बर्ड फ्लू का डर अब दिल्ली के चिड़ियाघर से उड़ता हुआ हवा में फैल चुका है. जगह जगह पक्षियों के शव मिलने से चिंता का माहौल है. सरकार मुस्तैद हो गई है.
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गुरुवार को सरकार ने इस बात की पुष्टि कर दी कि बीते 48 घंटों में कम से कम 10 पक्षी मरे हुए पाए गए हैं. इनमें 5 दक्षिणी दिल्ली के हौज खास स्थित डीयर पार्क में मिले. इसलिए अब डीयर पार्क को भी लोगों के लिए बंद कर दिया गया है.
दिल्ली का चिड़ियाघर मंगलवार से बंद है. वहां 6-7 पक्षी मरे हुए मिले थे. जांच के बाद पाया गया कि उनकी मौत एवियन फ्लू से ही हुई थी. इसके बाद चिड़ियाघर को बंद कर दिया गया. लेकिन मौतों का सिलसिला अब भी जारी है. दो और पक्षियों के शव मिल चुके हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि पक्षी सार्वजनिक जगहों पर भी मरे हुए मिल रहे हैं. चिड़ियाघर से एक किलोमीटर दूर सुंदरनगर में तीन कौवे मरे हुए मिले. कम से कम एक पक्षी का शव तुगलकाबाद की असोला भट्टी सैंक्चुरी में मिला है. यह प्रवासी पक्षियों के आने की जगह है.
दिल्ली सरकार में विकास मंत्री गोपाल राय ने बताया कि डीयर पार्क में तीन बत्तख मरी हुई मिली थीं और गुरुवार को वहां दो प्रवासी पक्षियों के शव भी मिले. उन्होंने कहा, "हमने पार्क को अनिश्चतकाल के लिए बंद कर दिया है." हालांकि राय कहते हैं कि अभी डरने की जरूरत नहीं है लेकिन लोगों को सावधान रहना चाहिए. उन्होंने कहा, "लोग अपने इलाके में मरे हुए पक्षियों को लेकर सचेत रहें. अगर कोई मरा पक्षी दिखे तो उसके पास ना जाएं और तुरंत सरकारी हेल्प लाइन नंबर (011-23890318) पर सूचित करें."
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हजारों कुत्ते एक साथ कत्ल
पाकिस्तान के शहर कराची में आवारा कुत्तों की शामत आई है. हजारों की संख्या में वहां कुत्तों को मारा जा रहा है.
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कुत्ते बने समस्या
पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में आवारा कुत्ते लोगों के लिए समस्या बन रहे हैं. ऐसे में, अधिकारी अकसर जहर देकर उन्हें मारते हैं.
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हजारों लोग शिकार
कराची में हर साल हजारों लोग आवारा कुत्तों के हमलों का शिकार होते हैं. इसलिए समय समय वहां सैकड़ों हजारों की तादाद में कुत्तों को मारा जाता है.
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कराची में कितने कुत्ते
कराची शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 35 हजार के आसपास बताई जाती है.
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खतरनाक कुत्ते
कराची के एनिमल केयर सेंटर में डॉ. इस्मा घीवाला का कहना है कि हर साल शहर में कुत्ते के काटने के 15 हजार मामले सामने आते हैं.
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इंसान भी जिम्मेदार
डॉ. इस्मा घीवाला इसके लिए इंसानों को भी जिम्मेदार बताती हैं. वो कहती हैं कि अकसर कुत्तों को देखते ही लोग या तो पत्थर फेंकते है या फिर बच्चे उनके पीछे दौड़ते हैं.
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कुत्ते नहीं अच्छे
जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाले मुस्तफा अहमद कुत्तों को मारे जाने की वजह धार्मिक भी बताते हैं. उनके मुताबिक मौलवी कुत्ते को अच्छा जानवर नहीं बताते हैं इसलिए उनके मारे जाने से किसी कोई फर्क नहीं पड़ता.
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पर्याप्त नहीं संसाधन
वहीं अधिकारियों का कहना है कि उनके पास इन कुत्तों के रखरखाव के लिए पर्याप्त संसाधन नही है. ऐसे में, उन्हें खत्म करने के अलावा कोई चारा नहीं है.
