इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक मंदिर-मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में तैनात अधिकारियों और नेताओं के अलावा उनके रिश्तेदारों ने बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी है.
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करीब छह महीने पहले अयोध्या में मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी निभा रहे श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भी बड़े पैमाने पर महंगी दरों पर जमीनें खरीदने के आरोप लगे थे. आरोप अयोध्या के मेयर और ट्रस्ट के सचिव चंपतराय पर लगे थे.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां जमीनें खरीदने की होड़ लग गई और खरीददारों में सबसे ज्यादा स्थानीय विधायक, मेयर, नौकरशाह और इनके रिश्तेदार शामिल हैं.
तस्वीरेंः भूमि पूजन
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh
राम मंदिर भूमि पूजन
5 अगस्त 2020 भारतीय इतिहास में उस तारीख के रूप में दर्ज हो गई जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया. लंबे कानूनी झगड़े के बाद अयोध्या में विशाल राम मंदिर निर्माण होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया.
तस्वीर: AFP/P. Singh
राम मंदिर की नींव
नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर की नींव में नौ शिलाएं रखीं. भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 44 मिनट पर था. तय कार्यक्रम के मुताबिक पूरे विधि विधान से पूजा पाठ किया गया. अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले मोदी ने हनुमान गढ़ी जाकर दर्शन किए और आरती उतारी. टीवी चैनलों पर सुबह से ही कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जा रहा था.
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राम के दर्शन
मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास करने के बाद कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "आज पूरा देश राममय और हर मन दीपमय है. सदियों का इंतजार समाप्त हुआ." सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दशकों पुराने मामले का निबटारा करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था. मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन मिली है.
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राम भक्तों का जश्न
राम मंदिर निर्माण की नींव रखे जाने से भारत में राम भक्तों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी. कोरोना वायरस की वजह से राम मंदिर भूमि पूजन के लिए सीमित संख्या में मेहमानों को आमंत्रित किया गया था. ज्यादातर लोगों ने ढोल और नगाड़े बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया. इस तस्वीर में बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ता जश्न मनाते दिख रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन के सहारे ही बीजेपी सत्ता के शिखर तक पहुंच पाई.
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खुशी से झूमती महिलाएं
नई दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय के बाहर महिलाएं खुशी से झूमती हुईं. राम मंदिर के लिए वीएचपी, आरएसएस और बीजेपी ने आंदोलन चलाया. आंदोलन से जुड़े दो वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
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पटाखों के साथ खुशी
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखने के बाद नई दिल्ली में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े और हवा में रंग उड़ाए. कई शहरों में राम भक्तों ने लड्डू बांटे और एक दूसरे को इस अवसर पर बधाई दी.
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खास मेहमान
पिछले कई महीनों से अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर हलचल तेज थी और तैयारियां जोरों पर थीं. राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट ने भूमि पूजन के लिए खास तैयारी की थी. चुनिंदा मेहमानों के अलावा भूमि पूजन के लिए आम लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी. लोग दूर से इस पल का गवाह बने.
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सीधा प्रसारण
राम मंदिर भूमि पूजन का सीधा प्रसारण टीवी पर किया गया. कोरोना वायरस के कारण लोगों ने बड़ी स्क्रीन पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम देखा. कई शहरों में इसके लिए खास इंतजाम किए गए थे.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
लड्डू का प्रसाद
अयोध्या में प्रसाद के तौर पर पिछले कुछ दिनों से लड्डू बनाने का काम चल रहा था. भूमि पूजन के बाद 1,11,000 डिब्बों में प्रसाद के रूप में देसी घी के लड्डू वितरित किए गए. इन लड्डूओं को कई तीर्थ क्षेत्रों में वितरित भी किया जाएगा.
तस्वीर: IANS
अयोध्या में सैनिटाइजेशन
कोरोना वायरस के कारण पूरी अयोध्या नगरी को सैनिटाइज किया गया. तमाम रास्तों, गलियों, मंदिरों और भूमि पूजन से जुड़ी जगहों को स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सैनिटाइज किया. भूमि पूजन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा, "कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम मर्यादाओं के बीच हो रहा है."
