खराब भोजन शैली से कमजोर हो रही याददाश्त
१६ दिसम्बर २०२२नए अध्ययन से पता चलता है कि बर्गर, चिप्स और पैकेज्ड कुकीज जैसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का प्रतिदिन 400-500 कैलोरी से ज्यादा का सेवन करने से याददाश्त कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है. यह मोटे तौर पर दो डोनट्स या फ्रोजन पिज्जा के आधे हिस्से से मिलने वाले कैलोरी के बराबर है.
आठ वर्षों तक किए गए इस अध्ययन में ब्राजील के 10,775 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया. अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन किया उनकी याददाश्त कमजोर होने की दर, कम से कम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों की तुलना में 28 फीसदी ज्यादा थी.
जामा (जेएएमए) न्यूरोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में लोग अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का काफी सेवन करते हैं. यह उनके दैनिक आहार का करीब 50 फीसदी हिस्सा होता है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से चिंता की बात है.
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मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भोजन की भूमिका
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि नए अध्ययन से मिले नतीजे काफी ज्यादा स्पष्ट नहीं हैं. यूके स्थित एस्टॉन विश्वविद्यालय में खान-पान के विशेषज्ञ डुआन मेलोर कहते हैं, "इस अध्ययन में सिर्फ अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के सेवन और याददाश्त कमजोर होने के बीच के संबंध को दिखाया गया है. समस्या ये है कि यह निगरानी से जुड़ा डेटा है. इसलिए इससे सिर्फ दोनों के बीच के संबंध का पता चलता है, लेकिन इस बात की जानकारी नहीं मिलती कि आखिर ऐसा होता क्यों है.” मेलोर इस नए अध्ययन में शामिल नहीं हैं.
मेलोर ने कहा कि शोधकर्ताओं को इस बारे में पहले से ही काफी ज्यादा जानकारी है कि डोनट्स जैसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के सेवन से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव क्यों पड़ता है. हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि क्या ये खाद्य पदार्थ उन खाद्य पदार्थों से भी ज्यादा नुकसानदायक हैं जिनमें काफी मात्रा में वसा, नमक या चीनी होता है.
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस अध्ययन के दौरान याददाश्त में कमजोरी की अन्य वजहों पर ध्यान नहीं दिया गया है. मेलोर ने कहा, "ऐसा भी हो सकता है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले लोग सब्जियां, बादाम और दालें जैसे स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों का कम सेवन करते हों.”
मानसिक स्वास्थ्य एक जटिल मुद्दा है. संतुलित भोजन के अलावा, याददाश्त में कमजोरी की कई वजहें हो सकती हैं, जैसे कि व्यायाम, धूम्रपान, शराब, हृदय और पाचन संबंधी बीमारियां. अध्ययन में विश्लेषण के दौरान इन कारकों को शामिल नहीं किया गया है.
यूके में यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में पोषण और खाद्य विज्ञान के प्रोफेसर गुंटर कुह्नले ने कहा, " इस वजह से मौजूदा डेटा के विश्लेषण से कोई निष्कर्ष निकालना मुश्किल है.”
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उचित भोजन न लेने से बढ़ रही स्वास्थ्य समस्याएं
अलग-अलग अध्ययनों से जुड़े मतभेद के बावजूद, मेलोर जैसे चिकित्सा और पोषण विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि आज पूरी दुनिया में लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए, आहार और पोषण दो सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरे हैं. मौजूदा अध्ययनों से यह साफ तौर पर पता चलता है कि मोटापा अब दुनिया में भूख से ज्यादा बड़ी समस्या बन चुकी है.
ज्यादा वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों की वजह से मोटापा, हृदय रोग, कैंसर जैसी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये खाद्य पदार्थ अल्ट्रा-प्रोसेस्ड हैं या नहीं. इनकी वजह से मरने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है.
पोषण और स्वास्थ्य के विशेषज्ञों के स्वतंत्र समूह ‘ग्लोबल पैनल ऑन एग्रीकल्चर एंड फूड सिस्टम्स न्यूट्रिशन' की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन विकासशील देशों में प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का चलन तेजी से बढ़ा है वहां आने वाले वर्षों में सबसे ज्यादा मोटापा का खतरा बढ़ने की संभावना है.
रिपोर्ट के मुताबिक, तीन अरब लोगों को स्वास्थ्यवर्धक आहार नहीं मिलता है. इस वजह से उन्हें पर्याप्त पोषण भी नहीं मिलता है.
क्या खाना ज्यादा सही है
इंसान कभी भी अपनी आदतों में बदलाव कर स्वास्थ्यवर्धक आहार का सेवन शुरू कर सकता है. अध्ययनों से पता चलता है कि किस तरह से भूमध्यसागरीय क्षेत्र में स्वास्थ्यवर्धक भोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से याददाश्त संबंधी परेशानियों और हृदय रोग के खतरों को कम करने में मदद मिली.
भूमध्यसागरीय क्षेत्र के खान-पान की शैली में ताजा खाद्य पदार्थों के सेवन पर जोर दिया गया है. साथ ही, उन खाद्य पदार्थों का कम सेवन किया जाता है जिनमें प्रोसेस्ड वसा, चीनी और नमक हो. दूसरे शब्दों में कहें, तो प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन न करने या कम करने की सलाह दी जाती है.
मेलोर ने कहा, "सब्जियों, दाल, मेवा, अनाज और फलों का सेवन करना चाहिए. अगर आप चाहें, तो सीमित मात्रा में डेयरी उत्पाद और ताजे मांस का सेवन कर सकते हैं.”