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समाजऑस्ट्रेलिया

कर्मचारियों का घमंड कम करने की जरूरतः उद्योगपति टिम गर्नर

विवेक कुमार
१४ सितम्बर २०२३

ऑस्ट्रेलिया के सबसे धनी लोगों में से एक टिम गर्नर का कहना है कि दुनिया में बेरोजगारी बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि कर्मचारियों को उनकी जगह पता चले.

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सांकेतिक तस्वीरतस्वीर: JAMES ROSS/AAP/IMAGO

ऑस्ट्रेलिया में जिम और रियल एस्टेट के क्षेत्र में व्यापार करने वाले टिम गर्नर ने कहा, "हमें अर्थव्यवस्था में दर्द देखने की जरूरत है.” इस टिप्पणी के साथ गर्नर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और करोड़ों लोग इसे देखकर इस पर टिप्पणी कर रहे हैं.

गर्नर पहले भी ऐसे विवादित बयान दे चुके हैं. एक बार उन्होंने कहा था कि युवाओं के पास घर खरीदने के लिए धन इसलिए नहीं है क्योंकि वे एवोकाडो टोस्ट पर बहुत पैसा खर्च करते हैं.

इसी हफ्ते एक प्रॉपर्टी समिट में बोलते हुए 41 वर्षीय गर्नर ने कहा कि कोविड महामारी ने कर्मचारियों का रवैया और काम के प्रति उनके मूल्यों को बदल दिया है. भवन निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि लोग काम करना ही नहीं चाहते.

कंपनियों के मालिकों को लगता है कि लोग ‘वर्क-लाफइ बैलेंस' के नाम पर ज्यादा काम करने से बचते हैं.तस्वीर: AFP/Getty Images

बदल गया रवैया

गर्नर ने कहा कि कर्मचारियों के इस रवैये के कारण उत्पादकता प्रभावित हुई है और नियमों में आयी सख्ती के साथ मिलकर इन हालातों ने ऑस्ट्रेलिया में घरों की कमी पैदा कर दी है. उन्होंने सुझाव दिया कि देश की बेरोजागरी में 40-50 फीसदी की वृद्धि होनी चाहिए ताकि ‘रोजगार क्षेत्र में आया घमंड' कम किया जा सके. ऑस्ट्रेलिया में फिलहाल बेरोजगारी दर 3.7 फीसदी है और 40-50 फीसदी की वृद्धि का मतलब होगा दो लाख लोगों का बेरोजगार हो जाना.

गर्नर ने कहा, "एक व्यवस्थागत बदलाव आया है जिसमें लोग ऐसा महसूस करने लगे हैं कि नौकरी देने वाला खुशकिस्मत है कि वे काम कर रहे हैं. हमें लोगों को ये याद दिलाना पड़ेगा कि वे इंपलॉयर के लिए काम करते हैं, ना कि इंपलॉयर उनके लिए.”

गर्नर का कहना है कि लोगों को याद दिलाना होगा कि वे नौकरी देने वालों के लिए काम करते हैं, न कि नौकरी देने वाले उनके लिए काम करते हैं.तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images

काम की संस्कृति पर बहस

गर्नर की ये टिप्पणियां ऐसे वक्त में आई हैं जबकि कार्यक्षेत्र में कई तरह के बदलाव आये हैं. कई सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है कि अधिकतर लोग घर से काम करना चाहते हैं जबकि कंपनियां चाहती हैं कि लोग कर्मचारी दफ्तर आएं.

सोशल मीडिया पर भी कर्मचारियों के रवैये में आए बदलावों पर बहस चल रही है. "#quietquitting" हैश टैग अक्सर ट्रेंड होता है. क्वॉइट क्विटिंग का अर्थ है कि कर्मचारी जी-जान लगाकर काम करने से परहेज करते हैं और ‘वर्क-लाफइ बैलेंस' के नाम पर ज्यादा काम करने से बचते हैं.

गर्नर जिस समिट में बोल रहे थे वह ऑस्ट्रेलियन फाइनैंशल रिव्यू अखबार ने आयोजित करायी थी. अखबार ने उनका वीडियो साझा किया तो ट्विटर, टिकटॉक और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर जमकर आलोचना हुई.

अपने इस बयान के लिए गर्नर की चौतरफा आलोचना हो रही है.तस्वीर: STR/AFP/Getty Images

कई जगह आलोचना

कई ऑस्ट्रेलियाई राजनेताओं ने भी गर्नर के बयान की आलोचना की है. सत्ताधारी लेबर पार्टी के सांसद जेरोम लेक्साले ने कहा कि गर्नर की टिप्पणी "किसी कार्टून सुपरविलेन जैसी है.” विपक्षी लिबरल पार्टी के सांसद कीथ वोलाहन ने कहा कि यह बयान ‘असलियत से बेहद दूर है.'

वोलाहन ने एएफआर को बताया, "नौकरी का चले जाना कोई संख्या मात्र नहीं है. इसका मतलब है लोगों का सड़क पर आ जाना और रोटी के लिए फूड बैंक पर निर्भर हो जाना.”

अमेरिकी सांसद एलेग्जांड्रिया ओकासियो-कोर्टेज ने भी गर्नर के बयान की आलोचना की है. उन्होंने एक्स पर लिखा, "याद रखें कि बड़े सीईओ ने अपनी सैलरी इतनी बढ़ा ली है कि सीईओ और बाकी कर्मचारियों के बीच वेतन का अनुपात अब इतिहास में सबसे ऊंचे स्तरों में से एक है.”

हालांकि कुछ उद्योगपतियों ने गर्नर का बचाव भी किया है. मिनरल्स काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष एंड्र्यू माइकलमूर ने कहा, "कर्मचारियों को कम काम करके ज्यादा पैसे कमाने की आदत हो गयी है.” टिम गर्नर ने गर्नर ग्रुप की स्थापना की थी. उनके पास 92.9 करोड़ ऑस्ट्रेलियन डॉलर की संपत्ति है.

विवेक कुमार (एएफपी)

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