ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पहली राष्ट्रीय रक्षा नीति जारी की है. इस नीति के केंद्र में चीन की दादागीरी को रोकना है. चीन ने इसके खिलाफ आगाह किया है.
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ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पहली राष्ट्रीय रक्षा नीति जारी की है जो चीन की क्षेत्र में ‘दादागीरी चलाने के तौर-तरीकों‘ को नियंत्रित रखने पर केंद्रित है. 80 पन्ने की इस नीति में प्रशांत क्षेत्र के सामरिक हालात को तनावपूर्ण बताया गया है और रक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया के रक्षा खर्च में भारी बढ़ोतरी की जरूरत पर बात की गई है.
देश के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने कहा, "शीत युद्ध के बाद जिस सकारात्मक माहौल ने रक्षा योजनाओं को निर्देशित किया था, वह अब खत्म हो चुका है.”
सिर्फ 6 देशों के पास हैं परमाणु पनडुब्बियां
आकुस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी बनाई जाएगी. इसके तैयार हो जाने पर वह सातवां ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास परमाणु पनडुब्बी है. अब तक यह क्षमता हासिल कर चुके देश हैं..
तस्वीर: Reuters/S. Andrade
ऑस्ट्रेलिया होगा 7वां देश
2016 की इस तस्वीर में फ्रांसीसी पनडुब्बी है जो ऑस्ट्रेलिया को मिलनी थी. अब फ्रांस की जगह वह अमेरिका से परमाणु पनडुब्बी लेकर सातवां देश बन जाएगा. बाकी छह देशों में भारत भी है. लेकिन सबसे ज्यादा पनडुब्बियां किसके पास हैं? अगली तस्वीर में जानिए...
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Blackwood
अमेरिका
अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 68 परमाणु पनडुब्बियां हैं. इनमें से 14 ऐसी हैं जो बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकती हैं.
तस्वीर: Amanda R. Gray/U.S. Navy via AP/picture alliance
रूस
रूस के पास 29 परमाणु पनडुब्बियां हैं जिनमें से 11 में बैलिस्टिक मिसाइल से हमला करने की क्षमता है.
तस्वीर: Peter Kovalev/TASS/dpa/picture alliance
चीन
चीन के पास 12 परमाणु पनडुब्बियां हैं जिनमें से आधी ऐसी हैं जो बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकती हैं. बाकी छह परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां हैं.
तस्वीर: Imago Images/Xinhua/L. Ziheng
ब्रिटेन
ब्रिटेन 11 परमाणु पनडुब्बियों के साथ इस सूची में चौथे नंबर पर है. उसकी 4 पनडुब्बियां बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता रखती हैं.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस के पास भी बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकने वाली चार परमाणु पनडुब्बियां हैं. हालांकि उसकी कुल पनडुब्बियों की संख्या 8 है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/DCNS Group
भारत
भारत इस सूची में एक पनडुब्बी के साथ शामिल है. भारत की परमाणु ऊर्जा संपन्न यह पनडुब्बी मिसाइल भी दाग सकती है.
तस्वीर: Reuters/S. Andrade
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रक्षा नीति में चेतावनी दी गई है कि "चीन ने अपने रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए डराने-धमकाने का” तरीका अपनाया है जिसमें ऑस्ट्रेलिया के लिए व्यापारिक प्रतिबंध और समुद्र व रक्षा मार्गों में रुकावट आदि शामिल हैं.
मार्ल्स ने कहा, "हम एक द्वीपीय देश हैं जो व्यापार के लिए समुद्री मार्ग पर निर्भर है. ऑस्ट्रेलिया पर हमले की तो कोई संभावना नहीं बनती क्योंकि दुश्मन बिना हमारी जमीन पर कदम रखे ही हमें बहुत नुकसान पहुंचा सकता है.”
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रक्षा बजट में बढ़ोतरी
ऐसी सेना रखने के बजाय जो दुनिया में कहीं भी कोई भी काम कर सके, मार्ल्स ने कहा कि देश की रक्षा नीति अपने आस-पास के क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के सीधे लक्ष्य पर केंद्रित होगी. इस नीति के तहत परमाणु ऊर्जा से चलने वालीं पनडुब्बियों का विकास, मिसाइल क्षमता का विकास और समुद्री लड़ाकू बेड़े का विकास किया जाएगा.
ताइवान में लोग क्यों ले रहे हथियार चलाने की ट्रेनिंग
यूक्रेन पर रूस के हमले से सबक लेते हुए ताइवान के लोग भी बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं. उन्हें डर है कि जिस तरह से रूस ने यूक्रेन के साथ किया है कहीं चीन भी ताइवान के साथ न कर दे.
तस्वीर: Ann Wang/REUTERS
ताइवान में भी युद्ध की आशंका
ताइवान के कई लोगों को अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक बड़ा पड़ोसी अपने छोटे पड़ोसी पर हमला कर सकता है. उनमें से कई लोगों का मानना है कि चीन ताइवान पर कभी भी हमला कर सकता है और ऐसे में चूंकि उसे अपने अस्तित्व के लिए लड़ना है, इसलिए बेहतर होगा कि अभी से तैयारी शुरू कर दी जाए. इसे ध्यान में रखते हुए कई लोगों ने पहले ही बंदूक प्रशिक्षण में दाखिला ले लिया है.
तस्वीर: Ann Wang/REUTERS
ताइवान पर बढ़ता दबाव
चीन ताइवान को अपना इलाका मानता है और उसे अपने अधीन लाने का प्रण ले चुका है. रूस ने फरवरी में यूक्रेन पर हमला किया था तब से ताइवानियों के बीच बंदूक प्रशिक्षण में रुचि अभूतपूर्व दर से बढ़ी है. राजधानी ताइपेई के पास पोलर लाइट ट्रेनिंग सेंटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैक्स चियांग ने कहा कि बहुत से लोग जिन्होंने अपने जीवन में कभी बंदूक नहीं देखी है, वे इसका इस्तेमाल करना सीख रहे हैं.
