ऑस्ट्रेलिया के वीराने में एक विशाल दूरबीन का निर्माण शुरू हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप होगा.
विज्ञापन
ऑस्ट्रेलिया को सितारों के अध्ययन के लिए दुनिया की सबसे मुफीद जगहों में गिना जाता है. इस अध्ययन को और गहराई देने के मकसद से वहां एक रेडियो टेलीस्कोप बनाया जा रहा है. बहुत से एंटीना लगाकर यहां एक समूह तैयार होगा जो दक्षिण अफ्रीका में लगे डिश नेटवर्क के साथ मिलकर काम करेगा और स्क्वेयर किलोमीटर आरे (एसकेए) बनाएगा. यह विशालकाय मशीन सितारों के निर्माण और आकाशगंगाओं के रहस्यों से जुड़े सवालों के जवाब तो खोजेगी ही, साथ ही यह ब्रह्मांड में कहीं जीवन है या नहीं, इस पहेली को सुलझाने पर भी काम करेगी.
अंतरिक्ष यात्रियों की तनख्वाह कितनी
रॉकेट के सहारे उड़ना और बह्मांड में चक्कर लगाते हुए ग्रहों, तारों को देखना बहुत रोमांच जगाता है लेकिन इसमें बहुत जोखिम है. अंतरिक्ष में काम का सपना देखने वाले लोग बहुत हैं. इन अंतरिक्ष यात्रियों को पैसा कितना मिलता है.
तस्वीर: NASA/ZUMA Press Wire/picture alliance
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा
यात्रियों को अंतरिक्ष भेजने वाली सबसे बड़ी एजेंसी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी, नासा में अंतरिक्ष आत्रियों के वेतनमान के दो ग्रेड हैं. पहला ग्रेड है जीएस 13 इसमें सालाना 65 हजार 140 डॉलर वेतन शुरू होता है. दूसरा ग्रेड है जीएस 14 जिसमें 100,701 डॉलर के मूल वेतन से शुरुआत होती है. नासा में सैन्य अंतरिक्ष यात्री भी रहे हैं उन्हें सेना के नियमों के अनुसार ही वेतन, भत्ते और छुट्टियां मिलती हैं.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/ASSOCIATED PRESS/picture alliance
नासा में सुविधाएं
अंतरिक्ष यात्रियों को आजीवन मेडिकल सुविधा के साथ ही पेंशन और कई तरह के भत्ते भी दिये जाते हैं. अमेरिका में अंतरिक्ष यात्रियों को कर भी देना होता है. अपुष्ट जानकारी के मुताबिक उन्हें हर अंतरिक्ष यात्रा के लिए भी कुछ रकम अलग से दी जाती है.
तस्वीर: Heritage Images/picture alliance
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, ईएसए
ईएसए में अंतरिक्ष यात्रियों का वेतन ग्रेड ए2/ए4 के बैंड में है. नियुक्ति के साथ ए2 और ट्रेनिंग के बाद ए3 ग्रेड में वेतन मिलेगा. पहली अंतरिक्ष यात्रा के बाद उन्हें ए4 ग्रेड का वेतन मिलता है. इस तरह जर्मनी में रहने वालों को सालाना 66,588 और फ्रांस में 70,143 यूरो और यूके में रहने वालों को 54,416 पाउंड का शुरुआती वेतन मिलता है. आगे यह फ्रांस में 100,578 यूरो और ब्रिटेन में 78,046 पाउंड तक जा सकता है.
तस्वीर: ESA/REUTERS
यूरोप में सुविधाएं
यूरोप में भी अंतरिक्ष यात्रियों को आजीवन मेडिकल सुविधा, वेतन सहित छुट्टियां, छुट्टियों में घर जाने के लिए यात्रा का खर्च, 10 साल की नौकरी के बाद पेंशन और दूसरे कई भत्ते मिलते हैं. इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय सरकारों को आयकर नहीं देना होता इसलिए दूसरे पेशे में काम करने वालों की तुलना में उनके हाथ में ज्यादा पैसे आते हैं.
