ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के अपने राजदूत को वापस कैनबरा भेजने के फैसले का स्वागत किया है. एक समझौता तोड़ने से नाराज फ्रांस ने पिछले महीने अपना राजदूत वापस बुला लिया था.
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फ्रांस ने अपना राजदूत ऑस्ट्रेलिया भेजने का फैसला किया है. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने इस फैसले का स्वागत किया. गुरुवार को मीडिया से बातचीत में मॉरिसन ने कहा कि ऐसा होना ही था क्योंकि दोनों देशों के संबंध एक समझौते से कहीं ज्यादा बड़े हैं.
ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस से 2016 में हुआ 60 अरब डॉलर से ज्यादा का परमाणु खरीद समझौता एकाएक तोड़ दिया था जिसके बाद नाराज फ्रांस ने अपना राजदूत वापस बुला लिया था. तब से दोनों देशों के संबंधों में लगातार तनाव बना हुआ है.
तस्वीरों मेंः सिर्फ छह देशों के पास हैं परमाणु पनडुब्बियां
सिर्फ 6 देशों के पास हैं परमाणु पनडुब्बियां
आकुस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी बनाई जाएगी. इसके तैयार हो जाने पर वह सातवां ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास परमाणु पनडुब्बी है. अब तक यह क्षमता हासिल कर चुके देश हैं..
तस्वीर: Reuters/S. Andrade
ऑस्ट्रेलिया होगा 7वां देश
2016 की इस तस्वीर में फ्रांसीसी पनडुब्बी है जो ऑस्ट्रेलिया को मिलनी थी. अब फ्रांस की जगह वह अमेरिका से परमाणु पनडुब्बी लेकर सातवां देश बन जाएगा. बाकी छह देशों में भारत भी है. लेकिन सबसे ज्यादा पनडुब्बियां किसके पास हैं? अगली तस्वीर में जानिए...
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Blackwood
अमेरिका
अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 68 परमाणु पनडुब्बियां हैं. इनमें से 14 ऐसी हैं जो बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकती हैं.
तस्वीर: Amanda R. Gray/U.S. Navy via AP/picture alliance
रूस
रूस के पास 29 परमाणु पनडुब्बियां हैं जिनमें से 11 में बैलिस्टिक मिसाइल से हमला करने की क्षमता है.
तस्वीर: Peter Kovalev/TASS/dpa/picture alliance
चीन
चीन के पास 12 परमाणु पनडुब्बियां हैं जिनमें से आधी ऐसी हैं जो बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकती हैं. बाकी छह परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां हैं.
तस्वीर: Imago Images/Xinhua/L. Ziheng
ब्रिटेन
ब्रिटेन 11 परमाणु पनडुब्बियों के साथ इस सूची में चौथे नंबर पर है. उसकी 4 पनडुब्बियां बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता रखती हैं.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस के पास भी बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकने वाली चार परमाणु पनडुब्बियां हैं. हालांकि उसकी कुल पनडुब्बियों की संख्या 8 है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/DCNS Group
भारत
भारत इस सूची में एक पनडुब्बी के साथ शामिल है. भारत की परमाणु ऊर्जा संपन्न यह पनडुब्बी मिसाइल भी दाग सकती है.
तस्वीर: Reuters/S. Andrade
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मॉरिसन ने इस बात से इनकार किया कि ऑस्ट्रेलिया को फ्रांस के साथ अपने संबंध दोबारा बनाने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा, "हम पहले से सहयोगी हैं. देखिए, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के रिश्ते एक समझौते से बड़े हैं.”
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया विविध विषयों पर साथ काम करते हैं. उन्होंने कहा, "हिंद-प्रशांत में फ्रांस की अहमियत, प्रभाव और मौजूदगी सिर्फ एक समझौते पर आधारित नहीं है. यह इस तथ्य पर आधारित है कि फ्रांस असल में यहां मौजूद है. उनकी एक लंबी प्रतिबद्धता है और ऑस्ट्रेलिया के साथ वे विविध मुद्दों पर काम करते हैं.”
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क्यों नाराज था फ्रांस?
फ्रांस ऑस्ट्रेलिया के साथ करीब 60 अरब डॉलर का समझौता रद्द किए जाने से नाराज था. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और युनाइटेड किंग्डम ने मिलकर एक नया रक्षा समूह बनाया है जो विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित होगा. इस समूह के समझौते के तहत अमेरिका और ब्रिटेन अपनी परमाणु शक्तिसंपन्न पनडुब्बियों की तकनीक ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा करेंगे जिसके आधार पर ऐडिलेड में नई पनडुब्बियों का निर्माण होगा.
