अंतरिक्ष विज्ञानियों के एक दल ने एक खास टेलिस्कोप की मदद से सौरमंडल के बाहर पहली बार पानी के बादलों को खोज निकाला है.
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हवाई में मौजूद जेमिनी नॉर्थ टेलिस्कोप की मदद से यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सेंटा क्रूज के अंतरिक्ष विज्ञानियों के नेतृत्व में एक दल, सौरमंडल के बाहर 7.2 प्रकाश वर्ष की दूरी पर पानी के बादलों को खोज पाने में कामयाब हुआ है. पानी के ये बादल वाइज 0855 नाम के एक ब्राउन ड्वॉर्फ में तैरते दिखाई दिए हैं.
ब्राउन ड्वार्फ
ब्राउन ड्वार्फ मूलत: एक ऐसी खगोलीय संरचना होती है जो तारा बन पाने में नाकाम हो जाती है. जिस तरह तारा बनने की प्रक्रिया में गैसों और धूल का गुरुत्वीय विघटन होता है वैसी ही प्रक्रिया ब्राउन ड्वार्फ में भी होती है. लेकिन यह नाभिकीय संलयन प्रतिक्रिया को शुरू करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पदार्थ को पाने में नाकाम हो जाता है. नाभिकीय संलयन प्रतिक्रिया के चलते ही तारे चमकते हैं.
वाइज 0855
अंतरिक्ष में भी उगते हैं फूल और सब्जियां
अंतरिक्ष में उगे पहले फूल ने सब को हैरान कर दिया. लेकिन इस फूल के अलावा भी अंतरिक्ष में काफी कुछ उगाया जा रहा है. जानिए अब तक क्या क्या उगा और कैसे.
तस्वीर: picture alliance/Zuma Press/Twentieth Century Fox
पहला फूल
यह है जीनिया. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन आईएसएस पर खिला पहला फूल. जीनिया को खाया भी जा सकता है. इसे उगाने का मकसद भी अंतरिक्ष यान की खूबसूरती बढ़ाना नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में यात्रियों का पेट भरना है. इस तस्वीर को अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली ने ट्वीट किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/NASA
स्कॉट केली
23 अक्टूबर 2015 को स्कॉट केली अंतरिक्ष में सबसे लंबा वक्त बिताने वाले इंसान बन गए. तब तक वे स्पेस में 382 दिन बिता चुके थे. फिलहाल वे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के "वन ईयर मिशन" के कप्तान हैं और लगातार अंतरिक्ष से तस्वीरें ट्वीट करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/NASA
वन ईयर मिशन
मार्च 2015 से अमेरिका के स्कॉट केली और रूस के मिखाइल कोरनीएंको नासा के वन ईयर मिशन का हिस्सा हैं. मकसद है आईएसएस पर रह कर अंतरिक्ष यात्रियों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करना.
तस्वीर: Reuters/NASA
वेजी
अंतरिक्ष यात्रियों को खुद अपने लिए खाना भी उगाना है. इस प्रोजेक्ट को नासा ने वेजिटेबल प्रोडक्शन सिस्टम का नाम दिया है, जिसे वेजी कहा जाने लगा है. मकसद है ऐसी चीजें उगाना जो भविष्य में मंगल पर रहने वाली बस्ती के काम आ सकें.
तस्वीर: Bryan Versteeg/Mars One
एयरोपॉनिक्स
अंतरिक्ष में पौधों को बिना मिट्टी के उगाया जाता है. इसमें बहुत कम पानी और खाद खर्च होती है. इस तरीके को एयरोपॉनिक्स कहा जाता है. इसमें पौधे सामान्य से तीन गुना ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
मुश्किलें
पौधों को अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी का सामना करना पड़ता है, इसलिए उन्हें उगाना मुश्किल हो जाता है. जीनिया के पौधे पर ज्यादा नमी के कारण फफूंद लग गयी थी लेकिन केली उसे बचाने में कामयाब रहे.
