संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन के अनुसार अमेरिकी अधिकारियों ने एक लाख प्रवासी बच्चों को हिरासत में रखा है. यूएन के शोधकर्ता मैनफ्रेड नोवाक ने ट्रम्प प्रशासन द्वारा बच्चों को उनके परिवारों से अलग करने की तीखी आलोचना की है.
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यूएन ने हाल ही में पूरी दुनिया में स्वतंत्रता से वंचित बच्चों को लेकर एक अध्ययन किया है. नोवाक इसके प्रमुख लेखक हैं. अध्ययन में यह बात सामने आयी कि वर्तमान में अमेरिका ने एक लाख तीन हजार बच्चों को हिरासत में रखा है. इन बच्चों में काफी संख्या नाबालिगों की हैं जिन्हें परिवार के साथ हिरासत में लिया गया था लेकिन बाद में उन्हें उनके परिजनों से अलग कर दिया गया.
नोवाक की टीम ने जब इस मामले में अमेरिकी सरकार से सवाल किए तो इस पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी गई. हालांकि नोवाक कहते हैं कि यह संख्या सबसे हाल के आधिकारिक डाटा पर आधारित है और विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि एक लाख तीन हजार का आंकड़ा कंजरवेटिव मूल्यांकन था. नोवाक ने जेनेवा में कहा, "प्रवास को लेकर बच्चों को हिरासत में लेने को उचित नहीं ठहराया जा सकता. यह बच्चों के हित में नहीं है.
नोवाक कहते हैं कि अध्ययन में यह जानकारी भी सामने आयी कि कई देशों में हिरासत में रखे गए बच्चों की वास्तविक संख्या उपलब्ध है. अमेरिकी अधिकारियों ने उन देशों से काफी ज्यादा बच्चों को हिरासत में रखा है. अमेरिका ने एक लाख बच्चों में से 60 को प्रवासन और मुकदमे के पहले की कार्रवाई के दौरान हिरासत में ले लिया. वहीं कनाडा में में यह दर प्रवासन को लेकर 14 और अन्य मुद्दों को लेकर 15 है. पश्चिमी यूरोप में यह दर पांच है.
संयुक्त राष्ट्र ने 1989 में बच्चों को उनके अधिकार दिलाने के लिए चाइल्ड राइट कन्वेंशन को पारित किया था लेकिन अमेरिका दुनिया का एक मात्र देश है जो इसे नहीं मानता है. नोवाक कहते हैं, "बच्चों को उनके माता-पिता से अलग किया गया. यहां तक की अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर पर छोटे बच्चों को भी हिरासत में ले लिया. चाइल्ड राइट कन्वेंशन के तहत ऐसा करने पर पूरी तरह प्रतिबंध है. यह बच्चों और उनके माता-पिता दोनों के लिए अमानवीय है." अमेरिका द्वारा अध्ययन के नतीजे पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
यूएन के शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि सीरिया और इराक में भी 29 हजार बच्चों को हिरासत में रखा गया है. इसमें से ज्यादातर इस्लामिक स्टेट समूह से जुड़े हुए हैं. इन बच्चों में बड़ी संख्या फ्रांस के नागरिकों की भी है.
अमेरिकी हिरासत केंद्र से छूटने के बाद आप्रवासी कहां जाते हैं?
अमेरिका में प्रतिदिन हजारों की संख्या में आप्रवासियों को हिरासत केंद्रो से छोड़ा जा रहा है. यहां से निकलने के बाद इन आप्रवासियों की जिंदगी कैसी होती है? वे क्या करते हैं? एक नजर उनकी जिंदगी पर.
तस्वीर: DW/J. Jeffrey
सुनवाई पूरी होने तक रहने की इजाजत
टेक्सास के मैक ऐलन में दिन भर बसें आती रहती है. इनमें इमिग्रेशन और कस्टम इनफोर्समेंट (आईसीई) डिटेंशन सेंटर से रिहा किए गए आप्रवासी होते हैं. जब तक इनके मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक इन्हें अमेरिका में रहने की इजाजत रहती है. अमेरिकी सीमा अधिकारियों के अनुसार अक्टूबर 2018 से मार्च 2019 तक सीमा पर 2,68,044 आप्रवासी हिरासत में लिए गए थे.
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वॉलंटियर के हवाले
होमलैंड सिक्युरिटी बस से उतरने के बाद, आप्रवासी बॉर्डर पेट्रोलिंग एजेंट का इंतजार करते हैं, जो उन्हें कैथोलिक चैरिटीज ऑफ द रियो ग्रैंड वैली (सीसीआरजीवी) के वॉलंटियर को सौंप देते हैं. सीमा पार करने वाले परिवारों की भारी संख्या को देखते हुए टेक्सास-मैक्सिको बॉर्डर पर आप्रवासियों की मदद के लिए नागरिक संगठनों को लगाया गया है.
