता है और ट्रेनिंग के लिए मुफीद है.
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हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने नए चंद्र मिशन आर्टेमिस वन का पहला चरण पूरा किया. अब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) भी अपना चंद्र मिशन लॉन्च करने की तैयारी में जुटा है. इस मिशन का मकसद चंद्रमा पर पीने लायक पानी और सांस लेने के लिए ऑक्सीजन पैदा करना है. इसके अलावा चंद्रमा की सतह से नमूने जुटाकर धरती पर लाने की भी योजना है. लेकिन चंद्रमा पर भेजे जाने वाले ऐसे मिशन की तैयारी कैसे की जा रही है?
यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने इसके लिए एक ऐसी जगह का चुनाव किया है जो चंद्रमा के लैंडस्केप से मिलता जुलता है. यह है अटलांटिक सागर में स्थित स्पेन के कैनेरी द्वीपों का सबसे पूर्व का द्वीप लांसारोते. दरअसल यहां का ज्वालामुखी के फटने से पैदा हुआ लैंडस्केप चंद्रमा की सतह से मेल खाता है.
चांद पर जाने के लिए यूरोप में ट्रेनिंग कैंप
यहां यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी मानव प्रशिक्षण और तकनीक जांचने के लिए प्रशिक्षण चला रही है. पिछले दिनों छह दिनों के एक ट्रेनिंग कैंप में जर्मन अंतरिक्ष यात्री अलेक्सांडर गैर्स्ट ने भी हिस्सा लिया. उनके मुताबिक, "हम चंद्रमा पर जा रहे हैं. शायद अगले 3-4 साल में." गैर्स्ट ने बताया कि यहां लगातार कुछ चट्टानों को खोजने का अभ्यास किया जा रहा है. ऐसी चट्टानें, जो इतिहास की परतें खोल सकती हैं.
इस दौरान अंतरिक्ष यात्री धरती पर मौजूद वैज्ञानिकों से रेडियो संपर्क के जरिये जुड़े रहेंगे. करीब 50 साल पहले चंद्रमा पर पहुंचे अपोलो मिशन के मुकाबले, इस बार कुछ खास चट्टानें ढूंढने में धरती से मदद कर पाना आसान होगा.
चंद्रमा पर लैंड करने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को क्या खोजना है, लांसारोते में यह अभ्यास बार-बार किया जा रहा है. यहां वे उपकरण भी टेस्ट किए जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल चंद्रमा पर एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए करना होगा. जर्मन अंतरिक्ष यात्री गैर्स्ट कहते हैं, "हमें इसकी आदत हो गई है. धरती पर हमारे पास हर तरफ सैटेलाइट रिसीवर हैं, हर तरफ संपर्क के साधन हैं. लेकिन चंद्रमा पर हमारे पास वो सब नहीं है. हमें अपना नेविगेशन सिस्टम ले जाना होगा, अपने संपर्क के साधन ले जाने होंगे. और उन्हें टेस्ट किया जाना जरूरी है. और यहां पर पूरे सिस्टम को टेस्ट करने के लिए आदर्श परिस्थितियां हैं."
जर्मन अंतरिक्ष यात्री गैर्स्ट ने भी किए प्रयोग
अलेक्सांडर गैर्स्ट के लिए अंतरिक्ष नया नहीं है. वे अंतरिक्ष में करीब 1 साल बिता चुके हैं. हाल ही में वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र आईएसएस पर कमांडर की जिम्मेदारी में थे. इस दौरान उन्होंने वहां करीब 100 प्रयोग किये. अब इस फेहरिस्त में एक और बड़ा प्रयोग जुड़ सकता है, चंद्रमा पर एक शोध केंद्र स्थापित करना.
विज्ञान के लिए शानदार साल रहा 2022
ऐतिहासिक अंतरिक्ष अभियानों, पुरातात्विक खोजों और वैज्ञानिक प्रयोगों ने विज्ञान के लिहाज से 2022 को एक शानदार साल बनाया. इन वैज्ञानिक उपलब्धियों की गूंज कई दशकों तक सुनाई देती रहेगी.
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जनवरी
साल 2022 की शुरुआत जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप के अपनी मंजिल पर पुहंचने के इंतजार के साथ हुई. पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करके यह वहां पहुंच गया
तस्वीर: via REUTERS
जनवरी
जनवरी में पहली बार एप्स्टाइन बार वायरस के पक्के सुबूत भी मिले . यह वायरस मल्टिपल स्लेरोसिस का प्रमुख कारण है.