इस कदम को क्षेत्र में चीन के बढते प्रभाव के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन नए समझौते के चलते फ्रांस की जहाज बनाने वाली कंपनी नेवल ग्रुप का ऑस्ट्रेलिया के साथ हुआ समझौता खत्म हो गया है.
नेवल ग्रुप ने 2016 में ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता किया था जिसके तहत पनडुब्बियों का निर्माण होना था. ये पनडुब्बियां ऑस्ट्रेलिया की दो दशक पुरानी कॉलिन्स पनडुब्बियों की जगह लेतीं. अब ऑस्ट्रेलिया अपनी पनडुब्बी अमेरिका से मिली तकनीक पर बनाएगा.
फ्रांस का दावा है कि इस समझौते से पहले उस बताया नहीं गया. पिछले महीने फ्रांस के विदेश मंत्री ज्याँ-इवेस ला ड्रिआँ ने कहा था कि ऑस्ट्रेलिया ने आकुस के ऐलान से जुड़ीं अपनी योजनाओं के बारे में उनके देश को सिर्फ एक घंटा पहले बताया.
ऑस्ट्रेलिया की बॉलीवुड टैक्सी
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टीवी चैनल फ्रांस 2 को ला ड्रिआँ ने कहा, "असली गठजोड़ में आप एक दूसरे से बात करते हैं, चीजें छिपाते नहीं हैं. आप दूसरे पक्ष का सम्मान करते हैं और यही वजह है कि यह एक असली संकट है."
कैसे सुधरेंगे संबंध?
फ्रांस ने अमेरिका से भी अपना राजदूत वापस बुलाया था लेकिन हफ्तेभर के अंदर ही उसे भेज दिया था. परन्तु ऑस्ट्रेलिया के साथ तनाव लंबा खिंच गया.
ला ड्रियाँ ने एक संसदीय समिति को बताया कि राजदूत ज्याँ-पिएरे थेबॉल्ट द्वीपक्षीय संबंधों की शर्तों को पुनर्भाषित करने के लिए और समझौता रद्द होने के चलते फ्रांस के हितों की रक्षा के लिए कैनबरा लौटेंगे.
यह अभी स्पष्ट नहीं है कि समझौता तोड़ने का ऑस्ट्रेलिया को कितना नुकसान होगा. स्कॉट मॉरिसन ने पिछले महीने बताया था कि इस योजना पर 1.8 अरब डॉलर से ज्यादा तो पहले ही खर्च किए जा चुके थे.
ऊन उद्योग में ऑस्ट्रेलिया ने चिप लगाई
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जब गुरुवार को उनसे पत्रकारों ने पूछा कि ऑस्ट्रेलिया को कितना नुकसान होगा तो उन्होंने साफ जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, "इस मामले पर आगे कैसे बढ़ना है, इस बारे में हमने सोच-समझ लिया है. हम समझौते के मुताबिक ही काम करेंगे.”
यूरोप से भी तनाव
फ्रांस के साथ समझौता तोड़ने का असर ऑस्ट्रेलिया के यूरोपीय संघ में अन्य देशो के संबंधों पर भी पड़ा है. तनाव इस कद्र बढ़ गया था कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने तब से स्कॉट मॉरिसन से फोन पर भी बात नहीं की है.
यूरोपीय संघ के साथ ऑस्ट्रेलिया के व्यापार समझौते पर होने वाली एक बैठक को टाल दिया गया है. पहले यह बैठक अक्टूबर में होनी थी. इस हफ्ते ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री पैरिस में थे जहां उन्हें फ्रांसीसी नेताओं ने ज्यादा भाव नहीं दिया.
मॉरिसन ने कहा कि वह माक्रों से मिलने को लेकर उत्सुक हैं. उन्होंने कहा, "मैं दोबारा अपनी पहली बैठक को लेकर उत्सुक हूं और पहले फोन कॉल को लेकर भी. मैं मानता हूं कि यह एक मुश्किल समय है. लेकिन फ्रांस को नाराज किए बिना बिना हम यह फैसला नहीं कर सकते थे.”