तस्वीर: Nasa/dpa/picture alliance
स्पेसएक्स
इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने 2020 में पहली बार मानवसहित अपना यान अंतरिक्ष में भेजा. यह अंतरिक्ष में जाने वाला प्राइवेट कंपनी का पहला यान था. इलॉन मस्क ने अपने अंतरिक्षयात्रियों को नासा से अधिक वेतन देने की बात कही थी. अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक स्पेसएक्स अंतरिक्ष यात्रियों को सालाना लगभग 141,500 डॉलर वेतन देता है.इसके साथ कई तरह के भत्ते और सुविधाएं भी उन्हें मिलती हैं.
1969 में नासा के अपोलो मिशन के साथ अंतरिक्ष के सफर पर गये नील आर्मस्ट्रांग को तब 27,401 डॉलर का सालाना वेतन मिलता था. यह उस समय किसी अंतरिक्ष यात्री को मिलने वाला सबसे अधिक वेतन था. आज की कीमतों में अगर गणना करें तो यह रकम करीब 2 लाख डॉलर के बराबर होगी.
तस्वीर: Abaca/CNP/picture alliance
6 तस्वीरें1 | 6
इस टेलीस्कोप को बनाने का विचार सबसे पहले 1990 के दशक में आया था लेकिन यह परियोजना धन के अभाव और लालफीताशाही की उलझनों में फंसी रही. एसकेए ऑब्जरवेटरी के महानिदेशक फिलिप डायमंड कहते हैं कि टेलीस्कोप का निर्माण मानव इतिहास में एक मील का पत्थर है. उन्होंने कहा, "यह टेलीस्कोप इंसान द्वारा विज्ञान की दिशा में किये गये सबसे बड़े प्रयासों में से एक होगा.”
जगह कैसे चुनी गई?
इस टेलीस्कोप का नाम (एसकेए) उसी विचार का परिचायक है, जहां से इस परियोजना की शुरुआत हुई थी. जब यह योजना बनाई गई थी तो विचार यह था कि दूरबीन एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को देख सके. हालांकि ऑब्जरवेटरी का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका दोनों जगह लगे एंटीना मिलकर उसका आधा ही देख पाएंगे.
ऑस्ट्रेलिया औऱ दक्षिण अफ्रीका दोनों ही इस तरह के टेलीस्कोप के लिए सटीक जगह हैं क्योंकि दोनों के पास ऐसे विशाल निर्जन इलाके हैं, जहां लंबे चौड़े डिश एंटीना लगाए जा सकते हैं क्योंकि वहां तरंगों के मार्ग में किसी तरह की बाधा नहीं होती. ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी प्रांत वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस ट्री के आकार के 130,000 एंटीना लगाए जाएंगे.
ये एंटीना जिस जमीन पर लगाए जाएंगे वह वजारी आदिवासियों की जमीन है. वे लोग इस जगह को इन्यारीमन्हा इगारी बंडारा कहते हैं. इसका मतलब है आसमान और सितारों को साझा करना कहते हैं. डायमंड कहते हैं, "हम उनकी इस इच्छा का सम्मान करते हैं कि वे अपने आसमान और सितारों को हमारे साथ साझा करने को राजी हैं क्योंकि हम विज्ञान के कुछ आधारभूत सवालों के जवाब खोजना चाहते हैं.”
अंतरिक्ष में हुई डार्ट की टक्कर से झूम उठे नासा वैज्ञानिक
पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर दूर नासा के एक रॉकेट ने जब उल्कापिंड को टक्कर मारी तो मानवजाति के भविष्य ने एक नई दिशा में कदम रखा. इसीलिए नासा वैज्ञानिक टक्कर होते ही खुशी से झूम उठे.
तस्वीर: ASI/NASA/AP/dpa/picture alliance
डायमॉरफस से जा टकराया डार्ट
27 सितंबर को अमेरिकी अंतरिक्षएजेंसी नासा का 33 करोड़ डॉलर यानी लगभग 26 अरब रुपये से बना एक अंतरिक्ष यान डार्ट उल्कापिंड डायमॉरफस से जा टकराया.