तस्वीर: Ann Wang/REUTERS
बंदूक के साथ लड़ना सीख रहे
पिछले तीन महीनों में ताइवान में सभी उम्र और व्यवसायों के लोगों में बंदूक प्रशिक्षण में रुचि बढ़ी है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक देश के टुअर गाइड से लेकर टैटू आर्टिस्ट तक लगभग हर कोई एक विशेष परिस्थिति के लिए तैयार रहने के लिए शूटिंग में कुशल होना चाहता है.
तस्वीर: Ann Wang/REUTERS
नेता भी सहमे
यूक्रेन में जो हालात हैं उनसे ताइवान के नेताओं का एक बड़ा वर्ग भी चिंतित है. उनमें से कुछ ने तो युद्ध की तैयारी भी शुरू कर दी है. सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के एक नेता लिन पिंग-यू ने कहा कि अगर युद्ध छिड़ता है तो उसके लिए उन्होंने अपने परिवार के लिए आपातकालीन खाद्य आपूर्ति और बैट्री जमा कर ली है.
तस्वीर: Ann Wang/REUTERS
टैटू कलाकार भी मैदान में
चीन से खतरे के खिलाफ तैयारी करने वालों में 39 साल के टैटू कलाकार सु चुन भी हैं. वे एयर गन चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं. वे कहते हैं, "मैं युद्ध के कुछ कौशल सीखना चाहता हूं, जिसमें सिर्फ हथियार चलाने की ट्रेनिंग नहीं बल्कि किसी भी तरह की स्थिति पर प्रतिक्रिया देने की ट्रेनिंग शामिल हो."
तस्वीर: Ann Wang/REUTERS
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मार्ल्स ने कहा, "हमारी नीति का मकसद देश के इतिहास की सबसे ताकतवर जल सेना तैयार करना है.” ऑस्ट्रेलिया चाहता है कि उस पर हमला करने से पहले दुश्मन देश यह सोचे कि यह कितना महंगा पड़ेगा.
नई रक्षा नीति में रक्षा बजट को जीडीपी के 2 फीसदी से बढ़ाकर 2.4 फीसदी किया जाएगा. हालांकि बहुत से विशेषज्ञ इससे हथियारों की प्रतिद्वन्द्विता बढ़ने की आशंका जता रहे हैं. खासतौर पर प्रशांत क्षेत्र में जहां चीन, दक्षिण कोरिया और जापान पहले से ही हथियार जमा करने की होड़ में लगे हुए हैं, ऑस्ट्रेलिया के रक्षा बजट में बढ़ोतरी का असर इस होड़ को और बढ़ाने पर ही होगा.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिप्री) के मुताबिक एशिया और ओशेनिया में रक्षामद में खर्च 2013 से 2023 के बीच 45 फीसदी बढ़ चुका है.
चीन की प्रतिक्रिया
ऑस्ट्रेलिया और अन्य पश्चिमी देशताइवान की खाड़ीऔर दक्षिणी व पूर्वी चीन सागर में युद्ध की आशंका जताते रहे हैं. इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई रक्षा नीति में भारत-चीन सीमा पर युद्ध की भी आशंका जताई गई है.
ताइवान को मान्यता देने वाले चंद देश
कुछ देशों ने 1947 में भारत के आजाद होने से पहले ही ताइवान को राष्ट्र का दर्जा दे दिया. चीन की आपत्ति के बावजूद कई छोटे देश आज भी ताइवान को एक संप्रभु राष्ट्र का दर्जा देते हैं.
तस्वीर: Daniel Ceng Shou-Yi/ZUMA Press Wire/picture alliance
ग्वाटेमाला
1933 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: Luis Echeverria/Photoshot/picture alliance
बेलीज
1989 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: picture-alliance/Sergi Reboredo
हैती
1956 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: Valerie Baeriswyl/REUTERS
वेटिकन सिटी
1942 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: Chun Ju Wu/Zoonar/picture alliance
होंडुरास
1985 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: Orlando Sierra/AFP/Getty Images
पैराग्वे
1957 से अब तक ताइवान तक मान्यता.
तस्वीर: Andre M. Chang/ZUMAPRESS/picture alliance
सेंट लूसिया
1984-1997 और 2007 से अब तक ताइवान का मान्यता.
तस्वीर: Loic Venance/AFP/Getty Images
मार्शल आइलैंड्स
1998 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/U.S. Army
पलाऊ
1999 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: Britta Pedersen/dpa/picture alliance
सेंट किट्स एंड नेविस
1983 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: CC BY-NC 2.0
तवालू
1979 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: Tuvalu Foreign Ministry/REUTERS
सेंट विन्सेंट एंड ग्रैनेडंस
1981 से अब तक ताइवान को मान्यता
तस्वीर: Robertson S. Henry/REUTERS
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मार्ल्स ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को युद्ध की तैयारी के लिए ज्यादा समय नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलिया के पास युद्ध की तैयारी के लिए दस साल के समय की सुविधा अब नहीं है.”
ऑस्ट्रेलिया की इस नई नीति पर चीन ने उसे आगाह किया है, उसने कहा हर बात पर चीन पर आरोप लगाने से बाज आना चाहिए. उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, "चीन किस देश के लिए खतरा नहीं है. हम उम्मीद करते हैं कि ऑस्ट्रेलिया चीन के विकास और रणनीतिक मंशाओं को सही नजरिये से देखेगा, शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर आएगा और क्षेत्रीय सुरक्षा व स्थिरता के लिए ज्यादा कोशिशें करेगा.”