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जनवरी
इसी महीने पहली बार एक इंसान को सूअर का जेनेटिकली मॉडिफाइड दिल लगाया गया. उम्मीद यह की जा रही है कि भविष्य में जब किसी इंसान में ट्रांसप्लांट के लिए इंसान का दिल उपलब्ध नहीं होगा, तो इस तरह के ज्यादा प्रयोग होंगे. हालांकि, इस पहली कोशिश में इंसान की दो महीने बाद ही मौत हो गई.
तस्वीर: Cover-Images/imago images
फरवरी
फरवरी में घोषणा हुई कि अंतरिक्ष में सहयोग, शांति और रिसर्च का बड़ा प्रतीक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन 2031 में रिटायर हो जायेगा. वापसी के बाद इसे प्रशांत महासागर में लौटने के बाद वहीं जलसमाधि दे दी जायेगी.
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मार्च
मार्च अफासिया को लेकर जागरूकता के लिहाज से एक अहम महीना बन गया, जब ब्रूस विलिस में लैंग्वेज डिसॉर्डर की बात पता चली और इसके साथ ही उनका चार दशक लंबा अभिनय करियर समाप्त हो गया. मार्च में ही एक रिसर्च में पता चला कि कोविड-19 के कारण पूरी दुनिया में 1.80 करोड़ लोगों की मौत हुई. यह आंकड़ा डब्ल्यूएचओ के आंकड़े की तुलना में तीन गुना ज्यादा है.
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मार्च
मार्च में ही एक रिसर्च में पता चला कि कोविड-19 के कारण पूरी दुनिया में 1.80 करोड़ लोगों की मौत हुई. यह आंकड़ा डब्ल्यूएचओ के आंकड़े की तुलना में तीन गुना ज्यादा है. इसी महीने में जब अंटार्कटिका में शेकेल्टन के शिप एंड्यूरेंस की खोज हुई, तो इसे ध्रुवीय इतिहास और ध्रुवीय विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल किया गया.
अप्रैल में एक रिसर्च ने बताया कि इंसान के जीन के म्यूटेशन को उस व्यक्ति से बहुत मजबूती से जोड़ा जा सकता है, जिसमें शिजोफ्रेनिया का विकास हो रहा हो. इसके बाद 120 ऐसे जीन की पहचान की गई, जो इसमें भूमिका निभाते हैं. इसी महीने एक और रिसर्च ने मैजिक मशरूम में मिलने वाले साइलोसिबिन का पता लगाया, जो अवसाद से जूझने वालों के इलाज में मदद कर सकता है. हालांकि, इसमें जरूरी यह है कि लोग खुद से दवा ना लें.
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मई
मई में इवेंट होराइजन टेलिस्कोप टीम ने बताया कि उसने हमारी आकाशगंगा के केंद्र में विशाल ब्लैक होल की पहली तस्वीर ली है. इसके बाद हमें पता चला कि सात घंटे की नींद हमारे अच्छे मानसिक स्वास्थ्य और संज्ञान के लिए उत्तम है. तकरीबन 5 लाख प्रतिभागियों पर किये गये प्रयोग से यह पता चला.
इंसानियत अभी कोविड-19 के खतरे से जूझ रही रही थी कि एक और वायरस ने दस्तक दे दी और मंकी पॉक्स के मामले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ने लगे. डब्ल्यूएचओ ने बाद में इसका नाम एमपॉक्स कर दिया.
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जून
जून में जर्मनी के अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट ने वैश्विक तापमान बढ़ने के कारण सदी के मध्य तक साइबेरियन टुंड्रा के "भारी नुकसान" की भविष्यवाणी की. उनका कहना है कि टुंड्रा गायब भी हो सकता है.
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जून
इसके बाद इस साल कई दिलचस्प खगोलीय घटनायें हुईं. इसमें पांच ग्रहों का एक सीध में आना भी जबर्दस्त नजारा था. मंगल, बृहस्पति, शनि, बुध और शुक्र चांद के साथ एक खास आकृति में नजर आये.
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जुलाई
जुलाई में 2022 की वो घड़ी आई, जिसका सबसे ज्यादा इंतजार था. वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप से ली गईं तस्वीरें दुनिया के सामने रखीं. इन तस्वीरों में ब्रह्मांड की अद्भुत छवि और ब्यौरा दिखाई पड़ा. पृथ्वी से करीब 1,150 प्रकाश वर्ष दूर एक ग्रह पर पानी की भाप भी दिखाई पड़ी.
तस्वीर: ESA, NASA, CSA, STScI/AFP
जुलाई
जुलाई में ही दुनिया के सबसे बड़े और ताकतवर कोलाइडर, द लार्ज हेड्रॉन कोलाइडर पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने तीन नये कणों के खोज की घोषणा की.
