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राजनीतिऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के बीच बड़ा सैन्य समझौता

२० अगस्त २०२४

ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया ने एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के यहां से काम करने की अनुमति देगा.

कैनबरा में एंथनी अल्बानीजी और प्रबोवो सुबिआंतो
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी के साथ प्रबोवो सुबिआंतोतस्वीर: AAP Image/Lukas Coch via REUTERS

सैन्य सहयोग को एक नए चरण में ले जाते हुए ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया की सेनाएं अब एक दूसरे के यहां से सैन्य अभियान चला सकेंगी. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीजी और इंडोनेशिया में जल्दी ही राष्ट्रपति का पद संभालने जा रहे प्रबोवो सुबांतो ने कैनबरा में यह एलान किया.

अल्बानीजी ने कहा, "यह समझौता हमारे दोनों देशों के सुरक्षा समर्थन के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बनेगा, जो दोनों देशों के लिए और हमारे साझा क्षेत्र की स्थिरता के लिए अहम है."

ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया दुनिया की सबसे लंबी समुद्री सीमा साझा करते हैं और पहले से ही सुरक्षा, मानव तस्करी और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर सहयोग करते हैं.

ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने कहा, "नक्शा वास्तव में यह तय करता है कि ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया, जो सबसे करीबी पड़ोसी हैं, एक साझा भविष्य के साथ जुड़े हुए हैं. लेकिन अब से, यह भविष्य गहरे रणनीतिक विश्वास द्वारा परिभाषित होगा."

हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया ने कई रक्षा समझौते किए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख अमेरिका और ब्रिटेन के साथ आकुस सैन्य गठबंधन है. इन समझौतों ने चीन को नाराज भी किया है.

पिछले नवंबर में एक फोरम में, प्रबोवो ने कहा था कि इंडोनेशिया अपनी गुट निरपेक्षता की नीति के प्रति प्रतिबद्ध है और चीन और अमेरिका दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखेगा.

ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण पूर्व एशिया में रक्षा संबंध

ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों के साथ मजबूत रक्षा संबंध स्थापित किए हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा, समुद्री सहयोग और सैन्य प्रशिक्षण पर केंद्रित हैं. इसके प्रमुख साझेदारों में से एक फिलीपींस है, जिसके साथ 2015 से एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है. इस साझेदारी में संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास और समुद्री सुरक्षा में सहयोग के अलावा एक समझौता शामिल है जिससे ऑस्ट्रेलियाई सैन्य कर्मियों को फिलीपींस में आपदा राहत के दौरान काम करने की अनुमति मिलती है.

ऑस्ट्रेलिया का दक्षिण पूर्व एशिया में रक्षा सहयोग अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर भी निर्भर करता है. यह विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया की योजनाबद्ध परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जो इंडोनेशिया के जलमार्ग से गुजर सकती हैं. क्षेत्र में विश्वास और स्थिरता बनाए रखने के लिए इन अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन आवश्यक है.

ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच के संबंधों को चीन की उपस्थिति भी जटिल बनाती है, जो कई आसियान देशों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार है.

ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ अपने गठबंधन को संतुलित करते हुए, चीन के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. यह संतुलन महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच बढ़ते तनाव से दक्षिण पूर्व एशिया में अस्थिरता पैदा हो सकती है. हाल ही में चीन के प्रधानमंत्री ने सात साल बाद ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था.

संतुलन बनाता इंडोनेशिया

हाल के वर्षों में, इंडोनेशिया और चीन के बीच सैन्य सहयोग भी बढ़ा है. इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रम और रक्षा अधिकारियों के बीच उच्चस्तरीय यात्राएं शामिल हैं. दोनों देशों के बीच कई रक्षा समझौते हुए हैं, जिसमें सैन्य उपकरण की खरीद भी शामिल है.

इंडोनेशिया और चीन के बीच साउथ चाइना सी में एक विवाद इन संबंधों को प्रभावित करता है. यह विवाद नेचुना द्वीपों को लेकर है जिन पर इंडोनेशिया दावा तो नहीं करता, लेकिन मछली पकड़ने के अधिकार और समुद्री सीमाओं को लेकर चीन के साथ उसकी तनातनी बनी रहती है.

समुद्री मुद्दों पर कभी-कभी तनाव के बावजूद, दोनों देशों ने इन विवादों को सुलझाने के लिए संवाद किया है और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए संयुक्त समुद्री अभ्यास में भाग लिया है. इसके अलावा इंडोनेशिया ने चीन से सैन्य उपकरण खरीदे हैं, जिनमें पनडुब्बियां और लड़ाकू जेट शामिल हैं. इससे उसकी रक्षा क्षमताओं को मजबूती मिली है.

इंडोनेशिया का चीन के साथ सैन्य संबंध अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसी शक्तियों के साथ संतुलन बनाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है. इंडोनेशिया चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहता है, जबकि पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को भी मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.

विवेक कुमार (एएफपी)

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