तस्वीर: Gallup/Getty Images
सलाद
2014 में आईएसएस पर पौधे उगाने का सिलसिला शुरू हुआ. 2015 में क्रू ने पहली बार सलाद उगा कर चखा (तस्वीर में). इससे पहले 2012 में अंतरिक्ष यात्री डॉनल्ड पेटिट ने जुकीनी (एक तरह की लौकी) का पौधा भी उगाया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/NASA TV
टमाटर
नासा की लिस्ट पर अगली सब्जी है चीनी बंद गोभी. इसके बाद 2018 में आईएसएस पर टमाटर उगाने की भी योजना है. साथ ही सलाद के पत्तों को बेहतर बनाना है. ये सब पौधे छोटे छोटे ग्रीनहाउस में उगाए जाएंगे.
तस्वीर: DLR (CC-BY 3.0)
फिल्म जैसा
2015 में आई हॉलीवुड की बहुचर्चित फिल्म "मार्शियन" में काफी कुछ वैसा दिखाया गया है, जैसा नासा कर रहा है या फिर करने की योजना रखता है. स्कॉट केली भी खुद अपनी तुलना फिल्म के मुख्य किरदार मार्क वॉटनी से कर चुके हैं.
तस्वीर: picture alliance/Zuma Press/Twentieth Century Fox
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पहली बार 2014 में जब वाइज 0855 के बारे में पता चला तो अंतरिक्षवेत्ताओं को इसने बेहद उत्सुकता के साथ आकर्षित किया. तब से वे इस पर नजर बनाए हुए थे. इसे जमीन पर मौजूद सबसे बड़े टेलिस्कोप जेमिनी नॉर्थ टेलिस्कोप के जरिये इंफ्रारेड किरणों की मदद से मुश्किल से देखा जा सका था. बाद में इस ब्राउन ड्वॉर्फ के स्पष्ट इंफ्रारेड स्पैक्ट्रम मिले. इन इंफ्रारेड स्पैक्ट्रम के जरिये मिली जानकारी में सबसे अहम बात है कि वहां पानी के बादल होने के पुख्ता सबूत हैं. इस लिहाज से यह पहली बार हुआ है कि सौरमंडल के बाहर पानी को खोजा गया है.
पानी के ठोस सबूत
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सेंटा क्रूज की वेबसाइट में इस महत्वपूर्ण खोज पर एक आलेख प्रकाशित हुआ है. इसमें विश्वविद्यालय में एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स के सहायक प्रवक्ता एंड्र्यू स्केमर कहते हैं, ''हमें ऐसी अपेक्षा रहती है कि वहां कोई इतनी ठंडी चीज हो जिसमें कि पानी टिक सके. और यह सबसे ठोस सबूत है कि हमें ऐसी चीज मिली है.''
स्केमर ने इस शोध के दौरान मिले निष्कर्षों पर एक पेपर भी लिखा है जिसे एस्ट्रोफिजिकल जनरल लेटर्स में प्रकाशित होना है. हालांकि यह पेपर पहले ही ऑनलाइन उपलब्ध है.
कोई है? धरती कहे पुकार के
मशहूर ब्रिटिश वैज्ञानिक प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने सिलिकॉन वैली के रूसी अरबपति यूरी मिलनर के साथ मिलकर एक अनोखा अभियान शुरू किया है. वे जानना चाहते हैं कि क्या ब्रह्मांड में हम पृथ्वीवासियों के अलावा कोई अलौकिक जीव भी है.
तस्वीर: AP
'ब्रेकथ्रू लिसन प्रोजेक्ट' के तहत धरती के सबसे बड़े टेलीस्कोपों, लेजर और रेडियो सिग्नलों का इस्तेमाल कर, 10 सालों तक, करीब 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च. प्रोफेसर हॉकिंग का मानना है कि ब्रह्मांड के कई हिस्सों में जीवन है. केवल ग्रहों पर ही नहीं, बल्कि तारों या फिर ग्रहों के बीच की जगह में भी.
