सोलर पैनलों के भरोसे 15,100 किलोमीटर की कार यात्रा
२१ अप्रैल २०२२
ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा के बल पर टेस्ला कार को 15,100 किलोमीटर चलाया जा सके. इसके लिए वे ऐसे सोलर पैनल प्रयोग करना चाहते हैं जिन्हें प्रिंट किया गया हो.
टेस्ला कारतस्वीर: Christian Marquardt/Getty Images
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ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक एक अनोखी यात्रा की तैयारी कर रहे हैं. सितंबर में वे 15,100 किलोमीटर की ड्राइव पर निकलेंगे. इस ड्राइव में कार होगी टेस्ला, जो बैट्री से चलती है. लेकिन इस बैट्री को चार्ज करने के लिए वैज्ञानिक प्रिंट किए गए सोलर पैनल प्रयोग करना चाहते हैं. वैज्ञानिक अपनी इस ड्राइव से लोगों को स्वच्छ ऊर्जा के बारे में जागरूक भी करना चाहते हैं.
इस परियोजना को नाम दिया गया है ‘चार्ज अराउंड ऑस्ट्रेलिया'. इसके तहत टेस्ला कार को प्रिंट किए गए 18 सोलर पैनल से चार्ज किया जाएगा. हर पैनल 18 मीटर लंबा है और उसे कार के साथ-साथ लगाया जाएगा ताकि वे सूरज से धूप सोखें और फिर बिजली बनाकर कार की बैट्री चार्ज करें.
पूरी तरह ग्रीन नहीं है सोलर एनर्जी
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प्रिंट किए गए सोलर पैनल की खोज करने वाले पॉल दस्तूर कहते हैं कि न्यू कासल यूनिवर्सिटी की टीम ना सिर्फ सोलर पैनलों की क्षमता परखेगी बल्कि उसके अन्य उपयोगों के बारे में भी शोध करेगी. गोसफर्थ शहर में रहने वाले दस्तूर कहते हैं, "यह दरअसल एक बढ़िया परीक्षण है जो हमें बताएगा कि इस तकनीक को हम दूर-दराज में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि अंतरिक्ष में.”
क्या होते हैं प्रिंट किए सोलर पैनल
प्रिंट किए गए सोलर पैनल बहुत हल्की, लैमिनेटेड प्लास्टिक की बनी चादर होती हैं. इन्हें बनाने का खर्च बहुत कम होता है. एक वर्गमीटर चादर बनाने में 10 डॉलर यानी 80 रुपये से भी कम का खर्च आता है. पैनल को आम कमर्शल प्रिंटर से ही प्रिंट किया जा सकता है.
पहाड़ों पर पानी में बना दिया सोलर प्लांट
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दस्तूर कहते हैं कि इन सोलर पैनलों से कार को चार्ज करने का फायदा ये होगा कि उन लोगों में थोड़ी जागरूकता बढ़ेगी, जो सोचते हैं कि दूर-दराज इलाकों में कार चार्ज कैसे होगी. वह बताते हैं, "लोग ऐसी समस्याओं का का जवाब चाहते हैं जो उन्हें क्लाइमेट चेंज के कारण रोजमर्रा की जिंदगी में पेश आती हैं.”
84 दिन का चक्कर
टेस्ला कार की यह ड्राइव 84 दिन लंबी होगी. इस दौरान वैज्ञानिकों की टीम 70 स्कूलों में जाएगी और छात्रों को दिखाएगी कि भविष्य की तकनीकें कैसे काम करेंगी. इस परियोजना के बारे में टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क ने सार्वजनिक तौर पर फिलहाल कुछ नहीं कहा है. दस्तूर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "उम्मीद है उन्हें खुशी होगी.”
दस्तूर कहते हैं कि यह परियोजना दिखाती है कि "कैसे हमारी इनोवेटिव तकनीक को उनकी खोज के साथ मिलाकर ग्रह के लिए नए-नए हल निकाले जा रहे हैं.”
वीके/एए (रॉयटर्स)
ऐसी ऐसी जगहों पर भी सौर ऊर्जा
सूर्य से ऊर्जा लेकर बिजली बनाने वाले सौर पैनल दुनियाभर में अनोखी जगहों पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं. देखिए कहां कहां पहुंचे रवि...
तस्वीर: Halil Fidan/AA/picture alliance
ऐसी ऐसी जगहों पर भी सौर ऊर्जा
तुर्की का यह चरवाहा अपना मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए सौर पैनल का प्रयोग करता है. लंबी यात्राओं के दौरान इस तरह के छोटे पैनल बहुत लोकप्रिय हैं. ये बैकपैक्स या टेंटों के लिए भी उपलब्ध हैं.
तस्वीर: Halil Fidan/AA/picture alliance
झोपड़ियों में
दक्षिणी सूडान के इस गांव टुकुल में बिजली तो नहीं पहुंची है लेकिन सौर ऊर्जा ने कमी नहीं रहने दी है. मोबाइल फोन चार्ज करने से लेकर छोटे लैंप जलाने जैसी अपनी रोजमर्रा की जरूरतें ग्रामीण सौर ऊर्जा से ही पूरी कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/M. Runkel
पानी पर
केन्या में इन लोगों ने पहला पानी पर तैरता सोलर प्लांट बनाया है. यह प्लांट राजधानी नैरोबी के नजदीक फूलों के एक खेत को बिजली सप्लाई करता है. कई और झीलों में भी ऐसे ही प्रयोग हुए हैं.
तस्वीर: ecoligo GmbH
आसमान में
सोलर इंपल्स ना के इस जेट विमान ने कई चरणों में सिर्फ सौर ऊर्ज के दम पर दुनियाभर का चक्कर लगाकर इतिहास रच दिया था. इसके परों पर लगे सौर पैनल ऊर्जा पैदा करते हैं जिनसे इंजन की बैट्री चलती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Bildfunk/C. Hartmann
पहाड़ों पर
स्विट्जरलैंड के बाजल में मुटजे झील पर बनी बांध की दीवारों पर एक विशाल सौर पैनल बनाया गया है. सर्दियों में यह काफी बिजली पैदा करता है क्योंकि बर्फ की चमक से ज्यादा ऊर्जा सौर पैनलों तक पहुंचती है.
तस्वीर: Axpo
खेतों में
कृषि में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बहुत तरह से हो रहा है लेकिन यूं डेनमार्क में फार्मड्रॉएड अनोखा ही है. बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए यह ट्रैक्टरनुमा मशीन खुद ही सारा काम कर लेती है. और थकती भी नहीं है. इसे जीपीएस से नियंत्रित किया जाता है.
तस्वीर: Nikolai Tuborg/Farmdroid
अंतरिक्ष में
सौर पैनल अंतरिक्ष की लंबी उड़ानों को संभव बना रहे हैं. ये बृहस्पति तक पहुंच चुके हैं. इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन पर भी सोलर पैनलों का इस्तेमाल हो रहा है. शोधकर्ता अंतरिक्ष में सौर पार्क बनाने पर भी विचार कर रहे हैं.
तस्वीर: ZUMA Wire/imago images
समुद्र में
‘रेस फॉर वॉटर’ नाम की यह नौका दुनिया की सबसे बड़ी सौर नोका है. यह यॉट पूरी तरह स्वच्छ ऊर्जा पर चलती है और जीवाश्म ईंधन का कोई इस्तेमाल नहीं करती.