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विवादएशिया

60,000 मीट्रिक टन पेट्रोलियम से लदे टैंकर पर हमला

१४ दिसम्बर २०२०

सऊदी अरब के ऑयल इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक महीने के भीतर चौथा हमला हुआ है. ताजा हमले में जेद्दाह के पोर्ट पर ईंधन से भरे ऑयल टैंकर को निशाना बनाया गया.

बीडब्ल्यू राइन का ऑयल टैंकरतस्वीर: Tommy Chia/AERIAL PHOTOGRAPHER SG/AP Photo/picture alliance

सऊदी अरब की जेद्दाह के बंदरगाह पर सोमवार सुबह एक ऑयल टैंकर पर हमला हुआ. सिंगापुर की कंपनी के टैंकर बीडब्ल्यू राइन में धमाका हुआ. शिपिंग कंपनी का कहना है कि हमला "बाहरी स्रोत" से हुआ. इस हमले के बाद लाल सागर में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही को लेकर आशंकाएं बढ़ गई हैं. सऊदी अरब बीते कई साल से यमन के संघर्ष में उलझा हुआ है.

बीडब्ल्यू राइन पर 60,000 मीट्रिक टन गैसोलीन लोड है. यह सऊदी अरब की सबसे बड़ी रिफाइनरी अरामको से लाया गया था. हमले के बाद टैंकर में आग लग गई. टैंकर के चालक दल के 22 सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. कुछ घंटों की मशक्कत के बाद दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पा लिया. कुछ तेल लीक होकर पानी में बह गया.

ब्रिटेन की नौसेना रॉयल नेवी ने लाल सागर के इलाके में आवाजाही कर रहे जहाजों से सावधानी बरतने की अपील की है. बीते एक महीने में यह चौथा मामला है जब सऊदी अरब के तेल प्रतिष्ठानों से जुड़ी चीजों को निशाना बनाया गया है. नवंबर में सऊदी अरब के निशतुन पोर्ट पर एक मालवाहक जहाज को समुद्री बारूदी सुरंग से निशाना बनाया गया. यमन में ईरान के समर्थन से लड़ रहे हूथी विद्रोही पहले भी समुद्री बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल करते रहे हैं.

लाल सागर की अहमियत

लाल सागर दुनिया की ऊर्जा सप्लाई के लिए बेहद अहम है. लाल सागर में दाखिल होने का समुद्री मार्ग यमन की खाड़ी में सबसे संकरा है.  स्वेज नहर में दाखिल होने का रास्ता इसी संकरी खाड़ी से गुजरता है. इस खाड़ी को पार करने के बाद ही जहाज सऊदी अरब, जॉर्डन, जिबूती, मिस्र, इस्राएल, इरीट्रिया और सूडान जा सकते हैं. लाल सागर एशिया को यूरोप से जोड़ता है.

दुनिया में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक सऊदी अरब अपने निर्यात के लिए करीब करीब पूरी तरह लाल सागर पर निर्भर है. ऐसे में लाल सागर में समुद्री सुरंगों का इस्तेमाल पूरी दुनिया की ऊर्जा सप्लाई पर असर डाल सकता है. अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम बाजार में सऊदी अरब की हिस्सेदारी 12 फीसदी है.

संकट भड़कने का खतरा

मैरीटाइम इंटेलिजेंस फर्म द्रयाल ग्लोबल के मुताबिक अगर ताजा हमला हूथी विद्रोहियों ने किया है तो ये बड़े संकट की शुरुआत होगी, "ये इस बात का संकेत होगा कि हूथी विद्रोहियों की हमला करने की क्षमता और मंशा में बड़ा बदलाव आ रहा है." सऊदी अरब का आरोप है कि उसके तेल प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए बम से लैस ड्रोनों और रॉकेटों का भी सहारा लिया जा रहा है.

यमन में सऊदी अरब के समर्थन वाली यमनी सेना और हूथी विद्रोही 2014 से ही एक दूसरे से लड़ रहे हैं. सऊदी अरब और यमन जमीनी सीमा से एक दूसरे से जुड़े हैं. दोनों देशों के बीच 1,307 किलोमीटर लंबी सीमा है. यमन के संघर्ष में अब तक 2,30,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और तीन करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं.

ओएसजे/एमजे (एएफपी, एपी) 

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