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शिक्षाऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों का भारतीय छात्रों पर प्रतिबंध

विवेक कुमार
२० अप्रैल २०२३

ऑस्ट्रेलिया के कुछ विश्वविद्यालयों ने भारत के कम से कम आठ राज्यों से छात्रों के आवेदनों पर प्रतिबंध लगा दिया है. फर्जी दस्तावेजों और नियमों का उल्लंघन करने के आधार पर यह प्रतिबंध लगाया गया है.

ऑस्ट्रेलिया की एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी
ऑस्ट्रेलिया की एडिथ कोवन यूनिवर्सिटीतस्वीर: Maximilian Wollrab/YAY Images/IMAGO

राजस्थान के रहने वाले विजय सिंह को बड़ा झटका लगा जब ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने की उनकी अर्जी एक विश्वविद्यालय ने खारिज कर दी. वह बताते हैं, "यूनिवर्सिटी ने यह कहते हुए मेरा आवेदन खारिज किया कि मैं गंगानगर का रहने वाला हूं जो एक हाई रिस्क एरिया है.”

सिंह उन हजारों छात्रों में से हैं जिनकी अर्जियां खारिज की जा रही हैं. ऑस्ट्रेलिया के कई विश्वविद्यालयों ने भारत के कुछ हिस्सों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल, और पढ़ाई की जगह स्टूडेंट वीजा का इस्तेमाल सिर्फ ऑस्ट्रेलिया आने के लिए करने जैसे कारणों का हवाला देते हुए यह प्रतिबंध लगाया गया है.

ऑस्ट्रेलियाई अखबार सिडनी मॉर्निंग हेरल्ड ने खोजबीन के बाद खबर छापी थी कि देश के कई विश्वविद्यालय भारत के कुछ प्रदेशों से आने वाले छात्रों को प्रतिबंधित कर रहे हैं. अखबार ने लिखा था कि कम से कम पांच विश्वविद्यालयों ने ऐसे प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें विक्टोरिया यूनिवर्सिटी, एडिथ कोविन यूनिवर्सिटी, वोलोनगॉन्ग यूनिवर्सिटी, टोरेस यूनिवर्सिटी और सदर्न क्रॉस यूनिवर्सिटी शामिल हैं.

गुणवत्ता की खातिर प्रतिबंध

एडिथ कोविन यूनिवर्सिटी के डिप्टी वाइस चांसलर ने डॉयचे वेले को भेजे एक बयान में इस तरह के प्रतिबंधों की पुष्टि की है. डिप्टी वीसी जेक जर्मन ने कहा, "एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी गुणवत्ता पर आधारित संस्थान है, जहां दाखिला प्रक्रिया और पढ़ाई के माहौल के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि हमारे सभी छात्रों का विकास हो और वे अपनी पढ़ाई व करियर में सफलता पूर्वक आगे बढ़ें. जनवरी 2023 में ईसीयू ने अस्थायी तौर पर पंजाब और हरियाणा से अंडरग्रैजुएट कोर्सों में दाखिले की प्रक्रिया निलंबित कर दी थी ताकि इन क्षेत्रों से दाखिलों की प्रक्रिया की समीक्षा की जा सके.”

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सदर्न क्रॉस यूनिवर्सिटी ने भी डॉयचे वेले को दिए बयान में माना है कि ऐसे उपाय किए जा रहे हैं. एक बयान में यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने बताया, "सदर्न क्रॉस यूनिवर्सिटी सभी भारतीय छात्रों के आवेदन स्वीकार कर रही है लेकिन हम इस तथ्य से परिचित हैं कि हमारे कुछ एजेंट चुनाव में सावधानी बरत रहे हैं. किसी भी क्षेत्र के ऐसे छात्र जो हमारी आवेदन अहर्ताओं और अन्य शर्तों को पूरा करते हैं, दाखिले के योग्य हैं.”

उधर वोलोनगॉन्ग यूनिवर्सिटी ने ऐसे किसी प्रतिबंध से इनकार किया है और कहा कि किसी भी राज्य के छात्रों पर कोई अलग नियम लागू नहीं किया गया है. एक बयान में  यूनिवर्सिटी ने डीडब्ल्यू को बताया, “सभी विश्वविद्यालयों की तरह वोलोनगॉन्ग यूनिवर्सिटी की सख्त भर्ती प्रक्रिया का पालन करती है लेकिन भारत से आवेदनों पर अलग से किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. मानक प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है जो सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर लागू होती है. बल्कि हमने तो अपनी प्रक्रिया सभी छात्रों के लिए सुघड़ किया है जिससे छात्रों को जल्दी जवाब मिलेंगे.”

धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा

पिछले कुछ हफ्तों से छात्र और माइग्रेशन एजेंट शिकायत कर रहे थे कि भारत के कुछ राज्यों के छात्रों को दाखिले नहीं दिए जा रहे हैं, जिनमें हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश विशेष तौर पर शामिल हैं. सिडनी मॉर्निग हेरल्ड ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पर्थ की एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी ने फरवरी में पंजाब और हरियाणा से आने वाले छात्रों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था. मार्च में विक्टोरिया यूनिवर्सिटी ने आठ राज्यों के छात्रों को प्रतिबंधित कर दिया जिनमें गुजरात भी शामिल है.

ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई के लिए आने वाले भारतीयों की संख्या पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ी है. 2019 में रिकॉर्ड 75,000 भारतीयों को ऑस्ट्रेलिया का स्टूडेंट वीजा मिला था और इस साल यानी 2022-23 में इस रिकॉर्ड का टूटना तय है क्योंकि पहले ही 70 हजार से ज्यादा भारतीय स्टूडेंट वीजा पा चुके हैं. लेकिन इस वृद्धि ने फर्जी आवेदनों को लेकर चिंता भी बढ़ाई है.

एक माइग्रेशन एजेंट ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, "यह कुछ भारतीय छात्रों द्वारा की जा रही धोखाधड़ी का ही नतीजा है. वहां से लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं, जबकि फर्जी दस्तावेज लगाए गए या फिर झूठी बैंक स्टेटमेंट बनाकर आवेदन किया गया. इसके अलावा बड़ी संख्या में छात्रों ने जीटीई कंडिशन का उल्लंघन किया, जिसके बाद यूनिवर्सिटी ऐसे कदम उठाने पर मजबूर हुईं.”

क्या है जीटीई कंडिशन?

जीटीई यानी 'जेनुइन टेंपररी एंटरेंट कंडिशन' ऑस्ट्रेलिया के स्टूडेंट और विजिटर वीजा के नियमों में शामिल है. यह एक शर्त है जिसके तहत आवेदक इस बात पर सहमति देते हैं कि वे वीजा का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने या घूमने के लिए ही करेंगे और इसके बाद वापस स्वदेश चले जाएंगे.

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जब कोई व्यक्ति ऑस्ट्रेलिया का वीजा अप्लाई करता है तो उसे इस शर्त पर सहमति देनी होती है कि वह पढ़ाई पूरी करने या घूमने के बाद स्वदेश लौट जाएगा. अगर ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों को लगता है कि आवेदक इस शर्त का पालन नहीं करेगा तो वे वीजा खारिज कर देते हैं. इसी साल फरवरी में ऑस्ट्रेलिया ने भारत से 94 फीसदी आवेदकों के वीजा आवेदन खारिज कर दिए थे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी के डिप्टी वाइस चांसलर जेक जर्मन कहते हैं कि यूनिवर्सिटी 2024 के लिए छात्रों को दाखिला देने के अपने नियमों की समीक्षा कर रही है ताकि "उच्चतम मानक" सुनिश्चित किए जा सकें. उन्होंने कहा, "ईसीयू पंजाब और हरियाणा से पोस्ट ग्रैजुएट छात्रों के आवेदन स्वीकार करना जारी रखेगी. सभी शर्तें पूरे करने वाले इलाके के अन्य छात्र भी आवेदन कर सकते हैं."

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