ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सरकार समेत देश की कई बड़ी कंपनियों पर हुए साइबर अटैक को “राज्य-समर्थित” हरकत बताया है. किसी का नाम नहीं लिया गया लेकिन शक की सुई चीन की ओर घूमती दिख रही है.
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ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश बहुत बड़े स्तर के साइबर हमले का शिकार बनाया गया है. सरकार, सार्वजनिक सेवाओं और कारोबार जैसे हर क्षेत्र में ऐसे हमले करवाने में चीन का हाथ होने का शक जताया जा रहा है. प्रधानमंत्री मॉरिसन ने प्रेस क्रॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी कि अब तक कई संवेदनशील विभागों को निशाना बनाया जा चुका है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले समय में भी ऑस्ट्रेलियाई लोगों को कुछ "खास तरह के जोखिम" और ऐसे कई हमले झेलने पड़ सकते हैं.
मॉरिसन ने बिना किसी देश पर आरोप लगाए केवल इतना कहा कि ऐसा उच्चस्तरीय साइबर हमला करने की क्षमता अभी केवल मुठ्ठी भर देशों के पास ही है. इनमें चीन, ईरान, इस्राएल, उत्तर कोरिया, रूस, अमेरिका और कुछ गिने चुने यूरोपीय देश शामिल हैं. विश्व के इन्हीं देशों के पास ऐसे विकसित साइबरयुद्ध छेड़ने वाले हथियार हैं. लेकिन इन सबमें हमले के पीछे होने का शक सबसे पहले चीन पर जताया जा रहा है. इसका कारण यह माना जा रहा है कि चीन के कम्युनिस्ट शासन के हितों के खिलाफ बोलने के लिए ऑस्ट्रेलिया को चीन सजा देना चाहता है.
माना जा रहा है कि हाल ही में जब ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस की महामारी की शुरुआत के बारे में जांच कराने की मांग की तो इससे चीन काफी नाराज हो गया. इसके अलावा भी ऑस्ट्रेलिया लगातार चीन की उस तथाकथित आर्थिक "जबरदस्ती" के खिलाफ बोलता आया है जिसे हुआवे जैसी चीनी कंपनियों के माध्यम से फैलाया जाता है. उसका मानना रहा है कि विश्व भर में फैली ऐसी तकनीकी कंपनियां असल में चीन के लिए संवेदनशील सूचनाएं इकट्ठा करने और चीन को उसका फायदा पहुंचाने के लिए काम करती हैं.
हो जाइए सावधान, ये हैं साइबर फ्रॉड के नए तरीके
तकनीक तेजी से बदल रही है और साथ ही बदल रही है धोखाधड़ी करने की तकनीक भी. आजकल साइबर ठगों के निशाने पर बैंक खाते भी आ गए हैं और अनजान लिंक पर क्लिक करने भर से आपके पैसे गायब हो सकते हैं. यहां जानिए कैसे रह सकते हैं सतर्क.
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व्हाट्सऐप कॉल से फर्जीवाड़ा
अगर आपको व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉयस कॉल आती है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है. वॉयस कॉल करने वाला अपनी ट्रिक में फंसाकर आपके पैसे हड़प सकता है.
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यूपीआई
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के जरिए किसी को भी आसानी से पैसे भेजे या मंगाए जा सकते हैं. यूपीआई के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं. इससे बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर देना चाहिए. अजनबियों के लिंक भेजने पर क्लिक ना करें.
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एटीएम क्लोनिंग
पहले सामान्य कॉल के जरिए ठगी होती थी लेकिन अब डाटा चोरी कर पैसे खाते से निकाले जा रहे हैं. ठग हाईटेक होते हुए कार्ड क्लोनिंग करने लगे हैं. एटीएम कार्ड लोगों की जेब में ही रहता है और ठग पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम क्लोनिंग के जरिए आपके कार्ड की पूरी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका डुप्लीकेट कार्ड बना लिया जाता है. इसलिए एटीएम इस्तेमाल करते वक्त पिन को दूसरे हाथ से छिपाकर डालें.
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कार्ड के डाटा की चोरी
एटीएम कार्ड के डाटा की चोरी के लिए जालसाज कार्ड स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं, इसके जरिए जालसाज कार्ड रीडर स्लॉट में डाटा चोरी करने की डिवाइस लगा देते हैं और डाटा चुरा लेते हैं. इसके अलावा फर्जी कीबोर्ड के जरिए भी डाटा चुराया जाता है. किसी दुकान या पेट्रोल पंप पर अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि कर्मचारी कार्ड को आपकी नजरों से दूर ना ले जा रहा हो.
