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कारोबारसंयुक्त राज्य अमेरिका

एक छोटी सी कंपनी बर्बाद कर रही अमेरिकी सोलर इंडस्ट्री

२१ मई २०२२

सोलर पैनल का निर्माण करने वाली एक छोटी सी अमेरिकी कंपनी ने देश के वाणिज्य विभाग में याचिका दायर की है. इससे बाइडेन सरकार के जलवायु लक्ष्यों के साथ-साथ सोलर इंडस्ट्री पर भी खतरा मंडराने लगा है. आखिर ऐसा क्यों है?

Präsident Joe Biden
बाइडेन सरकार ने जलवायु को बेहतर बनाने की दिशा में 2035 तक बिजली क्षेत्र को कार्बन-फ्री बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.तस्वीर: Andrew Harnik/AP/picture alliance

अमेरिका के सोलर इंडस्ट्री पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. इसकी वजह है एक छोटी सी संघर्षरत कंपनी, जिसके बारे में आपने शायद ही कभी सुना होगा. इस कंपनी का नाम है ऑक्सिन सोलर, जो कैलिफॉर्निया के सैन जोस में है. यह कंपनी अमेरिका में कुल सोलर पैनलों का महज 2 फीसदी आपूर्ति करती है. 

इस कंपनी ने फरवरी महीने में अमेरिकी वाणिज्य विभाग में एक याचिका दायर की है. इस याचिका की वजह से आने वाले समय में अमेरिका में सोलर पैनल इंस्टॉल करने में काफी ज्यादा रुकावट का सामना करना पड़ सकता है. सोलर पैनल की बिक्री करने वाले सबसे बड़े समूह के अनुसार, याचिका की वजह से इस साल और अगले साल देश में स्थापित होने वाले सोलर पैनल की संख्या लगभग आधी हो सकती है. रिस्टैड एनर्जी में अक्षय ऊर्जा के विश्लेषक मार्सेलो ओर्टेगा ने डॉयचे वेले को बताया, "सोलर इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय अनिश्चितता है.”

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ऑक्सिन सोलर की ओर से दायर याचिका के बाद वाणिज्य विभाग इस बात की जांच शुरू कर सकता है कि क्या अमेरिकी सोलर कंपनियां चीन से आने वाले सोलर सिस्टम पर एक दशक पहले लगाए गए शुल्क की अनदेखी कर रही हैं. अमेरिका में सोलर इंडस्ट्री का ज्यादातर काम सोलर पैनल इंस्टॉल करने वाली कंपनियां करती हैं. ये कंपनियां दूसरी जगहों से सामान आयात कर उन्हें असेंबल भी करती हैं. फिलहाल, ये सभी 250 फीसदी तक शुल्क लगने की संभावना से डरी हुई हैं. 

गंभीर बात यह है कि सोलर पैनल इंस्टॉल करने वाली कंपनियों से उनकी अब तक की खरीदारी को लेकर शुल्क वसूला जा सकता है. हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इसी संभावना की वजह से अमेरिकी सोलर इंडस्ट्री का काम फिलहाल रुक सा गया है.

ऑक्सिन सोलर 2008 में शुरू हुई थी. अभी यह 150 मेगावाट के वार्षिक उत्पादन क्षमता का दावा करती है.तस्वीर: First Solar

आखिर कौन है ऑक्सिन सोलर?

अमेरिका के सोलर इंडस्ट्री के लिए संकट बन चुकी इस कंपनी के बारे में फरवरी तक ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं थी. हालांकि, जब से इसने वाणिज्य विभाग में याचिका दायर की है, तब से इसकी चर्चा शुरू हो गई है.

यह कंपनी 2008 में शुरू हुई थी. फिलहाल कंपनी 150 मेगावाट के वार्षिक उत्पादन क्षमता का दावा करती है. हालांकि, इसके सह-संस्थापक और सीईओ मामून राशिद ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि फिलहाल कंपनी अपनी सिर्फ 30 फीसदी क्षमता के साथ काम कर रही है.

