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आपदाभारत

वायनाड में बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही

३० जुलाई २०२४

केरल के वायनाड में भारी बारिश के बाद तीन स्थानों पर भूस्खलन की वजह से कम से कम 63 लोगों की जान चली गई है. सैकड़ों लोग लापता हैं और मरने वालों की संख्या के बढ़ने की आशंका है.

वायनाड में बाढ़ पीड़ितों को बचाते एनडीआरएफ के राहतकर्मी
तस्वीर: Stringer/REUTERS

वायनाड में तीन जगहों पर भूस्खलन रात दो बजे से सुबह छह बजे के बीच हुआ. भूस्खलन की वजह से कई घर, दुकानें और गाड़ियां मलबे के ढेर में दब गए. कई लोग इस इलाके से गुजरने वाली चलियार नदी में बह गए. वायनाड से आ रही रिपोर्टों के मुताबिक इस प्राकृतिक आपदा के कारण कई गांव अलग थलग हो चुके हैं और बड़ी संख्या में लोग लापता हैं.

आपदा एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं, लेकिन पहाड़ी इलाका होने की वजह से और लगातार बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा आ रही है.

राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ), केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और कन्नूर डिफेंस सुरक्षा कोर जैसी एजेंसियां राहत और बचाव कार्य करने की कोशिश कर रही हैं. राज्य सरकार ने कहा है कि सेना और वायुसेना से भी मदद मांगी गई है.

वायनाड में कई लोगों के नदी में बहन की भी रिपोर्टें हैंतस्वीर: National Disaster Response Force/AFP/Getty Images

मुंडाक्कई इलाके को आस पड़ोस के इलाकों से जोड़ने वाला एकलौता पुल भी टूट गया है, जिसकी वजह से भी राहत कार्य में बाधा आ रही है. मुंडाक्कई की ही एक निवासी मीनाथ ने वेबसाइट को बताया कि वहां एक मदरसे के पास स्थित एक पहाड़ी पर करीब 150 लोग फंसे हुए हैं.

राहत कार्य के बीच केंद्र सरकार ने प्रभावित परिवारों की आर्थिक मदद की भी घोषणा की है. मृतकों के परिवार के निकटतम सदस्य को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने की घोषणा की गई है. केरल में सन 2018 में भीषण बाढ़ और भूस्खलन की आपदाएं हुईं थी. तब करीब 500 लोगों की मौत हुई.

वायनाड में मलबे से पटे कई इलाकेतस्वीर: Stringer/REUTERS

खतरे का संकेत है केरल में बाढ़ की तबाही

केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने एक्स पर बताया कि राज्य सरकार के पांच मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल को वायनाड की स्थिति पर नजर रखने और राहत कार्य का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी दी गई है.

वायनाड के कई इलाकों से संपर्क कटा

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मुंडाक्कई में खराब मौसम की वजह से वायु सेना के हेलीकॉप्टर उतर नहीं पाए. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस समय इस इलाके में राहत कार्य में कितनी दिक्कत आ रही है.

दन्यूजमिनट वेबसाइट के मुताबिक भूस्खलन से बचने के लिए हैरीसंस मलयालम चाय बागान में करीब 700 लोगों ने शरण ली थी. वो लोग अभी भी वहीं फंसे हुए हैं.

वायनाड में कुछ जगहों पर रास्ते भी बहेतस्वीर: National Disaster Response Force/AFP/Getty Images

वायनाड के जिला पंचायत अध्यक्ष शमशाद मरक्कार ने दन्यूजमिनट को बताया कि मुंडाक्कई में एक अस्पताल भी पूरी तरह से बह गया है और वहां अभी तक कोई भी बचाव और राहत टीम नहीं पहुंच पाई है.

उन्होंने बताया कि ये लोग आधी रात करीब 1.45 बजे पहले भूस्खलन की आवाज सुन कर अपने घरों से भाग कर पहाड़ी पर चले गए थे. फंसे हुए लोगों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं. मीनाथ ने बताया कि कम से कम 50 मकानों को नुकसान पहुंचा है.

सीके/ओएसजे (एपी, एएफपी)

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