तस्वीर: ASI/NASA/AP/dpa/picture alliance
पृथ्वी को बचाने के लिए
यह टक्कर विशाल पैमाने पर पहली बार किए गए एक प्रयोग का हिस्सा है जिसके जरिए भविष्य में आने वाली ऐसी किसी आपदा से पृथ्वी को बचाने की संभावनाएं आंकी जा रही हैं.
तस्वीर: NASA/UPI Photo/Newscom/picture alliance
क्या है डार्ट?
डबल एस्ट्रॉयड रीडाइरेक्शन टेस्ट यानी डार्ट (DART) नाम के इस अभियान के जरिए अंतरिक्ष विज्ञानी यह सीखना चाहते हैं कि अगर कोई उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने के लिए इस ओर बढ़ रहा है तो उसका रास्ता बदला जा सकता है या नहीं.
तस्वीर: NASA/Johns Hopkins APL via CNP/Consolidated News Photos/picture alliance
छोटा सा चांद
इस अभियान के लिए वैज्ञानिकों ने डायमॉरफोस नामक उल्कापिंड को चुना था. इसे मूनलेट यानी नन्हा चांद भी कहा जाता है. यह पृथ्वी के नजदीक ही एक अन्य विशाल उल्कापिंड डिडायमॉस नामक उल्कापिंड का चक्कर लगा रहा है.
तस्वीर: ASI/NASA/AP/dpa/picture alliance
कुछ अद्भुत हासिल हुआ
इस टक्कर के नतीजे मिलने में अभी वैज्ञानिकों को कुछ हफ्ते लगेंगे लेकिन नासा अधिकारी डॉ. लॉरी ग्लेस ने कहा उन्हें पूरा यकीन है, कुछ अद्भुत हासिल हुआ है.
तस्वीर: NASA via AP/picture alliance
5 तस्वीरें1 | 5
दक्षिण अफ्रीका में इस टेलीस्कोप का दूसरा हिस्सा स्थापित किया जाएगा. वहां सुदूर कारू इलाके में करीब 200 डिश लगाई जाएंगी. एसकेए का कहना है कि दो रेडियो टेलीस्कोपों की एक दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि वे अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर काम करते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों जगहों यानी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को मिलाकर एसकेए किसी भी एक टेलीस्कोप के रूप में सबसे ज्यादां संवेदनशील होगा क्योंकि यह कोई एक डिश नहीं है बल्कि बहुत सारे एंटीना औ डिश का समूह है जो मिलकर एक विशाल वर्चुअल डिश बन जाएंगे.
विज्ञापन
कितना ताकतवर होगा टेलीस्कोप?
टेलीस्कोप डाइरेक्टर सारा पीयर्स कहती हैं कि यह टेलीस्कोप आकाशगंगाओं के जन्म और मृत्यु की पहेलियां सुलझाने में मदद करेगा. साथ ही इससे नई तरह की ग्रैविटेशन तरंगें खोजी जा सकेंगी और "ब्रह्मांड के बारे में हमारी जानकारी और बढ़ेगी.”
क्या आप जानते थे कि चांद सिकुड़ रहा है?
नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम की वजह से एक बार फिर इंसानों के चांद पर पहुंचने की संभावनाओं ने जन्म ले लिया है. लेकिन क्या आप चांद के बारे में ये बातें जानते हैं?
नासा के शोध के मुताबिक चांद धीरे धीरे अपनी गर्मी खो रहा है जिसकी वजह से उसकी सतह इस तरह सिकुड़ने लगी है जैसे अंगूर सिकुड़ कर किशमिश बन जाता है. लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं हो रहा है. चांद के अंदर का भाग भी सिकुड़ रहा है. पिछले करोड़ों सालों में चांद करीब 50 मीटर (150 फुट) पतला हो गया है.
तस्वीर: picture-alliance/Arco Images/B. Lamm
झंडा आखिर लहराया कैसे?