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कंपनी कई वर्षों से आर्थिक तौर पर दबाव में है. राशिद ने कहा कि उन्होंने अपनी दूसरी संपत्तियों को बेचकर इसमें निवेश किया है. उत्पादन चालू रखने के लिए अपनी प्यारी पोर्शे कार तक को बेच दिया. हालांकि, कई बार ईमेल और फोन करने के बावजूद, ऑक्सिन सोलर की तरफ से राशिद का कोई जवाब नहीं मिला.

राशिद ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया, "हमारे पास पर्याप्त क्षमता है. साथ ही पर्याप्त ऑर्डर भी. हम तेजी से आगे बढ़ सकते हैं. हालांकि, हमें उचित कीमत मिलनी चाहिए, ताकि हम अपनी लागत निकाल सकें और कर्मचारियों को उचित वेतन दे सकें.”

अमेरिकी सोलर इंडस्ट्री को अस्थिर कर देने वाली जांच

वाणिज्य विभाग ने अप्रैल में ऑक्सिन सोलर और दूसरे अमेरिकी निर्माताओं के आरोपों की जांच शुरू की. इन आरोपों में कहा गया है कि अमेरिका में सौर पैनल इंस्टॉल करने वाली कंपनियां चीनी सोलर प्रॉडक्ट पर लगने वाले शुल्क को लेकर झूठ बोल रही हैं और उन्हें दरकिनार कर रही हैं. आरोप में यह भी कहा गया है कि ये कंपनियां दक्षिण-पूर्व एशिया के आपूर्तिकर्ताओं की मदद ले रही हैं. इन आपूर्तिकर्ताओं के जरिए ही चीनी निर्माता अपना प्रॉडक्ट बेचते हैं. 

दरअसल, 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार ने घरेलू उत्पादन में मदद करने के लिए चीन से आने वाले सोलर प्रॉडक्ट पर शुल्क लगाया था. हालांकि, इसके बावजूद सोलर पैनल का निर्माण करने वाली कंपनियां मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया जैसे दक्षिण-पूर्ण एशियाई देशों में चली गईं. सोलर एनर्जी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एसईआईए) के अनुसार, फिलहाल इन्हीं देशों से अमेरिका में 80 फीसदी से अधिक सोलर पैनल आते हैं. 

2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार ने घरेलू उत्पादन में मदद करने के लिए चीन से आने वाले सोलर प्रॉडक्ट पर शुल्क लगाया था.तस्वीर: Ralf Hirschberger/dpa/picture-alliance

उद्योग का हत्यारा या रक्षक? 

राशिद ने वाशिंगटन पोस्ट को बताया, "यह हमारे अस्तित्व की बात है.” ऑक्सिन सोलर चीनी और दक्षिण पूर्व एशियाई निर्माताओं के साथ मुकाबला नहीं कर सकता, लेकिन इसके सीईओ का दावा है कि यह याचिका सिर्फ उनकी अपनी कंपनी के लिए नहीं है. 

उन्होंने कहा, "मैं पूरे सोलर सप्लाई चेन को नए तरीके से व्यवस्थित करने के लिए नई शुरूआत करने की कोशिश कर रहा हूं. मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में ग्रिड से ज्यादा महत्व अक्षय ऊर्जा का होगा. सौर ऊर्जा, सबसे प्रमुख अक्षय ऊर्जा होगी.”

इस बहस के दूसरी ओर हैं सोलर इंडस्ट्री के क्षेत्र से जुड़ी दिग्गज कंपनियां, अक्षय ऊर्जा की वकालत करने वाले लोग, और दोनों पार्टियों के अमेरिकी सांसदों के गुट. ये लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि शुल्क लगाने से उद्योग को नुकसान पहुंच सकता है. अनुसंधान से जुड़ी कंपनी रिस्टैड एनर्जी ने जांच की घोषणा से पहले, 2022 में सौर ऊर्जा से कुल 27 गीगावाट उत्पादन होने के अनुमान को कम करके 10 गीगावाट कर दिया. वहीं, एसईआईए ने चेतावनी दी है कि शुल्क लागू करने से इस उद्योग में काम कर रहे एक लाख लोगों की नौकरियों पर खतरा हो सकता है.

