ऑस्ट्रेलिया की संसद में महिला ने लगाया बलात्कार का आरोप
१६ फ़रवरी २०२१
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने संसद भवन में महिला कर्मचारी के साथ बलात्कार के कथित आरोप पर माफी मांगी है. महिला ने एक अनाम शख्स पर यह कथित आरोप लगाया है. मॉरिसन ने जांच का वादा किया है.
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प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने संसद भवन में बलात्कार के मामले की गहन जांच का वादा किया है. महिला ने आरोप लगाया है कि उसके साथ साल 2019 में रक्षा मंत्री लिंडे रेनॉल्ड्स के कार्यालय में बलात्कार हुआ था और इस अपराध को अंजाम मॉरिसन की लिबरल पार्टी के कार्यकर्ता ने दिया था. महिला ने मीडिया को बताया कि उसने उसी साल अप्रैल की शुरुआत में पुलिस को इस बारे में जानकारी दी थी, लेकिन उसने अपने करियर को देखते हुए औपचारिक शिकायत ना करने का फैसला किया था.
महिला ने बताया कि उसने रेनॉल्ड्स के दफ्तर के वरिष्ठ कर्मचारी को इस कथित घटना के बारे में बताया. महिला का कहना है कि उसे उसी दफ्तर में बैठक में हिस्सा लेने को कहा गया जहां उसके साथ दुष्कर्म हुआ था. सोमवार को रेनॉल्ड्स ने इस बात की पुष्टि की कि उन्हें पिछले साल इस घटना के बारे में बताया गया था, हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया कि महिला पर पुलिस से शिकायत नहीं करने का दबाव बनाया गया. मंगलवार को मॉरिसन ने महिला से माफी मांगी और जांच का वादा किया.
कैनबरा में उन्होंने पत्रकारों से कहा, "ऐसा नहीं होना चाहिए था और मैं माफी मांगता हूं. मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि इस स्थान पर काम करने वाली महिलाएं जितना संभव हो सके सुरक्षित रहें." मॉरिसन ने कहा है कि उन्होंने कैबिनेट अधिकारी स्टेफनी फॉस्टर को कार्यस्थल की शिकायतों की समीक्षा करने के लिए नियुक्त किया है, जबकि कुछ सांसद कार्यस्थल की संस्कृति की जांच करेंगे.
महिला के आरोप के बाद मॉरिसन पर दबाव बढ़ गया था और लिबरल पार्टी के भीतर महिलाओं के प्रति अनुचित व्यवहार के आरोपों की श्रृंखला बढ़ती जा रही थी. 2019 में कुछ महिला सांसदों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने उस वक्त के प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल को पद से हटाने का समर्थन किया था तो उन्हें परेशान किया गया.
ऊंचे पदों पर महिलाओं को बराबरी हासिल करने में लग सकते हैं 130 साल
यूएन वीमेन की मुखिया फुमजिल लांबो-नकूका का कहना है कि महिला नेताओं की संख्या बढ़ने से महामारी के बाद दुनिया को और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी. डालिए एक नजर नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की उपस्थिति की तस्वीर पर.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Medina
महिला प्रधानमंत्री
इस समय दुनिया में सिर्फ 22 ऐसे देश हैं जहां चुनी हुई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति महिला है. ऐसे देशों की सूची में हाल ही में पेरू, लिथुआनिया और माल्डोवा का नाम जुड़ा है. 25 जनवरी 2021 को एस्टोनिया एकलौता ऐसा देश बन गया जहां प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों महिलाएं हैं.
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लंबा सफर बाकी है
इसके ठीक उलट, दुनिया में 119 देश ऐसे हैं जहां कभी कोई महिला नेता बन ही नहीं पाई. आंकड़े कहते हैं कि सबसे ऊंचे पदों पर पुरुषों और महिलाओं के बीच बराबरी कायम होने में कम से कम 130 साल लग सकते हैं. राष्ट्रीय विधायिकाओं में 2063 से पहले और मंत्री पदों पर 2077 से पहले यह बराबरी कायम नहीं होगी.
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महिला सांसद
1995 के मुकाबले दुनिया में महिला सांसदों की संख्या दोगुना से भी ज्यादा बढ़ी है. आज पूरी दुनिया के सांसदों में 25 प्रतिशत सांसद महिलाएं हैं.
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अमेरिका, लातिन अमेरिका और यूरोप आगे
लातिन अमेरिका और कैरीबियन, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 30 प्रतिशत से ज्यादा संसदीय सीटें महिलाओं के पास हैं. हालांकि पैसिफिक द्वीप के देशों में महिलाओं के पास बस छह प्रतिशत सीटें हैं.
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मंत्रिमंडलों में भागीदारी
ना सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पदों पर, बल्कि मंत्रिमंडलों में भी महिलाओं की भागीदारी कम है. 2020 में सिर्फ 14 देश ऐसे थे जहां के मंत्रिमंडलों में 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा संख्या में महिला मंत्री थीं.
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रास्ते के रोड़े
सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी के रास्ते में कई रोड़े हैं. इनमें महिलाओं को आगे लाने में राजनीतिक दलों का संकोच, फंडिंग की कमी, जनता के बीच में पुरुषों के बेहतर नेता होने की धारणा, हिंसा और डराना-धमकाना शामिल हैं. इसमें इंटरनेट पर किया जाने वाला उत्पीड़न भी शामिल है.
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हिंसा एक बड़ी समस्या
पूरी दुनिया में 80 प्रतिशत से भी ज्यादा महिला सांसदों को मानसिक हिंसा का सामना करना पड़ा है. हर चार महिला सांसद में से एक के साथ शारीरिक हिंसा भी हुई है और हर पांच में से एक के साथ यौन हिंसा. सीके/एए (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)