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और जगह भी समस्या
वैसे पाकिस्तान ही नहीं, भारत समेत कई और देशों में भी आवारा कुत्ते शहरों में बड़ी समस्या है और वहां भी इन्हें खत्म करने की मांग लगातार उठती है.
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इस बीच पशुपालन विभाग में कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने की तैयारी की जा चुकी है. दिल्ली में मरे पाए गए सभी पक्षियों के शव जांच के लिए जालंधर की लैब में भेजे जा गए हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार ने लिखा है, "हमने 10 त्वरित बल बनाए हैं. साथ ही 23 सदस्यों का एक दल बनाया गया है जिसकी अध्यक्षता विकास सचिव संदीप कुमार करेंगे. यह दल विभिन्न विभागों के बीच सामंजस्य बनाकर काम करने पर निगरानी रखेगा. इसके अलावा म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की 10 टीमों को भी तैयार रखा गया है ताकि संकट के समय उनका इस्तेमाल किया जा सके."
बर्ड फ्लू एक घातक वायरस है और इसकी मृत्युदर बहुत ज्यादा है. 2003 से 2016 के बीच दुनियाभर में इसके 856 मामले सामने आए जिनमें से 452 की मौत हो गई. बर्ड फ्लू से पीड़ित व्यक्ति को तेज बुखार, खराब गला, पेट के निचले हिस्से में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
जानिए, कैसे फैलता है मर्स वायरस
कैसे फैलता है मर्स वायरस
मर्स यानि मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम का वायरस दक्षिण कोरिया में काफी तेजी से फैला. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लेकर सावधान रहने को कहा है लेकिन इसे वैश्विक स्वास्थ्य इमरजेंसी नहीं बताया. ऐसे हुआ मर्स का विस्तार.
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दक्षिण कोरिया में मर्स का सबसे अधिक प्रकोप है. वहां 2012 में इसका सबसे पहला मामला सामने आया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इसका वायरस जूनोटिक किस्म का होता है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से इंसानों में फैलता है.
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों में इस पर बहस है कि मर्स वायरस पहले ऊंटों से आया या फिर चमगादड़ों से. इसके अलावा यह भी साफ पता नहीं चल पाया है कि आखिर ये वायरस जानवरों से इंसानों में कैसे पहुंचे. इसकी भी जांच जारी है.
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मर्स के वायरस को सबसे पहले 2012 में सऊदी अरब में देखा गया. सऊदी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो वहां इसने करीब 400 लोगों की जान ली और लगभग 1,000 लोगों को संक्रमित कर दिया था.
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आम तौर पर अरब प्रायद्वीप में पाए जाने वाले इस वायरस के कई मामले यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में भी सामने आए हैं. हालांकि, सऊदी अरब के बाहर किसी जगह पर सबसे अधिक मामले दक्षिण कोरिया में मई 2015 से ही दर्ज हुए.
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सबसे पहले जानवरों से इंसानों में आया यह वायरस अब इंसानों से इंसानों में तेजी से फैल रहा है. मर्स संक्रमण के कुल वैश्विक मामलों में करीब 36 फीसदी में मरीज की मौत हो गई है. हालांकि दक्षिण कोरिया में केवल 10 फीसदी मरीजों की ही जान गई.
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जून महीने की शुरुआत में सामने आए कई मामलों के बाद अब दक्षिण कोरिया में नए मामलों की संख्या घटी है. अरब प्रायद्वीप में यात्रा करने वालों, ऊंट के संपर्क में आने वालों और दक्षिण कोरिया में अस्पताल के आसपास जाने वालों को इससे संक्रमित होने का अधिक खतरा है.
अगर किसी को मर्स वायरस का संक्रमण हो तो उसमें खांसी, बुखार और निमोनिया जैसे लक्षण दिखते हैं. लेकिन चिंता की बात ये है कि वायरस के संक्रमण के बावजूद कई मामलों में उसका कोई भी साफ लक्षण नहीं दिखा.
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जर्मनी में मर्स का पहला मामला फरवरी 2015 में सामने आया जब एक 65 वर्षीय पुरुष ने अबु धाबी से लौटने के बाद अपनी जांच करवाई. इस व्यक्ति की मौत हो चुकी है और अब तक इससे बचने के लिए कोई टीका या एंटीवायरल इलाज मौजूद नहीं है.