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सख्त पहरा
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के पहले ही सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. भूमि पूजन से पहले ही अयोध्या में तीन चक्र की सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे. स्थानीय पुलिस, अर्धसैनिक बल और एसपीजी के जवान तैनात किए गए थे.
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
अयोध्या
अयोध्या में पिछले कुछ हफ्तों से सजावट का काम चल रहा था. जगह-जगह दीवारों पर राम के चित्र बनाए गए और सड़कों पर रंगोली बनाई गई. सरयू नदी पर मंगलवार से ही मनमोहक नजारा दिख रहा है. नदी के किनारे को भूमि पूजन के लिए रंगीन रोशनी और रंगोली से सजाया गया.
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
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रिपोर्ट के मुताबिक इन लोगों ने राम मंदिर स्थल के 5 किमी के दायरे में जमीन खरीदी हैं. इनमें अयोध्या के स्थानीय विधायक वेदप्रकाश गुप्त, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय के अलावा राज्य ओबीसी आयोग के एक सदस्य हैं और राज्य सूचना आयुक्त के रिश्तेदार भी शामिल हैं. जिन अधिकारियों के नाम जमीन खरीद में आए हैं उनमें अयोध्या में तैनात मंडलायुक्त, एसडीएम, डीआईजी और कुछ अन्य अधिकारी शामिल हैं.
कई अनियमितताएं
रिपोर्ट के मुताबिक, जमीन खरीदने में कई तरह की अनियमितताएं भी सामने आई हैं. ज्यादातर लोगों ने ये जमीनें महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट नाम के एक ट्रस्ट से खरीदी हैं. इस ट्रस्ट के खिलाफ जमीन घोटाले की जांच यही अधिकारी कर रहे हैं. आरोप हैं कि ट्रस्ट ने 1990 के दशक में दलित ग्रामीणों से जमीन खरीदी थी जो नियमानुसार नहीं खरीदी जा सकती.
जमीन खरीदने वालों में अयोध्या जिले में गोसाईगंज से विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी भी हैं जिनकी विधानसभा सदस्यता फर्जी मार्कशीट मामले में दोषी साबित होने के बाद समाप्त घोषित कर दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक, तिवारी ने 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में करीब ढाई हजार वर्ग मीटर जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से तीस लाख रुपये में खरीदी थी जबकि इसी साल में मार्च में उनके एक रिश्तेदार ने भी बरहटा माझा में 6320 वर्गमीटर जमीन को 47.40 लाख रुपये में खरीदा. हालांकि राजेश मिश्र कहते हैं कि इस सौदे में खब्बू तिवारी की कोई भूमिका नहीं है बल्कि उन्होंने अपने स्तर पर और अपने पैसे से खरीदी है.
तस्वीरेंः अयोध्या में कब क्या हुआ
अयोध्या: कब क्या हुआ
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कुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1853
इस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curran
1859
ब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D .E. Curran
1949
मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
तस्वीर: DW/Waheed
1984
विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1986
जिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
तस्वीर: AFP/Getty Images
1989
विश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
तस्वीर: AP
1992
वीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Images
जनवरी 2002
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
तस्वीर: AP
मार्च 2002
गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
तस्वीर: AP
अगस्त 2003
पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
तस्वीर: CC-BY-SA-Shaid Khan
जुलाई 2005
विवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
तस्वीर: AP
2009
जस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: AP
सितंबर 2010
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
तस्वीर: AP
मई 2011
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
तस्वीर: AP
मार्च 2017
रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
मार्च, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
तस्वीर: DW/V. Deepak
नवंबर, 2019
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Armangue
अगस्त, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh
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जमीन खरीदने वालों में कुछ समय पहले तक अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी रहे पुरुषोत्तम दास गुप्ता के एक रिश्तेदार, कुछ समय पहले तक डीआईजी रहे दीपक कुमार के रिश्तेदार, अयोध्या में एसडीएम रहे आयुष चौधरी के रिश्तेदार और अयोध्या के बीजेपी विधायक वेद प्रकाश गुप्ता के रिश्तेदार शामिल हैं.
