महाराष्ट्र के ठाणे जिले के भिवंडी में सोमवार तड़के एक तीन मंजिला इमारत गिरने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई, मलबे में फंसे करीब 20 लोगों को स्थानीय लोगों ने बचा लिया है.
फाइल.तस्वीर: STRDEL/AFP/Getty Images
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भिवंडी शहर में जो इमारत गिरी वह तीन मंजिला थी, इमारत के मलबे के नीचे दबने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई. आशंका जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक मलबे के नीचे अभी भी 20-25 लोग फंसे हो सकते हैं.
एनडीआरएफ के डीजी ने ट्वीट कर बताया है कि 20-25 लोगों के फंसे होने की आशंका है और खोजी दल तकनीकी उपकरणों के साथ-साथ खोजी कुत्तों का भी बचाव कार्य में इस्तेमाल कर रहे हैं. एनडीआरएफ की कुछ और टीमें मौके के लिए भेजी गई हैं. यह हादसा सोमवार तड़के 3.40 बजे हुआ, जब लोग गहरी नींद में सो रहे थे. भिवंडी नगर पालिका ने आठ लोगों के मरने की पुष्टि कर दी है.
पटेल कंपाउंड में स्थित तीन मंजिला इमारत के ढहने के बाद स्थानीय नगर निगम के साथ-साथ एनडीआरएफ की टीम राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बचाव दल ने एक बच्चे को भी मलबे से सुरक्षित निकाल लिया है. हादसे में नौ लोगों को मामूली चोटें आई हैं. शुरुआती जानकारी के मुताबित, यह इमारत 1984 में बनी थी.
24 अगस्त को महाराष्ट्र के रायगढ़ के महाड में पांच मंजिला इमारत गिर गई थी और हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने इमारत बनाने वाले बिल्डर को सितंबर महीने की शुरुआत में गिरफ्तार कर लिया था. देश में खराब निर्माण सामग्री और नियमों की अनदेखी की वजह से कई हादसे होते आए हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में देश भर में 1,161 इमारतें गिरने की वजह से 1,200 लोगों की मौत हई थी.
दुनिया में कुछ ऐसी इमारतें आज भी खड़ी हैं जिनका निर्माण पूरा होते होते सदियां बीत गईं. आइए देखें ऐसे पांच प्रभावशाली भवन.
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वेस्टमिंस्टर ऐबी
विलियम दि कॉन्करर (1066-1087) के समय से अंग्रेज राजा-रानियों की ताजपोशी यहीं होती आई है. इस इमारत का इतिहास तो इससे भी पुराना है. सातवीं सदी में यहां "वेस्ट मिंस्टर" चर्च हुआ करता था. आज मौजूद चर्च की नींव यहां सन 1245 में पड़ी. निर्माण चलता रहा और इसकी दो मुख्य मीनारें सन 1745 में बन कर तैयार हुईं - ठीक 500 साल बाद.
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मिलान कैथीड्रल
यह केवल मिलान शहर ही नहीं, इटली में गॉथिक आर्किटेक्चर का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है. कैथीड्रल-बैसिलिका ऑफ सांता मारिया नेसेन्टे को आम बोलचाल में मिलान कैथीड्रल के रूप में जाना जाता है. इसकी नींव 1388 में पड़ी और इसे बनाने में कई आर्किटेक्ट्स ने काम किया. सन 1965 में निर्माण पूरा होने तक 577 साल बीच चुके थे.
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कोलोन कैथीड्रल
पश्चिमी जर्मनी में स्थित कोलोन शहर का मशहूर कैथीड्रल जब सन 1880 में बन कर तैयार हुआ, तब वह दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थी. उस वक्त वह दुनिया में स्टील की सबसे बड़ी संरचना भी थी. इसका फ्री-स्विंग घंटा भी विश्व में सबसे विशाल था. कैथीड्रल में सलीब पर चढ़े जीसस क्राइस्ट का सबसे प्राचीन प्रदर्शन है. इसे बनने में करीब 632 साल लगे.
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अलहम्ब्रा
स्पेन के ग्रेनादा की साबिका पहाड़ की चोटी पर स्थित अलहम्ब्रा मूरिश आर्किटेक्चर के सबसे महत्वपूर्ण उदाहरणों में से एक है. यूनेस्को के विश्व धरोहरों में शामिल अलहम्ब्रा को देखने हर साल 30 लाख से भी अधिक लोग पहुंचते हैं. इस 'लाल किले' की नक्काशी और छतों पर लकड़ी का महीन काम देख कर अंदाजा लग जाता है कि इसे बनाने में 600 साल से भी अधिक क्यों लगे.
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स्टोनहेंज
किसी को पता नहीं है कि स्टोनहेंज को बनने में ठीक ठीक कितने साल लगे. रिसर्चरों का मानना है कि दक्षिण इंग्लैंड में स्थित इस स्थल के निर्माण के कुल पांच चरण रहे होंगे और इसे पूरा होने में कम से कम 1,400 साल लगे. हालांकि इससे भी बड़ा अनुत्तरित सवाल ये है कि स्टोनहेंज को बनाया क्यों गया.