ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स ने रूस पर आठ साल पहले एमएच17 विमान को गिराने के आरोप में मुकदमा कर दिया है. हादसे में 298 लोग मारे गए थे, जिनमें से 38 ऑस्ट्रेलियाई नागरिक थे.
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ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि इस मामले में उसने नीदरलैंड्स के साथ मिल कर संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन में कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और विदेश मंत्री मारीस पेन ने एक बयान में कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत रूस उस उड़ान को गिराने का जिमीदार था और अंतरराष्ट्रीय संगठन में कार्रवाई मारे जाने वालों के लिए न्याय की दिशा में एक कदम होगा.
क्या हुआ था 2014 में
संयुक्त कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संधि के अनुच्छेद 84 के तहत शुरू की गई. इस मामले में नीदरलैंड्स में अलग से चार लोगों के खिलाफ हत्या का एक मुकदमा चल रहा है जिनमें उनकी व्यक्तिगत आपराधिक जिम्मेदारी तय करने की कोशिश की जा रही है.
एमएच17 उड़ान 17 जुलाई, 2014 को नीदरलैंड्स के एम्सटर्डम से मलेशिया के कुआलालंपुर जा रही थी. यूक्रेन में बागियों के अधीन एक इलाके के ऊपर से गुजरने के दौरान विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. अंतरराष्ट्रीय जांचकर्ताओं और अभियोक्ताओं का कहना है विमान पर रूस में बनी एक सतह से हवा में दागी जाने वाली मिसाइल से हमला किया गया था.
रूस ने हमेशा इसमें शामिल होने से इनकार किया है और दुर्घटना के पीछे कई वैकल्पिक कारण सुझाए हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय जांचकर्ताओं ने इन कारणों को यह कहते हुए ठुकरा दिया है कि इनका कोई सबूत नहीं है.
नीदरलैंड्स में चल रहे हत्या के मुकदमे पर फैसला कुछ महीनों बाद आने की उम्मीद है. इसमें तीन रूसी व्यक्तियों और एक यूक्रेनी व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं. चारों की अभी तक गिरफ्तारी भी नहीं हो सकी है और और उनमें से कोई नीदरलैंड्स की अदालत में हाजिर भी नहीं हुआ है.
सीके/एए (रॉयटर्स)
एमएच17 क्रैश पर प्रारंभिक डच रिपोर्ट
तस्वीर: Reuters
जांचकर्ताओं के मुताबिक दुर्घटना के समय मलेशियाई एयरलाइंस का प्लेन करीब 10 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहा था. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर अचानक बंद हो गया, कोई आपात सिग्नल नहीं दिया गया.
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रिपोर्ट में लिखा है कि कॉकपिट वाले इलाके की जांच से लगता है कि उच्च ऊर्जा वाली कई चीजें वहां बाहर से टकराई हैं. इसका कोई सबूत नहीं मिला कि क्रैश तकनीकी गड़बड़ी या इंसानी गलती के कारण हुआ.
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डच जांचकर्ताओं को दुर्घटनास्थल पर नहीं जाने दिया गया क्योंकि यह संघर्ष ग्रस्त इलाका है. उन्हें सिर्फ यूक्रेन के क्रैश विशेषज्ञों से सूचना मिली. 298 में से सिर्फ 193 लोगों की ही पहचान की जा सकी है.
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प्लेन के ब्लैक बॉक्स की जांच हवाई दुर्घटना जांच शाखा फार्नबरो, ब्रिटेन में की गई. मलबे की तस्वीरों से पता चलता है कि छेद के आस पास की बॉडी जितनी विकृत हुई है, वह सिर्फ उच्च ऊर्जा वाली चीजों से ही हो सकती है.
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रिपोर्ट के शुरुआती विश्लेषण ब्लैक बॉक्स की मदद से किए गए. इनमें सैटेलाइट और रडार सूचना, पिक्चर और वीडियो शामिल हैं. यूक्रेन के एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने ये डाटा मुहैया करवाया.
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जांचकर्ताओं ने बताया कि क्रैश के बारे में पूरी रिपोर्ट 2015 के मध्य तक आ सकेगी. यूक्रेन में अप्रैल में शुरू हुए संघर्ष के समय से विमान हादसे में मारे गए लोगों को मिला कर मृतकों की संख्या 3,000 हो गई है.
तस्वीर: Reuters
नारंगी कलर के दो ब्लैक बॉक्स प्लेन में लगे होते हैं. ये रिकॉर्डिंग डिवाइस होते हैं. यह उड़ान का डाटा और कॉकपिट की पूरी बातचीत रिकॉर्ड करते हैं. हर प्लेन में दो ब्लैक बॉक्स होना जरूरी है.
एक ब्लैक बॉक्स वॉयस रिकॉर्डर होता है जिसमें कॉकपिट की सारी बातें रिकॉर्ड होती हैं, जबकि दूसरे में उड़ान का सारा डाटा सेव होता है.