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ऑस्ट्रेलियाई दुकानों में बढ़ता भारतीय सामान

विवेक कुमार
१६ सितम्बर २०२२

कभी भारतीय सामान खरीदने के लिए ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले लोगों को कई सौ किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी. अब लगभग सारी बड़ी सुपरमार्केट भारतीय सामान बेच रही हैं.

ऑस्ट्रेलिया के बाजारों में हर जगह भारतीय सामान उपलब्ध है
ऑस्ट्रेलिया के बाजारों में हर जगह भारतीय सामान उपलब्ध हैतस्वीर: Vivek Kumar/DW

हर हफ्ते की तरह इस बार भी कोल्स का कैटलॉग आया तो उसमें बटर चिकन बनाने की विधि, सामग्री और सामग्री की कीमतें छपी थीं. साथ ही में सब्जियों के विक्रेता के रूप में एक सरदार जी की तस्वीर थी, जो ऑस्ट्रेलिया में कहीं किसानी करते हैं और कोल्स को सामान सप्लाई करते हैं. ऑस्ट्रेलिया की भारतीय आबादी के लिए कोल्स के साप्ताहिक कैटलॉग किसी मजेदार अनुभव से कम नहीं है.

कोल्स ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी चंद सुपरमार्केट में से एक है. देशभर में 25 हजार से ज्यादा स्टोर्स के साथ यह सारे मोहल्लों में मौजूद है और सब कुछ बेचती है. सब कुछ यानी, घर-बाहर जहां जो कुछ इंसान को चाहिए, इस सुपरमार्केट में मौजूद है.

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इसके बावजूद, कुछ समय पहले तक सिडनी में रहने वालीं श्वेता शर्मा राय का काम सिर्फ इस बाजार में जाकर नहीं चलता था. वह पहले कोल्स, वूलवर्थ, आईजीए या अन्य किसी ऑस्ट्रेलियन सुपरमार्केट में जाकर खरीददारी करती थीं, उसके बाद कोई ‘इंडियन स्टोर' यानी ऐसी दुकान खोजतीं जहां भारतीय सामान मिलता है.

डीडब्ल्यू हिंदी से बातचीत में श्वेता बताती हैं, "हम भारतीयों की जरूरतें थोड़ी अलग होती हैं. मतलब, हमें भारतीय ब्रैंड की चाय चाहिए क्योंकि दूध वाली चाय बनाने के लिए उसकी कडक पत्ती की जरूरत होती है. या फिर हमें हल्दी, जीरा, धनिया ही नहीं गरम मसाला, अजवाइन और देगी मिर्च जैसे मसाले भी चाहिए जिनकी रसोई में रोज जरूरत होती है. यह सब कोल्स या वूलीज में नहीं मिलता था. इसलिए हमें इंडियन स्टोर तो हफ्ते में एक बार जाना ही पड़ता था.”

श्वेता शर्मा राय अपनी बातचीत में ‘था' का प्रयोग इसलिए कर रही हैं क्योंकि अब ये चीजें ऑस्ट्रेलियाई सुपरमार्केट में मिलने लगी हैं. देश की तमाम सुपरमार्केट अब भारतीय सामान बेच रही हैं. इनमें मसालों से लेकर भारतीय चावल के ब्रैंड और रेडीमेड पैकेज्ड फूड से लेकर मिठाई तक शामिल हैं.

जहां भारतीय, वहां सामान

पिछले कुछ महीनों में तमाम ऑस्ट्रेलियाई सुपरमार्केट अपने यहां भारतीय सामान उपलब्ध करवा रही हैं. कई जगह तो इनके लिए अलग से सेक्शन भी बना दिए गए हैं जिन्हें इंडियन या एशियन सेक्शन कहते हैं. इस सेक्शन में भारत की अलग-अलग ब्रैंड्स की दालें, चावल, आटा, मसाले, चाय पत्ती, कॉफी आदि लगभग हर तरह की जरूरत की चीजें मिल जाती हैं.

कोल्स की एक प्रवक्ता ने ईमेल से भेजे जवाब में डीडब्ल्यू हिंदी को बताया, "कोल्स में हम उन समुदायों का हिस्सा हैं, जिनकी हम सेवा करते हैं. इसलिए कुछ जगह स्टोर में हम अपने ग्राहकों की जरूरतों के हिसाब से चीजें उपबल्ध करवा रहे हैं. हम चाहते हैं कि हमारे ग्राहकों को वे सभी चीजें मिलें जो उनके सांस्कृतिक स्वाद के मुताबिक हों. साथ ही हम स्थानीय उत्पादकों और निर्माताओं को उनके आसपास की दुकानों में ही जगह दे रहे हैं ताकि खाने के लाने-ले जाने पर कम ऊर्जा व्यर्थ हो.”

कोल्स का कहना है कि देशभर में उसके 150 स्टोर ऐसे हैं जहां एशियन सेक्शन उपबल्ध है. कोल्स प्रवक्ता के मुताबिक इस कवायद का मकसद "ग्राहकों को प्रेरित करना और एशियाई सामग्री, खाना और स्नैक्स आसानी से उपलब्ध कराना है.”

