स्पैनिश कैनरी द्वीप समूह के पास 300 आप्रवासी लापता
१० जुलाई २०२३
सेनेगल से स्पेन के कैनरी द्वीप समूह जा रहे कम से कम 300 लोग लापता हैं. आप्रवासी सहायता समूह 'वॉकिंग बॉर्डर्स' ने रविवार को कहा कि यह लोग तीन नावों पर सवार थे.
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एक नाव पर लगभग 65 लोग सवार थे और दूसरी पर 50 से 60 के बीच. यह दोनों नावें 15 दिन पहले, जब से सेनेगल से निकली हैं, लापता हैं. वॉकिंग बॉर्डर्स की हेलेना मालेनो ने रॉयटर्स को बताया कि यह नावें स्पेन जाने की कोशिश कर रहीं थी. तीसरी नाव सेनेगल से 27 जून को लगभग 200 लोगों के साथ निकली. मालेनो के हिसाब से जब से यह प्रवासी नावों पर सवार होकर निकले हैं, तब से ही इनके परिवारों को इनकी कोई खबर नहीं है. तीनों नावें सेनेगल के दक्षिण में काफाउंटिन से रवाना हुईं. यह टेनेरिफ, जो एक कैनरी द्वीप समूह है, से लगभग 1,700 किलोमीटर की दूरी पर है. मालेनो ने कहा, "परिवार बहुत चिंतित हैं. नावों पर लगभग 300 लोग सेनेगल के एक ही क्षेत्र के हैं. वे सेनेगल में अस्थिरता के कारण वहां से निकलकर कैनरी जा रहे थे.”
पश्चिमी अफ्रीका के तट पर कैनरी द्वीप समूह, स्पेन पहुंचने की कोशिश करने वाला लोगों के लिए यूरोपीय संघ में दाखिल होने का अहम ठिकाना बन चुके हैं. इनमें . गर्मी का सीजन आप्रवासियों के लिए यूरोप तक आने का सबसे व्यस्त समय है. संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय आप्रवासन संगठन के आंकड़ों के हिसाब से 2022 में कैनरी द्वीप तक पहुंचने की कोशिश में 599 लोगों की जान गई. इसमें 22 बच्चे भी शामिल थे.
यूरोप में अभी ये हाल, तो गर्मी में क्या होगा
2022 में यूरोप के कई देशों में सूखा पड़ा था. इस साल भी हालात बेहतर नहीं लग रहे. यूरोप में आमतौर पर अप्रैल-मई वसंत का महीना होता है. अभी से ही कई जगहों पर सूखे की स्थिति चिंताजनक है.
तस्वीर: Jordi Boixareux/Zuma/Imago Images
पिछले साल भी फ्रांस में सूखा पड़ा था
यह फ्रांस के सेर पोशो झील की तस्वीर है. यह फ्रांस की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है. 23 मई को ली गई इस तस्वीर में झील का पानी अपने आदर्श जलस्तर से 11.76 मीटर नीचे है. अभी गर्मी का पूरा मौसम बाकी है. पिछले साल भी यहां सूखे की स्थिति बहुत गंभीर थी.
तस्वीर: Durand Thibaut/ABACA/picture alliance
सूखी नदियां
फ्रांस में 2022 से भी ज्यादा गंभीर सूखे की स्थिति बनती नजर आ रही है. यहां गर्मी का मौसम और ज्यादा सूखा रहने की संभावना है, मतलब कम बारिश. बीती सर्दियां भी शुष्क रही थीं, ऐसे में गर्म महीनों के आने से पहले जमीन को ज्यादा पानी नहीं मिल पाया. देश के तीन चौथाई हिस्से में भूमिगत जलस्तर अपने मासिक औसत से नीचे चला गया है. फरवरी 2023 की इस तस्वीर में एग्ली नदी की सूखी तलछटी दिख रही है.
तस्वीर: RAYMOND ROIG/AFP/Getty Images
पानी बचाने की फिक्र
जब जमीन सूखती है, तो किसानों को खुद सिंचाई करनी पड़ती है. इससे जलस्तर और घट जाता है. सूखा आया, तो सबसे ज्यादा असर फलों और अंगूर की बेलों पर पड़ेगा. राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों पानी बचाने के नए तरीके लागू करने की अपील कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि सभी सेक्टरों को इस दशक के अंत तक पानी की अपनी खपत 10 फीसदी तक कम करनी चाहिए.
पानी की बचत के लिए बीते दिनों दक्षिणी फ्रांस के कुछ हिस्सों में स्विमिंग पूलों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई. फ्रांस अकेला नहीं, जिसपर गंभीर सूखे का खतरा मंडरा रहा हो. हालिया महीनों में यूरोपीय संघ के बड़े हिस्से में मौसमी स्थितियां प्रतिकूल रही हैं. कम बारिश, गर्म लहर, बाढ़ जैसी मौसमी घटनाओं के कारण स्पेन और इटली में भी बुरा हाल है.
तस्वीर: STEPHANE MAHE/REUTERS
खेती पर संकट
बीती सर्दी और वसंत में स्पेन में बारिश सामान्य से काफी कम हुई. 2021 और 2022 में भी बारिश औसत से करीब 26 फीसदी कम हुई थी. स्पेन का एक बड़ा हिस्सा सूखे की चेतावनी का सामना कर रहा है. किसानों का भी बुरा हाल है. मवेशियों के लिए घास नहीं है. यह स्पेन के दोनाना नेशनल पार्क की तस्वीर है.
तस्वीर: Adri Salido/AA/picture alliance
पानी की राशनिंग
मार्च 2023 की इस तस्वीर में जोबरेगात नदी कमोबेश पूरी तरह सूखी दिख रही है. कैटेलोनिया में पहले से ही सूखे के चलते पानी पर सख्त पाबंदियां लगी हैं.
तस्वीर: Jordi Boixareux/Zuma/Imago Images
अप्रत्याशित मौसम
मई में सरकार ने सूखे का सामना करने के लिए विशेष पैकेज को मंजूरी दी. एक ओर जहां कई इलाकों में सूखे जैसे हालात हैं, वहीं कुछ हिस्सों में भारी बारिश और तूफान की स्थिति है.
तस्वीर: Jordi Boixareux/Zuma/Imago Images
लगातार सूखा
2022 में पो नदी घाटी से सूखे की नाटकीय तस्वीरें आई थीं. यहां जलस्तर अब भी कम है. नदी का बहाव कम होने से पो डेल्टा में खारा पानी बढ़ जाता है. इससे खेत चौपट हो सकते हैं. अनुमान है कि पिछले साल इटली में सूखे के कारण छह अरब यूरो का नुकसान हुआ. इस बार भी बड़ी झीलों में औसत से कम जलस्तर है. अप्रैल में ही लेक गार्दा का पानी अपनी क्षमता का 38 फीसद रह गया था.
तस्वीर: Vittorio Zunino Celotto/Getty Images
जलवायु परिवर्तन का असर
मौसम के अतिरेक मिजाज की तस्वीरें भी अलग-अलग हैं. इटली में बीते दिनों कुछ इलाकों में जमकर बारिश हुई. औचक बाढ़ में कई जानें गईं. यूरोप का बड़ा हिस्सा जलवायु परिवर्तन के चिंताजनक असर झेल रहा है. एक्सट्रीम वेदर के हालात पहले से कहीं ज्यादा नियमित हो गए हैं.