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घोटाले का शक
अखबार के मुताबिक, ये अधिकारी यह तर्क दे रहे हैं कि जमीनें उनके कार्यकाल में नहीं खरीदी गईं और उन्होंने अपने नाम पर नहीं खरीदीं लेकिन सवाल यह उठता है कि उन अधिकारियों के रिश्तेदारों ने उसी समय जमीन खरीदने में इतनी दिलचस्पी क्यों दिखाई जब मंदिर-मस्जिद विवाद का फैसला होने के बाद अयोध्या में जमीनों के दाम बेतहाशा बढ़ने की खबरें आने लगीं.
अयोध्या के रहने वाले एक बड़े प्रॉपर्टी डीलर नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि जमीन खरीदी में ये जो नाम सामने आए हैं ये तो कुछ भी नहीं हैं बल्कि कई अधिकारियों ने तो कथित तौर पर फर्जी रिश्तेदारों तक के नाम पर जमीनें खरीद ली हैं.
वह कहते हैं, "ये जमीनें अयोध्या में विकास के नाम पर स्थानीय किसानों से औने-पौने दामों में खरीदी गईं और बाद में अन्य लोगों को महंगे दामों पर बेची गईं. जिन लोगों ने जमीनें खरीदकर छोड़ रखी हैं, उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इनकी कीमतें और बढ़ेगीं या फिर वो खुद यहां कुछ निवेश करेंगे."
देखिए अयोध्या की दिवाली
01:19
जमीन खरीद में कथित धांधली पर कांग्रेस पार्टी ने सरकार को घेरा है और मामले की जांच कराने की मांग की है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला का कहना है, "पहले मंदिर के नाम पर चंदे की लूट की गई और अब संपत्ति बनाने की लूट हो रही है. साफ है कि भाजपाई अब रामद्रोह कर रहे हैं. जमीन की सीधे लूट मची हुई है. एक तरफ आस्था का दीया जलाया गया और दूसरी तरफ बीजेपी के लोगों द्वारा जमीन की लूट मचाई गई है."
पहले भी उठे विवाद
इसी साल जून महीने में भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन खरीद में बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक तेजनारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय ने आरोप लगाया था कि सिर्फ दो करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन कुछ ही मिनटों बाद 18.5 करोड़ रुपये में खरीदी गई.
पवन पांडेय का कहना था, "18 मार्च 2021 को पहले बैनामा हुआ और फिर दस मिनट बाद ही एग्रीमेंट भी. जिस जमीन को दो करोड़ रुपये में ख़रीदा गया उसी जमीन का 10 मिनट बाद साढ़े 18 करोड़ रुपये में एग्रीमेंट हो गया. एग्रीमेंट और बैनामा दोनों में ही ट्रस्टी अनिल मिश्र और मेयर ऋषिकेष उपाध्याय गवाह थे."
पवन पांडेय ने दस्तावेजों के साथ कई सबूत दिए और इसे लेकर उस वक्त काफी हंगामा भी हुआ. यहां तक कि ट्रस्ट के सचिव चंपतराय को ट्रस्ट से हटाने की भी मांग हुई लेकिन कुछ समय बाद मामला थम सा गया. हालांकि राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने इन आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया था और एक बयान जारी कर कहा था कि जो भी जमीन ट्रस्ट ने खरीदी है वो नियमों के अनुसार खरीदी है और बाजार मूल्य से कम पर खरीदी है.
अयोध्या में जमीन से जुड़े कुछ मामले उसके बाद भी उभर कर सामने आए लेकिन ट्रस्ट की ओर से उनके संतोषजनक जवाब अब तक नहीं आए हैं.