लगभग 50 साल से ऑस्ट्रेलिया में रह रहे सरदार जगतार सिंह के लिए तो यह किसी अजूबे से कम नहीं है. 76 साल के जगतार सिंह कहते हैं कि एक वक्त था जब ऑस्ट्रेलिया में कोई भारतीय दिख जाता था तो इतनी खुशी भरी हैरत होती थी. वह कहते हैं, "मुझे याद है कि 1980 के दशक में बोन्डाई के पास एक छोटी सी दुकान हुआ करती थी जहां भारत की कुछ चीजें मिल जाती थीं. वहां भी वैरायटी के नाम पर इक्का-दुक्का विकल्प होते थे. और वहीं कभी-कभार हमवतन लोग देखने को मिलते थे.”

ऑस्ट्रेलिया में भारतीय

पिछले करीब एक दशक में ऑस्ट्रेलिया में भारतीय लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है. 2016 के बाद से यानी पिछले पांच साल में ही ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की आबादी में लगभग 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2022 में जारी जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में 1 जून को देश में 6,73,352 भारतीय मूल के लोग रह रहे थे जो कि 2016 की संख्या (4,55,389) से 47.86 प्रतिशत ज्यादा थे.

जाहिर है, आबादी बढ़ने का असर बाजारों पर दिख रहा है. जैसे कि यूं तो कोल्स में कई साल से थोड़ा-बहुत भारतीय और एशियाई सामान मिलता रहा है लेकिन बीते दो साल में इस सामान में खासी वृद्धि की गई है. कुछ दुकानों में 390 से ज्यादा भारतीय उत्पाद उपलब्ध हैं. कुछ दुकानें हैं जहां 72 प्रतिशत सामान एशियाई है. ये दुकानें उन इलाकों में हैं जहां एशियाई या भारतीय मूल के लोगों की आबादी ज्यादा घनी है.

स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रैंड्स का पैकेज्ड फूड सुपरमार्केट को रास आ रहा हैतस्वीर: Vivek Kumar/DW

आंकड़े दिखाते हैं कि 2017 की जनगणना के बाद से देश में दस लाख से ज्यादा (1,020,007) आप्रवासी आकर बसे हैं. सबसे ज्यादा विदेशी आप्रवासी भारत से आए हैं. उनकी संख्या में 2,17,963 लोगों की वृद्धि हुई है. दूसरी सबसे ज्यादा वृद्धि नेपाली मूल के लोगों की संख्या में हुई है. ऑस्ट्रेलिया में नेपालियों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा (123.7 फीसदी) बढ़ी है और 2016 के बाद से 67,752 ज्यादा लोग नेपाल से आकर ऑस्ट्रेलिया में बस गए हैं.

इंडियन स्टोर का क्या होगा?

जैसे-जैसे भारतीय आबादी बढ़ी है, ऑस्ट्रेलिया में भारतीय सामान रखने वाली दुकानें यानी इंडियन स्टोर भी तेजी से बढ़े हैं. जिन इलाकों में भारतीय आबादी घनी है, उन इलाकों में तो कई-कई इंडियन स्टोर भी खुले हैं. इससे इंडियन स्टोर तगड़े कॉम्पिटिशन से भी जूझ रहे हैं. जैसे कि सिडनी के पास बसे शहर वूलनगॉन्ग में भारतीय आबादी बहुत बड़ी नहीं है. दो हजार से भी कम आबादी वाले इस शहर में चार इंडियन स्टोर हैं.

नाम ना उजागर करने की शर्त पर एक इंडियन स्टोर के मालिक बताते हैं, "हमने जब स्टोर शुरू किया था तब यहां और कोई इंडियन स्टोर नहीं था. अब चार हैं. लोग बढ़े हैं लेकिन इतने ज्यादा भी नहीं बढ़े हैं. तो जाहिर है, कॉम्पिटिशन का असर कमाई पर हुआ है.”

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ऐसे में कोल्स या वूलवर्थ जैसे सुपरमार्केट में भारतीय सामान का मिल जाना इन दुकानदारों को ज्यादा खुशी नहीं दे रहा है. इंडियन स्टोर मालिक कहते हैं, "हम इन सुपरमार्केट से तो मुकाबला नहीं कर सकते. ना कीमत में ना वैराइटी में. इसलिए, लोगों के लिए अच्छा होगा, हमारे लिए तो मुश्किल बढ़ाने वाला ही है.”

वैसे, सुपरमार्केट अब भी इंडियन स्टोर की जगह तो नहीं ले पाए हैं. श्वेता शर्मा राय कहती हैं, "पिछले कुछ सालों में कोल्स और वूलीज में देसी सामान के ऑप्शन बढ़ गए हैं पर ये पूरी तरह से इंडियन स्टोर का विकल्प नहीं है. अब इमरजेंसी में इंडियन स्टोर की दौड़ नहीं लगानी पड़ती लेकिन ज्यादातर सामान अभी भी वहीं से आता है.”

भारतीय सामान जब ऑस्ट्रेलियाई दुकानों में मिलता है तो उसे सिर्फ भारतीय नहीं ऑस्ट्रेलियाई और अन्य देशों के मूल निवासी भी खरीदते हैं. इस तरह भारत, उसकी संस्कृति और स्वाद घर-घर में पहुंच रहा है.

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