सितंबर में ऑस्ट्रेलिया छोड़ते वक्त नाराज थेबॉल्ट ने कहा था कि ऐसा करना ऑस्ट्रेलिया के स्वभाव के उलट था. उन्होंने कहा था, "यह एक बड़ी गलती है. साझीदारी को बहुत बहुत गलत तरीके से संभाला गया.”
वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)
ऑस्ट्रेलिया ने लौटाईं चुराई गईं कलाकृतियां
ऑस्ट्रेलिया ने चुराई गईं 14 कलाकृतियां भारत को लौटाने का फैसला किया है. जानिए, क्या है इन कलाकृतियों की कहानी...
तस्वीर: The National Gallery of Australia
गुजराती परिवार
यह है गुरुदास स्टूडियो द्वारा बनाया गया गुजराती परिवार का पोट्रेट. पिछले 12 साल से यह बेशकीमती पेंटिंग ऑस्ट्रेलिया नैशनल गैलरी में थी. इसे भारत से चुराया गया था और गैलरी ने एक डीलर से खरीदा था. अब गैलरी इसे और ऐसी ही 13 और कलाकृतियां भारत को लौटा रही है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
बाल संत संबन्दार, तमिलनाडु (12वीं सदी)
नैशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने इसे 1989 में खरीदा था. कुछ साल पहले गैलरी ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसके तहत चुराई गईं कलाकृतियों के असल स्थान का पता लगाना था. दो मैजिस्ट्रेट के देखरेख में यह जांच शुरू हुई.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
नर्तक बाल संत संबन्दार, तमिलनाडु (12वीं सदी)
यह मूर्ति खरीदी गई थी 2005 में. गैलरी ने ऐसी दर्जनों मूर्तियों, चित्रों और अन्य कलाकृतियों का पता लगाया कि वे कहां से चुराई गई थीं.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
अलम, तेलंगाना (1851)
इस अलम को 2008 में खरीदा गया था. ऑस्ट्रेलिया की गैलरी अब 14 ऐसी कलाकृतियां भारत को लौटा रही है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
जैन स्वामी, माउंट आबू, राजस्थान (11वीं-12वीं सदी)
2003 में खरीदी गई जैन स्वमी की यह मूर्ति दो अलग अलग हिस्सों में खरीदी गई थी. गैलरी का कहना है कि उसके पास अब एक भी भारतीय कलाकृति नहीं बची है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
लक्ष्मी नारायण, राजस्थान या उत्तर प्रदेश (10वीं-11वीं सदी)
यह मूर्ति राजस्थान या उत्तर प्रदेश से रही होगी. इसे 2006 में खरीदा गया था. नैशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया 2014, 2017 और 2019 में भी भारत से चुराई गईं कई कलाकृतियां लौटा चुकी है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
दुर्गा महिषासुरमर्दिनी, गुजरात, (12वीं-13वीं सदी)
इस मूर्ति को गैलरी ने 2002 में खरीदा था. गैलरी ने कहा है कि सालों की रिसर्च, सोच-विचार और कानूनी व नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए इन कलाकृतियों को लौटाने का फैसला किया गया है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
विज्ञप्तिपत्र, राजस्थान (1835)
जैन साधुओं को भेजा जाने वाला यह निमंत्रण पत्र 2009 में गैलरी ने आर्ट डीलर से खरीदा था. गैलरी की रिसर्च में यह देखा जाता है कि कोई कलाकृति वहां तक कैसे पहुंची. अगर उसे चुराया गया, अवैध रूप से खनन करके निकाला गया, तस्करी करके लाया गया या अनैतिक रूप से हासिल किया गया तो गैलरी उसे लौटाने की कोशिश करेगी.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
महाराज सर किशन प्रशाद यमीन, लाला डी. दयाल (1903)
2010 में यह पोर्ट्रेट खरीदा गया था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
मनोरथ, उदयपुर
इस पेंटिंग को गैलरी ने 2009 में खरीदा था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
हीरालाल ए गांधी, (1941)
शांति सी शाह द्वारा बनाया गया हीरा लाल गांधी का यह चित्र 2009 से ऑस्ट्रेलिया की गैलरी में था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
अनाम पोट्रेट, 1954
वीनस स्टूडियो द्वारा बना यह पोट्रेट 2009 में खरीदा गया था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
अनाम पोर्ट्रेट, उदयपुर
एक महिला का यह अनाम पोर्ट्रेट कब बनाया गया, यह पता नहीं चल पाया. इसे 2009 में खरीदा गया था.