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रिस्टैड एनर्जी के ओर्टेगा ने कहा, "अगले दो साल में कई कोयला संयंत्रों को बंद करना है. हालांकि, सौर ऊर्जा से पर्याप्त उत्पादन नहीं होने की वजह से बार-बार इन्हें बंद करने की तारीखों को बढ़ाया जा रहा है, ताकि बिजली की सामान्य आपूर्ति जारी रह सके और किसी तरह का संकट ना हो.”

राशिद के मुताबिक, ऑक्सिन सोलर पर काफी तीखा हमला हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि इस कंपनी का उत्पीड़न किया जा रहा है. वहीं, कुछ आलोचकों ने कंपनी की मंशा पर सवाल उठाए हैं. साथ ही, लगाए गए शुल्क पर भी सवाल उठाया है.

जहां तक ऑक्सिन सोलर के दावों की असलियत का सवाल है, वाशिंगटन डीसी में पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स की सीनियर फेलो मैरी ई. लवली ने डीडब्ल्यू से कहा कि हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि वाणिज्य विभाग की जांच में क्या मिलता है. 

हालांकि, उन्होंने कहा कि आरोप "पूरी तरह प्रशंसनीय हैं”, क्योंकि चीनी कंपनियों ने ट्रंप के शासनकाल में लगाए गए कई शुल्कों से बचने के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी दुकानें लगाई हैं.

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अमेरिकी सोलर इंडस्ट्री की कंपनियां ऑक्सिन सोलर का बचाव भी कर रही हैं. इन्हीं में से एक है, अमेरिका में सोलर पैनल बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी फर्स्ट सोलर. इस कंपनी में नीति विभाग के उपाध्यक्ष ने डब्ल्यूएसजे को बताया कि यह स्पष्ट है कि कुछ कंपनियां "डरती हैं कि विभाग यह पता लगाएगा कि सोलर पैनल बनाने वाली चीनी कंपनियां वास्तव में धोखाधड़ी में लगी हुई हैं. उन्हें अनुचित और गैरकानूनी तरीके से इन कंपनियों के साथ कारोबार करने के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा.”

पहाड़ों पर पानी में बना दिया सोलर प्लांट

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बाइडेन की प्राथमिकताओं की जांच

इस उथल-पुथल ने बाइडेन सरकार के एजेंडे में एक गंभीर तनाव का खुलासा किया है. बाइडेन सरकार ने जलवायु को बेहतर बनाने की दिशा में 2035 तक बिजली क्षेत्र को कार्बन-फ्री बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध और कोरोना महामारी में आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव की वजह से, चीन के कारोबार करने के तरीके पर भी बाइडेन सरकार लगातार विरोध दर्ज कर रही है.

वाणिज्य विभाग को जिस सवाल पर सबसे अधिक विचार करना चाहिए, वह यह है कि क्या दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में असेंबल हुए सोलर पैनल और सेल, चीन से आने वाले प्रॉडक्ट से ‘काफी हद तक अलग' हैं या नहीं.

लवली के मुताबिक, अगर वाणिज्य विभाग ऑक्सिन सोलर के पक्ष में फैसला सुनाता है, तो इससे सोलर इंडस्ट्री के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ सकता है.

वह कहती हैं, "यह मिसाल कायम करने का मौका है, जो खतरनाक भी साबित हो सकता है. इससे पूरे एशिया में चीनी प्रॉडक्ट की मदद से असेंबल किए गए अन्य सामानों पर भी शुल्क लगाया जा सकता है, यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका में बने सामानों पर भी.”

रिपोर्ट: टेडी ओस्ट्रो

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