1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समानताऑस्ट्रेलिया

स्ट्रीमिंग वेबसाइटों पर कोटा लागू करेगा ऑस्ट्रेलिया

विवेक कुमार
३ अप्रैल २०२३

ऑस्ट्रेलिया ने नेटफ्लिक्स, एमेजॉन, डिज्नी प्लस जैसी अंतरराष्ट्रीय स्ट्रीमिंग वेबसाइटों में सामग्री कोटा लागू करने की योजना बना रहा है. इस कोटा के तहत सुनिश्चित किया जाएगा कि घरेलू सामग्री को बराबर की जगह मिले.

नेटफ्लिक्स
नेटफ्लिक्सतस्वीर: Charly Triballeau/AFP/Getty Images

ऑस्ट्रेलिया ने ऐलान किया है कि अंतरराष्ट्रीय स्ट्रीमिंग वेबसाइटों पर भी कोटा सिस्टम लागू किया जाएगा. नई नेशनल कल्चर पॉलिसी के तहत यह कोटा लागू होगा जिसके लिए सरकार संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद फैसला करेगी.

ऑस्ट्रेलिया में 1960 के दशक से ही प्रसारकों पर इस तरह का कोटा सिस्टम लागू है, जिसके तहत स्थानीय, राष्ट्रीय और बच्चों के लिए बनाए जाने वाले कार्यक्रमों को तय समय मिलने की व्यवस्था बनाई गई है. लेकिन लाइव स्ट्रीमिंग सुविधा आने के बाद टीवी उद्योग बड़े पैमाने पर बदल गया है.

इस बदलाव के मद्देनजर सरकर ने रिवाइव नाम की अपनी नई संस्कृति नीति के तहत तय किया है कि सभी अंतरराष्ट्रीय प्रसारकों को भी स्थानीय कहानियों को बराबर की जगह देनी होगी. सरकार का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया की कहानियों को प्रसारण में उचित समय मिलना चाहिए. इसके अलावा जानकार मानते हैं कि स्थानीय कलाकारों और निर्माताओं के आर्थिक लाभ के लिए भी कोटा सिस्टम आवश्यक है.

क्यों चाहिए कोटा सिस्टम?

न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड मीडिया स्कूल में पढ़ाने वालीं एसोसिएट प्रोफेसर जेन मिल्स स्क्रीन स्ट्डीज पर शोध कर रही हैं. एक लेख में उन्होंने कहा कि वह स्थानीय कोटा लागू किए जाने की समर्थक हैं.

'स्क्विड गेम' ने बदल दी इस भारतीय एक्टर की जिंदगी

मिल्स कहती हैं, "यह एक शानदार कदम है लेकिन कई अहम बातों और अतिरिक्त उपायों को ध्यान में रखा जाना भी जरूरी है ताकि ऑस्ट्रेलिया के स्क्रीन उद्योग और दर्शकों को नई नीति का सर्वाधिक लाभ मिल सके. जब विमर्श हो तो इस बात को ध्यान में रखा जाए कि स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म पर ऑस्ट्रेलियाई कार्यक्रमों का प्रतिशत में हिस्सा ही तय ना हो बल्कि घंटों में भी तय हो.”

मिल्स कहती हैं कि पहले न्यूनतम कोटा पूरा करने के लिए प्रसारक कई छोटे-छोटे कार्यक्रम प्रसारित करते रहे हैं, जिनकी निर्माण गुणवत्ता अच्छी नहीं होती और वे बहुत सस्ते में तैयार किए जाते हैं. मिल्स के मुताबिक उद्योग जगत इन्हें ‘कोटा क्विकीज' नाम देता है. वह कहती हैं, "प्रसारण सामग्री की लंबाई और गुणवत्ता भी सुनिश्चित होनी चाहिए.”

भारत में नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म बॉलीवुड को कैसे बदल रहे हैं?

नई संस्कृति नीति के तहत सरकार ने माना है कि मूल निवासियों से संबंधित कार्यक्रम और युवाओं के लिए ड्रामा और डॉक्युमेंट्री कार्यक्रमों को तैयार करना महंगा पड़ता है और उन्हें विशेष सुरक्षा की जरूरत है.

फिलहाल ऑस्ट्रेलिया में जो व्यवस्था लागू है उसके तहत मुफ्त में प्रसारण करने वाले प्रसारकों को अपने कुल कार्यक्रमों का 55 फीसदी हिस्सा ऑस्ट्रेलियाई सामग्री से रखना होता है. अध्ययन बताते हैं कि स्ट्रीमिंग वेबसाइट मुश्किल से 20 फीसदी ऑस्ट्रेलियाई कार्यक्रम ही प्रसारित कर रही हैं.

कई जगह है कोटा सिस्टम

अन्य देशों में भी इस तरह का कोटा सिस्टम लागू है. मिसाल के तौर पर यूरोपीय संघ में 30 प्रतिशत कार्यक्रम स्थानीय होने चाहिए. यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देशों में तो इससे भी ज्यादा सीमा लागू है. इंडोनेशिया में यह सीमा 40 फीसदी है जबकि कनाडा में 45 फीसदी.

एक बहस इस बात पर भी है कि किसे स्थानीय सामग्री माना जाए. ऑस्ट्रेलिया में इस बहस के कई आयाम हैं क्योंकि यह एक बहुसांस्कृतिक देश है जहां कि आधी से ज्यादा आबादी विदेशों में जन्मी है. 180 देशों में जन्मे लोगों के देश ऑस्ट्रेलिया में किसे ऑस्ट्रेलियाई कार्यक्रम कहा जाए, यह अपने आप में बड़ा सवाल है.

प्रोफेसर मिल्स कहती हैं, "हमें इस बात की समीक्षा करनी होगी कि स्थानीय सामग्री किसे कहा जाए. स्क्रीन ऑस्ट्रेलिया (एक स्थानीय सरकारी संस्था) की इस बारे में एक परिभाषा है लेकिन वह काफी जटिल है और उसमें न्यूजीलैंड को भी शामिल किया गया है.”

 

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें