ऑस्ट्रिया ने किया सीमा सुरक्षा का टेस्ट
२७ जून २०१८
Austria tests border defense
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भाग कर कहां जाते हैं लोग?
अच्छे जीवन के लिए दुनिया में भागदौड़ मची हुई है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया के तकरीबन 24.4 करोड़ लोग अब उन देशों में नहीं रहते जहां वे पैदा हुए थे. साथ ही करीब 2.3 करोड़ लोग अपना देश छोड़ने की तैयारी में हैं.
यूरोप नहीं आते
ऐसा माना जाता है कि अच्छे जीवन के लिए ये प्रवासी यूरोप का रुख करते हैं. हालांकि एक जर्मन संस्था "ब्रेड फॉर द वर्ल्ड" के मुताबिक दुनिया के तकरीबन 90 फीसदी शरणार्थी विकासशील देशों में रहते हैं. उसमें भी एक बड़ा वर्ग अफ्रीकी देशों में रहता है. पैसे न होने के कारण ये लोग लंबी यात्रायें नहीं करते और पड़ोस के देशों में चले जाते हैं.
सोमालिया से इथियोपिया
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक इथियोपिया शरणार्थियों को जगह देने वाला दुनिया का पांचवां बड़ा देश है. यहां अधितकर शरणार्थी पड़ोसी देश सोमालिया से आते हैं जहां 1990 के दशक से ही गृह युद्ध की स्थिति बनी हुई है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ें मुताबिक सोमालिया से तकरीबन 10 लाख लोग भागकर इथियोपिया गये. इसके बाद केन्या का नंबर आता है जो शरणार्थियों का एक बड़ा ठिकाना बनकर सामने आया है.
अन्य देशों की नीतियां
इथियोपिया की तरह ही, युगांडा भी शरणार्थियों को लेकर नरम नीति रखता है. यही कारण है कि गृह युद्ध झेल रहे कांगों और दक्षिण सूडान से भागकर लोग युगांडा में शरण लेते हैं. हालांकि दक्षिण सूडान की यात्रा इन लोगों के लिए बेहद ही खतरनाक होती है और छिपते-छिपाते ये लोग वहां से निकल पाते हैं.
अमेरिका भी ठिकाना
अमेरिकी राष्ट्रपति मेक्सिको और अमेरिका के बीच दीवार खड़ी करने का समर्थन करते हैं. द माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट मुताबिक अमेरिका में तकरीबन 1.1 करोड़ लोग बिना रेजिडेंसी परमिट के रहते हैं, जिनमें से तकरीबन आधे मेक्सिको से आये हैं. इसके अलावा अल सल्वाडोर, ग्वाटेमाला जैसे देशों से आने वालों के लिए मेक्सिको ट्रांजिट की तरह काम करता है.
एशिया भी नहीं अछूता
सिर्फ अमेरिका और अफ्रीका ही नहीं बल्कि एशिया भी शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहा है. स्टडी के मुताबिक म्यांमार और बांग्लादेश से तमाम लोग थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया का रुख करते हैं. इसमें से अधिकतर रोहिंग्या मुसलमान हैं. अगस्त के आखिरी हफ्ते में म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद से अब तक बड़ी तादाद में रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश गए हैं.