यूक्रेन युद्ध के चलते अपनी रक्षा और चीन नीति बदलेगा जर्मनी
एलेक्स बैरी
१८ मार्च २०२२
जर्मनी ने हाल ही में ऐलान किया था कि वह अपनी सेना पर खर्च बढ़ाएगा और नाटो की सिफारिशों के मुताबिक जीडीपी का दो फीसदी रक्षा पर खर्च करेगा. अफ्रीका में चल रही गतिविधियों को देखते हुए, जर्मनी की चीन नीति में बदलाव आएगा.
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जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने शुक्रवार को अपने एक भाषण में जर्मनी की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के बारे में शुरुआती संकेत दिए हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही जर्मनी की रक्षा रणनीति में बदलाव दिख रहा है. यूक्रेन पर हुए हमले के बाद जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने घोषणा की थी कि जर्मन सेना- बुंडसवेयर को आधुनिक बनाने के लिए सरकार 100 अरब यूरो खर्च करेगी.
राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के बारे में जानकारी देते हुए विदेश मंत्री बेयरबॉक ने इसे समावेशी बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा नीति सेना और कूटनीति तक सीमित नहीं है, "हमारी शांति व्यवस्था में रूस के बड़े दखल के मद्देनजर हमें उन मूल्यों पर चलना होगा जो वास्तविक राजनीति में हमें और भी स्पष्टता के साथ रास्ता दिखाएं."
बेयरबॉक ने द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी के अपराधों का जिक्र किया और जर्मनी की "खास जिम्मेदारी" के लिए प्रतिबद्धता जताई. उन्होंने कहा, "यह हमारा कर्तव्य है कि जिनका जीवन, आजादी और अधिकार खतरे में हैं, हम उनके साथ खड़े हों."
अंतरराष्ट्रीय सहयोग है हमारी ताकत: जर्मनी
अंतरराष्ट्रीय सहयोग को अपने ताकत बताते हुए बेयरबॉक ने बताया कि जर्मनी की पहल पर यूरोपीय संघ पहली बार व्यापक सुरक्षा नीति-रणनीति बना रहा है. जर्मनी यूरोप में नाटो का बड़ा हिस्सेदार है. बेयरबॉक ने कहा कि (यूक्रेन) युद्ध ने एक बार फिर दिखा दिया है कि "यूरोप की सुरक्षा नाटो के साझा प्रतिरोध पर निर्भर है." बकौल बेयरबॉक, पूर्वी यूरोप में 'ट्रिपवायर' का तर्क (सीमा पर छोटी टुकड़ियां तैनात करना) अब काफी नहीं रह गया है.
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उन्होंने जोर दिया कि "हमारे युद्धाभ्यासों में नई परिस्थितियों की झलक दिखनी चाहिए और इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि नाटो का पूर्वी हिस्सा (पूर्वी यूरोप के देश) एक नए खतरे का सामना कर रहा है. इसलिए हमें दक्षिण-पूर्वी यूरोपीय देशों में नाटो की ज्यादा मौजूदगी की जरूरत है."
इस मौके पर बेयरबॉक ने परमाणु हथियार विहीन दुनिया बनाने के जर्मनी के लक्ष्य के प्रति वचनबद्धता जताई. उन्होंने कहा कि अशस्त्रीकरण और हथियारों पर नियंत्रण हमारी सुरक्षा का केंद्रीय स्तंभ होगा.
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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कई मोर्चों पर बदलाव
बेयरबॉक ने बताया कि नई सुरक्षा रणनीति भविष्य को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी. इसमें साइबर सुरक्षा भी अहम मुद्दा होगा. उन्होंने कहा, "हम देख रहे हैं कि किस तरह साइबर हमले आधुनिक लड़ाई का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं." बेयरबॉक ने कहा कि जर्मनी नई सुरक्षा रणनीति के साथ-साथ चीन के लिए भी नई नीति बना रहा है. चीन नीति में बदलाव के पीछे का तर्क, अफ्रीका के उन देशों में बढ़ती अस्थिरता को बताया, जहां चीन के निवेश किया है.जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि जिन बातों पर आज यूरोपीय संघ के स्तर पर चर्चा की जा रही है, वे आठ साल पहले उस वक्त हो जानी चाहिए थी, जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था. जर्मनी समेत यूरोप के कई देश रूस से मिलने वाली गैस पर आंशिक या पूरी तरह निर्भर हैं. ग्रीन पार्टी से आने वालीं बेयरबॉक ने कहा कि "हमें जीवाश्म ईंधन से अक्षय ऊर्जा की तरफ तेजी से बढ़ना होगा. यह निवेश सिर्फ स्वच्छ ऊर्जा के लिए नहीं होगा, बल्कि हमारी सुरक्षा और आजादी में भी होगा." उन्होंने जलवायु संकट को इस जमाने का सुरक्षा संकट बताया है.