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क्यूआर कोड स्कैम
क्यूआर यानि क्विक रिस्पांस कोड के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं. इसके जरिए मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाता है और उसे पाने वाला शख्स क्यूआर कोड लिंक को क्लिक करता है तो ठग उसके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.
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ई-मेल स्पूफिंग
ई-मेल स्पूफिंग के जरिए ठग ऐसी ई-मेल आईडी बना लेते हैं जो नामी गिरामी कंपनियों से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के जरिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर डाटा चुरा लेते हैं. गूगल सर्च के जरिए भी ठगी के मामले सामने आए हैं. जालसाज सर्च इंजन में जाकर मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर अपना नंबर डाल देते हैं और अगर कोई सर्च इंजन पर कोई खास चीज तलाशता है तो वह फर्जी साइट भी आ जाती है.
अगर आप ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट पर पार्टनर की तलाश कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए क्योंकि इसके जरिए भी ठगी हो रही है. गृह मंत्रालय के साइबर सुरक्षा विभाग के मुताबिक ऑनलाइन वैवाहिक साइट पर चैट करते वक्त निजी जानकारी साझा ना करें और साइट के लिए अलग से ई-मेल आईडी बनाएं और बिना किसी पुख्ता जांच किए निजी जानकारी साझा करने से बचें.
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बैंक खातों की जांच
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक खातों की नियमित जांच करनी चाहिए और अस्वीकृत लेनदेन के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी देनी चाहिए.
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नौकरी का झांसा
कई जॉब पोर्टल संक्षिप्त विवरण को लिखने, विज्ञापित करने और जॉब अलर्ट के लिए फीस लेते हैं, ऐसे पोर्टलों को भुगतान करने से पहले, वेबसाइट की प्रमाणिकता और समीक्षाओं की जांच करना जरूरी है.
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सतर्कता जरूरी
ऑनलाइन लेनदेन करते समय मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर किसी ऐसे लिंक को क्लिक ना करे जिसके बारे में आप सुनिश्चित ना हो. सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय भी सुनिश्चित कर लें कि वेबसाइट वेरिफाइड हो.
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बैंकों की जिम्मेदारी
साइबर अपराध को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी दिशा-निर्देश बनाए हैं जिनके तहत बैंकों को साइबर सुरक्षा के पैमाने को और सुधारना, ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और साइबर अपराध रोकने के लिए बैंक ग्राहकों को जागरुक करना शामिल हैं.
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उधर चीन ने भी अपने छात्रों और पर्यटकों को ऑस्ट्रेलिया जाने से मना किया है और ऑस्ट्रेलियाई उत्पादों पर कई तरह के व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिए हैं. हाल ही में चीन ने एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक को ड्रग्स की तस्करी के लिए मौत की सजा भी सुनाई थी. एक साल पहले भी ऑस्ट्रेलियाई संसद, राजनीतिक दल और कई विश्वविद्यालय ऐसे बड़े स्तर के साइबर हमलों का शिकार बने थे और उस समय भी शक चीन पर ही जताया गया था.
चीन इन आरोपों को "गैरजिम्मेदाराना” अटकलें और उसकी छवि "खराब" करने की कोशिश बताया आया है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में जिम्मेदारी किसी पर ठहराना अकसर बहुत कठिन होता है और उसमें बहुत समय लगता है. अगर दोषी का नाम सार्वजनिक कर दिया जाए तो उससे तनाव के और ज्यादा बढ़ने की संभावना होती है.
प्रधानमंत्री मॉरिसन ने कहा है कि इस हमले में किसी का भी व्यक्तिगत डाटा चोरी नहीं हुआ है और ज्यादातर हमले असफल रहे. फिर भी भविष्य के लिए उन्होंने स्वास्थ्य और जरूरी सेवाओं से जुड़ी कंपनियों को साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की राय लेने और उससे बचाव की व्यवस्था करने की सलाह दी है. ऑस्ट्रेलिया ‘फाइव आइज इंटेलिजेंस-शेयरिंग नेटवर्क' का हिस्सा है, जिसके बाकी चार सदस्य ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और अमेरिका हैं. इन देशों के पास कई अत्याधुनिक साइबर सुविधाएं भी हैं, लेकिन इसके कारण वे अपने दुश्मनों के निशाने पर भी रहते हैं.