अगस्त महीने में एक स्टडी ने बताया कि प्राचीन इंसानों में बड़े होने पर लैक्टोज को पचाने के पीछे दूध पीना शायद कारण नहीं था. इसी महीने हम लॉन्ग कोविड को लेकर अपनी समझ बेहतर करने में सफल हुए, जब दो साल की अवधि में कुल 12 लाख मरीजों पर स्टडी की गई.
तस्वीर: DW
अगस्त
करीब 120 सालों तक लिनियर एलामाइट के नाम से विख्यात लेखन शैली को अपठनीय माना जाता रहा. हालांकि, पुरातत्वविदों की एक टीम ने अब इसे पढ़ने का दावा किया है. उनका कहना है कि उन्होंने आंशिक रूप से इस लेखन शैली को समझ लिया है.
तस्वीर: Louvre Museum
सितंबर
सितंबर में अंतरिक्ष विज्ञानियों ने कुछ ऐसा हासिल किया, जो अब तक साइंस फिक्शन फिल्मों में ही संभव माना जाता था. मानव ने पहली बार किसी क्षुद्र ग्रह से अंतरिक्ष यान को टकराकर उसके रास्ते में फेरबदल करने में सफलता पाई. यह नासा का डार्ट मिशन था. यह परीक्षण इसलिए किया गया, ताकि भविष्य में पृथ्वी को ऐसे किसी क्षुद्रग्रह की टक्कर या चोट से बचाया जा सके.
तस्वीर: ASI/NASA
अक्टूबर
अक्टूबर की शुरुआत नोबेल पुरस्कारों की घोषणा से हुई. चिकित्सा का पुरस्कार स्वांते पाबो को इंसान की उत्पत्ति के बारे में खोज के लिए मिला.
रसायनशास्त्र में कारोलिन आर बर्तोजी, के बैरी शार्पलेस और मॉर्डेन मेल्डल को स्नैपिंग मॉलिक्यूल को साथ लाने का तरीका ढूंढने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया. भौतिकी में अलायन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लाउजर और एंटन जाइलिंगेरफर को नोबेल पुरस्कार मिला.
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अक्टूबर
अक्टूबर में ही हमने यह भी जाना कि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर आधारित पुरातात्विक चीजों की डेटिंग से बाइबिल की कथाओं में वर्णित सैन्य अभियानों की तारीख भी जानी जा सकती है. इस साल वर्ल्ड पोलियो डे ने यह ध्यान दिलाया कि यह बीमारी अभी दो देशों में मौजूद है. इसके साथ ही इसके दो नये प्रकारों के बारे में भी जानकारी मिली, जो अमेरिका और ब्रिटेन में नजर आये.
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नवंबर
इंसान ने खाना बनाना कब शुरू किया, इसके बारे में हमारी जानकारी महज 1,70,000 साल पहले तक की ही थी. इसी साल पता चला कि 7,80,000 साल पहले भी इंसान खाना पकाकर खाता था.
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आर्टेमिस 1
16 नवंबर को आर्टेमिस 1 नाम का चंद्र अभियान धरती से रवाना हुआ. आर्टेमिस अभियान के जरिये इंसान को फिर से चांद पर ले जाने और वहां एक बेस बनाने की तैयारी है. इसकी मदद से इंसान मंगल तक का सफर तय कर सके, ऐसी कोशिश चल रही है.
तस्वीर: NASA/UPI Photo/IMAGO
दिसंबर
दिसंबर के महीने में अमेरिका की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी ने घोषणा की कि रिसर्चरों ने फ्यूजन तकनीक में एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है. परमाणु विखंडन यानी न्यूक्लियर फ्यूजन वह प्रक्रिया है, जिसकी मदद से सूरज के अंदर ऊर्जा पैदा होती है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह धरती पर ऊर्जा का भविष्य बनेगा. हालांकि, अभी उस तक पहुंचने का रास्ता बहुत लंबा है.
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हालांकि गैर्स्ट इसे एक चुनौती मानते हैं. वह कहते हैं, "अंटार्कटिक की तरह ही चंद्रमा पर शोध केंद्र स्थापित करना चुनौतीपूर्ण होने वाला है क्योंकि अंतरिक्ष यात्री अपने साथ बहुत कुछ नहीं ले जा सकते." वे कहते हैं कि अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर सस्टेनेबल तरीके से जीना सीखना होगा. उन्हें चंद्रमा पर मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल करना सीखना होगा और इसके लिए शायद पानी को हवा और ईंधन में तोड़ना भी होगा.
लांसारोते में प्रशिक्षण में भाग ले रहे अंतरिक्ष यात्री इसी की तैयारी कर रहे हैं. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी को उम्मीद है कि 2028 तक वह चंद्रमा पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवा सकते हैं.