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संगठित अस्तव्यस्तता
सीसीआरजीवी के राहत केंद्र में लोगों को खाना दिया जाता है, यहां वे नहा धो सकते हैं और सो भी सकते हैं. इसके बाद वे अमेरिका में रह रहे अपने परिवारजनों या मित्रों के पास जा कर रह सकते हैं. उन्हें यह सुनिश्चित करना होता है कि वे अदालत में सुनवाई के लिए जरूर पहुंचें. इस केंद्र पर प्रत्येक दिन 800 आप्रवासी पहुंचते हैं.
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लंबी दूरी की यात्रा
एक बार जब अप्रवासी बस टिकट प्राप्त कर लेते हैं तो उन्हें ग्रेहाउंड स्टेशन पर वापस ले जाया जाता है. ये टिकट वे आमतौर पर अमेरिका में रहने वाले किसी परिचित के माध्यम से ही खरीदते हैं. यहां स्वयंसेवक मेलानी डोमिंगेज अप्रवासियों को अमेरिकी मानचित्र का उपयोग कर बताते हैं कि उन्हें कहां पर बस बदलने की जरूरत है.
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कम हुई संख्या
मैक ऐलन के पूर्व में सीमा के साथ मीलों तक फैला एक दीवार है जेसे साल 2000 में बनाया गया था. उस समय हर महीने औसतन 81,550 आप्रवासी गिरफ्तार होते थे. इसमें ज्यादातर अकेले पुरुष होते थे. अब यह औसत 32,012 प्रति महीने पर आ गया है. और अब आने वाले ज्यादातर आप्रवासी परिवार हैं. बच्चों समेत इन परिवारों को हिरासत में लेना और वापस भेजना कठिन होता है.
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बंटवारे की नदी
रियो ग्रैंड मेक्सिको के साथ अमेरिकी सीमा पर स्थित शहर टेक्सास को जोड़ती है. मध्य अमेरिका में हिंसा से भाग रहे लोगों के साथ काम करने वाली जेनिफर कहती हैं, "हर सप्ताह किसी के डूबने की खबर सुनती हूं. एक मां ने अपने तीन बच्चों के साथ नदी पार करने के लिए तस्कर को पैसे दिए. लेकिन हंगामे की वजह से उसका दो साल का बेटा नदी में गिर गया. नाविक ने कहा कि बीच नदी में नाव नहीं रोक सकते."
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अमेरिका के कदम
इंटरनेशनल गेटवे ब्रिज के मैक्सिकन छोर पर लगी सूचियों में आप्रवासी अपने नाम खोजते हैं ताकि पता कर सकें कि किसे अमेरिका जाने की अनुमति मिली है. यह तरीका प्रवासियों को अनुमति देने के लिए ट्रम्प प्रशासन द्वारा शुरू की गई कई नई नीतियों में से एक है. जानकारों को कहना है यह अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय शरण कानूनों दोनों का उल्लंघन करती हैं.
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आर्थिक प्रवासी बनाम शरण चाहने वाले
एक अन्य पुल पर निकारागुआ से आईं मां और बेटी इंतजार कर रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि वे शरण का दावा कर सकती हैं. अमेरिकी आप्रवासन को लेकर बहस में यह भी शामिल है कि क्या आर्थिक कठिनाई के बजाय उत्पीड़न से भागकर आने वालों को शरण मिलनी चाहिए. निकारागुआ के 27 वर्षीय एरविंग कहते हैं, "मेरे पास एक सिविल इंजीनियर की नौकरी थी, इसके बावजूद मैं यहां आया हूं. हम हिंसा की वजह से भागे हैं, नौकरी के लिए नहीं."
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डर के साथ उम्मीद
मैक ऐलन के ग्रेहाउंड बस स्टेशन के पीछे होंडुरास का 9 वर्षीय वलेरिया बस का इंतजार कर रहा है जो उसे और उसके परिवार को उत्तर में ले जाएगी. आराम करने और सीसीआरजीवी केंद्र में खाना खाने के बाद आप्रवासी अकसर बेहतर महसूस कर रहे होते हैं. होंडुरास की एक महिला कहती हैं, "लेकिन यहां भी डर है. मैं नहीं जानती कि कोर्ट में सुनवाई के बाद हमें यहां रहने की इजाजत मिलेगी या वापस भेज दिया जाएगा."(जेम्स जेफ्री/आरआर)