कुछ लोगों का मानना है कि 1969 में अंतरिक्ष यात्रियों का चांद पर उतरना एक झूठ था और असल में नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन एक नकली सेट पर चले थे. ये मानने वाले लोग कहते हैं कि एल्ड्रिन द्वारा लगाया गया अमेरिकी झंडा ऐसे लहरा रहा था जैसे हवा चल रही हो और अंतरिक्ष के निर्वात में यह नामुमकिन है. नासा का कहना है कि एल्ड्रिन झंडे को जमीन में गाड़ते समय उसे हिला रहे थे.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/Neil A. Armstrong
जलाने वाली गर्मी, जमाने वाली ठंड
चांद पर तापमान काफी चर्म पर रहता है. सूरज की किरणें सतह पर पड़ने पर तापमान 127 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है और किरणों की गर्मी के बिना तापमान धड़ाम से गिर कर माइनस 153 डिग्री सेल्सियस तक आ सकता है!
तस्वीर: picture alliance/dpa/S. Kahnert
वहां रहता है कोई
चांद पर कोई रहता है यह एक बहुत ही पुराना मिथक है. कुछ लोगों को तो पूर्णिमा के दिन चांद की सतह पर ही एक चेहरा दिखाई देता है. कई देशों में ऐसे एक व्यक्ति को लेकर किम्वदंतियां हैं जिसने कोई बड़ी गलती की थी और उसे सजा के रूप में चांद पर भेज दिया गया था. हालांकि अभी तक किसी अंतरिक्ष यात्री को तो वो व्यक्ति नहीं मिला.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Rumpenhorst
पृथ्वी से दूर भी जा रहा है
चांद हर साल पृथ्वी से लगभग चार सेंटीमीटर दूर भी खिसकता जा रहा है. यह जितना दूर होता चला जाएगा हमें उतना छोटा नजर आएगा. करीब 55 करोड़ सालों में ये इतना छोटा नजर आने लगेगा कि पृथ्वी के सबसे करीब बिंदु पर भी यह सूर्य को ढंक नहीं पाएगा. यानी तब सूर्य ग्रहण नहीं हुआ करेंगे.
तस्वीर: Reuters/J. Ernst
जी नहीं, भेड़ियों को चांद से कोई विशेष लगाव नहीं है
हर पुरानी डरावनी फिल्म में एक भेड़िए का चांद को देख कर हुआ हुआ करने का दृश्य होता ही था. लेकिन असल में ऐसा नहीं होता. भेड़िए ना पूर्णिमा पर ज्यादा तेज हुआ हुआ करने लगते हैं और ना ही चांद को देख कर ऐसा करते हैं. वो बस रात को हुआना तेज कर देते हैं और उसी समय पूरा चांद सबसे ज्यादा दिख रहा होता है.
तस्वीर: Imago/Anka Agency International/G. Lacz
चांद पर चलने वालों में विविधता की कमी
अभी तक कुल 12 इंसानों ने चांद पर कदम रखा है. ये सब अलग अलग व्यवसायों से तो हैं, लेकिन ये सब अमेरिकी हैं, श्वेत हैं और पुरुष हैं. देखना होगा कि चांद पर कदम रखने वाला पहला गैर-अमेरिकी कौन होगा. शायद वो एक महिला हो और शायद वो अश्वेत हो!
तस्वीर: picture-alliance/dpa
7 तस्वीरें1 | 7
कर्टिन इंस्टिट्यूट ऑफ रेडियो एस्ट्रोनॉमी के डैनी प्राइस कहते हैं कि यह टेलीस्कोप अत्याधिक शक्तिशाली होगा. उन्होंने बताया, "एसकेए की संवेदनशीलता को आप इस तरह समझ सकते हैं कि यह 22.5 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल पर मौजूद एक अंतरिक्षयात्री की जेब में पड़ा मोबाइल फोन खोज सकता है.”
एसकेए ऑब्जर्वेटरी का मुख्यालय ब्रिटेन के जोडरेल बैंक में है. उसका कहना है कि इस दशक के आखिर तक यह टेलीस्कोप काम करना शुरू कर देगा. एसकेए ऑब्जरवेटरी 14 देशों की एक सामूहिक संस्था है. इसमें ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, न्यूजीलैंड, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड्स शामिल हैं.