ये देश खरीदते हैं सबसे ज्यादा हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की सालाना रिपोर्ट बताती है कि बीते पांच साल में दुनियाभर में सबसे ज्यादा हथियार भारत और सऊदी अरब ने खरीदे. देखिए, कौन से देश हैं सबसे बड़े खरीददार...
सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और सऊदी अरब दुनिया के सबसे ज्यादा हथियार खरीदते हैं. इन्होंने 2016 से 2020 के बीच कुल बिके हथियारों का 11-11 प्रतिशत हिस्सा खरीदा है. हालांकि 2012-16 के मुकाबले भारत का आयात 21 प्रतिशत घटा है.
तस्वीर: U.S. Navy/Zuma/picture alliance
सऊदी अरब
2012-16 के मुकाबले बीते पांच साल में सऊदी अरब में हथियारों का आयात 27 प्रतिशत बढ़ा है और यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है.
तस्वीर: Jon Gambrell/AP/picture alliance
मिस्र, दूसरे नंबर पर
सिप्री में मिस्र को दूसरे नंबर पर रखा गया है जिसने कुल हथियार आयात का 5.7 प्रतिशत हिस्सा खरीदा. पिछले पांच साल में उसने 2012-16 के मुकाबले 73 प्रतिशत ज्यादा हथियार खरीदे हैं.
हाल ही में अमेरिका और ब्रिटेन से पनडुब्बी समझौता करने वाला ऑस्ट्रेलिया 5.4 प्रतिशत हथियार खरीदकर तीसरे नंबर पर है.
तस्वीर: Amanda R. Gray/U.S. Navy via AP/picture alliance
चीन
सिप्री की रिपोर्ट कहती है कि चीन अब खुद हथियार बनाने में बहुत प्रगति कर चुका है लेकिन तब भी वह दुनिया के कुल आयात का 4.8 प्रतिशत खरीद रहा है. चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जो हथियार बेचने वालों में भी पांचवें नंबर पर है.
तस्वीर: Yang Pan/Xinhua/picture alliance
म्यांमार का आयात घटा
बीते पांच साल में म्यांमार की हथियार खरीद 32 प्रतिशत कम हो गई है. उसके पास कुल आयात का सिर्फ 0.6 प्रतिशत हिस्सा गया.
तस्वीर: Yirmiyan Arthur/AP Photo/picture alliance
इस्राएल का आयात बढ़ा
2012-16 से तुलना की जाए तो इस्राएल ने बीते पांच साल में 19 प्रतिशत ज्यादा हथियार खरीदे हैं.
तस्वीर: Rafael Ben-Ari/Chameleons Eye/Newscom/picture alliance
ताइवान का आयात घटा
चीन के साथ संबंधों में तनाव झेल रहे ताइवान का आयात बीते पांच साल में तो 68 प्रतिशत घट गया है लेकिन आने वाले सालों में उसकी हथियार खरीद में बड़ी वृद्धि की संभावना जताई गई है.
तस्वीर: Daniel Ceng Shou-Yi/ZUMAPRESS.com/picture alliance
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रक्षा मामलों में राह बदलता जर्मनी
जर्मनी अपनी सुरक्षा के लिए नाटो पर निर्भर है. लंबे समय से जर्मनी अपनी सेना पर कम खर्च करता रहा है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद जर्मनी की नीति में बदलाव आया है. अब जर्मनी ने नाटो की सिफारिशों के मुताबिक जीडीपी का 2 फीसदी रक्षा पर खर्च करने की बात मानी है. इसके अलावा जर्मनी ने अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान भी खरीद रहा है.
बेयरबॉक ने यह भाषण, जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स, रक्षा मंत्री क्रिस्टीने लाम्ब्रेष्ट और नाटो प्रमुख येंस स्टोल्टेनबर्ग के साथ हुई बैठक के बाद दिया है. इस बैठक में स्टोल्टेनबर्ग ने जर्मनी के अपनी सेना पर खर्च बढ़ाने के फैसले की तारीफ की थी.