तस्वीर: AP
क्या ऐसे अलौकिक जीव या एलियन वाकई होते है? इस पर जाने माने भौतिकशास्त्री प्रोफेसर हॉकिंग तो हां ही कहेंगे. हॉकिंग हमेशा से मानते आए हैं कि हमारे ग्रहों से बाहर एलियन्स हैं लेकिन पहले वे उनके साथ संपर्क साधने को बेदह खतरनाक बताते थे.
तस्वीर: AP
ब्रह्मांड में करीब 100 अरब गैलेक्सियों का अनुमान है. हर गैलेक्सी में लाखों तारे होते हैं. ऐसे में यह मान कर बैठना तो नासमझी ही होगी कि इतनी बड़ी जगह में केवल एक धरती पर ही जीवन हो. यूनिवर्स की रचना के बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार एक विशाल विस्फोट के बाद सौर मंडल के तमाम ग्रह अस्तित्व में आए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
इंसान के लिए अंतरिक्ष रहस्यों का खजाना है. कहानियों, फिल्मों में दूसरे ग्रह से आए जीवों से लेकर उड़नतश्तरियों का जिक्र होता है लेकिन इनके साक्ष्य हासिल करने के लिए वैज्ञानिक तमाम परीक्षण और गणनाएं करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
दक्षिण अफ्रीका में लगे दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोप स्क्वेयर किलोमीटर ऐरे की मदद से हजारों मील दूर तारों को करीब से देखा जा सकता है. इसके अलावा प्रोजेक्ट वैज्ञनिकों का मानना है कि अगर अंतरिक्ष में कहीं कोई जीव हैं और वे अपने संकेत छोड़ रहे हैं तो उसकी पहचान ऐरे के शक्तिशाली एंटीने कर लेंगे.
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कई दशकों से वैज्ञानिक पृथ्वी से बाहर किसी एलीयन के संदेशों को सुनने की कोशिश करते आए हैं. अमेरिकी एस्ट्रोफिजिसिस्ट्स ने यह सुझाया कि उनसे संपर्क साधने के लिए हमें खुद पृथ्वी से उन्हें शक्तिशाली सिग्नल भेजने चाहिए. यही कैलिफोर्निया के सर्च फॉर एक्स्ट्राटेरिस्ट्रियल इंटेलीजेंस (सेटी) के 'एक्टिव सेटी' प्रोजेक्ट का आधार है.
तस्वीर: Bernhard Musil
सेटी रिसर्चरों का मानना है कि अंतरिक्षविज्ञानियों का तारों की ओर अपने रेडियो टेलीस्कोप साधे हुए वहां से आने वाले सिग्नलों की राह देखना काफी नहीं. एक्टिव सेटी प्रोजेक्ट के तहत उन लाखों तारा समूहों, गैलेक्टिक केंद्रों, धरती के सबसे पास के करीब 100 गैलेक्सियों और पूरी आकाशगंगा में सिग्नल भेजे जाएंगे, जहां जीवन की संभावना हो सकती है.
तस्वीर: Colourbox
साल 1977 में दो वोयाजर स्पेसक्राफ्ट पर फोनोग्राफ रिकॉर्ड रख कर भेजे गए जिनमें धरती के कुछ चुनिंदा दृश्य और आवाजें थीं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2008 में बीटल्स के मशहूर गाने "एक्रॉस दि यूनिवर्स" को धरती से 430 प्रकाश वर्ष दूर स्थित तारे नॉर्थ स्टार तक भेजा था.
तस्वीर: imago/United Archives
फिल्मों के मशहूर एलियन किरदार ईटी और किंग कॉन्ग की रचना करने वाले इटली के स्पेशल इफेक्ट के जादूगर कार्लो रांबाल्दी ने इसके लिए तीन ऑस्कर पुरस्कार जीते. रांबाल्दी को 1982 में स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ईटी (एक्स्ट्रा टेरेसट्रियल) से बेशुमार शोहरत मिली और दुनिया को एलियनों का एक चेहरा ईटी मिला.