चीन: जासूसी के आरोप में ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार की पेशी
३१ मार्च २०२२
ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार चेंग लेई पर जासूसी के आरोपों को लेकर बीजिंग में बंद दरवाजों के पीछे मुकदमा शुरू हो गया है. ऑस्ट्रेलियाई राजदूत को सुनवाई में शामिल नहीं होने दिया गया.
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बीजिंग में जासूसी के आरोप में ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार चेंग लेई का मुकदमा गुरुवार को बंद दरवाजों के पीछे शुरू हो गया है, जिसमें राजनयिकों को भारी सुरक्षा वाली सुनवाई में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है. चीन में ऑस्ट्रेलियाई राजदूत ग्राहम फ्लेचर को अदालत में प्रवेश करने से रोक दिया गया.
फ्लेचर ने बीजिंग कोर्ट के बाहर पत्रकारों से कहा, "हमें सुनवाई में शामिल होने से वंचित कर दिया गया है." उन्होंने कहा, "यह बहुत ही चिंताजनक, असंतोषजनक और बहुत खेदजनक है. गुप्त रूप से आयोजित की जाने वाली प्रक्रिया की वैधता पर हमें कोई भरोसा नहीं हो सकता है."
चीन के सरकारी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क सीजीटीएन की पूर्व एंकर रह चुकीं चेंग को करीब 19 महीनों से देश के गोपनीय दस्तावेज विदेश भेजने के आरोप में हिरासत में रखा गया है. चीन ने उन अपराधों के बारे में कोई और जानकारी नहीं दी है जिन पर चेंग द्वारा करने का संदेह है.
चेंग के परिवार ने कहा कि उन्हें मुकदमे के बारे में सूचित कर दिया गया है और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के राजनयिकों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया है. कैनबरा में विदेश मंत्रालय द्वारा भेजे गए एक पारिवारिक बयान में कहा गया है, "उनके दो बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता उन्हें बहुत याद करते हैं और ईमानदारी से जल्द से जल्द उसके साथ फिर से जुड़ने की उम्मीद करते हैं."
चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों के उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर चेंग को उम्रकैद की सजा हो सकती है. ऑस्ट्रेलिया में चेंग की भलाई और उनकी हिरासत की शर्तों को लेकर भी चिंताएं हैं.
एए/सीके (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)
पत्रकारों के लिए बेहद खराब रहा 2021
न्यूयॉर्क स्थित मीडिया वॉचडॉग 'कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स' की नई रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में साल की शुरुआत से 1 दिसंबर 2021 तक 293 रिपोर्टरों को जेल में डाला गया. यह अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है.
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जोखिम में रिपोर्टर
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में सलाखों के पीछे पत्रकारों की संख्या 2021 में बढ़कर सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल 1 दिसंबर तक 293 पत्रकारों को जेल में डाला जा चुका है.
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कवरेज के दौरान 24 पत्रकार मारे गए
सीपीजे ने 9 दिसंबर को प्रेस की स्वतंत्रता और मीडिया पर हमलों पर अपने वार्षिक सर्वेक्षण में कहा कि कम से कम 24 पत्रकार न्यूज कवरेज के दौरान मारे गए और 18 अन्य की मौत ऐसी परिस्थितियों में हुई, जिससे यह साफ तौर पर तय नहीं किया जा सका कि क्या उन्हें उनके काम के कारण निशाना बनाया गया था.
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क्यों जेल में डाले जा रहे है पत्रकार
अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित संस्था का कहना है कि पत्रकारों को जेल में डालने का कारण अलग-अलग देशों में भिन्न है. संस्था के मुताबिक यह रिकॉर्ड संख्या दुनिया भर में राजनीतिक उथल-पुथल और स्वतंत्र रिपोर्टिंग को लेकर बढ़ती असहिष्णुता को दर्शाती है.
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सरकारों का कैसा दखल
सीपीजे के कार्यकारी निदेशक जोएल साइमन ने एक बयान में कहा, "यह लगातार छठा साल है जब सीपीजे ने दुनिया भर में कैद पत्रकारों की संख्या का लेखाजोखा तैयार किया है." उनके मुताबिक, "संख्या दो जटिल चुनौतियों को दर्शाती है - सरकारें सूचना को नियंत्रित और प्रबंधित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे ऐसा करने की कोशिश बहुत बेशर्मी से कर रही हैं."
दानिश सिद्दीकी भी 2021 में मारे गए
भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी अफगान सुरक्षाबलों के साथ पाकिस्तान से सटी अहम सीमा चौकी के पास तालिबान लड़ाकों के साथ संघर्ष को कवर रहे थे. 16 जुलाई 2021 को तालिबान ने उनकी हत्या की थी. 2021 में ही मेक्सिको के पत्रकार गुस्तावो सांचेज कैबरेरा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
सीपीजे की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने 50 पत्रकारों को कैद किया, जो किसी भी देश में सबसे अधिक है. इसके बाद म्यांमार (26) का स्थान आता है. म्यांमार में 1 फरवरी को सेना ने तख्तापलट किया था और इसकी रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर कार्रवाई की गई. फिर मिस्र (25), वियतनाम (23) और बेलारूस (19) का नंबर आता है.
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मेक्सिको में बड़े जोखिम
सीपीजे के मुताबिक मेक्सिको में पत्रकारों को अक्सर निशाना बनाया जाता है. ऐसा तब होता है जब उनके काम से आपराधिक गिरोह या भ्रष्ट अधिकारी परेशान होते हैं. मेक्सिको पत्रकारों के लिए पश्चिमी गोलार्ध का सबसे घातक देश बना हुआ है.
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यूरोप में भी हमले के शिकार पत्रकार
छह जुलाई 2021 को नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटर्डम के बीचो बीच एक जाने माने क्राइम रिपोर्टर पेटर आर दे विरीज को एक टेलीविजन स्टूडियो के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी. अंदेशा है कि हमले के पीछे संगठित अपराध की दुनिया का एक गिरोह शामिल है. गोली लगने के नौ दिन बाद उनकी मौत हो गई.